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Table of contents
चर्चा में क्यों?
मुख्य विचार :
भारत को व्यापार समझौतों पर बातचीत करने और हस्ताक्षर करने की आवश्यकता के प्राथमिक कारण:
एफटीए भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकृत करने में कैसे सहायक सिद्ध हो सकता है?
एफटीए कार्यान्वयन के लिए आवश्यक संरचनात्मक घरेलू सुधारों के लिए भारत कितना तैयार है?
निष्कर्ष:


भारत के आर्थिक विकास के लिए नए एफटीए में अपार संभावनाएं

चर्चा में क्यों?

  • वैश्विक व्यापार व्यवस्था (ग्लोबल ट्रेड ऑर्डर ) हाल की भू-राजनीतिक घटनाओं और द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की दुनिया को आकार देने वाले अधिकांश विचारों को फिर से लिखा जा रहा है,जिसके कारण वैश्विक स्तर पर नए गठजोड़/ नए समीकरण आकर ले रहे हैं।

मुख्य विचार :

  • दो विश्व युद्धों के बाद, दुनिया भर के नीति निर्माताओं का ध्यान अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने की ओर स्थानांतरित हो गया है क्योंकि देशों के मध्य बढ़ते व्यापार से भविष्य के युद्धों की लागत बढ़ जाती है, ऐसे में अंतरार्ष्ट्रीय व्यापार को वैश्विक शांति प्राप्त करने के साधन के रूप में देखा जाना चाहिए।
  • जबकि इस दर्शन के परिणामस्वरूप वैश्विक शुल्कों में लगातार कमी आई और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि हुई, हाल की भू-राजनीतिक घटनाओं ( टैरिफ वार जैसे आर्थिक संरक्षणवाद ) ने इस प्रवृत्ति को उलट दिया है।
  • राष्ट्र, व्यापार को हथियार बना रहे हैं, जो विश्व को नए आर्थिक गुटों के गठन की ओर ले जा रहे हैं ।
  • जो नई वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत होने का द्वार खोलता है, हालांकि भारत ने नई वैश्विक व्यवस्था का लाभ उठाना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए, हाल तक भारत मोबाइल फोन का आयातक था। आज, एप्पल के सभी अनुबंध निर्माताओं (फॉक्सकान, पेगाट्रोन, सैमसंग ), और अन्य ने भारत में विनिर्माण सुविधाएं स्थापित की हैं, जिससे देश एक प्रमुख मोबाइल फोन निर्यात केंद्र में परिवर्तित हो गया है।
  • जबकि घरेलू नीतिगत सुधार जैसे कि प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) ने इस घरेलू विनिर्माण क्षमता को विकसित करने में काफी सहायता की है, दीर्घकालिक निर्यात वृद्धि भारत के निर्यातकों को अधिमान्य बाजार पहुंच प्राप्त करने पर निर्भर करेगी।

भारत को व्यापार समझौतों पर बातचीत करने और हस्ताक्षर करने की आवश्यकता के प्राथमिक कारण:

  • पीएलआई औद्योगिक नीति ने घरेलू विनिर्माण क्षमता में वृद्धि की है।
  • ऐतिहासिक रूप से, वस्त्र और चमड़ा जैसे श्रम प्रधान उद्योग वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ हैं।
  • चीन से अलग होने वाले देशों से निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए।
  • भारत के आयात आधार का विस्तार करने के लिए
  • उभरते हुए नए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ भारत को एकीकृत करने के लिए ।

एफटीए भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकृत करने में कैसे सहायक सिद्ध हो सकता है?

1. इसके विनिर्माण उत्पादन के लिए वरीयता बाजार पहुंच:

  • सरकार ने देश के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए नवंबर 2020 में महत्वाकांक्षी पीएलआई योजना शुरू की है, जिसमें 14 प्रमुख क्षेत्रों को लक्षित किया गया और देश को एक ठोस विनिर्माण आधार बनाने में मदद करने के लिए 27 अरब डॉलर की प्रोत्साहन योजना लागू की गई।
  • रिपोर्टों के मुताबिक, यह योजना अगले पांच वर्षों में विनिर्माण उत्पादन में 520 अरब डॉलर का उत्पादन करेगी।
  • इस उत्पादन को निर्यात में शामिल करने के लिए, सरकार को अपने निर्माताओं को अधिमान्य बाजार पहुंच प्रदान करनी चाहिए।

