प्रश्न 1: चरित्र चित्रण के कई तरीके होते हैं। ईदगाह कहानी में किन-किन तरीकों का इस्तेमाल किया गया है?इस कहानी में आपको सबसे प्रभावी चरित्र किसका लगा और कहानीकार नहीं उसके चरित्र चित्रण में किन-किन तरीकों का उपयोग किया है?
कहानी में किसी भी पात्र का चरित्र चित्रण उसके क्रियाकलापों , संवादों तथा अन्य व्यक्तियों द्वारा उसके संबंधित बोले गए संवादों से होता है। लेखक स्वयं भी किसी पात्र की चारित्रिक विशेषताओं को उजागर करने के लिए कुछ संकेत दे देता है।ईदगाह कहानी में लेखक ने पात्रों के चरित्र चित्रण के लिए इन सभी तरीकों का प्रयोग किया है। ईदगाह कहानी का पात्र हामिद हमें सबसे अधिक प्रभावित करता है विराम लेखक ने हामिद का परिचय देते हुए लिखा है–वह चार पांच साल का गरीब सूरत दुबला पतला लड़का जिसका बाप गत वर्ष भेजे की भेंट हो गया और मां न जाने क्यों पीली होती होती 1 दिन मर गई। लेखक ने संवादों के माध्यम से भी हामिद के चरित्र को स्वर प्रदान किया है। हामिद का मेले में चिमटा खरीदना उसके मन में अपनी दादी के प्रति संवेदना व्यक्त करता है। उसे रोटी पकाते समय दादी के हाथ के जलने की चिंता रहती थी , इसीलिए उसने चिमटा खरीदा। हामिद का मिठाई और मिट्टी के खिलौनों पर पैसे बर्बाद न करना उसकी समझदारी को व्यक्त करता है। इस प्रकार ईदगाह कहानी में लेखक ने स्वयं , संवादों के माध्यम से तथा अन्य बच्चों के वार्तालाप उसे हामिद का चरित्र चित्रण किया है।
प्रश्न 2: संवाद कहानी में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महत्व के हिसाब से क्रमवार संवाद की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
कहानी में संवादों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। संवाद कहानी को गति प्रदान करते हैं। कहानी में चित्रित पात्रों का चरित्र चित्रण संवादों के माध्यम से होता है। जो घटना अथवा प्रतिक्रिया कहानीकार होती हुई नहीं दिखा सकता उसे संवादों के द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है। समाधि से पात्रों के बौद्धिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक स्तरों का ज्ञान भी हो जाता है। उदाहरण के लिए ईदगाह कहानी मुस्लिम परिवेश को व्यक्त करती है इसीलिए इसके संवादों में उर्दू के शब्दों की अधिकता है। अधिकतर संवाद बच्चों के हैं इसीलिए बच्चों की कल्पना को भी पूरी तरह से उभारा गया है। जैसे–जिन्नात को मिलने वाले रुपयों के बारे में मोहसीन और हामिद का यह वार्तालाप—
मोहसीन ने कहा–जिन्नात को रुपयों की क्या कमी? जिस खजाने में चाहे, चले जाए।
हामिद ने फिर पूछा–जिन्नात बहुत बड़े बड़े होते हैं।
मोहसीन–एक एक का सिर आसमान के बराबर होता है।
यह वार्तालाप से बच्चों के भोलेपन , कुतूहल आदि चारित्रिक गुणों का भी पता चलता है। संवाद पात्रों के स्तर के अनुरूप , सरल , सहज , स्वाभाविक , संक्षिप्त तथा अवसरानुकूल होने चाहिए। अनावश्यक रूप से लंबे संवाद कथानक में गतिरोध उत्पन्न कर देते हैं।
