प्रश्न.1. एथेन का आणविक सूत्र-C2H6 है। इसमें-
(a) 6 सहसंयोजक आबंध हैं।
(b) 7 सहसंयोजक आबंध हैं।
(c) 8 सहसंयोजक आबंध हैं।
(d) 9 सहसंयोजक आबंध हैं।
सही उत्तर (b) 7 सहसंयोजक बंधन हैं।
प्रश्न.2. ब्यूटेनॉन चर्तु-कार्बन यौगिक है, जिसका प्रकार्यात्मक समूह
(a) कार्बोक्सिलिक अम्ल
(b) ऐल्डिहाइड
(c) कीटोन
(d) ऐल्कोहॉल
सही उत्तर (c) कीटोन
प्रश्न.3. खाना बनाते समय यदि बर्तन की तली बाहर से काली हो रही है, तो इसका मतलब है कि
(a) भोजन पूरी तरह नहीं पका है।
(b) ईंधन पूरी तरह से नहीं जल रहा है।
(c) ईंधन आर्द्र है।
(d) ईंधन पूरी तरह से जल रहा है।
सही उत्तर (b) ईधन पूरी तरह से जल रहा है।
प्रश्न.4. CH3CI में आबंध निर्माण का उपयोग कर सहसंयोजक आबंध की प्रकृति समझाइए।
C, H और Cl की परमाणु संख्या क्रमश 6, 1 और 17 है।
कार्बन को अष्टक बनाने के लिए 2 इलेक्ट्रॉन चाहिए, हाइड्रोजन को एक इलेक्ट्रॉन चाहिए और क्लोरीन को अष्टक बनाने के लिए एक इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता है। करबन चार इलेक्ट्रॉन प्रदान करता है- तीन हाइड्रोजन परमाणुओं को तथा एक क्लोरीन को।ऐसा करने से कार्बन लगभग उत्कृष्ट गैस नियॉन की सरचना को प्राप्त कर लेता है, हाइड्रोजन हीलियम की और क्लोरीन आरगॉन की संरचना पा लेता है।
अत: क्लोरोमीथेन में तीन C-H और एक C-Cl सहसंयोजक आबंध बनाता है।
प्रश्न.5. इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना बनाइए:
(a) एथेनॉइक अम्ल
(b) H2S
(C) प्रोपेनोन
(d) F2
(a) एथेनॉइक अम्ल (CH3COOH)
प्रश्न.6. समजातीय श्रेणी क्या है? उदाहरण के साथ समझाइए।
यौगिकों की ऐसी श्रृंखला जिसमें कार्बन श्रृंखला में स्थित हाइड्रोजन को एक ही प्रकार का प्रकार्यात्मक समूह स्थापित करता है, उसे समजातीय श्रेणी कहते हैं। उदाहरण के लिए, मिथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन एल्कीन की समजातीय श्रेणी हैं।
मिथेन: CH4
एथेन: CH3CH3प्रोपेन: CH3CH2CH3ब्यूटेन: CH3CH2CH2CH3
यह देखा जा सकता है कि प्रत्येक उत्तरोत्तर यौगिकों के बीच -CH2 इकाई का अंतर है।
प्रश्न.7. भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर एथनॉल एवं एथनॉइक अम्ल में आप कैसे अंतर करेंगे?
- एथनॉल एक विशेष गंध के साथ कमरे के तापमान पर द्रव अवस्था में होता है। एथेनॉइक अम्ल का गलनांक बिंदु 17°C होता है। चूँकि यह कमरे के तापमान से कम है, इसलिए शीत के दिनों में यह जम जाता है। साथ ही एथेनॉइक अम्ल की गंध सिरके की तरह होती है।
- एथनॉल कार्बोनेट धातु के साथ अभिक्रिया नहीं करता है, जबकि एथानॉइक अम्ल धातु कार्बोनेट धातु से अभिक्रिया कर लवण, जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड बनाता है।
2CH3COOH + Na2CO3 → 2CH3COONa + CO2 + H2O- एथनॉल सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया नहीं करता है जबकि एथानॉइक अम्ल सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया करके सोडियम एथेनॉइट तथा जल बनाता है।
CH3COOH + NaOH → CH3COONa + H2O
प्रश्न.8. जब साबुन को जल में डाला जाता है तो मिसेल का निर्माण क्यों होता है? क्या एथनॉल जैसे दूसरे विलायकों में भी मिसेल का निर्माण होगा?
