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दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. नीचे दिए गए उदाहरणों में कौन आवर्ती गति को निरूपित करता है?
(i) किसी तैराक द्वारा नदी के एक तट से दूसरे तट तक जाना और अपनी एक वापसी यात्रा पूरी करना।
(ii) किसी स्वतन्त्रतापूर्वक लटकाए गए दण्ड चुम्बक को उसकी N-S दिशा से विस्थापित कर छोड़ देना।
(iii) अपने द्रव्यमान केन्द्र के परितः घूर्णी गति करता कोई हाइड्रोजन अणु।
(iv) किसी कमान से छोड़ा गया तीर।

(i) यह आवश्यक नहीं है कि तैराक को प्रत्येक बार वापस लौटने में समान समय ही लगे; अत: यह गति आवर्ती गति नहीं है।
(ii) दण्ड चुम्बक को विस्थापित करके छोड़ने पर उसकी गति आवर्ती गति होगी।
(iii) यह एक आवर्ती गति है।
(iv) तीर छूटने के बाद कभी-भी वांपस प्रारम्भिक स्थिति में नहीं लौटता; अत: यह आवर्ती गति नहीं है।


प्रश्न.2. नीचे दिए गए उदाहरणों में कौन (लगभग) सरल आवर्त गति को तथा कौन आवर्ती परन्तु सरल आवर्त गति निरूपित नहीं करते हैं?
(i) पृथ्वी की अपने अक्ष के परितः घूर्णन गति।।
(ii) किसी U-नली में दोलायमान पारे के स्तम्भ की गति।
(iii) किसी चिकने वक्रीय कटोरे के भीतर एक बॉल बेयरिंग की गति जब उसे निम्नतम बिन्द से कुछ ऊपर के बिन्दु से मुक्त रूप से छोड़ा जाए।
(iv) किसी बहुपरमाणुक अणु की अपनी साम्यावस्था की स्थिति के परितः व्यापक कम्पन।

(i) आवर्ती गति परन्तु सरल आवर्त गति नहीं।
(ii) सरल आवर्त गति।
(iii) सरल आवर्त गति।
(iv) आवर्ती गति परन्तु सरल आवर्तः गति नहीं।


प्रश्न.3. चित्र-14.24 में किसी कण की रैखिक गति के लिए चार x - t आरेख दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा आरेख आवर्ती गति का निरूपण करता है? उस गति का आवर्तकाल क्या है? (आवर्ती गति वाली गति का)।

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(a) ग्राफ से स्पष्ट है कि कण कभी भी अपनी गति की पुनरावृत्ति नहीं करता है; अत: यह गति, आवर्ती गति नहीं है।
(b) ग्राफ से ज्ञात है कि कण प्रत्येक 2 s के बाद अपनी गति की पुनरावृत्ति करता है; अतः यह गति एक आवर्ती गति है जिसका आवर्तकाल 2 s है।
(c) यद्यपि कण प्रत्येक 3 s के बाद अपनी प्रारम्भिक स्थिति में लौट रहा है परन्तु दो क्रमागत प्रारम्भिक स्थितियों के बीच कण अपनी गति की पुनरावृत्ति नहीं करता; अत: यह गति आवर्त गति नहीं है।
(d) कण प्रत्येक 2 s के बाद अपनी गति को दोहराता है; अत: यह गति एक आवर्ती गति है जिसका आवर्तकाले 2 s है।


प्रश्न.4. नीचे दिए गए समय के फलनों में कौन (a) सरल आवर्त गति (b) आवर्ती परन्तु सरल आवर्त गति नहीं, तथा (e) अनावर्ती गति का निरूपण करते हैं। प्रत्येक आवर्ती गति का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए: (ω कोई धनात्मक अचर है)

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(a) दिया गया फलन x = sin ωt – cos ωt

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(e) तथा (f) में दिए गए दोनों फलन न तो आवर्त गति निरूपित करते हैं और न ही सरल आवर्त गति निरूपित करते हैं।


प्रश्न.5. कोई कण एक-दूसरे से 10 cm दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं A तथा B के बीच रैखिक सरल आवर्त गति कर रहा है। A से B की ओर की दिशा को धनात्मक दिशा मानकर वेग, त्वरण तथा कण पर लगे बल के चिह्न ज्ञात कीजिए जबकि यह कण
(a) A सिरे पर है,
(b) B सिरे पर है।
(c) A की ओर जाते हुए AB के मध्य बिन्दु पर है,
(d) A की ओर जाते हुए 8 से 2 cm दूर है,
(e) B की ओर जाते हुए से 3 cm दूर है, तथा
(f) A की ओर जाते हुए 8 से 4 cm दूर है।

