प्रश्न.1. यदि आप रोम साम्राज्य में रहे होते तो कहाँ रहना पसन्द करते-नगरों में या ग्रामीण क्षेत्र में? कारण बताइए।
यदि मैं रोम साम्राज्य में रहा होता तो नगरों में रहना अधिक पसंद करता क्योंकि रोम में कार्थेज, सिकंदरिया, एंटिऑक आदि नगरों में लोगों को जीवन ग्रामीण लोगों के जीवन की अपेक्षा ज्यादा सुरक्षित था। शहरी जीवन की अनेक महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ थीं जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती थीं। नगर विभिन्न उद्योगों का केंद्र था और प्रायः व्यावसायिक गतिविधियाँ यहीं से संचालित की जाती थीं। नगर प्रशासनिक इकाइयों के रूप में क्रियाशील था इसलिए वहाँ पर लोगों की सुख-सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता था।
नगर में रहने से एक लाभ यह था कि वहाँ खाद्यान्नों की कमी नहीं होती थी वहाँ अकाल के दिनों में भी लोग अपना जीवन सुखमय ढंग से व्यतीत करते थे जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के किसान अपनी जिंदगी पेड़ों की पत्तियाँ, जड़े, छालें, झाड़ियाँ आदि खाकर बचाते थे। नगरों में उच्च स्तर के मनोरंजन भी उपलब्ध थे। उदाहरण के लिए, एक कैलेंडर के अनुसार एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन लोगों के मनोरंजन के लिए कोई-न-कोई कार्यक्रम चलता रहता था।
प्रश्न.2. इस अध्याय में उल्लिखित कुछ छोटे शहरों, बड़े नगरों, समुद्रों और प्रांतों की सूची बनाइए और उन्हें नक्शों पर खोजने की कोशिश कीजिए। क्या आप अपने द्वारा बनाई गई सूची में संकलित किन्हीं तीन विषयों के बारे में कुछ कह सकते हैं?
(i) छोटे शहर व बड़े नगर: कार्थेज, सिकंदरिया, एंटिऑक, रोम, कुंस्तुनतुनिया, बगदाद, दमिश्क आदि।
(ii) समुद्र: भूमध्य सागर, काला सागर, लाल सागर, कैस्पियन सागर, फ़ारस की खाड़ी आदि।
(iii) नदियाँ: राइन नदी, डेन्यूब नदी, दजला नदी, फरात नदी, नील नदी आदि।
(iv) प्रांत: गॉल (आधुनिक प्रांत), हिसपेनिया (उत्तरी स्पेन), बेटिका (दक्षिणी स्पेन), नुमिदिया (अल्जीरिया का उत्तरी भाग), ट्यूनीशिया, केंपेनिया (इटली), मैसीडोनिया (यूनान) आदि।
(v) मानचित्र कार्य: विद्यार्थी स्वयं इनको पाठ्य-पुस्तक में दिए गये यूरोप और उत्तरी अफ्रीका एवं पश्चिम एशिया के मानचित्र में ढूँढने का प्रयास करें।
तीन विषयों का वर्णन निम्नवत किया जा सकता है:
(क) रोम साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों पर कुशल प्रशासन की स्थापना में इन नगरों की अहम भूमिका थी। सरकार इन्हीं नगरों की सहायता से ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाती थी। इसके अतिरिक्त, इन नगरों की खास विशेषता भी थी। उदाहरण के लिए, सिकंदरिया यूनानी रोमन जगत् का संभवतः सबसे बड़ी बंदरगाह था। इस नगर की गणना रोम साम्राज्य के तीन सबसे बड़े नगरों में की जाती थी। इस नगर के अतिरिक्त, रोम और एंटिऑक रोम के अन्य दो सबसे बड़े नगर थे।
(ख) भूमध्य सागर को रोम साम्राज्य का हृदय कहा जाता था। भूमध्य सागर और उत्तर एवं दक्षिण की दोनों दिशाओं में सागर के समीप सभी क्षेत्रों पर रोम साम्राज्य का एकाधिकार स्थापित था।
(ग) रोम साम्राज्य के उत्तर में राइन और डेन्यूब नदियाँ साम्राज्य की सीमा निर्धारक थीं।
प्रश्न.3. कल्पना कीजिए कि आप रोम की एक गृहिणी हैं जो घर की जरूरत की वस्तुओं की खरीददारी की सूची बना रही हैं। अपनी सूची में आप कौन-सी वस्तुएँ शामिल करेंगी?