साबुन के अणु के दो सिरे होते हैं। एक सिरा जलरागी तथा दूसरा सिरा जलविरागी होता है। जब साबुन को जल में घोला जाता है तथा कपड़े को साबुन के विलयन में डाला जाता है तो तैलीय धूल के कण हाइड्रोकार्बन भाग से तथा जल के अणु आयनिक भाग से जुड़ जाते हैं। अब ये सभी साबुन के अणुओं के आयनिक (ऋणात्मक) भाग बाहर की ओर तथा हाइड्रोकार्बन भाग भीतर की ओर व्यवस्थित होकर मिसेल बनाते हैं। ये कोलाइड के रूप में रहते हैं तथा आयन-आयन विकर्षण के कारण अवक्षेपित नहीं होते|
एथनॉल जैसे दूसरे विलायकों में मिसेल का निर्माण नहीं होता क्योंकि साबुन की तरह इनकी प्रकृति ध्रुवीय नहीं होती।
प्रश्न.9. कार्बन एवं उसके यौगिकों का उपयोग अधिकतर अनुप्रयोगों में ईंधन के रूप में क्यों किया जाता है?
कार्बन तथा उसके यौगिकों के दहन पर अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा प्राप्त होती है तथा उत्पन्न ऊष्मा को नियंत्रित ढंग से उपयोग किया जा सकता है। इसलिए अधिकतर अनुप्रयोगों के लिए कार्बन तथा इसके यौगिकों को ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
प्रश्न.10. कठोर जल को साबुन से उपचारित करने पर झाग के निर्माण को समझाइए।
कठोर जल में कैल्शियम (Ca2+) तथा मैग्नीशियम (Mg2+) के सल्फेट तथा क्लोराइड के घुलनशील लवण होते हैं, जो साबुन से अभिक्रिया कर अघुलनशील पदार्थ (स्कम) बनाती है। इसी अघुलनशील पदार्थ (स्कम) के कारण झाग आसानी से नहीं बनता है तथा साबुन अधिक मात्रा में उपयोग करना पड़ता है।
कठोर जल + साबुन → स्कम
प्रश्न.11. यदि आप लिटमस पत्र (लाल एवं नीला) से साबुन की जाँच करें, तो आपका प्रेक्षण क्या होगा?
चूँकि साबुन की प्रकृति क्षारीय होती है इसलिए लाल लिटमस पत्र नीले रंग में परिवर्तित हो जाएगा। जबकि नीला लिटमस पत्र नीला ही रहेगा।
प्रश्न.12. हाइड्रोजनीकरण क्या है? इसका औद्योगिक अनुप्रयोग क्या है?
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में पैलेडियम अथवा निकैल जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में हाइड्रोजन के योग से संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनता है, जिसे हाइड्रोजनीकरण कहते हैं। औद्योगिक अनुप्रयोग – असंतृप्त वसा (वनस्पति तेलों) के हाइड्रोजनीकरण से वनस्पति घी (संतृप्त वसा) बनाया जाता है।
प्रश्न.13. दिए गए हाइड्रोकार्बन : C2H6 , C3H8 , C3H6 , C2H2 एवं CH4 में किसमें संकलन अभिक्रिया होती है?
C2H2 एवं C3H6में योग अभिक्रिया होगी क्योंकि ये असंतृप्त हाईड्रोकार्बन है।
प्रश्न.14. मक्खन एवं खाना बनाने वाले तेल के बीच रासायनिक अंतर समझने के लिए एक परीक्षण बताइए।
मक्खन संतृप्त एवं खाघ तेल असंतृप्त हाइड्रोकार्बन है। इनमें ब्रोमीन जल कड़े सहायता से अतंर किया जा सकता है। मक्खन व तेल गर्म करें। अब इनकें कछु बुँदें ब्रोमीन जल की डालें। मक्खन में कार्बनिक यौगिक है। इसी प्रकार तेल में डालने पर ब्रोमीन जल का रंग उड़ जाता है अत: यह असंतृप्त हाइड्रोकार्बन है।
प्रश्न.15. साबुन की सफ़ाई प्रक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
साबुन के अणु ऐसे होते हैं जिनके दोनों सिरों के विभिन्न गुणधर्म होते हैं। जब साबुन जल की सतह पर होता है तब इसके अणु अपने को इस प्रकार व्यवस्थित कर लेते हैं कि इसका आयनिक सिरा जल के अंदर होता है जबकि दूसरा सिरा हाइड्रोकार्बन पूँछ जल के बाहर होता है। जल के अंदर इन अणुओं की एक विशेष व्यवस्था होती है जिससे इसका हाइड्रोकार्बन सिरा जल के बाहर बना होता है। ऐसा अणुओं का बड़ा गुच्छा बनने के कारण होता है जिसमें जलविरागी पूँछ गुच्छे के आंतरिक हिस्से में होती है जबकि उसका आयनिक सिरा गुच्छे की सतह पर होता है। इस संरचना को मिसेल कहते हैं। मिसेल के रूप में साबुन स्वच्छ करने में सक्षम होता है क्योंकि तैलीय मैल मिसेल के केंद्र में एकत्र हो जाते हैं। इस प्रकार साबुन का मिसेल मैल को पानी में घोलने में मदद करता है तथा कपड़े साफ़ हो जाते हैं।
प्रोपेनोन:
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