स्पष्ट है कि बिन्दु A तथा बिन्दु B अधिकतम विस्थापन की स्थितियाँ हैं तथा इनका मध्य बिन्दु O (मोना), सरल आवर्त गति का केन्द्र है।

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(a) ∴ बिन्दु A पर कण का वेग शून्य होगा।

कण के त्वरण की दिशा बिन्दु A से साम्यावस्था O की ओर होगी; अतः त्वरण धनात्मक होगा।

कण पर बल, त्वरण की ही दिशा में होगा; अत: बल धनात्मक होगा।

(b) बिन्दु B पर भी कण का वेग शून्य होगा।

कण का त्वरण B से साम्यावस्था O की ओर दिष्ट होगा; अतः त्वरण ऋणात्मक होगा।

बल भी ऋणात्मक होगा।

(c) AB का मध्य बिन्दु 0 सरल आवर्त गति का केन्द्र है।

∴ कण B से A की ओर चलते हुए 0 से गुजरता है; अत: वेग BA के अनुदिश है, अर्थात् वेग ऋणात्मक है।

बिन्दु ०पर त्वरण तथा बल दोनों शून्य हैं।

(d) B से 2 cm दूरी पर कण B तथा 0 के बीच होगा।

∴ कण B से A की ओर जा रहा है; अतः वेग ऋणात्मक होगा।

यहाँ त्वरण भी B से O की ओर दिष्ट है; अतः त्वरण भी ऋणात्मक है।

‘बले भी ऋणात्मक है।

(e) ∴ कण-B की ओर जा रहा है; अतः वेग धनात्मक है।

∴ कण A व O के बीच है; अत: त्वरण A से O की ओर दिष्ट है; अत: त्वरण भी धनात्मक है।

बल भी धनात्मक है।

(f) ∴ कण A की ओर जा रहा है; अत: वेग ऋणात्मक है।

कण B तथा O के बीच है तथा त्वरण B से O की ओर (अर्थात् B से A की ओर दिष्ट है; अतः त्वरण ऋणात्मक है।

बल भी ऋणात्मक है।


प्रश्न.6. नीचे दिए गए किसी कण के त्वरण तथा विस्थापन के बीच सम्बन्धों में से किससे सरल आवर्त गति सम्बद्ध है:
(a) a = 0.7 x
(b) a = -200x2
(c) a = -10
(d) a = 100x
3

उपर्युक्त में से केवल सम्बन्ध (c) में a = -10x अर्थात् त्वरण विस्थापन के अनुक्रमानुपाती है तथा विस्थापन के विपरीत दिशा में है; अत: केवल यही सम्बन्ध सरल आवर्त गति को निरूपित करता है।


प्रश्न.7. सरल आवर्त गति करते किसी कण की गति का वर्णन नीचे दिए गए विस्थापन फलन द्वारा किया जाता है।  x(t) = A cos (ωt + φ) यदि कण की आरम्भिक (t = 0) स्थिति 1 cm तथा उसका आरम्भिक वेग πcms-1 है। तो कण का आयाम तथा आरम्भिक कला कोण क्या है? कण की कोणीय आवृत्ति π - 1 है। यदि सरल आवर्त गति का वर्णन करने के लिए कोज्या (cos) फलन के स्थान पर हम ज्या (sin) फूलन चुनें; x = B sin (ωt + α), तो उपर्युक्त आरम्भिक प्रतिबन्धों में कण का आयाम तथा आरम्भिक कला कोण क्या होगा?

दिया है : कोणीय आवृत्ति ω = r rad s-1, t = 0 पर x = 1 cm
तथा प्रारम्भिक वेग u = πcm s-1
सरल आवर्त गति की समीकरण x = A cos (ωt + φ)
x = A cos (πt + φ)
t = 0 तथा x = 1 रखने पर, 1 = A cos φ ..(1)

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प्रश्न.8. किसी कमानीदार तुलां का पैमानी 0 से 50 kg तक अंकित है और पैमाने की लम्बाई 20 cm है। इस तुला से लटकाया गया कोई पिण्ड, जब विस्थापित करके मुक्त किया जाता है, 0.6 s के आवर्तकाल से दोलन करता है। पिण्ड का भार कितना है?

