प्रश्न.1. निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए।
(i) एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हो –
(क) तट
(ख) प्रायद्वीप
(ग) द्वीप
(घ) इनमें से कोई नहीं
सही उत्तर (ख) प्रायद्वीप
(ii) भारत के पूर्वी भाग में म्यांमार की सीमा का निर्धारण करने वाले पर्वतों का संयुक्त नाम –
(क) हिमाचल
(ख) पूर्वांचल
(ग) उत्तराखंड
(घ) इनमें से कोई नहीं।
सही उत्तर (ख) पूर्वांचल
(iii) गोवा के दक्षिण में स्थित पश्चिम तटीय पट्टी –
(क) कोरोमंडल
(ख) कन्नड़
(ग) कोंकण
(घ) उत्तरी सरकार
सही उत्तर (ख) कन्नड़
(iv) पूर्वी घाट का सर्वोच्च शिखर –
(क) अनाईमुडी
(ख) महेंद्रगिरि
(ग) कंचनजुंगा
(घ) खासी
सही उत्तर (ख) महेंद्रगिरि
प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए –
(i) भूगर्भीय प्लेटें क्या हैं?
भूगर्भीय प्लेटें पृथ्वी की ठोस परत के नीचे मौजूद पारंपरिक धाराएं इसकी पर्पटी या स्थलमंडल को कई बड़े भागों में बांटती हैं। इन भागों को टेक्टोनिक या स्थलमंडल प्लेट कहा जाता है।
(ii) आज के कौन से महाद्वीप गोंडवाना लैंड के भाग थे?
गोंडवाना भूमि में वर्तमान भारत, आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका एक ही भूखंड में शामिल थे। यह दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित था।
(iii) ‘भाबर’ क्या है?
‘भाबर’ वह तंग पट्टी है जिसका निर्माण कंकड़ों के जमा होने से होता है जो शिवालिक की ढलान के समानांतर सिन्धु एवं तिस्ता नदियों के बीच पाई जाती हैं। इस पट्टी का निर्माण पहाड़ियों से नीचे उतरते समय विभिन्न नदियों द्वारा किया जाता है। सभी नदियाँ भाबर पट्टी में आकर विलुप्त हो जाती हैं।
(iv) हिमालय के तीन प्रमुख विभागों के नाम उत्तर से दक्षिण के क्रम में बताइए?
हिमालय विश्व की सर्वाधिक ऊँची एवं मजबूत बाधाओं को प्रतिनिधित्व करता है। उत्तर दिशा से दक्षिण की ओर इसे 3 मुख्य भागों में बांटा जा सकता है:
- महान या आंतरिक हिमालय अथवा हिमाद्री : सबसे उत्तरी भाग जिसे महान या आंतरिक हिमालय अथवा ‘हिमाद्री’ कहा जाता है।
- हिमाचल या निम्न हिमालय : हिमाद्री के दक्षिण में स्थित श्रृंखला हिमाचल या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती है। यह श्रृंखला मुख्यतः अत्यधिक संपीड़ित कायांतरित चट्टानों से बनी हैं। पीर पंजाल श्रृंखला सबसे बड़ी एवं सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण श्रृंखला का निर्माण करती है। कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण श्रृंखलाएँ धौलाधार और महाभारत शृंखलाएँ हैं।
- शिवालिक : हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है। यह गिरीपद श्रृंखला है तथा हिमालय के सबसे दक्षिणी भाग का प्रतिनिधित्व करती है।
(v) अरावली और विंध्याचल की पहाड़ियों में कौन-सा पठार स्थित है?