रोमन साम्राज्य आर्थिक रूप से एक संपन्न साम्राज्य था। वहाँ के लोग मांसाहारी और शाकाहारी दोनों प्रकार के भोजन बड़े चाव से करते थे। इसके अतिरिक्त वे पोशाक, आभूषण और मनोरंजन के भी शौकीन थे। उपरोक्त वर्णित दशा को ध्यान में रखते हुए यदि मैं रोम साम्राज्य में एक गृहिणी होती तो अपने घर-परिवार की जरूरत की वस्तुओं की खरीददारी की सूची इस प्रकार तैयार करती।
(i) खाद्य सामग्री: रोटी, मक्खन, अंगूरी शराब, बिस्कुट, जैतून का तेल, अंडे, दूध, मांस, चीनी, तेल आदि।
(ii) पहनने योग्य सामग्री: स्त्री व पुरुष दोनों के पहनने के लिए वस्त्र, स्वर्ण व चाँदी के गहने आदि।
(iii) सफाई करने हेतु सामग्री: कपड़े धोने और नहाने का साबुन, झाडू आदि।
(iv) बच्चों के हेतु सामग्री: बच्चों की जरूरत की चीजे, दवाइयाँ, पुस्तकें, कॉपियाँ, पेंसिल व मनोरंजन हेतु विभिन्न प्रकार के खिलौने आदि। अच्छे बर्तन और सजावट की वस्तुएँ।
प्रश्न.4. आपको क्या लगता है कि रोमन सरकार ने चाँदी में मुद्रा को ढालना क्यों बंद किया होगा और वह सिक्कों के उत्पादन के लिए कौन-सी धातु का उपयोग करने लगे?
प्रारंभ में रोम साम्राज्य में चाँदी की मुद्रा का प्रचलन था। दीनारियस रोम का एक प्रसिद्ध सिक्का था। सिक्कों को ढालने के लिए चाँदी स्पेन की खानों से आती थी। लेकिन रोमन सरकार ने चाँदी में मुद्रा को ढालना बंद कर दिया क्योंकि परवर्ती साम्राज्य में स्पेन को खानों से चाँदी मिलनी बंद हो गई थी और सरकार के पास चाँदी की मुद्रा के प्रचलन के लिए पर्याप्त चाँदी नहीं रह गई थी। सम्राट कॉन्स्टेनटाइन ने सोने पर आधारित नई मौद्रिक प्रणाली स्थापित की।
यहाँ तक कि सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने ‘सॉलिडस’ नाम का शुद्ध सोने का सिक्का चलाया। इसका वजन 4.5 ग्राम था। परवर्ती पुराकाल में स्वर्ण मुद्राएँ ही व्यापक रूप में प्रचलित थीं। इसका कारण यह था कि अन्य देशों के व्यापारियों को स्वर्ण मुद्रा से भुगतान किया जा सके और वह मना न कर सके। इसके अतिरिक्त रोमन साम्राज्य में सोने की कमी नहीं थी। साम्राज्य को अकेले हेरॉड के राज्य से ही प्रतिवर्ष 1,25,000 किलोग्राम सोना प्राप्त होता था। यही कारण था कि सोने के सिक्के नि:संदेह लाखों-करोड़ों की संख्या में प्रचलित थे। यहाँ तक कि रोम साम्राज्य के अंत होने के पश्चात् भी इन सिक्कों का प्रभाव कायम रहा और मुद्राओं का प्रचलन रहा।
वर्तमान समय में नयी प्रौद्योगिकी व धातु के विषय में ज्यादा जानकारी के कारण अल्यूमिनियम, ताँबे तथा मिश्र धातुओं के सिक्कों की ढलाई की जा रही है।
प्रश्न.5. अगर सम्राट त्राजान भारत पर विजय प्राप्त करने में वास्तव में सफल होते और रोमवासियों का इस वेश पर अनेक सदियों तक कब्ज़ा रहा होता तो क्या आप सोचते हैं कि भारत वर्तमान समय के देश से किस प्रकार भिन्न होता?
