उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त शब्द अच्छा, पचास, कुछ, सुंदर शब्द वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बता रहे हैं।
विशेषण विशेष्य:
जैसे: तीन, दस, कुछ, अनेक आदि।
संख्यावाचक विशेषण के भेद
संख्यावाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं:
1. निश्चित संख्यावाचक: जिस विशेषण से किसी निश्चित संख्या का बोध हो, उसे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे: दो, दस, चार आदि।
2. अनिश्चित संख्यावाचक: जिस विशेषण से किसी निश्चित संख्या का बोध न हो, उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे: अनेक, कुछ, थोड़ा आदि।
जैसे: कुछ दूध, सवा आठ, पाँच गज आदि।
परिमाणवाचक विशेषण के भेद
परिणामवाचक विशेषण दो प्रकार के होते हैं:
1. निश्चित परिमाणवाचक: जिस विशेषण से किसी निश्चित परिमाण का ज्ञान हो, उसे निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे: पाँच हाथ जमीन, दो किलो चीनी आदि।
2. अनिश्चित परिमाणवाचक: जिस विशेषण से किसी निश्चित परिमाण का ज्ञान न हो, उसे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे: थोड़े चावल, कुछ दूध आदि।
जैसे: अच्छा, पीला, दयालु, मीठा आदि।
जैसे:
जैसे: वह बड़ा साहसी है। यहाँ “बड़ा” प्रविशेषण है क्योंकि वह “वह” का विशेषण “साहसी” की विशेषता बता रहा है।
इसी प्रकार
1. मूल अवस्था: इस अवस्था में किसी प्रकार की तुलना नहीं होती है।
जैसे: राम श्रेष्ठ है।
2. उत्तर अवस्था: इस अवस्था में दो वस्तुओं, व्यक्तियों या स्थानों की तुलना की जाती है।
जैसे: राम श्रेष्ठतर है। आम अंगूर से मीठा है।
3. उत्तम अवस्था: इस अवस्था में दो या दो से अधिक व्यक्तियों, या स्थानों में सबसे बढ़कर बताता है।
जैसे: राम अपने भाइयों में श्रेष्ठतम् है। आम सभी फलों से मीठा है। केवल गुणवाचक, अनिश्चित संख्यावाचक और अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषणों की ही तुलनात्मक अवस्थाएँ होती हैं।
गुणवाचक विशेषणों द्वारा संज्ञा और सर्वनाम शब्दों के निम्नलिखित विशेषताओं का बोध होता है।
जैसे: बड़ा, छोटा, गोरा, काला, मोटा, दुबला, हरा, चतुर, तीव्र आदि।
2. कुछ विशेषणों की रचना संज्ञाओं में प्रत्यय लगाकर की जाती है।
3. कुछ विशेषण क्रियाओं में प्रत्यय लगाकर बनाए जाते हैं।
4. कुछ विशेषणों की रचना सर्वनामों से होती है
5. कुछ विशेषणों की रचना अव्यय से भी होती है
6. कुछ विशेषणों का निर्माण उपसर्ग जोड़कर भी होता है
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