प्रश्न 1: आपने अनेक कविताएं पढ़ी होंगी। उनमें से आपको कौन सी कविता सबसे अच्छी लगी? लिखिए। यह भी बताइए कि आपको यह कविता क्यों अच्छी लगी?
उत्तर: मैंने अनेक कविताएं पढ़ी है। इनमें से मुझे जयशंकर प्रसाद जी की निम्नलिखित कविता सबसे अच्छी लगी हैं।
अरुण! यह मधुमय देश हमारा।
जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
सरस तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरु सीखा मनोहर।
छिटका जीवन-हरियाली पर मंगल कुमकुम सारा।
लघु सुरधनु से पंख पसारे शीतल मलय समीर सहारे,
उड़ते खग जिस ओर मुंह किए, समझ नीड़, निज प्यारा।
बरसाती आंखों के बादल-बनते जहां भरे करुणा जल,
लहरी टकराती अनंत की-पाकर जहां किनारा।
हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भर्ती ढलखाती सुख मेरे।
मंदिर उगते रहते जब जग कर रजनी भर तारा।
मुझे यह कविता इसलिए अच्छी लगती है क्योंकि इसमें राष्ट्र के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त किया गया और मेरा भारतवर्ष को असीम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश बताया गया है जहां सबका सदा स्वागत होता है। भाषा तत्सम प्रधान है। संपूर्ण कविता में संगीत के घूमते हुए स्वर सुनाई देते हैं। प्रकृति का मानवीकरण किया गया। रूपक, उपमा, अनुप्रास अलंकार की छटा निराली है।
प्रश्न 2: आपके जीवन में अनेक ऐसी घटनाएं घटी होंगी जिन्होंने आपके मन को छुआ होगा। उस अनुभूति को कविता के रूप में लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर: जेठ की तपती दोपहरी में एक रिक्शा वाले को रिक्शा चलाते देख कर मन में उत्पन्न भावनाओं को कविता के रूप में इस प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है-
वह आता, चिल्लाता
रिक्शावाला।
जीर्णवसन, मलीन तन
धूल-विमर्दित पग नगन
बिखरे केस सिर जलन
बहते स्वेद सिक्त तन
ठठरी-सा गात
औ’ पेट पीठ से चिपकाता
वह आता।
तप्त तवे-सी तपती भू
शेष स्वांस सी चलती लू
मध्यान्ह रवि बरसात आ आग
पर
आशा में कुछ कमाने की
वह आता, चिल्लाता
रिक्शावाला।
प्रश्न 3: शब्दों का खेल, परिवेश के अनुसार शब्द चयन, लय, तुक, वाक्य संरचना, यति-गति, बिंब, संक्षिप्तता के साथ-साथ विभिन्न अर्थ स्तर आदि से कविता बनती है। दी गई कविता में इनकी पहचान कर अपने शब्दों में लिखें-
एक जनता का
दु:ख एक।
हवा में उड़ती पताकाएं
अनेक।
दैन्य दानव। क्रूर स्थिति
कंगाल बुद्धि, मजूर घर भर।
एक जनता का- अमरवर,
एकता का स्वर।
अन्यथा स्वातंत्र्य इति।
उत्तर: कभी नहीं आधुनिक काव्य शिल्प का प्रयोग करते हुए भाव जगत में गागर में सागर भरने का सफल प्रयोग किया है। शब्द चयन के उचित प्रयोग ने जनता की पीड़ा और व्यथा को ही प्रकट नहीं किया बल्कि उसकी व्यवस्था और विद्रोह को भी वाणी प्रदान की है। कवि ने जनता को एक विशेषण उसकी प्रमुखता और असहायता को प्रकट किया है। हवा में उड़ती पताकाएं उसके विरोध की प्रतीक हैं। इसमें गतिशील बिंब योजना की गई है। अनेक शब्द का विशेष अर्थ है कि असहायो और पीड़ितों की संख्या बहुत बड़ी है। ‘दैन्य दानव’, ‘क्रूर स्थिति’, ‘कंगाल बुद्धि’ संक्षिप्त होने पर भी अपने भीतर व्यापकता के भावों को समेटे हुए हैं। ‘अन्यथा स्वातंत्र्य इति’ में लाक्षणिकता विद्यमान है जो बोध कराती है कि भूखे नंगे व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है। वह इंसान के लिए तभी महत्वपूर्ण हो सकती है जब उसका पेट भरा हुआ हो। तत्सम शब्दावली की अधिकता है। अतुकांत छंद का प्रयोग होने पर भी भागवत लयात्मकता की सृष्टि हुई है। तुक का स्वाभाविक प्रयोग एक स्थान पर किया गया है।
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1. कविता कैसे बनती है? |
2. कविता लिखने के लिए क्या आवश्यकताएं होती हैं? |
3. क्या कवि को विशेष योग्यता होनी चाहिए कविता लिखने के लिए? |
4. क्या कविता लिखने के लिए किसी विशेष शैली की आवश्यकता होती है? |
5. क्या कविता लिखने के लिए किसी खास शिक्षा या पाठ्यक्रम की आवश्यकता होती है? |
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