एक दिन राम घर में घुस रहा था और उसकी मां अपना काम कर रही थी। अचानक उसकी मां की नजर उसके शहीद पति मेजर करण सिंह पर पड़ी। उसने राम को बुलाते हुए कहा कि क्या तुम्हें याद आएगी तुम्हारे पिता का देहांत कब हुआ था? उनको मरे हुए एक वर्ष हो गया था। राम ने बिल्कुल ठीक-ठाक जवाब दे दिया। उसकी मां ने उसे उन्हें प्रणाम करने को कहा । दोनों ने उनको प्रणाम किया और भगवान से प्रार्थना की कि अगले जन्म में वही हमारे परिवार के सदस्य बने। उनके परिवार में शहीद की पत्नी और उनका 8 साल का लड़का राम रहते थे। राम ने बड़े ही आदर से अपनी मां से पूछा कि उनका देहांत कैसे हुआ था । उसकी मां ने बताया कि दुश्मनों को मारते मारते हैं वह खुद भी चल बसे। उन्होंने वहां दीपक जलाया और वापस अपने अपने काम में लग गए।
एक रात एक चोर किसी के घर चोरी करके आया था। जाते-जाते उसने देखा एक सरकारी नौकर पेड़ काट रहा था । रात बहुत हो चुकी थी । सारा शहर सो गया था । कोई वाहन सड़क पर नहीं था । केवल वह चोर और वह पेड़ काटने वाला ही सड़क पर थे।चोरनी सारा तमाशा एक कोने में खड़े होकर देखा । पहले तो वह बहुत खुश हो रहा था । लेकिन बाद में जब उसने सारा पेड़ काट दिया तो उसके पत्थर दिल में थोड़ी हमदर्दी उस पेड़ के लिए आई। धीरे-धीरे उस चोर का दिल मोम की तरह पिघल गया। उसने सोचा कि यह पेड़ हमें छाया देते हैं। काटे जा रहा है। उसने चोरी किया हुआ सामान वापस उस घर में रखा जहां से उसने चोरी की थी वापस आकर देखा तो सारा पेड़ कट चुका था और वह आदमी वही उसे काट कर सो गया था। चोर ने अपनी बंदूक सात के तालाब में फेंक दी और प्रण लिया कि वह सारे बुरे काम छोड़ देगा और एक आम आदमी बनकर रहेगा। उसने अपने आप को पुलिस के हवाले कर दिया। उसे 10 साल की जेल हुई। बाहर आकर उसने कुछ कमाने के लिए टी स्टॉल खोल लिया और खुशी-खुशी जीने लगा।
राजू और उसकी मां हर रोज की तरह अपना अपना काम कर रहे थे। उसकी मां फोन पर बात कर रही थी और वह बाहर खेल रहा था। वह घर पर आया और सीधा रसोई की तरफ चल पड़ा वह बहुत प्यासा था। गैस खुली हुई थी। उसने जैसे ही लाइट का स्विच ऑन किया वैसे ही धमाका हुआ और रसोई में आग लग गई। उसने चिल्लाना शुरू कर दिया–’बचाओ-बचाओ’।उसकी मां ने आवाज सुनी और वह घबरा गई । वह मदद के लिए आसपास के घरों में भागी। लेकिन कोई मदद करने को तैयार नहीं था। उसने फोन उठाया और 102 पर डायल किया। फायर ब्रिगेड को आने में 15 मिनट लगने थे। उसने आग बुझाने की पूरी कोशिश की लेकिन आग धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी । राजू बेहोश हो गया था उसकी मां को डर था कि वह मरना गया हो अचानक फायर ब्रिगेड ने आग बुझा दी। राजू को अस्पताल पहुंचा दिया गया।थोड़े दिनों में ही वह ठीक हो गया और फिर से खेलने लगा। उसकी मां ने सीखा कि कभी भी गैस खुले नहीं छोड़नी चाहिए।
रोहित एक 8 साल का लड़का है। उसे पढ़ना बहुत पसंद था। लेकिन जब से उसके घर में नया टेलीविजन आया तब से वह सारे काम छोड़ कर टीवी देखता रहता है। उसने पढ़ना तक छोड़ दिया। उसे अब पढ़ने में कोई रुचि नहीं थी मैं सारा दिन एक तक आंखें लगाए टीवी देखता रहता था। मैं 24 घंटे में से कम से कम 10 घंटे टीवी देखता रहता था और मेरा उसका दिमाग का वैसे ही सोचने लगता जैसे टीवी में देखता था। वह स्कूल से बहुत छुट्टी लेता था। वह