Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  Hindi Class 10  >  पाठ का सार: साखी

पाठ का सार: साखी | Hindi Class 10 PDF Download

कवि का परिचय: कबीर

कबीर एक प्रसिद्ध संत और कवि थे। उनका जन्म 1398 में काशी (अब वाराणसी) में हुआ माना जाता है। उन्होंने गुरु रामानंद से शिक्षा ली और 120 वर्ष तक जीवित रहे। जीवन के आखिरी साल उन्होंने मगहर में बिताए और वहीं उनका निधन हुआ। कबीर ने अपने दोहों और साखियों के ज़रिए समाज को सही रास्ता दिखाने का काम किया। वे ईश्वर को एक मानते थे और पूजा-पाठ के दिखावे के खिलाफ थे। कबीर ने अनुभव से ज्ञान लिया और उसी को अधिक महत्व दिया। उनकी भाषा आसान और लोगों की बोलचाल वाली थी, जिससे उनकी बातें सबको समझ में आती थींपाठ का सार: साखी | Hindi Class 10

कविता का सार

इस कविता में संत कबीर हमें अच्छी बातें बोलने, अपने अहंकार को छोड़ने और दूसरों को सुख देने की सीख देते हैं। वे कहते हैं कि भगवान हमारे अंदर ही हैं, लेकिन हम बाहर ढूंढते रहते हैं। जब तक हम खुद में ही उलझे रहते हैं, तब तक हमें ईश्वर नहीं मिलते। लेकिन जब हम अपने अहं को छोड़ देते हैं, तब हमें सच्चा ज्ञान और ईश्वर का अनुभव होता है।

कबीर यह भी बताते हैं कि दुनिया में सभी लोग सोने-खाने में मस्त हैं, लेकिन जो सच्चा भक्त होता है, वह भगवान की याद में जागता और रोता है। वे विरह (जुदाई) के दर्द को सांप की तरह बताते हैं, जिसे राम के नाम का कोई भी मंत्र ठीक नहीं कर सकता। वे निंदा करने वाले को भी पास रखने की सलाह देते हैं क्योंकि वह हमारी गलतियों को बताकर हमें सुधारने में मदद करता है।

अंत में कबीर कहते हैं कि केवल किताबें पढ़ने से कोई विद्वान नहीं बनता। सच्चा ज्ञान तो अनुभव से मिलता है। वे अपने पुराने जीवन को छोड़कर नए सच्चे रास्ते पर चलने का संकल्प लेते हैं।

कविता की व्याख्या

काव्यांश 1

ऐसी बाँणी बोलिये, मन का आपा खोइ।
अपना तन सीतल करै, औरन कौं सुख होइ।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि हमें ऐसी मधुर वाणी बोलनी चाहिए जिसमें अहंकार न हो। ऐसी वाणी न केवल हमारे मन और शरीर को शांत और ठंडा करती है, बल्कि दूसरों को भी सुख और शांति का अनुभव कराती है।

काव्यांश 2

कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढै वन माँहि। 
ऐसैं घटि-घटि राँम है, दुनियाँ देखै नाँहि।।

व्याख्या: यहाँ कबीर जी ईश्वर की महत्ता को स्पष्ट करते हुए कहा है कि कस्तूरी हिरन की नाभि में होती है लेकिन इससे अनजान हिरन उसके सुगंध के कारण उसे पूरे जंगल में ढूंढ़ता फिरता है ठीक उसी प्रकार ईश्वर भी प्रत्येक मनुष्य के हृदय में निवास करते हैं परन्तु मनुष्य इसे वहाँ नही देख पाता। वह ईश्वर को मंदिर-मस्जिद और तीर्थ स्थानों में ढूंढ़ता रहता है।

काव्यांश 3

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नांहि।
सब अँधियारा मिटी गया, जब दीपक देख्या माँहि।।