यदि सम्राट त्राजान भारत पर विजय प्राप्त करने में वास्तव में सफल रहा होता और रोमवासियों को इस देश पर अनेक सदियों तक कब्ज़ा रहा होता तो भारतीय संस्कृति, शिक्षा, धर्म, भाषा, कला, साहित्य, संगीत, वास्तुकला, वेशभूषा व स्थापत्यकला आदि पर भी व्यापक प्रभाव पड़ता। जब भी दो भिन्न-भिन्न संस्कृतियाँ आपस में एक-दूसरे से परस्पर मिलती हैं तो उन दोनों संस्कृतियों के मध्य कुछ सांस्कृतिक तत्त्व आत्मसात कर लिए जाते हैं और कुछ को त्याग दिया जाता है। इस प्रकार एक नए सामाजिक व सांस्कृतिक परिवेश का जन्म होता जिसमें दोनों संस्कृतियों के तत्त्व एक-दूसरे के पूरक के रूप में दिखाई देते हैं।
इसके अतिरिक्त कोई भी बाह्य शासक यदि किसी देश पर आक्रमण करता है तो उसका उद्देश्य उस विजित देश का सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक रूप से शोषण करना ही होता है। उसका मूल उद्देश्य उस देश की सभ्यता को नष्ट कर अपनी सभ्यता व अपने धर्म का विस्तार व प्रचार-प्रसार करना होता है। जैसा कि बाबर भारतीय संस्कृति को तहस-नहस व लूटपाट के ही उद्देश्य से भारत आया था किन्तु इसकी सांस्कृतिक विविधता के आगे उसका सारा अहं चकनाचूर हो गया। भारतीय संस्कृति की यही विशेषता रही है कि उसने सदैव दूसरी संस्कृतियों की अच्छाइयों को आत्मसात किया है। उदाहरण के लिए मुगलों के पश्चात् अंग्रेज लोग भारत आए। वे भी एक प्रकार से आक्रमणकारी ही थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति को पूर्णरूप से प्रभावित किया लेकिन भारतीय संस्कृति ने अपने स्वाभाविक रूप को पूर्णरूपेण नहीं बदला बल्कि अंग्रेजी संस्कृति को भी अपने भीतर समाहित कर लिया।
इसी प्रकार यदि सम्राट त्राजान भारत विजय में सफल रहा होता तो आज का भारत अवश्य ही कुछ निम्न अर्थों में भिन्न होता:
(i) सांस्कृतिक क्षेत्र में कला, भवन निर्माण कला, मूर्तिकला व स्थापत्यकला का नमूना रोमन कला के आधार पर होता।
(ii) अनेक रोमन प्रांतों की भाँति यहाँ भी छोटे-छोटे राज्य स्थापित होते।
(iii) ईसाई धर्म राजधर्म के रूप में घोषित हो जाता।
(iv) दास प्रथा को बढ़ावा मिला होता।
(v) भारत का शोषण आर्थिक आधार पर होता जैसा कि अंग्रेजों ने लगभग 200 वर्षों तक किया था।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि आज का भारत त्राजान के आक्रमण से नि:संन्देह भिन्न होता।
प्रश्न.6. अध्याय को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसमें से रोमन समाज और अर्थव्यवस्था को आपकी दृष्टि में आधुनिक दर्शाने वाले आधारभूत अभिलक्षण चुनिए।
रोमन समाज को आधुनिक दर्शाने वाले अभिलक्षण:
(क) रोमन समाज की अपेक्षाकृत अधिक आधुनिक विशेषताओं में से प्रमुख विशेषता यह थी कि उस समय समाज में एकल परिवार का चलन व्यापक स्तर पर था। वयस्क पुत्र अपने पिता के परिवार में नहीं रहता था। वयस्क भाई भी ज्यादातर अलग ही रहते थे। दूसरी तरफ दासों को परिवार में सम्मिलित किया जाता था।
