प्रश्न.1. लोकतंत्र में सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार क्यों महत्त्वपूर्ण है?
सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार का अर्थ है: देश के सभी नागरिकों को एक निश्चित आयु प्राप्त करने के बाद, बिना किसी भेदभाव के मत देने का अधिकार देना।
लोकतंत्र में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण है:
- यह देश के वयस्क नागरिक को अपनी पसंद के उम्मीदवार को मत देने का अधिकार प्रदान करता है।
- यह संविधान में निहित समानता के सिद्धान्त पर आधारित है।
- इससे एक सच्चे व वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना होती है ।
प्रश्न.2. बॉक्स में दिए गए संविधान के अनुच्छेद 15 के अंश को पुनः पढ़िए और दो ऐसे तरीके बताइए , जिनमे यह अनुच्छेद असमानता को दूर करता है ?
बॉक्स में दिया गया संविधान का अनुच्छेद 15 निम्नलिखित तरीकों से असमानता को दूर करता है। राज्य, किसी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद नहीं करेगा।
कोई नागरिक केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर:
(क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश
या
(ख) पूर्णतः या अंशतः राज्य: निधि से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुँओं , तालाबों , स्नान घाटों , सड़कों और सार्वजनिक समागम के उपयोग के संबंध में किसी भी निर्योग्यता , दायित्व या शर्त के अधीन नहीं होगा ।
प्रश्न.3. ओमप्रकाश वाल्मीकि का अनुभव, अंसारी दंपति के अनुभव से किस प्रकार मिलता था?
ओम प्रकाश वाल्मीकि और अंसारी दंपति दोनों के साथ ही जाति को लेकर बुरा व्यवहार हुआ था। ओम प्रकाश वाल्मीकि और अंसारी दंपत्ति की गरिमा को ठेस पहुंचाई गई थी। ओम प्रकाश वाल्मीकि को उसकी छोटी जाति के कारण स्कूल में झाडू लगाना पड़ा था, जबकि अंसारी दंपति को उनके धर्म के कारण मकान देने से मना कर दिया था।
प्रश्न.4. “ कानून के सामने सब व्यक्ति बराबर है “ – इस कथन से आप क्या समझते हैं ? आपके विचार से यह लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण क्यों है?
“ कानून के सामने सब व्यक्ति बराबर हैं “ से अभिप्राय है। क़ानून सबकी सुनेगा, अगर किसी के साथ कुछ बुरा हुआ है तो सामने वाले को सज़ा मिलेगी, चाहे कोई किसी भी जाति का हो। जाति के आधार पर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। सभी व्यक्तियों को कानून का पालन करना पड़ेगा। कानून लोकतंत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि बिना कानून कोई भी देश लोकतांत्रित नहीं बन सकता है। उदहारण : कानून नहीं होगा तो कोई भी ट्रैफिक नियम का पालन नहीं करेगा, किसी का भी मन होगा वो शोरूम में जाकर मुफ्त में टीवी लेकर आ जायेगा, लोग बस, ट्रैन और मेट्रो में मुफ्त में सफर करना शुरू कर देंगे। इसलिए किसी भी देश के लिए लोकतंत्र में कानून बहुत ही महत्वपूर्ण है।
प्रश्न.5. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016, के अनुसार उनको समान अधिकार प्राप्त हैं और समाज में उनकी पूरी भागीदारी संभव बनाना सरकार का दायित्व है। सरकार को उन्हें नि :शुल्क शिक्षा देनी है और विकलांग बच्चों का स्कूलों को मुख्यधारा में सम्मिलित करना है। कानून का यह भी कहना है कि सभी सार्वजनिक स्थल, जैसे – भवन, स्कूल आदि में ढलान बनाए जाने चाहिए, जिससे वहाँ विकलांगों के लिए पहुँचना सरल हो। चित्र को देखिए और उस बच्चे के बार में सोचिए, जिसे सीढ़ियों से नीच लाया जा रहा है। क्या आपको लगता है कि इस स्थिति में उपयुक्त कानून लागू किया जा रहा है? वह भवन में आसानी से – आ – जा सके उसके लिए क्या करना आवश्यक है? उसे उठाकर सीढियों से उतारा जाना, उसके सम्मान और उसकी सुरक्षा को कैसे प्रभावित करता है?
चित्र में दिखाए गए बच्चें को, जिसे सीढ़ियों से नीचे लाया जा रहा है उस पर विकलांगता कानून लागू नहीं किया जा सकता। स्कूल, अस्पताल जैसे सार्वजनिक स्थलों पर ढलानों की व्यवस्था की जानी चाहिए, ताकि विकलांगों के लिए चढ़ना – उतरना आसान हो जाए। जिस प्रकार यह विकलांग बच्चा दूसरे लोगों के द्वारा लाया जा रहा है उससे उसकी गरिमा को चोट पहुँच रही होगी। उसे बुरा लग रहा होगा। उसके मन में अवश्य ही हीन भावना पैदा हो रही होगी। वह यह भी सोच रहा होगा कि वह और बच्चों की तरह चल नहीं सकता, भाग नहीं सकता।
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