व्याख्या: यहाँ कबीर कह रहे हैं कि जब तक मनुष्य के भीतर अहंकार बना रहता है, तब तक उसे ईश्वर की अनुभूति नहीं होती। जैसे ही उसका अहंकार समाप्त होता है, उसे ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है। जैसे दीपक के जलते ही अंधकार दूर हो जाता है, वैसे ही अहंकार मिटने पर आत्मज्ञान का प्रकाश फैलता है। यहाँ "अहंकार" को अंधकार और "दीपक" को ईश्वर का प्रतीक माना गया है।

काव्यांश 4

सुखिया सब संसार है, खायै अरु सोवै।
दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै।।

व्याख्या: कबीर जी कहते हैं कि संसार के लोग सुखी हैं क्योंकि वे केवल खाने और सोने में लगे रहते हैं और उन्हें ईश्वर की प्राप्ति की चिंता नहीं होती। परंतु कबीरदास स्वयं को दुखी कहते हैं क्योंकि वे प्रभु-वियोग में रात-भर जागते हैं और रोते रहते हैं। उन्हें ईश्वर के दर्शन की तड़प सताती है, इसलिए वे सच्चे अर्थों में प्रभु-प्रेम में व्याकुल हैं।

काव्यांश 5

बिरह भुवंगम तन बसै, मन्त्र ना लागै कोइ।
राम बियोगी ना जिवै, जिवै तो बौरा होइ।।

व्याख्या: जब किसी मनुष्य के शरीर के अंदर अपने प्रिय से बिछड़ने का साँप बसता है तो उसपर कोई मन्त्र या दवा का असर नहीं होता ठीक उसी प्रकार राम यानी ईश्वर के वियोग में मनुष्य भी जीवित नही रहता। अगर जीवित रह भी जाता है तो उसकी स्थिति पागलों जैसी हो जाती है।

काव्यांश 6

निंदक नेडा राखिये, आँगणि कुटी बँधाइ।
बिन साबण पाँणी बिना, निरमल करै सुभाइ।।

व्याख्या: कबीर जी कहते हैं कि निंदा करने वाले व्यक्ति को अपने पास रखना चाहिए, यदि संभव हो तो उसके लिए अपने आँगन में कुटिया बनवाकर रखना चाहिए। क्योंकि वह बिना साबुन और पानी के ही हमारे स्वभाव को निर्मल कर देता है। उसका तात्पर्य यह है कि निंदा करने वाला हमारी कमियाँ बताकर हमें सुधारने में मदद करता है।

काव्यांश 7

पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुवा, पंडित भया ना कोइ।
ऐकै अषिर पीव का, पढ़ै सु पंडित होई।।

व्याख्या: कबीर कहते हैं कि संसार में बहुत लोग मोटी-मोटी पोथियाँ पढ़ते-पढ़ते मर गए, लेकिन कोई भी सच्चा ज्ञानी (पंडित) नहीं बन पाया। यदि कोई व्यक्ति प्रेम और भक्ति से ईश्वर के नाम का एक अक्षर भी समझ लेता है, तो वही सच्चा पंडित कहलाता है। यहाँ पंडित का अर्थ विद्वान से नहीं, बल्कि ईश्वर को जानने वाले सच्चे ज्ञानी से है।

काव्यांश 8

हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराडा हाथि। 
अब घर जालौं तास का, जे चले हमारे साथि।।

व्याख्या: कबीरदास कहते हैं कि उन्होंने अपने घर (अर्थात् मोह-माया और सांसारिक बंधनों) को स्वयं जला दिया है और अब उनके हाथ में ज्ञान की मशाल है। अब जो भी व्यक्ति उनके साथ चलना चाहता है, उसे भी अपने भीतर के मोह-माया के घर को जलाना होगा। यानी सच्चे ज्ञान की प्राप्ति के लिए सांसारिक मोह से मुक्त होना आवश्यक है।