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प्रश्न.9. 1200 Nm-1 कमानी-स्थिरांक की कोई कमानी चित्र-14.25 में दर्शाए अनुसार किसी क्षैतिज मेज से जड़ी है। कमानी के मुक्त। सिरे से 3kg द्रव्यमान का कोई पिण्ड जुड़ा है। इस पिण्ड को एक ओर 2.0 cm दूरी तक खींचकर मुक्त किया जाता है,

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(i) पिण्ड के दोलन की आवृत्ति,
(ii) पिण्ड का अधिकतम त्वरण, तथा
(iii) पिण्ड की अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए।

यहाँ बृल नियतांक k = 1200 न्यूटन-मीटर-1, m = 3 किग्रा; कमानी का अधिकतम विस्तार अर्थात् आयाम a = 2.0 सेमी = 2 x 10-2 मीटर

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प्रश्न.10. अभ्यास प्रश्न 9 में, मान लीजिए जब कमानी अतानित अवस्था में है तब पिण्ड की स्थिति x = 0 है तथा बाएँ से दाएँ की दिशा x-अक्ष की धनात्मक दिशा है। दोलन करते पिण्ड के विस्थापन x को समय के फलन के रूप में दर्शाइए, जबकि विराम घड़ी को आरम्भ (t = 0) करते समय पिण्ड,
(a) अपनी माध्य स्थिति,
(b) अधिकतम तानित स्थिति, तथा
(c) अधिकतम सम्पीडन की स्थिति पर है।
सरल आवर्त गति के लिए ये फलन एक-दूसरे से आवृत्ति में, आयाम में अथवा आरम्भिक कला में किस रूप में भिन्न है ।

उपर्युक्त प्रश्न में आयाम a = 0.20 मीटर =2 सेमी।

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प्रश्न 11. चित्र-14.26 में दिए गए दो आरेख दो वर्तुल गतियों के तद्नुरूपी हैं। प्रत्येक आरेख पर वृत्त की त्रिज्या परिक्रमण-काल, आरम्भिक स्थिति और परिक्रमण की दिशा दर्शाई गई है। प्रत्येक प्रकरण में, परिक्रमण करते कण के त्रिज्य-सदिश के x-अक्ष पर प्रक्षेप की तदनुरूपी सरल आवर्त गति ज्ञात कीजिए।
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(a) माना वृत्त पर गति करता हुआ कण किसी समय । पर P से स्थिति A में पहुँच जाता है।

माना ∠POA = θ
AB, बिन्दु A से x-अक्ष पर लम्ब है।
तब ∠ BAO = θ
आवर्तकाल T = 2s

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प्रश्न 12. नीचे दी गई प्रत्येक सरल आवर्त गति के लिए तदनुरूपी निर्देश वृत्त का आरेख खींचिएं। घूर्णी कण की आरम्भिक (t = 0) स्थिति, वृत्त की त्रिज्या तथा कोणीय चाल दर्शाइए। सुगमता के लिए प्रत्येक प्रकरण में परिक्रमण की दिशा वामावर्त लीजिए। (x को cm में तथा t को s में लीजिए।)।

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(a) दिया है : सरल आवर्त गति का समीकरण दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

यह गति समय का ज्या (sine) फलन है;

अतः कोणीय विस्थापन, y-अक्ष से नापा जाएगा।

दिए गए समीकरण में t = 0 रखने पर,

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प्रश्न.13. चित्र-14.27(a) में k बल-स्थिरांक की किसी कमानी के । एक सिरे को किसी दृढे आधार से जकड़ा तथा दूसरे मुक्त। सिरे से एक द्रव्यमान m जुड़ा दर्शाया गया है। कमानी के मुक्त सिरे पर बल F आरोपित करने से कमानी तन जाती है चित्र-14.7 (b) में उसी कमानी के दोनों मुक्त सिरों से द्रव्यमान जुड़ा दर्शाया गया है। कमानी के दोनों सिरों को चित्र-14.7 में समान बल F द्वारा तानित किया गया है।
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(i) माना कमानी का अधिकतम विस्तार xmax है, तब
चित्र (a)
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(b) में-चूँकि इस बार कमानी किसी स्थिर वस्तु से सम्बद्ध नहीं है; अतः दूसरे पिण्ड पर लगे बल का कार्य केवल कमानी को स्थिर रखना है।
अतः विस्तार अभी भी केवल एक ही बल के कारण होगा।
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(ii) चित्र (a) में माना कि पिण्ड को खींचकर छोड़ने पर, वापसी की गति करता पिण्ड किसी क्षण साम्यावस्था से x दूरी पर है तब कमानी में प्रत्यानयन बल F = -kx होगा।
यदि पिण्ड का त्वरण ‘a है तो F = ma
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चित्र (b) में-इस दशा में, निकाय का द्रव्यमान केन्द्र अर्थात् कमानी का मध्य बिन्दु स्थिर रहेगा और दोनों पिण्ड दोलन करेंगे।
इस अवस्था में हम मान सकते हैं कि प्रत्येक पिण्ड मूल कमानी की आधी लम्बाई से जुड़ा है तथा ऐसे प्रत्येक भाग का कमानी स्थिरांक 2k होगा। यदि किसी क्षण, कोई पिण्ड साम्यावस्था से x दूरी पर है तो कमानी के संगत भाग में प्रत्यानयन बल F = -2kx होगा। यदि पिण्ड का त्वरण a है तो
ma = F => ma = -2kx या ।
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प्रश्न.14. किसी रेलगाड़ी के इंजन के सिलिण्डर हैड में पिस्टन का स्ट्रोक (आयाम को दोगुना) 1.0 m का है। यदि पिस्टन 200 rad/min की कोणीय आवृत्ति से सरल आवर्त गति करता है तो उसकी अधिकतम चाल कितनी है?

