प्रश्न.1. निऑन तथा Co2 के त्रिक बिन्दु क्रमशः 24.57 K तथा 216.55 K हैं। इन तापों को सेल्सियस तथा फारेनहाइट मापक्रमों में व्यक्त कीजिए।
यहाँ TNe = 24.57 K तथा TCO2 = 216.55 K
परन्तु (t + 273.15) = T ⇒t = (T – 273.15)°C
∴ tNe = TNe – 273.15 = (24.57 – 279.15)°C = -248.58°C
tCo2 = TCo2 -273.15 = (216.55 – 273.15) = -56.6°C
प्रश्न.2. दो परम ताप मापक्रमों A तथा B पर जल के त्रिक बिन्दु को 200A तथा 350B द्वारा परिभाषित किया गया है।TA तथा TB में क्या सम्बन्ध है?
दिया है कि दोनों परम ताप मापक्रम हैं अर्थात् दोनों का शून्य, परम शून्य ताप से सम्पाती है। प्रश्नानुसार प्रथम पैमाने पर परम शून्य से जल के त्रिक बिन्दु (ताप 273.15K) तक के ताप को 200 भागों में तथा दूसरे पैमाने पर 350 भागों में विभाजित किया गया है।
अतः 200A – 0A = 350B – 0B = 273.16 K – 0k
या 200A = 350B = 273.16 K
प्रश्न.3. किसी तापमापी का ओम में विद्युत प्रतिरोध ताप के साथ निम्नलिखित सन्निकट नियम के अनुसार परिवर्तित होता है
R = R0 [1+ α (T - T0)]
यदि तापमापी का जल के त्रिक बिन्दु 273,16K पर प्रतिरोध 1016.Ω तथा लैड के सामान्य संगलन बिन्दु (600.5K) पर प्रतिरोध 165.5Ω है तो वह ताप ज्ञात कीजिए जिस पर तापमापी का प्रतिरोध 123.4Ω है।
यहाँ T1 = 273.16 K पर R1 = 101.6 Ω
T2 = 600.5 K पर R2 = 165.5 Ω
माना T3 =? पर R3 = 123.4 Ω
प्रश्न.4. निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आधुनिक तापमिति में जल का त्रिक बिन्दु एक मानक नियत बिन्दु है, क्यों? हिम के गलनांक तथा जल के क्वथनांक को मानक नियत-बिन्दु मानने में (जैसा कि मूल सेल्सियस मापक्रम में किया गया था।) क्या दोष है?
(b) जैसा कि ऊपर वर्णन किया जा चुका है कि मूल सेल्सियस मापक्रम में दो नियत बिन्द थे। जिनको क्रमशः 0°C तथा 100°C संख्याएँ निर्धारित की गई थीं। परम ताप मापक्रम पर दो में से एक नियत बिन्दु जल का त्रिक बिन्दु लिया गया है जिसे केल्विन परम ताप मापक्रम पर संख्या 273.16 K निर्धारित की गई है। इस मापक्रम (केल्विन परम ताप) पर अन्य नियत बिन्दु क्या है?
(c) परम ताप (केल्विन मापक्रम) T तथा सेल्सियस मापक्रम पर ताप t¢ में सम्बन्ध इस प्रकार है:
tc = T -273.15
इस सम्बन्ध में हमने 273.15 लिखा है 273.16 क्यों नहीं लिखा?
(d) उस.परमताप मापक्रम पर, जिसके एकांक अन्तराल का आमाप फारेनहाइट के एकांक अन्तराल की आमाप के बराबर है, जल के त्रिक बिन्दु का ताप क्या होगा?