अपने दोस्तों से भी लड़ता रहता था। वह दिन भर टीवी देखते देखते पतला होते जा रहा था। वह जल्द ही बीमार हो जाता था । उसके माता पिता जी ने सोच लिया कि वह टीवी की तार काट देंगे। उन्होंने केवल की तार काट दी। वह बहुत रोने लगा। वह पूरा दिन रोता रहा। उसकी मां ने उसे समझाया कि ज्यादा टीवी देखने से आंखें खराब हो जाती है और पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता। स्कूल जाने का मन भी नहीं करता।जो उसकी मां ने उसे समझाया वह सब समझ गया और उसने अपनी मां से वादा किया कि वह अब 1 घंटे से ज्यादा टीवी नहीं देखेगा। उसका पढ़ाई में ध्यान लगना शुरू हो गया और वह फिर कक्षा में अच्छे अंक लाने लगा। इस कहानी से सीख मिलती है कि हमें ज्यादा टीवी नहीं देखना चाहिए और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
प्रश्न 3: एक कहानी में कई कहानियां छिपी होती है। किसी कहानी को किसी खास मोड़ पर रोककर नई स्थिति में कहानी को नया मोड़ दिया जा सकता है। नीचे दी गई परिस्थिति पर कहानी लिखने का प्रयास करें
“सिद्धेश्वरी ने देखा कि उसका बड़ा बेटा रामचंद्र धीरे-धीरे घर की तरफ आ रहा है। रामचंद्र मां को बताता है कि उसे अच्छी नौकरी मिल गई।”आगे की कहानी अपने आप लिखिए।
उत्तर– सिद्धेश्वरी ने देखा उसका बड़ा बेटा रामचंद्र धीरे-धीरे घर की तरफ आ रहा है। रामचंद्र मां को बताता है कि उसे अच्छी नौकरी मिल गई। सुनते ही मां खुशी से झूम उठी और आंगन की तरफ दौड़ पड़ी। वहां चारपाई पर लेटे हुए अपने पति को जाकर कहती है–सुनते हो!”अपने राम को अच्छी नौकरी मिल गई है ।”
राम के पिता ऊंघते हुए उठ बैठते हैं और राम को अपने पास बैठा कर उससे पूछते हैं–कहां नौकरी मिली है?
राम–सीसीएल में
पिता–क्या वेतन मिलेगा?
राम–₹5000
यह सुनते ही राम के पिता और माता उस पर न्योछावर होते हैं। उन्हें लगता है कि अब तो उनके दिन फिर जाएंगे और घर में खुशहाली आ जाएगी पूर्व में राम राम के पिता मिठाई लेने बाहर निकल जाते हैं और मां राम को प्यार से खाना खिलाने लग जाते हैं।
प्रश्न 1: कहानी की परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
परिभाषा-कहानी साहित्य की एक ऐसी गद्य विधा है जिसमें जीवन के किसी एक अंग विशेष का मनोरंजन पूर्ण चित्रण किया जाता है। कहानी एक ऐसी साहित्यिक विधा है, जो अपने सीमित क्षेत्र में पूर्ण एवं स्वतंत्र है, प्रभावशाली है। कहानी में मानव जीवन की कथा होती है।
अलग-अलग विद्वानों और लेखकों ने कहानी की विभिन्न परिभाषाएं दी हैं परंतु कहानी की परिभाषा को लेकर एक निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकते। प्रेमचंद ने कहानी की परिभाषा इस प्रकार दी है-
कहानी एक रचना है, जिसमें जीवन के किसी अंग किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य होता है। उसका चरित्र, शैली तथा कथा विन्यास सब उसी भाव को पुष्ट करते हैं। अर्थात् किसी घटना पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्योरा जिसमें परिवेश हो, द्वंद्वात्मकता हो, कथा का क्रमिक विकास हो, चरम उत्कर्ष का बिंदु हो, उसे कहानी कहा जा सकता है।
प्रश्न 2: कहानी के तत्व कौन-कौन से हैं ?
