प्रश्न.1. आपको ऐसा क्यों लगता है कि दुनिया में निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम है ?
पानी जीवन तथा स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। जन सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। जलापूर्ति करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार जलापूर्ति के लिए कुछ धन प्राप्त करती है। परंतु सरकार द्वारा लिया जाने वाला शुल्क निजी कंपनियों के मुकाबले बहुत कम है। विश्व में जहां जलापूर्ति का कार्य निजी कंपनियां को दिया गया, वहां पर इसकी कीमतों में अचानक बहुत वृद्धि हुई। जिसको देना कई लोगों की क्षमता से बाहर हो गया। बोलीविया में इसके कारण दंगे तथा विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके कारण सरकार ने जलापूर्ति की जिम्मेदारी निज कंपनी से लेकर स्वयं ले ली।
प्रश्न.2. क्या आपको लगता है कि चेन्नई में सबको पानी को सुविधा उपलब्ध है और वे पानी का खर्च उठा सकते हैं ? चर्चा करें।
चेन्नई में पानी की बहुत कमी है, सभी लोगों को पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं होता। जो अफसर चेन्नई के अन्ना नगर में रहते है उन जैसे क्षेत्रों में पानी की कमी नहीं है। परंतु अधिकांश क्षेत्रों में पानी की कमी है। मैलापुर क्षेत्र में नगरपालिका दो दिन में एक बार पानी उपलब्ध कराती है। बहुत से लोग अपने कार्यों को पूरा करने लिए टैंकरों से पानी खरीदते हैं, जिसके लिए उन्हें महीने में 500-600 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। मडीपाक्कम में तो चार दिन में एक बार पानी मिलता है। यहां के लोग पानी की बोतलें खरीद कर अपना गुजारा चलाते हैं। परंतु लोग ये बोतलें भी नहीं खरीद पाते, गर्मियों में तो पानी इतना कम हो जाता है कि कई परिवारों को पानी मिल ही नहीं पाता, उन्हें पानी के टैंकरों का कई घंटे इंतजार करना पड़ता है।
प्रश्न.3. किसानों द्वारा चेन्नई के जल व्यापारियों को पानी बेचने से स्थानीय लोगों पर क्या असर पड़ रहा है ? क्या आपको लगता है कि स्थानीय लोग भूमिगत पानी के इस दोहन का विरोध कर सकते हैं ? क्या सरकार इस बारे में कुछ कर सकती है ?
चेन्नई में पानी की समस्या बहुत अधिक है। नगरपालिका सभी लोगों को पानी उपलब्ध नहीं करा पाती। जिसके कारण यह ज़िम्मेदारी निजी कंपनियों ने अपने हाथों में ले ली थी। ये कंपनियां समीप के गाँवों से पानी खरीदकर शहरों में बेचती हैं। कंपनियां किसानों को पैसे देकर उनकी ज़मीन से पानी निकालती है। जिसकी वजह से कुछ मामले में पानी की कीमत में भारी इज़ाफ़ा हुआ। इस कारण बहुत सारे लोगों के लिए पानी का खर्चा उठाना संभव नहीं हो पाया। इसलिए लोगों ने विरोध किए, विशाल प्रदर्शन हुए। बोलीविया आदि देशों में तो दंगे भी फैल गए जिसके दबाव में सरकार को जलापूर्ति व्यवस्था निजी कंपनियों के हाथों से छीनकर दोबारा अपने हाथों मैं लेनी पड़ी।
प्रश्न.4. ऐसा क्यों है कि ज्यादातर निजी अस्पताल और निजी स्कूल कस्बों या ग्रामीण इलाकों की बजाय बड़े शहरों में ही हैं ?