(a) क्योकि जल का त्रिक बिन्दु एक अद्वितीय बिन्दु है, जिसके संगत ताप 273.16 K अद्वितीय है, जबकि हिम का गलनांक तथा जल का क्वथनांक नियत नहीं है ये दाब परिवर्तित करने पर बदल जाते हैं।
(b) केल्विन मापक्रम पर अन्य नियत बिन्दु, परम शून्य ताप है जिस पर सभी गैसों का दाब शून्य हो जाता है।
(c) सेल्सियस पैमाने पर 0°C, सामान्य दाब पर बर्फ का गलनांक है जिसके संगत केल्विन ताप 273.15 K है न कि 273.15 K। इस प्रकार प्रत्येक परम ताप, संगत सेल्सियस ताप से 273.15 K ऊँचा है इसीलिए उक्त सम्बन्ध में 273.15 का प्रयोग किया गया है।
(d) हम जानते हैं कि 32°F = 273.15 K तथा 212°F = 273.15 K
∴ 212°F – 32°F = (373.15 – 273.15) K या 180°F = 100 K
प्रश्न.5. दो आदर्श गैस तापमापियों A तथा B में क्रमशः ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन प्रयोग की गई है। इनके प्रेक्षण निम्नलिखित हैं:
(a) तापमापियों A तथा B के द्वारा लिए गए पाठ्यांकों के अनुसार सल्फर के सामान्य गलनांक के परमताप क्या हैं?
(b) आपके विचार से तापमापियों A तथा B के उत्तरों में थोड़ा अन्तर होने का क्या कारण है? (दोनों तापमापियों में कोई दोष नहीं है)। दो पाठ्यांकों के बीच की विसंगति को कम करने के लिए इस प्रयोग में और क्या प्रावधान आवश्यक हैं?
(a) तापमापी A के लिए।
(b) दोनों तापमापियों के पाठ्यांकों में अन्तर इसलिए है क्योंकि प्रयोग की गई गैसें आदर्श नहीं हैं। विसंगति को दूर करने के लिए पाठ्यांक कम दाब पर लेने चाहिए जिससे कि गैसें आदर्श गैस की भाँति व्यवहार करें।
प्रश्न.6. किसी 1 m लम्बे स्टील के फीते का यथार्थ अंशांकन 27.0°C पर किया गया है। किसी तप्त दिन जब ताप 45°C था तब इस फीते से किसी स्टील की छड़ की लम्बाई 63.0 cm मापी गई। उस दिन स्टील की छड़ की वास्तविक लम्बाई क्या थी? जिस दिन ताप 27.0°C होगा उस दिन इसी छड़ की लम्बाई क्या होगी? स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.20 x 10-5 K-1।
जब ताप 27°C से बढ़कर 45°C हो जाती है तो ताप में वृद्धि ΔT = (45-27)°C ≡ 18K; माना 27°C पर अंशांकित स्टील के फीते पर इस ताप वृद्धि के कारण इसकी l1 = 1 सेमी लम्बाई बढ़कर l2, हो जाती है तो
अतः यदि स्टील का फीता 45°C पर 1 सेमी मापता है तो छड़ की वास्तविक लम्बाई 1.000216 सेमी होगी। परन्तु यहाँ 45°C परं यह 63 सेमी मापता है। अत: स्टील छड़ की वास्तविक लम्बाई
= 63 x 1.000216 सेमी = 63.0136 सेमी
जिस दिन ताप 27°C होगा उस दिन स्टील फीते पर 1 सेमी चिह्न की वास्तविक लम्बाई 1 सेमी ही होगी चूंकि यह फीता इसी ताप पर अंशांकित किया गया है। अत: 27°C पर छड़ की वास्तविक लम्बाई = 63.0 x 1 सेमी = 63.0 सेमी ही होगी।’