अथवा
कहानी की तात्विक समीक्षा कीजिए।
कहानी साहित्य की एक गद्य विधा है। इसके प्रमुख तत्व इस प्रकार हैं-
(i) कथानक अथवा कथावस्तु
(ii) पात्रयोजना अथवा चरित्र-चित्रण
(iii) संवाद योजना अथवा कथोपकथन
(iv) देशकाल और वातावरण
(v) उद्देश्य
(vi) भाषा शैली।
(i) कथानक अथवा कथावस्तु-यह कहानी का पहला और सर्वप्रथम तत्व है। कहानी में आरंभ से अंत तक जो कुछ कहा जाए उसे कथानक अथवा कथावस्तु कहते हैं। कहानी में घटित होने वाली घटनाएं ही उसका कथानक होता है। यह कहानी का मूलाधार होता है। इसे आरंभ, मध्य और अंत तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
(ii) पात्र-योजना अथवा चरित्र-चित्रण-यह कहानी का दूसरा प्रमुख तत्व है। कहानी में पात्र योजना कथानक के अनुरूप होना चाहिए। कहानी में नायक और नायिका दो प्रमुख पात्र होते हैं। अन्य इनके सहायक पात्र होते हैं। पात्रों के द्वारा ही लेखक अपना उद्देश्य स्पष्ट करता है और समाज को संदेश देता है।
(iii) संवाद-योजना अथवा कथोपकथन-संवाद का शाब्दिक अर्थ है-परस्पर बातचीत। कहानी में पात्रों के बीच हुई परस्पर बातचीत को संवाद अथवा कथोपकथन कहते हैं। यह कहानी का तीसरा प्रमुख तत्व होता है। संवाद पात्रों के चरित्र का उद्घाटन करते हैं तथा कहानी का विकास करते हैं। इसलिए संवाद योजना, सहज, सरल, स्वाभाविक तथा पात्रानुकूल होनी चाहिए।
(iv) देशकाल और वातावरण-यह कहानी का चौथा प्रमुख तत्व होता है। देशकाल और वातावरण से तात्पर्य परिस्थितियों और समय से है। इनके द्वारा कहानी में घटित घटनाओं की परिस्थितियों तथा वातावरण का बोध होता है। कहानी में देशकाल वातावरण कथानक के अनुरूप होना चाहिए तथा घटनाओं से समन्वय होना चाहिए।
(v) उद्देश्य-यह कहानी का पाँचवां प्रमुख तत्व है। साहित्य में कोई भी रचना निरुद्देश्य नहीं होती। प्रत्येक रचना का अपना कोई-न-कोई उद्देश्य अवश्य होता है। इस प्रकार कहानी भी एक उद्देश्यपूर्ण रचना है। कहानी में लेखक अपने पात्रों के माध्यम से अपना उद्देश्य स्पष्ट करता है।
(vi) भाषा शैली-यह कहानी का महत्त्वपूर्ण तत्व है। कहानी में भाषा शैली सरल, सहज, स्वाभाविक, पात्रानुकूल और विषयानुकूल होनी चाहिए। इसमें सहज और सामान्य शब्दावली का प्रयोग होना चाहिए।
प्रश्न 3: कहानी में पात्रों अथवा चरित्रों का क्या महत्त्व है?