(ख) गणतंत्र के परवर्ती काल (प्रथम शती ई०पू०) तक विवाह का ऐसा रूप प्रचलित था जिसके अंतर्गत पत्नी अपने पति को अपनी सम्पत्ति का हस्तांतरण नहीं करती थी। किन्तु अपने पैतृक परिवार में उसका अधिकार विवाहोपरांत भी कायम रहता था। महिला को दहेज वैवाहिक अवधि के दौरान उसके पति के पास चला जाता था किंतु पत्नी (महिला) अपने पिता की मुख्य उत्तराधिकारी बनी रहती थी। अपने पिता के मरणोपरांत वह अपने पिता की सम्पत्ति की स्वतन्त्र मालिक बन जाती थी और उसे पुरुषों की अपेक्षा अधिक विधिक अधिकार प्राप्त था। इसके अतिरिक्त पति-पत्नी को संयुक्त रूप से एक हस्ती नहीं बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से अलग-अलग वित्तीय हस्तियाँ माना जाता था। तत्कालीन समाज में तलाक देना आसान था। इसके लिए पति-पत्नी के मध्य विवाह भंग करने के इरादे की सूचना ही पर्याप्त थी।
(ग) प्रायः पुरुषों का विवाह 28-29, 30-32 की आयु में और लड़कियों की शादी 16-18 से 22-23 वर्ष की आयु में होता था। स्त्रियों के ऊपर उनके पतियों का कड़ा नियंत्रण रहता था और उनकी नियमित रूप से पिटाई की जाती थी। बच्चों के मामले में पिता को ही कानूनन अधिकार प्राप्त था।
रोमन अर्थव्यवस्था को आधुनिक वर्शाने वाले अभिलक्षण:
रोमन साम्राज्य में बंदरगाहों, खानों, खदानों, ईंट-भट्ठी, जैतून के तेल की फैक्टरियों आदि की तादाद काफी ज्यादा थी जिनसे उसका आर्थिक आधारभूत ढाँचा काफी सृदृढ़ था। गेहूँ, अंगूरी शराब व जैतून का तेल प्रमुख व्यापारिक मदें थीं जिनका तत्कालीन समाज में ज्यादा उपभोग किया जाता था। ये व्यापारिक मदें मुख्य रूप से स्पेन, गैलिक प्रांतों, उत्तरी अफ्रीका, मिस्र तथा अपेक्षाकृत कम मात्रा में इटली से आयातित होती थीं। इन फसलों के लिए इन प्रांतों में सर्वोत्तम स्थितियाँ उपलब्ध थीं। शराब, जैतून का तेल व अन्य तरल पदार्थों की ढुलाई मटकों या कंटेनरों द्वारा की जाती थी, इन्हें एम्फोरा (Amphora) कहा जाता था। इन मटकों के टूटे हुए टुकड़े आज भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। रोम में मोंटी टेस्टैकियो (Monte Testaccio) स्थल पर ऐसे 5 करोड़ से अधिक मटकों के अवशेष पाए गए हैं।
स्पेन में जैतून का तेल निकालने का उद्यम 140-160 ईस्वी में चरमोत्कर्ष पर था। उन दिनों स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से कंटेनरों में जाया करता था। उन्हें ड्रेसल-20 कहा जाता था। इसका यह नाम हेनरिक ड्रेसल नामक पुरातत्त्वविद के नाम पर आधारित है। उन्होंने इस किस्म के कंटेनरों का रूप सुनिश्चित किया था। ड्रेसल-20 के अवशेष भूमध्यसागरीय क्षेत्रों के अनेक उत्खनन स्थलों से प्राप्त हुए हैं। इन साक्ष्यों के आधार पर कहा जा सकता है स्पेन में जैतून के तेल का व्यापक प्रसार था।
व्यापारिक गतिविधियों के साथ-साथ प्रान्तों की समृद्धि उनकी वस्तुओं की गुणवत्ता और उनके उत्पादक तथा परिवहन की क्षमता के अनुसार अधिक या कम होती चली गई।
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