प्रश्न.7. किसी बड़े स्टील के पहिए को उसी पदार्थ की किसी धुरी पर ठीक बैठाना है। 27°C पर धुरी का बाहरी व्यास 8.70 cm तथा पहिए के केन्द्रीय छिद्र का व्यास 8.69 cm है। सूखी बर्फ (ठोस Co2) द्वारा धुरी को ठण्डा किया गया है। धुरी के किस ताप पर पहिया धुरी पर चढ़ेगा? यह मानिए कि आवश्यक ताप परिसर में स्टील का रैखिक प्रसार गुणांक नियत रहता है। αस्टील = 1.20 x 10-5 K-1।
T1 = 27°C = (27 + 273) K = 300K पर धुरी का व्यास D1 = 8.70 सेमी।
माना धुरी को T2K तक ठण्डा किया गया है ताकि इसका व्यास सिकुड़कर पहिए के केन्द्रीय छिद्र के व्यास D2 = 8.69 सेमी के बराबर हो जाये जिससे कि पहिया धुरी पर चढ़ सके।
प्रश्न.8. ताँबे की चादर में एक छिद्र किया गया है। 27.0°C पर छिद्र का व्यास 4.24 cm है। इस धातु की चादर को 227°C तक तप्त करने पर छिद्र के व्यास में क्या परिवर्तन होगा? ताँबे का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.70 x 10-5K-1।
प्रश्न.9. 27°C पर 1.8 cm लम्बे किसी ताँबे के तार को दो दृढ़ टेकों के बीच अल्प तनाव रखकर थोड़ा कसा गया है। यदि तार को -39°C ताप तक शीतित करें तो तार में कितना तनाव उत्पन्न हो जाएगा? तार का व्यास 2.0 mm है। पीतल को रेखीय प्रसार गुणांक= 2.0 x 10-5 k-1, पीतल का यंग प्रत्यास्थता गुणांक = 0.91 x 1011Pa।
दिया है : T1 = 27°C, T2 = -39°C,
ताप परिवर्तन ∆T = [27 -(-39)] = 66°C या 66 K, तार की लम्बाई L = 1.8 cm
तार का व्यास 2r = 2.0 mm
∴त्रिज्या r = 1.0 x 10-3m
प्रश्न.10. 50 cm लम्बी तथा 3.0 mm व्यास की किसी पीतल की छड़ को उसी लम्बाई तथा व्यास की किसी स्टील की छड़ से जोड़ा गया है। यदि ये मूल लम्बाइयाँ 40°C पर हैं तो 250°C पर संयुक्त छड़ की लम्बाई में क्या परिवर्तन होगा? क्या सन्धि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न होगा? छड़ के सिरों को प्रसार के लिए मुक्त रखा गया है। (पीतल तथा स्टील के रेखीय प्रसार गुणांक क्रमशः 2.0 x 10-5 k-1 तथा 1.2 x 10-5 x k-1 हैं।)
प्रत्येक छड़ का ताप T1 = 40°C पर लम्बाई L1 = 50 सेमी
संयुक्त छड़ का अन्तिम ताप T2 = 250°C
अतः प्रत्येक छड़ के ताप में वृद्धि
∆T = T2 – T1 = (250 - 40)°C = 210°C = 210K
(∵ सेल्सियस तथा केल्विन पैमाने पर 1 डिग्री को आकार बराबर होता है)
∵ पीतल की छड़ की लम्बाई में वृद्धि
(∆L)पीतल =L1 • α.पीतल x ∆T
= 50 सेमी x 2.0 x 10-5 K-1 x 210K
= 0.21
सेमी स्टील की छड़ की लम्बाई में वृद्धि (∆L)स्टील = L1 x 0.स्टील x ∆T
= 50 सेमी x 1.2 x 10-5 K-1 x 210K
= 0.126 सेमी ≈ 0.13 सेमी
∴ संयुक्त छड़ की लम्बाई में वृद्धि
= (∆L)पीतल + (∆L)स्टील ।
= 0.21 सेमी + 0.13 सेमी
= 0.34 सेमी
चूँकि छड़ों के सिरों को प्रसार के लिए मुक्त रखा गया है, अत: संधि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न नहीं होगा।
प्रश्न.11. ग्लिसरीन का आयतन प्रसार गुणांक 49 x 10-5 K-1 है। ताप में 30°C की वृद्धि होने पर इसके घनत्व में क्या आंशिक परिवर्तन होगा?