पिस्टन का आयाम a = स्ट्रोक/2 = 1.0 मी/2 = 0.5 मीटर तथा
इसकी कोणीय आवृत्ति ω = 200 रेडियन/मिनट = (200/60) रे/से = 10/3 रे/से
पिस्टन की अधिकतम चाल umax = aω = 20 = 0.5 मीटर x (10/3) रे/से
=1.67 मी-से-1


प्रश्न.15. चन्द्रमा के पृष्ठ पर गुरुत्वीय त्वरण  1.7 ms-2 है। यदि किसी सरल लोलक का पृथ्वी के पृष्ठ पर आवर्तकाल 3.5 s है तो उसका चन्द्रमा के पृष्ठ पर आवर्तकाल कितना होगा? (पृथ्वी के पृष्ठ पर g = 9.8 ms-2)

सरल लोलक का आवर्तकालदोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSCलो लक विशेष के लिए नियत; अत: T ∝1/√g इसलिए यदि पृथ्वी एवं चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण क्रमशः ge व gm एवं आवर्तकाल क्रमश: Te व Tm हो
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प्रश्न.16. नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) किसी कण की सरल आवर्त गति के आवर्तकाल का मान उस कण के द्रव्यमान तथा बल-स्थिरांक पर निर्भर करता है: दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC । कोई सरल लोलक सन्निकट सरल आवर्त गति करता है। तब फिर किसी लोलक का आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर क्यों नहीं करता?
(b) किसी सरल लोलक की गति छोटे कोण के सभी दोलनों के लिए सन्निकट सरल आवर्त गति होती है। बड़े कोणों के दोलनों के लिए एक अधिक गूढ विश्लेषण यह दर्शाता है कि का मान दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC से अधिक होता है।  इस परिणाम को समझने के लिए किसी गुणात्मक कारण का चिन्तन कीजिए।
(c) कोई व्यक्ति कलाई घड़ी बाँधे किसी मीनार की चोटी से गिरता है। क्या मुक्त रूप से गिरते समय उसकी घड़ी यथार्थ समय बताती है?
(d) गुरुत्व बल के अन्तर्गत मुक्त रूप से गिरते किसी केबिन में लगे सरल लोलक के दोलन की आवृत्ति क्या होती है?

(a) जब दोलन स्प्रिंग के द्वारा होते हैं तो बल नियंताक k का मान केवल स्प्रिंग पर निर्भर करता है। न कि गतिमान कण के द्रव्यमान पर। इसके विपरीत सरल लोलक के लिए बल नियतांक

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कण के द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होता है; अत: दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSCका मान नियत बना रहता है।

इसलिए आवर्तकाल m पर निर्भर नहीं करता।

(b) सरल लोलक के लिए प्रत्यानयन बल F =- mg sin θ

यदि θ छोटा है तो sin θ ≈ θ = दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC
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अर्थात् यह गति सरल आवर्त होगी तथा आवर्तकाल दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

यदि θ छोटा नहीं है तो हम sin θ ≈ θ नहीं ले सकेंगे तब गति सरल आवर्त नहीं रहेगी; अत:  आवर्तकाल दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSCसे बड़ा होगा।

(c) हाँ, क्योकि कलाई घड़ी का आवर्तकाल गुरुत्वीय त्वरण के मान में परिवर्तन से प्रभावित नहीं होता।


(d) मुक्त रूप से गिरते केबिन में गुरुत्वीय त्वरण का प्रभावी मान g’.= 0 होगा।
∴ लोलक का आवर्तकाल दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSCअनन्त  हो जाएगा तथा आवृत्ति शून्य हो जाएगी। 


प्रश्न.17. किसी कार की छत से l लम्बाई का कोई सरल लोलक, जिसके लोलक का द्रव्यमान M है, लटकाया गया है। कार R त्रिज्या की वृत्तीय पथ पर एकसमान चाल u से गतिमान है। यदि लोलक त्रिज्य दिशा में अपनी साम्यावस्था की स्थिति के इधर-उधर छोटे दोलन करता है तो इसका आवर्तकाल क्या होगा?