कहानी में पात्रों अथवा चरित्रों का बहुत महत्त्व है जो इस प्रकार हैं-
(i) पात्र कहानी के मूलाधार होते हैं।
(ii) पात्र कहानी को गतिशीलता प्रदान करते हैं।
(iii) पात्र कहानी का उद्देश्य स्पष्ट करते हैं।
(iv) पात्र पाठकों को संदेश देते हैं।
(v) पात्र कहानी को समापन की ओर ले जाते हैं।
प्रश्न 4: कहानी की भाषा शैली कैसी होनी चाहिए?
अथवा
कहानी की भाषा शैली की क्या विशेषताएँ हैं ?
कहानी की भाषा शैली की विशेषताएँ निम्नलिखित होनी चाहिए-
(i) भाषा शैली सरल और सहज होनी चाहिए।
(ii) भाषा शैली स्वाभाविक होनी चाहिए।
(iii) भाषा शैली पात्रानुकूल होनी चाहिए।
(iv) भाषा शैली विषयानुकूल होनी चाहिए।
(v) भाषा शैली प्रसंगानुकूल होनी चाहिए।
प्रश्न 5: कहानी का हमारे जीवन से क्या संबंध है?
कहानी का मानवीय जीवन से घनिष्ठ संबंध है। आदिम युग से ही कहानी मानव जीवन का प्रमुख अंग रही है। यह मानवीय जीवन का एक ऐसा अभिन्न अंग है कि प्रत्येक मनुष्य किसी-न-किसी रूप में कहानी सुनता और सुनाता है। विचारों का आदान-प्रदान इस संसार का एक अनूठा नियम है। इसलिए इस संसार में प्रत्येक मनुष्य में अपने अनुभव बांटने और दूसरों के अनुभव जानने की प्राकृतिक इच्छा होती है। यहाँ प्रत्येक मनुष्य अपने विचारों, अनुभवों और वस्तुओं का आदान-प्रदान करता है। हम अपनी बातें किसी को सुनाना और दूसरों की सुनना चाहते हैं। इसलिए यह सत्य है कि इस संसार में प्रत्येक मनुष्य में कहानी लिखने की मूल भावना होती है। यह दूसरा सत्य है कि कुछ लोगों में इस भावना का विकास हो जाता है और कुछ इसे विकसित करने में समर्थ नहीं होते। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कहानी का मानवीय जीवन से अटूट संबंध है।
प्रश्न 6: कहानी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कहानी के इतिहास पर नोट लिखिए।
कहानी का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानवीय इतिहास है क्योंकि कहानी मानवीय स्वभाव और प्रकृति का अटूट हिस्सा है। कहानी सुनने और सुनाने की प्रवृत्ति मनुष्य में आदिम युग से है। जैसे-जैसे मानवीय सभ्यता का विकास होता गया वैसे-वैसे कहानी की आदिम कला का विकास होता रहा। कथावाचक कहानियाँ सुनाते गए और श्रोता उनकी कहानियाँ सुनते गए।
प्राकृतिक रूप से मनुष्य एक कल्पनाशील प्राणी है। कल्पना करना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। धीरे-धीरे सत्य घटनाओं पर आधारित (कथा) कथा-कहानी सुनते-सुनाते मनुष्य में कल्पना का सम्मिश्रण होने लगा क्योंकि प्राय: मनुष्य वह सुनना चाहता है जो उसे प्रिय है। प्राचीन काल में किसी घटना, युद्ध, प्रेम आदि के किस्से सुनाए जाते थे और श्रोता इन किस्से कहानियों को आनंदपूर्वक सुनते थे। धीरे-धीरे ये किस्से ही कहानियों का रूप (धारण) ग्रहण कर लेते हैं। इस प्रकार कहानी कला का धीरे-धीरे विकास हुआ।
प्रश्न 7: प्राचीन काल में मौखिक कहानी की लोकप्रियता के क्या कारण थे?