प्रश्न.12. 8.0 kg द्रव्यमान के किसी ऐलुमिनियम के छोटे ब्लॉक में छिद्र करने के लिए किसी 10 kw की बरमी का उपयोग किया गया है। 2.5 मिनट में ब्लॉक के ताप में कितनी वृद्धि हो जाएगी? यह मानिए कि 50% शक्ति तो स्वयं बरमी को गर्म करने में खर्च हो जाती है अथवा परिवेश में लुप्त हो जाती है। ऐलुमिनियम की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.91 J g-1K-1 है।
बरमी की शक्ति P = 10 किलोवाट = 104 वाट = 104 जूल/सेकण्ड
समय t = 2.5 मिनट = 2.5 x 60 सेकण्ड = 150 सेकण्ड
∴ बरमी द्वारा प्रयुक्त ऊर्जा w = P x T = (104 जूल/सेकण्ड) x 150 सेकण्ड
= 1.5 x 106 जूल।
m = 8.0 किग्रा के ऐल्युमीनियम के छोटे ब्लॉक द्वारा बरमी की प्रयुक्त ऊर्जा से ली गयी ऊर्जा
प्रश्न.13. 2.5 kg द्रव्यमान के ताँबे के गुटके को किसी भट्टी में 500°C तक तप्त करने के पश्चात् किसी बड़े हिम-ब्लॉक पर रख दिया जाता है। गलित हो सकने वाली हिम की अधिकतम मात्रा क्या है? ताँबे की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.39 J g-1 K-1; बर्फ की संगलन ऊष्मा= 335 Jg-1.
यहाँ गुटके का द्रव्यमान m = 2.5
किग्रा गुटके की विशिष्ट ऊष्माधारिता s = 0.39 जूल-ग्राम-1-K-1
= 0.39 x 103 जूल-किग्रा-1°C-1
गुटके का प्रारम्भिक ताप T1 = 500°C,
अन्तिम ताप T2 = बर्फ का ताप = 0°C
∴ गुटके के ताप में कमी ∆T = (T1 – T2) = 500°C
माना गलित होने वाले बड़े हिम ब्लॉक की मात्रा = mबर्फ
बर्फ के संगलन की ऊष्मा L = 335 जूल-ग्राम-1 = 335 x 103 जूल-किग्रा-1
ऊष्मामिति के सिद्धान्त से,
गुटके द्वारा दी गयी ऊष्मा = बर्फ द्वारा गलने में ली गयी ऊष्मा
प्रश्न.14. किसी धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के प्रयोग में 0.20 kg के धातु के गुटके को 150°C पर तप्त करके, किसी ताँबे के ऊष्मामापी (जल तुल्यांक = 0.025 kg) जिसमें 27°C का 150 cm3 जल भरा है, में गिराया जाता है। अन्तिम ताप 40°c है। धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता परिकलित कीजिए। यदि परिवेश में क्षय ऊष्मा उपेक्षणीय न मानकर परिकलन किया जाता है, तब क्या आपका उत्तर धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के वास्तविक मान से अधिक मान दर्शाएगा अथवा कम?
धातु के गुटके का द्रव्यमान m = 0.20 किग्री
माना इसकी विशिष्ट ऊष्मा = s
जल तथा ऊष्मामापी की ताप T2 = 27°C
मिश्रण को प्रारम्भिक ताप T1 = 150°C
मिश्रण का अन्तिम ताप T = 40°C
ऊष्मामापी का तुल्यांक W = Ms = 0.025 किग्रा ।
जल का आयतन = 150 सेमी3 = 150 x 10-6 मी3
जल का घनत्व = 103 किग्रा/मी3
∴ जले का द्रव्यमान M = आयतन x घनत्व
= 150 x 10-6 मी3 x 103 किग्रा/मी3 = 0.150 किग्रा
धातु के गुटके द्वारा दी गयी ऊष्मा = m x s x (T1 – T)= 0.20 x s x (150-40) = 0.20 x 110 x s
(ऊष्मामापी + जल) द्वारा ली गयी ऊष्मा =(mजल x Sजल + W)x (T – T2)
=(0.150 x 1+ 0.025) x (40-27)
=(0.175 x 13) किलो कैलोरी
कैलोरीमिति के सिद्धान्त से,
दी गयी ऊष्मा = ली गयी ऊष्मा
∴ 0.20 x 110 x 5 = 0.175 x 13
किलो कैलोरी/किग्रा-°C
= 0.103 किलो कैलोरी/किग्रा-K
प्रश्न.15. कुछ सामान्य गैसों के कक्ष ताप पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं के प्रेक्षण नीचे दिए गए हैं।