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कार जब मोड़ पर मुड़ती है तो उसकी गति में त्वरण, दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC(अभिकेन्द्र त्वरण) होता है। इस प्रकार कार एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र है। इसलिए गोलक पर एक छद्म बल दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSCवृत्तीय  पथ के बाहर की ओर लगेगा जिसके कारण लोलक ऊर्ध्वाधर रहने के स्थान पर थोड़ा तिरछा हो जाएगा।

इस समय गोलक पर दो बले क्रमशः भार mg तथा अपकेन्द्र बल दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSCलगेंगे।

यदि गोलक के लिए g का प्रभावी मान g’ है तो गोलक पर प्रभावी बल mg’ होगा जो कि उक्त दो बलों का परिणामी है।
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प्रश्न.18. आधार क्षेत्रफल A तथा ऊँचाई h के एक कॉर्क का बेलनाकार टुकड़ा ρ1 घनत्व के किसी द्रव में तैर रहा है। कॉर्क को थोड़ा नीचे दबाकर स्वतन्त्र छोड़ देते हैं, यह दर्शाइए कि कॉर्क ऊपर-नीचे सरल आवर्त दोलन करता है जिसका आवर्तकाल दोलन (Oscillations) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC है।
यहाँ ρ कॉर्क का घनत्व है (द्रव की श्यानता के कारण अवमन्दन को नगण्य मानिए।)

द्रव में तैरते बेलनाकार बर्तन के दोलन—माना कॉर्क के टुकड़े का द्रव्यमान m है। माना साम्यावस्था में इसकी l लम्बाई द्रव में डूबी है। (चित्र-14.9)।
तैरने के सिद्धान्त से, कॉर्क के डूबे भाग द्वारा हटाए गए द्रव का भार कॉर्क के भार के बराबर होगा,
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जब कॉर्क को द्रव में नीचे की ओर दबाकर छोड़ा जाता है तो यह ऊपर-नीचे दोलन करने लगता है। माना किसी क्षण इसका साम्यावस्था से नीचे की ओर विस्थापन y है। इस स्थिति में, इसकी y लम्बाई द्वारा विस्थापित द्रव का उत्क्षेप बेलनाकार बर्तन को प्रत्यानयन बल (F) प्रदान करेगा।
अतः F = – A y ρ1 g
यहाँ पर ऋण चिह्न यह प्रदर्शित करता है कि प्रत्यानयन बल F, कॉर्क के टुकड़े के विस्थापन के विपरीत दिशा में लग रहा है; अतः टुकड़े का त्वरण
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प्रश्न.19. पारे से भरी किसी U नली का एक सिरा किसी चूषण पम्प से जुड़ा है तथा दूसरा सिरा वायुमण्डल में खुला छोड़ दिया गया है। दोनों स्तम्भों में कुछ दाबान्तर बनाए रखा जाता है। यह दर्शाइए कि जब चूषण पम्प को हटा देते हैं, तब U नली में पारे का स्तम्भ सरल आवर्त गति करता है।

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सामान्यत: U नली में द्रव (पारा) भरने पर उसके दोनों स्तम्भों व में पारे का तल समान होगा। परन्तु चूषण पम्प द्वारा दाबान्तर बनाये रखने की स्थिति में यदि स्तम्भ में पारे का तल सामान्य स्थिति से y दूरी नीचे है । तो दूसरे स्तम्भ में यह सामान्य स्थिति से y दूरी ऊपर होगा। अत: दोनों । । स्तम्भ में पारे के तलों का अन्तर = 2y, चूषण पम्प हटा लेने पर U नली के दायें स्तम्भ में पारे पर नीचे की ओर कार्य करने वाला बल = 2y ऊँचाई के पारा स्तम्भ का भार = 2y ρga.
जहाँ a = U नली स्तम्भों की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
ρ = पारे का घनत्व; g = गुरुत्वीय त्वरण
अत: बायीं भुजा में पारा ऊपर की ओर चढ़ेगा तथा इस पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल (जिसके अन्तर्गत यह गति करेगा)
F = -2yρga, दोनों स्तम्भों में पारे के स्तम्भ की ऊँचाई समान होने की स्थिति में यदि ऊँचाई h हो तो U नली में भरे पारे के स्तम्भ की कुल लम्बाई = 2h अतः पारे का कुल द्रव्यमान m = 2h x ρ x a
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