प्राचीन काल में मौखिक कहानी की लोकप्रियता के कई कारण थे जो इस प्रकार हैं-
(i) प्राचीन काल में संचार के साधनों की कमी थी इसलिए मौखिक कहानी ही संचार का सबसे बड़ा माध्यम थी।
(ii) प्राचीन काल में मौखिक कहानी धर्म प्रचारकों और संतों के सिद्धांतों और विचारों को लोगों तक पहुँचाने का माध्यम थी।
(iii) मौखिक कहानी ही समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार का साधन थी।
(iv) प्राचीन काल में मौखिक कहानी ही मनोरंजन का प्रमुख साधन थी।
प्रश्न 8: कहानी का केंद्र बिंदु कथानक होता है। स्पष्ट कीजिए।
कहानी में प्रारंभ से अंत तक घटित सभी घटनाओं को कथानक कहते हैं। कथानक कहानी का प्रथम और महत्त्वपूर्ण तत्व होता है। यह कहानी का मूलाधार होता है। इसे कहानी का प्रारंभिक नक्शा भी कहते हैं। जिस प्रकार कोई मकान बनाने से पहले उसका नक्शा बनाया जाता है। उसी प्रकार कहानी लिखने से पहले उसका कथानक लिखा जाता है। कथानक ही कहानी का केंद्र बिंदु होता है। सामान्यतः कथानक किसी घटना, अनुभव अथवा कल्पना पर आधारित होता है। कभी कहानीकार की बुद्धि में पूरा कथानक आता है और कभी कहानी का एक सूत्र आता है। केवल एक छोटा-सा प्रसंग अथवा पात्र कहानीकार को आकर्षित करता है। इसलिए कोई एक प्रसंग भी कहानी का कथानक हो सकता है और कोई एक छोटी-सी घटना भी कथानक की प्रमुख घटना हो सकती है।
उसके बाद कहानीकार उस घटना अथवा प्रसंग का कल्पना के आधार पर विस्तार करता है। यह सत्य है कि कहानीकार की कल्पना कोरी कल्पना नहीं होती। यह कोई असंभव कल्पना नहीं होती बल्कि ऐसी कल्पना होती है जो संभव हो सके। कल्पना के विस्तार के लिए लेखक के पास जो सूत्र होता है उसके माध्यम से ही कल्पना आगे बढ़ती है। यह सूत्र लेखक को एक परिवेश, पात्र और समस्या प्रदान करता है। उनके आधार पर लेखक संभावनाओं पर विचार करता है और एक ऐसा काल्पनिक ढांचा तैयार करता है जो संभव हो सके और लेखक के उद्देश्यों सरे भी मेल खा सके। सामान्यतः कथानक में प्रारंभ, मध्य और अंत के रूप में कथानक का पूर्ण स्वरूप होता है। संपूर्ण कहानी कथानक के इर्द-गिर्द घुमती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कथानक कहानी का केंद्र बिंदु होता है।
प्रश्न 9: देशकाल और वातावरण का कहानी लेखन में किस प्रकार आवश्यक है?
देशकाल और वातावरण कहानी का महत्त्वपूर्ण तत्व होता है। इसका कथानक से सीधा संबंध होता है। जब कहानीकार कहानी के कथानक का स्वरूप बना लेता है। तब वह कथानक को देशकाल और वातावरण के साथ जोड़ता है। देशकाल और वातावरण कहानी को प्रामाणित और रोचक बनाने में बहुत आवश्यक है। कहानी लेखन में (पात्र)प्रत्येक घटना और पात्र का समस्या का अपना देशकाल और वातावरण होता है। यदि कथानक की घटनाएँ देशकाल और वातावरण से मेल नहीं खातीं तो वह कहानी असफल सिद्ध होती है। इसलिए कहानीकार जिस परिवेश से कहानी के कथानक को जोड़ना चाहता उसे उस परिवेश की पूरी जानकारी होनी चाहिए। इसलिए हम कह सकते हैं कि देशकाल और वातावरण का कहानी लेखन में महत्त्वपूर्ण योगदान है।
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