इन गैसों की मापी गई मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ एक परमाणुक गैसों की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं से सुस्पष्ट रूप से भिन्न हैं। प्रतीकात्मक रूप में किसी एक परमाणुक गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता 2.92 cal/mol K होती है। इस अन्तर का स्पष्टीकरण कीजिए। क्लोरीन के लिए कुछ अधिक मान (शेष की अपेक्षा) होने से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
एक परमाणुक गैसों के अणुओं में केवल स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा होती है जबकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं में स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त घूर्णी गतिज ऊर्जा भी होती है। ऐसा इसलिए सम्भव है क्योंकि द्विपरमाणुक गैसों के अणु अन्तराणविक अक्ष के लम्बवत् दो अक्षों के परितः घूर्णन भी कर सकते हैं। जब किसी गैस को ऊष्मा दी जाती है तो यह ऊष्मा अणुओं की सभी प्रकार की ऊर्जाओं में समान वृद्धियाँ करती है। अब चूँकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं की ऊर्जा के प्रकार अधिक होते हैं इसीलिए इनकी मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ भी अधिक होती हैं। क्लोरीन की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता की अधिक होना यह प्रदर्शित करता है कि इसके अणु स्थानान्तरीय तथा घूर्णी गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त कम्पनिक गतिज ऊर्जा भी रखते हैं।
प्रश्न.16. CO2 के p-T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) किस ताप व दाब पर CO2 की ठोस, द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्य में सहवर्ती हो सकती
(b) CO2 के गलनांक तथा क्वथनांक पर दाब में कमी का क्या प्रभाव पड़ता है?
(c) CO2 के लिए क्रान्तिक ताप तथा दाब क्या हैं? इनको क्या महत्त्व है?
(d) (a) – 70°C ताप व 1 atm दाब, (b) – 60°C ताप व 10 atm दाब, (c) 15°C ताप व 56 atm दाब पर CO2 ठोस, द्रव अथवा गैस में किस अवस्था में होती है?
(a) – 56.6°C ताप तथा 5.11 atm दाब पर (त्रिक बिन्दु के संगत)।
(b) दाब में कमी होने पर दोनों घटते हैं।
(c) बिन्दु ८ के संगत, क्रान्तिक ताप = 31.1°C तथा क्रान्तिक दाब = 73.0 atm इससे उच्च ताप पर CO2 द्रवित नहीं होगी, चाहे उस पर कितना भी अधिक दाब आरोपित किया जाए।
(d) (a) वाष्प अर्थात् गैसीय अवस्था में, (b) ठोस अवस्था में, (c) द्रव अवस्था में।
प्रश्न.17. CO2 के p-T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) 1 atm दाब तथा -60°C ताप पर CO2 का समतापी सम्पीडन किया जाता है? क्या यह द्रव प्रावस्था में जाएगी?
(b) क्या होता है जब 4 atm दाब पर CO2 का दाब नियत रखकर कक्ष ताप पर शीतन किया जाता है।
(c) 10 atm दाब तथा -65°C ताप पर किसी दिए गए द्रव्यमान की ठोस CO2 को दाब नियत रखकर कक्ष ताप तक तप्त करते समय होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
(d) CO2 को 70°C तक तप्त तथा समतापी सम्पीडित किया जाता है। आप प्रेक्षण के लिए इसके किन गुणों में अन्तर की अपेक्षा करते हैं?
