CTET & State TET Exam  >  CTET & State TET Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents)

महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) निम्न में से किसने सर्वप्रथम यूरोप, अफ्रीका व अमेरिका के साथ स्थित होने की संभावना व्यक्त की?
(क) अल्फ्रेड वेगनर
(ख) अब्राहम आरटेलियस
(ग) एनटोनियो पेलेग्रिनी
(घ) एडमंड हैस

सही उत्तर (ख) अब्राहम आरटेलियस

(ii) पोलर फ्लीइंग बल (Polar fleeing force) निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?
(क) पृथ्वी का परिक्रमण
(ख) पृथ्वी का घूर्णन
(ग) गुरूत्वाकर्षण
(घ) ज्वारीय बल

सही उत्तर (ख) पृथ्वी का घूर्णन

(iii) इनमें से कौन सी लघु (Minor) प्लेट नहीं है?
(क) नजका
(ख) फिलिपीन
(ग) अरब
(घ) अंटार्कटिक

सही उत्तर (घ) अंटार्कटिक

(iv) सागरीय अधःस्तल विस्तार सिद्धान्त की व्याख्या करते हुए हैस ने निम्न में से किस अवधारणा पर विचार नहीं किया?
(क) मध्य-महासागरीय कटकों के साथ ज्वालामुखी क्रियाएँ।
(ख) महासागरीय नितल की चट्टानों में सामान्य व उत्क्रमण चुम्बकत्व क्षेत्र की पट्टियों का होना।
(ग) विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण।
(घ) महासागरीय तल की चट्टानों की आयु।

सही उत्तर (ग) विभिन्न महाद्वीपों में जीवाश्मों का वितरण।

(v) हिमालय पर्वतों के साथ भारतीय प्लेट की सीमा किस तरह की प्लेट सीमा है?
(क) महासागरीय-महाद्वीपीय अभिसरण
(ख) अपसारी सीमा
(ग) रूपांतर सीमा
(घ) महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण

सही उत्तर (घ) महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण


प्रश्न.2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

(i) महाद्वीपों के प्रवाह के लिए वेगनर ने निम्नलिखित में से किन बलों का उल्लेख किया?

वेगनर के अनुसार महाद्वीपीय विस्थापन के दो कारण थे: (i) पोलर या ध्रुवीय फ्लीइंग बल और (ii) ज्वारीय बल। ध्रुवीय फ्लीइंग बल पृथ्वी के घूर्णन से संबंधित है। आप जानते हैं कि पृथ्वी की आकृति एक संपूर्ण गोले जैसी नहीं है; वरन् यह भूमध्यरेखा पर उभरी हुई है। यह उभार पृथ्वी के घूर्णन के कारण है। दूसरा बल, जो वेगनर महोदय ने सुझाया - वह ज्वारीय बल है, जो सूर्य व चंद्रमा के आकर्षण से संबद्ध है, जिससे महासागरों में ज्वार पैदा होते हैं। वेगनर का मानना था कि करोड़ों वर्षो के दौरान ये बल प्रभावशाली होकर विस्थापन के लिए सक्षम हो गए।

(ii) मैंटल में संवहन धाराओं के आरंभ होने और बने रहने के क्या कारण हैं?

1930 के दशक में आर्थर होम्स ने मैंटल भाग में संवहन धाराओं के प्रभाव की सम्भावना व्यक्त की थी। संवहन धाराएँ रेडियोएक्टिव तत्त्वों से ताप भिन्नता के कारण मैंटल में उत्पन्न होती हैं। ये धाराएँ रेडियोएक्टिव तत्त्वों की उपलब्धता के कारण ही मैंटल में बनी रहती हैं तथा इन्हीं तत्त्वों से संवहनीय धाराएँ आरम्भ होकर चक्रीय रूप में प्रवाहित होती रहती हैं।

(iii) प्लेट की रूपान्तर सीमा, अभिसरण सीमा और अपसारी सीमा में मुख्य अन्तर क्या है?

प्लेट की रूपान्तर सीमा में पर्पटी का न तो निर्माण होता है और न ही विनाश। जबकि अभिसरण सीमा में पर्पटी का विनाश होता है तथा अपसारी सीमा में पर्पटी का निर्माण होता है। अत: रूपान्तर, अभिसरण और अपसारी सीमा में मुख्य अन्तर पर्पटी के निर्माण, विनाश और दिशा संचालन के कारण है।

(iv) दक्कन ट्रैप के निर्माण के दौरान भारतीय स्थलखण्ड की स्थिति क्या थी?