2. श्रम प्रधान क्षेत्रों का पुनरोद्धार :

  • निम्न-मध्यम-आय वाले देश के रूप में, भारत अन्य देशों की तुलना में महत्वपूर्ण श्रम लागत में अंतर के चलते लाभान्वित होता है। हालाँकि, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण, भारत के श्रम प्रधान उत्पादों के निर्यात को नुकसान उठाना पड़ा है।
  • यूरोप जैसे सबसे आकर्षक बाजारों में भारतीय निर्यात की तुलना में वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देश लगभग 10 प्रतिशत कम तरजीही टैरिफ दरों से लाभान्वित होते हैं और इस प्रकार, इन क्षेत्रों के विकास को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारत से निवेश बाहर ( आउटफ्लो ) चला जाता है।
  • यूरोपीय संघ जैसे भागीदारों के साथ एक एफटीए इन श्रम प्रधान क्षेत्रों को तेजी से पुनर्जीवित कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप देश में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हो सकता है।

3. निवेश आमंत्रित करें:

  • कोविड-19 के प्रकोप और बाद में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं की रक्षा के लिए देशों में लगाए गए लॉकडाउन ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़े जोखिमों को उजागर कर दिया ।
  • मैन्युफैक्चरिंग के लिए सिंगल जियोग्राफी ( विशेष भौगोलिक क्षेत्र ) पर ज्यादा निर्भरता के कारण सप्लाई चेन को झटका लगा है, जिसे दूर करने में महीनों लग गए। उदाहरण के लिए, रिपोर्टों के अनुसार, आपूर्ति श्रृंखला बाधाओं के कारण आईफोन निर्माता एप्पल को राजस्व में $8 बिलियन का नुकसान उठाना पड़ा ।
  • इसके परिणामस्वरूप दुनिया भर के सभी बोर्डरूम में चीन+1 रणनीति लागू की जा रही है।
  • एफटीए पर हस्ताक्षर करने से न केवल भागीदार देशों और फर्मों को एक स्थिर व्यापार व्यवस्था मिलेगी बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों को भी संकेत मिलेगा कि भारत का मतलब व्यापार है।
  • दीर्घकाल में, यह भारत में निवेश को आकर्षित करेगा जो चीन को पीछे छोड़ सकता है और भारत के घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने में सहायता कर सकता है।

4. भारत के आयात का विविधीकरण:

  • व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण से, भारत ने लगातार चालू खाता घाटा (सीएडी ) उठाया है।
  • इसके अलावा, भारत का चालू खाता घाटा ( सीएडी ) इस साल और खराब होने की उम्मीद है, संभवतः -3.0 प्रतिशत तक पहुंच सकता है और इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा चीन के साथ व्यापार असंतुलन के कारण है।
  • हालांकि इस दीर्घकालिक संरचनात्मक समस्या के लिए कोई त्वरित समाधान नहीं है, समान विचारधारा वाले देशों के साथ एक एफटीए भारत के कुछ उत्पादों के आयात को चीन से दूर और अधिक मित्र राष्ट्रों की ओर पुनर्निर्देशित करेगा।
  • हालांकि यह समग्र व्यापार घाटे को कम नहीं कर सकता है, यह कुछ महत्वपूर्ण चीनी उत्पादों पर भारत की निर्भरता को कम कर सकता है और इसे भविष्य के चीनी आयात झटकों से बचा सकता है।

5. मौजूदा और उभरती आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण:

  • अमेरिका अपनी सीमाओं के भीतर आपूर्ति श्रृंखला के महत्वपूर्ण घटकों को फिर से स्थापित करने का प्रयास कर रहा है।
  • यूरोप रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए नए ऊर्जा स्रोतों और बाजारों की तलाश कर रहा है।
  • इसके अलावा, विकसित एशियाई देशों की आपूर्ति श्रृंखलाएं चीन से अलग हो रही हैं।
  • ये सभी कारक दुनिया भर में कई मौजूदा और उभरते क्षेत्रों के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं के भविष्य को प्रभावित करेगी ।
  • पारस्परिक रूप से अनुकूलित और लाभकारी एफटीए के माध्यम से इन आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत को एकीकृत करने की अनुमति मिलेगी ।

एफटीए कार्यान्वयन के लिए आवश्यक संरचनात्मक घरेलू सुधारों के लिए भारत कितना तैयार है?