(a) समतापी सम्पीडन का अर्थ है कि गैस को -60°C ताप पर दाब अक्ष के समान्तर ऊपर को ले जाया जाता है। इसके लिए हम -60°C ताप पर दाब अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। हम देख सकते हैं। कि यह रेखा गैसीय क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है और द्रव क्षेत्र से नहीं गुजरती। | इसका अर्थ यह है कि गैस बिना द्रवित हुए ठोस में बदल जाएगी।
(b) इस बार हम 4 atm दाब पर ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। हम देखते हैं कि यह रेखा वाष्प क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है। इसका अर्थ है गैस, द्रव अवस्था में आए बिना ही ठोस अवस्था में संघनित हो जाएगी।
(c) इस बार हम 10 atm दाब तथा -65°C ताप से प्रारम्भ करके ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। यह रेखा ठोस क्षेत्र से द्रव क्षेत्र तथा द्रव क्षेत्र से वाष्प क्षेत्र में प्रवेश करेगी।
इसका अर्थ यह है कि 10 atm दाब तथा -65°C ताप पर गैस ठोस अवस्था में होगी। गर्म किए जाने पर धीरे-धीरे यह द्रव अवस्था में आ जाएगी तथा और गर्म किए जाने पर गैसीय अवस्था में आ जाएगी। द्रव्य के तापीय गुण 309
(d)∵70°C ताप गैस के क्रान्तिक ताप से अधिक है; अत: इसे समतापी सम्पीडन द्वारा द्रवित नहीं किया जा सकता; अत: चिर स्थायी गैसों की भाँति दाब बढ़ाते जाने पर इसका आयतन कम होता जाएगा।
प्रश्न.18. 101°F ताप ज्वर से पीड़ित किसी बच्चे को एन्टीपायरिन (ज्वर कम करने की दवा) दी गई जिसके कारण उसके शरीर से पसीने के वाष्पन की दर में वृद्धि हो गई। यदि 20 मिनट में ज्वर 98°F तक गिर जाता है तो दवा द्वारा होने वाले अतिरिक्त वाष्पन की औसत दर क्या है? यह मानिए कि ऊष्मा ह्रास का एकमात्र उपाय वाष्पन ही है। बच्चे का द्रव्यमान 30 kg है। मानव शरीर की विशिष्ट ऊष्मा धारिता जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के लगभग बराबर है तथा उस ताप पर जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 580 cal g-1 है।
बच्चे का द्रव्यमान M = 30 किग्रा
उसके ताप में कमी
प्रश्न.19. थर्मोकोल का बना ‘हिम बॉक्स विशेषकर गर्मियों में कम मात्रा के पके भोजन के भण्डारण का सस्ता तथा दक्ष साधन है। 30 cm भुजा के किसी हिम बॉक्स की मोटाई 5.0 cm है। यदि इस बॉक्स में 4.0 kg हिम रखा है तो 6h के पश्चात बचे हिम की मात्रा का आकलन कीजिए। बाहरी ताप 45°C है तथा थर्मोकोल की. ऊष्मा चालकता 0.01 Js-1m-1k-1 है। (हिम की संगलन ऊष्मा = 335 x 103Jkg-1)
हिम बॉक्स की भुजा a = 30 cm = 0.3 m, बॉक्स की मोटाई l = 5.0 cm = 0.05 m
बाहरी ताप T1 = 45°C, अन्दर (बर्फ) का ताप T2 = 0°C
समय t = 6h = 6 x 60 x 60 s , बर्फ का द्रव्यमान = 4.0 kg
बक्से के बाहर का ताप = Q1 = 45°C
बक्से के भीतर का ताप = Q2 = 0°C
∆θ = θ1 – θ2 = 45 – 0 = 45°C
संगलन की ऊष्मा, L = 335 × 103 Jkg-1
थर्माकोल की ऊष्मीय चालकता गुणांक
= K = 0.01 Js-1m-10K-1
माना बर्फ का m kg द्रव्यमान गलता है
अतः 0°C पर गलन के लिए आवश्यक ऊष्मा,
प्रश्न.20. किसी पीतल के बॉयलर की पेंदी का क्षेत्रफल 0.15 m2 तथा मोटाई 1.0 cm है। किसी गैस स्टोव पर रखने पर इसमें 6.0 kg/min की दर से जल उबलता है। बॉयलर के सम्पर्क की ज्वाला के भाग का ताप आकलित कीजिए। पीतल की ऊष्मा चालकता = 109 Js-1m-1K-1; जल की वाष्पन ऊष्मा = 2256 x 103 Jkg-1 है।