मालवा का पठार।
(vi) भारत के उन द्वीपों के नाम बताइए जो प्रवाल भित्ति के हैं।
लक्षद्वीप समूह।
प्रश्न.3. निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिए –
(i) अपसारी तथा अभिसारी भूगर्भीय प्लेटें
अपसारी प्लेटें: दो प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती है तब अपसारी परिसीमा का निर्माण होता हैं। जब प्लेटें एक दूसरे से दूर जाती है, तब समुंद्री सतह का निर्माण हो सकता हैं।
अभिसारी भुगर्भीय प्लेटें: दो प्लेटें एक दूसरे के करीब आने पर अपसारी परिसीमा का निर्माण करती है। जब दो प्लेटें एक दूसरे के करीब आती है तो या तो वे टूट सकती है या फिर एक प्लेट फिलसलकर दूसरी प्लेट के नीचे आ सकती है।
(ii) बांगर और खादर
बांगर: उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग पुराने जलोढ़ का बना है। वे नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं। इस भाग को ‘बांगर’ के नाम से जाना जाता है।
खादर: बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षपों को खादर कहा जाता है। इनका लगभग प्रत्येक वर्ष पुननिर्माण होता है। इसलिए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के लिए आदर्श होते हैं।
(iii) पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट
पूर्वी घाट: पूर्वी घाट का विस्तार महानदी घाटी से दक्षिण में नीलगिरी तक है। पूर्वी घाट का विस्तार सतत नहीं है। ये अनियमित है। एवं बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इनको काट दिया है। पूर्वी घाट के दक्षिण- पश्चिम में शेवराय तथा जावेडी की पहाड़ियां स्थित हैं।
पश्चिमी घाट: दक्षिण के पठार के पूर्वी एवं पश्चिमी सिरे पर क्रमश पूर्वी तथा पश्चिमी घाट स्थित है। पश्चिमी घाट पश्चिमी तट के समानांतर स्थित है। वे सतत हैं तथा उन्हें केवल दर्रो के द्वारा ही पार किया जा सकता है। पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट की अपेक्षा ऊंचे हैं। पूर्वी घाट के 600 मीटर की औसत ऊंचाई की तुलना में पश्चिमी घाट की ऊंचाई 900 से 1,600 मीटर हैं।
प्रश्न.4. बताइए हिमालय का निर्माण कैसे हुआ था ?
- दक्षिणी गोलार्द्ध के विशाल महाद्वीप का काल्पनिक नाम गोंडवाना भूमि है। ऐसा माना जाता है कि लाखों वर्ष पहले भारत एक बड़े महाद्वीप गोंडवाना भूमि का भाग था। सबसे प्राचीन भूखंड (प्रायद्वीपीय भाग) गोंडवाना भूमि का हिस्सा था । वर्तमान आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका भी इसी भूखंड में शामिल थे। यह दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित था।
- संवहनीय धाराओं के कारण इसकी भू-पर्पटी कई टुकड़ों में टूट गई जिससे इंडो-आस्ट्रेलियाई प्लेट गोंडवानालैण्ड से अलग होकर उत्तर की ओर सरक गई। प्लेट विवर्तन सिद्धांत के अनुसार भू-पर्पटी पहले एक ही विशालकाय महाद्वीप था जिसे पैंजिया कहा जाता था। उत्तरी भाग में अंगारा भूमि थी। दक्षिणी भाग में गोंडवाना भूमि। भूपर्पटी के नीचे मौजूद पिघले हुए पदार्थ ने भूपर्पटी या लीथोस्फीयर को कई बड़े टुकड़ों में बाँट दिया जिन्हें लीथोस्फेरिक या टैक्टोनिक प्लेट कहा जाता है। जो अवसादी चट्टान टक्कर के कारण वलित होकर इकट्ठे हो गए उन्हें टेथीस के नाम से जाना जाता है। गोंडवाना भूमि से अलग होने के बाद इंडो-आस्ट्रेलियाई प्लेट उत्तर में यूरेशियन प्लेट की ओर खिसक गई। यह दो प्लेटों में टकराव का कारण बना और इस टकराव के कारण टेथीस की अवसादी चट्टानें वलित होकर पश्चिमी एशिया की पर्वतीय श्रृंखला तथा हिमालय के रूप में उभर गई।
प्रश्न.5. भारत के प्रमुख भू – आकृति विभाग कौन से हैं? हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में क्या अंतर है?