  • एफटीए पर हस्ताक्षर अनुपूरक होना चाहिए और संरचनात्मक घरेलू सुधारों के उचित कार्यान्वयन के साथ होना चाहिए।
  • एफटीए का पिछला दौर ऐसे सुधारों के साथ नहीं था। हालाँकि, इस बार एफटीए के लिए राजनीतिक दृष्टि न केवल स्पष्ट है, बल्कि पीएलआई, श्रम संहिता सुधार, रसद नीति (लाजिस्टिक पॉलिसी ) आदि के रूप में आवश्यक घरेलू सुधार पहले ही निर्धारित किए जा चुके हैं।
  • नतीजतन, भारत अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों क्षेत्रों में अवसर की इस खिड़की को भुनाने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।
  • संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर, घरेलू हितों की रक्षा करते हुए उभरते वैश्विक रुझानों को भुनाने के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करता है।
  • इसी तरह, बाकी दुनिया को यह संकेत देने के लिए कि भारत एक गंभीर वैश्विक व्यापार खिलाड़ी है, भारत को अन्य प्रमुख व्यापार वार्ताओं को भी समय पर पूरा करना चाहिए।

निष्कर्ष:

  • पिछली सीखों और वैश्विक व्यापार की बदलती गतिशीलता के आधार पर, भारत के एफटीए आर्किटेक्चर में परिवर्तन देखने को मिला है।
  • जबकि पहले के भारत के एफटीए 'लुक ईस्ट' नीति के तहत पूर्वी देशों पर केंद्रित थे, हाल के एफटीए अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और यूरेशिया जैसे पश्चिमी भौगोलिक क्षेत्रों पर अधिक केंद्रित हैं।
  • इस बदलाव का मुख्य कारण भारत को आपूर्ति श्रृंखला में नये भागीदारों की तलाश करने की आवश्यकता है जो निवेश और प्रौद्योगिकी तक पहुंच की पेशकश करते समय विश्वसनीय और लचीले हों।
  • इन क्षेत्रों के साथ मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और राजनयिक संबंधों को देखते हुए इस तरह का बदलाव एक ‘विन विन’ परिस्थित हो सकती है।
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FAQs on The Hindi (हिन्दू) Editorial Analysis (Hindi): Jan 16, 2023 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. क्या UPSC परीक्षा के लिए इस लेख में दिए गए मुख्य संदेश के बारे में कुछ बता सकते हैं?
उत्तर: हाँ, इस लेख में UPSC परीक्षा के बारे में मुख्य संदेश के रूप में बताया गया है कि जनवरी 16, 2023 को हिंदी (हिन्दू) संपादकीय विश्लेषण का आयोजन हुआ है। इसमें UPSC परीक्षा से संबंधित मुख्य बातें समझाई गई हैं।
2. इस लेख में दी गई जानकारी के अनुसार, UPSC परीक्षा का आयोजन कब हुआ है?
उत्तर: UPSC परीक्षा का आयोजन जनवरी 16, 2023 को हुआ है, जैसा कि इस लेख में बताया गया है।
3. क्या इस लेख में उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस UPSC परीक्षा के बारे में विस्तृत उत्तर दिए गए हैं?
उत्तर: हाँ, इस लेख में UPSC परीक्षा के बारे में विस्तृत उत्तर दिए गए हैं जैसे कि इसकी तारीख और भाषा के बारे में जानकारी दी गई है।
4. इस लेख में दी गई जानकारी के अनुसार, क्या यह संपादकीय विश्लेषण हिंदी में है?
उत्तर: हाँ, यह संपादकीय विश्लेषण हिंदी में है, जैसा कि इस लेख में उल्लेख किया गया है।
5. क्या इस लेख में UPSC परीक्षा से संबंधित अहम विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई है?
उत्तर: हाँ, इस लेख में UPSC परीक्षा से संबंधित अहम विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई है, जैसे कि इस परीक्षा की महत्वपूर्ण तिथि और संबंधित भाषा के बारे में जानकारी दी गई है।
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