पेंदी का क्षेत्रफल A = 0.15 m2, मोटाई l = 1.0 cm = 0.01 m,
पीतल की ऊष्मा चालकता K = 109 Js-1m-1K-1,
जल की वाष्पन ऊष्मा L = 2256 x 103 J kg-1,जल उबलने की दर = 6.0 kg/min
मानी ज्वाला का ताप T1 है जबकि बॉयलर का आन्तरिक ताप T2 = 100°C
t = 1 min या 60 s में बॉयलर के भीतर प्रविष्ट होने वाली ऊष्मा
प्रश्न 21. स्पष्ट कीजिए कि क्यों
(a) अधिक परावर्तकता वाले पिण्ड अल्प उत्सर्जक होते हैं।
(b) कंपकंपी वाले दिन लकड़ी की ट्रे की अपेक्षा पीतल का गिलास कहीं अधिक शीतल प्रतीत होता है।
(c) कोई प्रकाशिक उत्तापमापी (उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है, खुले में रखे किसी लाल तप्त लोहे के टुकड़े का ताप काफी कम मापता है, परन्तु जब उसी लोहे के टुकड़े को भट्टी में रखते हैं। तो वह ताप का सही मान मापता है?
(d) बिना वातावरण के पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।
(e) भाप के परिचालन पर आधारित तापन निकाय तप्त जल के परिचालन पर आधारित निकायों की अपेक्षा भवनों को उष्ण बनाने में अधिक दक्ष होते हैं।
(a) हम जानते हैं कि उच्च परावर्तकता वाले पिण्ड अपने ऊपर गिरने वाले अधिकांश विकिरण को परावर्तित कर देते हैं अर्थात् वे अल्प अवशोषक होते हैं, इसीलिए वे अल्प उत्सर्जक भी होते हैं। (b) लकड़ी की ट्रे ऊष्मा की कुचालक होती है जबकि पीतल का गिलास ऊष्मा का सुचालक है। यद्यपि कंपकंपी वाले दिन दोनों ही समान ताप पर होंगे, परन्तु हाथ से छूने पर गिलास हमारे हाथ से तेजी व्य के तापीय गुण 311 से ऊष्मा लेता है जबकि लकड़ी की ट्रे बहुत कम ऊष्मा लेती है। यही कारण है कि पीतल का गिलास लकड़ी की ट्रे की तुलना में अधिक ठण्डा लगता है। | (c) इसका कारण यह है कि खुले में रखे तप्त लोहे का गोला तेजी से ऊष्मा खोता है और ऊष्मा धारिता कम होने के कारण तेजी से ठण्डा होता जाता है, इससे उत्तापमापी को पर्याप्त विकिरण ऊर्जा लगातार नहीं मिल पाती। इसके विपरीत भट्ठी में रखने पर गोले का ताप स्थिर बना रहता है और वह नियत दर से विकिरण उत्सर्जित करता रहता है।
(d) हम जानते हैं कि वायु ऊष्मा की कुचालक होती है, यही कारण है कि पृथ्वी के चारों ओर का वायुमण्डल एक कम्बल की भाँति कार्य करता है और पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरणों को वापस पृथ्वी की ओर परावर्तित कर देता है। वायुमण्डल की अनुपस्थिति में पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरण सीधे सुदूर अन्तरिक्ष में चले जाते तथा पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाती।
(e) हम जानते हैं कि 1g जलवाष्प, 100°C के 1g जल की तुलना में 540 cal अतिरिक्त ऊष्मा रखती है। इससे स्पष्ट है कि जलवाष्प आधारित तापन निकाय, तप्त जल आधारित तापन निकाय से अधिक दक्ष हैं।
प्रश्न.22. किसी पिण्ड का ताप 5 min में 80°C से 50°C हो जाता है। यदि परिवेश का ताप 20°c है। तो उस समय को परिकलन कीजिए जिसमें उसका ताप 60°C से 30°C हो जाएगा।
80°C तथा 50°C का माध्य 65°C है इसका परिवेश ताप से अन्तर (65 - 20) = 45°C है।
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