आज से लगभग 14 करोड़ वर्ष पूर्व भारतीय स्थलखण्ड सुदूर दक्षिण में 50° दक्षिणी अक्षांश पर स्थित था। भारतीय उपमहाद्वीप व यूरेशियन प्लेट को टैथीज सागर अलग करता था और तिब्बती खण्ड एशियाई खण्ड के करीब था। इण्डियन प्लेट के एशियाई प्लेट की तरफ प्रवाह के दौरान एक प्रमुख घटना लावा प्रवाह के कारण दक्कन टैप का निर्माण हुआ। अत: भारतीय स्थलखण्ड दक्कन टैप निर्माण के समय भूमध्य रेखा के निकट स्थित था।


प्रश्न.3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

(i) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त के पक्ष में दिए गए प्रमाणों का वर्णन करें।

महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त के पक्ष में निम्नलिखित प्रमाण प्रमुख रूप से दिए जाते हैं:
1. महाद्वीपों में साम्य: 
दक्षिणी अमेरिका और अफ्रीका तथा उत्तरी अमेरिका एवं यूरोप के आमने-सामने की तट रेखाएँ मिलाने पर साम्य स्थापित करती हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि पूर्वकाल में सभी महाद्वीप एक साथ संलग्न थे तथा कालान्तर में विस्थापना से ही इनकी वर्तमान स्थिति बनी है।
2. महासागरों के पार चट्टानों की आयु में समानता: आधुनिक समय में विकसित रेडियोमेट्रिक काल निर्धारण विधि से महासागरों के पार महाद्वीपों की चट्टानों के निर्माण के समय को सरलता से ऑका जा सकता है। 200 वर्ष पुराने शैल ब्राजील तट पर मिलते हैं जो अफ्रीका तट से मेल खाते हैं।
3. टिलाइट: वे अवसादी चट्टानें जो हिमानी निक्षेपण से बनी हैं, टिलाइट कहलाती हैं। भारत में | गोंडवाना श्रेणी के आधार तल में घने टिलाइट हैं जो पूर्व काल में विस्तृत समय तक हिमाच्छादन की ओर इंगित करते हैं।
4. प्लेसर निक्षेप: घाना तट पर सोने के बड़े निक्षेपों की उपस्थिति व उद्गम चट्टानों की अनुपस्थिति एक आश्चर्यजनक तथ्य है। सोनायुक्त शिराएँ ब्राजील में पाई जाती हैं। अत: यह स्पष्ट है कि घाना में मिलने वाले सोने के निक्षेप उस समय के हैं जब ये दोनों महाद्वीप एक-दूसरे से जुड़े थे।
5. जीवाश्मों का वितरण: अन्ध महासागर के दोनों तटों पर चट्टानों में पाए जाने वाले जीवावशेषों तथा कंगारू पशु जो आस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं, के जीवाश्म दक्षिणी-पूर्वी ब्राजील में पाए गए हैं, यह तभी सम्भव है जब दोनों महाद्वीपीय खण्ड परस्पर जुड़े रहे होंगे।

(ii) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त व प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त में मूलभूत अन्तर बताइए।

महासागरों और महाद्वीपों का वितरण (Distribution of Oceans and Continents) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - CTET & State TET

(iii) महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के उपरांत की प्रमुख खोज क्या है, जिससे वैज्ञानिकों ने महासागर व महाद्वीपीय वितरण के अध्ययन में पुनः रुचि ली?

युद्धोत्तर काल के दौरान बहुत से महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत के उपरांत की खोजों ने भूवैज्ञानिक साहित्य को नई जानकारी प्रदान की। विशेष रूप से, समुद्र तल मानचित्रण से एकत्रित जानकारी महासागरों और महाद्वीपों के वितरण के अध्ययन के लिए नए आयाम प्रदान करती है।

  • मध्य महासागरीय कटकों के साथ-साथ ज्वालामुखी उद्गार सामान्य क्रिया है और ये उद्गार इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में लावा बाहर निकलते हैं।
  • महासागरीय कटक के मध्य भाग के दोनों तरफ समान दूरी पर पाई जाने वाली चट्टानों के निर्माण का समय, संरचना, संघटन और चुंबकीय गुणों में समानता पाई जाती है। महासागरीय काटकों के समीप की चट्टानों में सामान्य चुंबकत्व ध्रुवण पाई जाती है तथा ये चट्टानें नवीनतम है। कटकों के शीर्ष से दूर चट्टानों की आयु भी अधिक है। 
  • महासागरीय पर्पटी की चट्टानें महाद्वीपीय पर्पटी की चट्टानों की अपेक्षा अधिक नई हैं। महासागरीय पर्पटी की चट्टानें कहीं भी 20 करोड़ वर्ष से अधिक पुरानी नहीं हैं।
  • गहरी खाइयों में भूकंप उद्गम अधिक गहराई पर हैं। जबकि मध्य-महासागरीय कटकों के क्षेत्र में भूकंप उद्गम केंद्र कम गहराई पर विद्यमान है।
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