कविता से शिक्षा

इस कविता से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें मीठा और अच्छा बोलना चाहिए जिससे दूसरों को सुख मिले और मन शांत हो। ईश्वर हर जगह है, लेकिन हम उसे देख नहीं पाते। जब हमारे अंदर अहंकार होता है, तब हमें ईश्वर नहीं मिलते, पर जब हम अपने अहंकार को छोड़ देते हैं, तो ईश्वर हमारे भीतर ही दिखाई देते हैं। जो सच्चे प्रेम में होता है, वह विरह में दुखी रहता है और चैन से नहीं सो पाता। सच्चा ज्ञान किताबों से नहीं, अनुभव और ईश्वर की भक्ति से आता है। कबीर हमें बताते हैं कि पहले खुद को सुधारो और फिर दूसरों को राह दिखाओ।

शब्दार्थ

  • बाँणी: वाणी
  • आपा: अहंकार
  • सीतल: ठंडा
  • कस्तूरी: एक सुगन्धित पदार्थ
  • कुंडलि: नाभि
  • माँहि: भीतर
  • हरि: भगवान
  • मिटि: मिटना
  • सुखिया: सुखी
  • अरु: और
  • बिरह: वियोग
  • भुवंगम: साँप
  • बौरा: पागल
  • निंदक: बुराई करने वाला
  • नेड़ा: निकट
  • आँगणि: आँगन
  • साबण: साबुन
  • पाँणी: पानी
  • निरमल: पवित्र
  • सुभाइ: स्वभाव
  • पोथी: ग्रन्थ
  • मुवा: मर गया
  • भया: हुआ
  • अषिर: अक्षर
  • पीव: प्रियतम या ईश्वर
  • जाल्या: जलाया
  • आपणाँ: अपना
  • मुराडा: जलती हुई लकड़ी
  • जालौं: जलाऊँ
  • तास का: उसका
The document पाठ का सार: साखी | Hindi Class 10 is a part of the Class 10 Course Hindi Class 10.
All you need of Class 10 at this link: Class 10
32 videos|439 docs|69 tests

FAQs on पाठ का सार: साखी - Hindi Class 10

1. साखी के लिए शीर्षक में दिए गए पाठ का सार क्या है?
उत्तर: पाठ के शीर्षक में दिए गए साखी का सार है कि यह कक्षा 10 के लिए है और इसमें पाठ के महत्वपूर्ण विषयों को ध्यान में रखते हुए 5 महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं। इन प्रश्नों का सीधा सम्बन्ध दिया गया है और इनका सम्भावित खोज के साथ मेल खाता है। इन प्रश्नों और उत्तरों की जटिलता उपयोगिता और पाठ या परीक्षा के अधिकतम स्तर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
2. साखी कक्षा 10 के छात्रों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: साखी कक्षा 10 के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका ध्यान प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी करने में मदद मिलती है। इसमें दिए गए प्रश्न और उत्तर छात्रों को परीक्षा की समय सीमा के अंतर्गत अधिक से अधिक जानकारी प्रदान करते हैं।
3. कौनसे प्रमुख विषयों पर इस साखी में चर्चा की गई है?
उत्तर: इस साखी में निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर चर्चा की गई है: - कक्षा 10 के लिए पाठ का सार - प्रश्नों की व्याख्या और उत्तर
4. कौनसी भाषा में यह साखी लिखी गई है?
उत्तर: यह साखी हिंदी भाषा में लिखी गई है।
5. यहां दिए गए प्रश्नों के उत्तर कैसे उपयोगी होंगे?
उत्तर: यहां दिए गए प्रश्नों के उत्तर परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी होंगे क्योंकि इनसे वे प्रश्नों की व्याख्या और उत्तर के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह उन्हें इस साखी के विषय में महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझने में मदद करेगा।
Related Searches

Summary

,

past year papers

,

पाठ का सार: साखी | Hindi Class 10

,

mock tests for examination

,

Extra Questions

,

Viva Questions

,

study material

,

पाठ का सार: साखी | Hindi Class 10

,

Sample Paper

,

Objective type Questions

,

पाठ का सार: साखी | Hindi Class 10

,

shortcuts and tricks

,

Semester Notes

,

MCQs

,

ppt

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Free

,

Exam

,

practice quizzes

,

Important questions

,

pdf

,

video lectures

;