भारत के प्रमुख भू -आकृतिक विभाग निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।
- हिमालय पर्वत श्रंखला
- उत्तरी मैदान
- प्रायद्वीपपीय पठार
- भारतीय मरुस्थल
- तटीय मैदान
- द्वीप समूह
हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में अंतर –
हिमालय क्षेत्र
- भारत की उत्तरी सीमा पर विस्तृत हिमालय भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट के दृष्टिकोण से वलित पर्वत श्रंखला हैं।
- ये पर्वत श्रृंखलाएं पश्चिम – पूर्व दिशा में सिंधु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक फैली हैं।
- हिमालय विश्व की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी है और एक अत्यधिक असम अवरोधों में से एक हैं।
- अपने पूरे देशांतरीय विस्तार के साथ हिमालय को तीन भागों में बांट सकते हैं।
- इन श्रृंखलाओं के बीच बहुत अधिक संख्या में घाटियां पाई जाती हैं।
- यह सबसे अधिक सतत श्रृंखला है।
- इसमें हिमालय के सभी मुख्य शिखर हैं।
प्रायद्वीप पठार
- प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृति वाला स्थल है जो पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलो से बना है।
- इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियां एवं गोलाकार पहाड़ियां हैं।
- इस पठार के दो मुख्य भाग हैं – मध्य उच्च भूमि और दक्कन का पठार।
- इस क्षेत्र में बहने वाली नदियां चंबल, सिंधु, बेतवा तथा केन दक्षिण – पश्चिम से उत्तर पूर्वी की तरह बहती हैं।
- विंध्य श्रृंखला दक्षिण में सतपुड़ा श्रृंखला तथा उत्तर – पश्चिम में अरावली से घिरी है।
- पश्चिम में यह धीरे-धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरीले मरुस्थल से मिल जाती है।
- मध्य उच्च भूमि पश्चिम में चौड़ी लेकिन पूर्व में संकीर्ण है।
प्रश्न.6. भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन कीजिए।
उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों – सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा उनकी सहायक नदियों से बना है। यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षो में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन में जलोढ़ का निक्षेप हुआ, जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ है। इसका विस्तार 7 लाख किलोमीटर के क्षेत्र पर है। यह मैदान लगभग 2,400 किलोमीटर लंबा एवं 240 से 320 किलोमीटर चौड़ा है। यह संघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है।
समृद्ध मृदा, आवरण, पर्याप्त पानी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण किसी की दृष्टि से या भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है। उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन वर्गों में विभाजित किया गया है। उत्तरी मैदान के पश्चिमी भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है। उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग पुराने जलोढ का बना है। वे नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित है तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न.7. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए –
(i) मध्य हिमालय
मध्य हिमालय हिमाद्री के दक्षिण में स्थित श्रृंखला सबसे अधिक असम है एवं हिमाचल या निम्न हिमालय के नाम से जानी जाती हैं। इन श्रृंखलाओं का निर्माण मुख्यत: अत्यधिक संपीड़ित तथा परिवर्तित शैलो से हुआ है। इनकी ऊंचाई 3,700 मीटर से 4.500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 किलोमीटर है। जबकि पीर पंजाल श्रृंखला सबसे लंबी तथा सबसे महत्वपूर्ण श्रंखला है, धौलाधार एवं महाभारत श्रृंखलाएं भी महत्वपूर्ण है। हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवा लिक कहा जाता है। इनकी चौड़ाई 10 से 50 कि०मी० तथा ऊंचाई 900 से 1.100 मीटर के बीच है। ये श्रृंखलाएं, उत्तर में स्थित मुख्य हिमालय की श्रृंखलाओं से नदियों द्वारा लायी गयी असंपीड़ित अवसादो से बनी है।
(ii) मध्य उच्च भूमि
प्रायद्वीपीय क्षेत्र का वह भाग जो नर्मदा नदी के उत्तर में पड़ता है और मालवा के पठार के एक बड़े हिस्से पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि कहा जाता है। यह दक्षिण में विंध्य श्रेणी और उत्तर-पश्चिम में अरावली की पहाड़ियों से घिरा है। आगे जाकर यह पश्चिम में भारतीय मरुस्थल से मिल जाता है जबकि पूर्व दिशा में इसका विस्तार छोटानागपुर के पठार द्वारा प्रकट होता है। इस क्षेत्र में नदियाँ दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर बहती हैं। इस क्षेत्र के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुन्देलखण्ड, बाघेलखण्ड और छोटानागपुर पठार कहा जाता है। छोटानागपुर पठार आग्नेय चट्टानों से बना है। आग्नेय चट्टानों में खनिज भरपूर मात्रा में होते हैं और इसलिए इस पठार को खनिजों का भण्डार कहा जाता है।
(iii) भारत के द्वीप समूह
लक्षद्वीप मुख्यभूमि के दक्षिण-पश्चिम में अरब सागर में केरल के मालाबार तट के पास स्थित है। पहले इनको लकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था। 1973 में इनका नाम लक्षद्वीप रखा गया। लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय कावारती में है। यह द्वीप समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है। यह 32 वर्ग कि0मी0 के छोटे से क्षेत्र में फैला हुआ है। इस द्वीप समूह पर पौधों एवं जीवों की बहुत सी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
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