हमारी सरकार का यह कर्तव्य होता है कि वह लोगों को शिक्षा देना तथा उनके स्वास्थ्य की देखभाल पड़ता अपना परम कर्तव्य समझे। सरकार से पहले निजी कम्पनियां ये सब सुविधाएं बड़े शहरों में उपलब्ध करा रही है। ग्रामीण की अपेक्षा बड़े – बड़े शहरों में बड़े – बड़े स्कूल एवं अस्पताल खुल रहे हैं। स्कूल दिल्ली, बंबई, कोलकाता, चेन्नई, चंडीगढ़, गुड़गांव तथा हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में खुल रहे हैं। बड़े स्कूल तथा अस्पताल बड़े शहरों इसलिए खुलते हैं। क्योंकि इन शहरों में बड़े समृद्ध एवं अमीर लोग रहते हैं जो अधिक पैसा खर्च करने में सक्षम हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग ग़रीब होते हैं। जो अधिक पैसा खर्च नहीं कर पाते तथा वे लोग अस्पताल तथा स्कूल की फीस अदा नहीं कर सकते। यही कारण है कि ज़्यादातर निजी अस्पताल और निजी स्कूल कस्बों या ग्रामीण इलाकों की बजाय बड़े शहरों में ही है।
प्रश्न.5. क्या आपको लगता है कि हमारे देश में जनसुविधाओं का वितरण पर्याप्त और निष्पक्ष है ? अपनी बात के समर्थन में एक उदाहरण दें।
सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्य होता है कि सबसे पहले उन्हें यह देखना चाहिए कि उनके द्वारा दी गई जनसुविधा क्या लोगों तक सार्थक रूप में पहुंची हुई है, अगर नहीं तो ये जनसुविधाएं लोगों को उपलब्ध कराए। लेकिन इस मोर्चे पर संतोषजनक प्रगति नहीं हुई है। हमें आपूर्ति में कमी और वितरण में भारी असमानता दिखाई देती है। महानगरों और बड़े शहरों के मुकाबले कस्बों और गांवो में तो इन सुविधाओं की स्थिति और भी खराब है। संपन्न बस्तियों के मुकाबले गरीब बस्तियों में सेवाओं की स्थिति कमज़ोर है। कही बिजली की कमी है तो कही पानी की बूंदो के लिए भी लोग तरस जाते है। कही लोग पानी को व्यर्थ बहाते है। सड़के अच्छी न होने के कारण दुर्घटनाएं होती है। इसलिए किसी भी समाधान में इस महत्वपूर्ण तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि देश के प्रत्येक नागरिक को इन सुविधाओं को पाने का अधिकार है और उसे ये सुविधाएं समतापरक ढंग से मिलनी चाहिए।
प्रश्न.6. अपने इलाके की पानी, बिजली आदि कुछ जनसुविधाओं को देखें। क्या उनमें सुधार की कोई गुंजाइश है ? आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए ? इस तालिका को भरें ।
प्रश्न.7. क्या आपके इलाके के सभी लोग उपरोक्त जनसुविधाओं का समान रूप से इस्तेमाल करते हैं ? विस्तार से बताएँ ।
हां, निष्पक्ष रूप से हमारे इलाके में सभी जनसुविधाओं का सामान रूप से इस्तेमाल करते है तथा कही कोई भी किसी चीज की आपूर्ति कम लगे तो इलाके के नगर निगम के अधिकारी को सूचित किया जाता है।
प्रश्न.8. जनगणना के साथ–साथ कुछ जनसुविधाओं के बारे में भी आँकड़े इकट्ठा किए जाते हैं। अपने शिक्षक के साथ चर्चा करें कि जनगणना का काम कब और किस तरह किया जाता है।
जनगणना का कार्य सरकारी कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। जनगणना प्रत्येक 10 वर्ष पश्चात की जाती है। यह कार्यवाही प्रत्येक व्यक्ति के घर-घर जाकर की जाती है। जिसमें यह पता किया जाता है कि घर में कुल कितने सदस्य है, उस जगह की जनसंख्या कितनी हुई। महिलाओं, पुरुषों, बच्चों की संख्या का क्या अनुपात है तथा जिस भी प्रकार की सुविधाएं सरकार द्वारा दी जाती है उसकी लोगों तक कितनी पहुँच है। 2011 की जनगणना के अनुसार कुछ जनसुविधाओं से सम्बन्धित आंकड़े भी इकट्ठे किए गए। जिसमें पता लगा कि भारत की जनसंख्या 121 करोड़ है। लगभग 68% लोगों तक पानी पहुँचता है और 36% लोगों को ही सफाई की सुविधा प्राप्त है।
प्रश्न.9. हमारे देश में निजी शैक्षणिक संस्थान – स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण – बड़े पैमाने पर खुलते जा रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी शिक्षा संस्थानों का महत्व कम होता जा रहा है। आपकी राय में इसका क्या असर हो सकता है ? चर्चा कीजिए।
हमारे देश में निजी शैक्षणिक संस्थान खुलते जा रहे हैं, जबकि सरकारी शिक्षा संस्थानों का महत्त्व कम होता जा रहा है। आने वाले समय में इसका असर यह होगा कि शिक्षा बहुत अधिक महंगी हो जाएगी क्योंकि ज्यादातर बच्चें निजी शैक्षणिक संस्थान की ओर ही बढ़ रहें है, जिसके कारण गरीब लोग इससे वंचित हो जाएगे। वे पहले से ही बच्चों को मुश्किल से पढ़ा पाते है। शिक्षा से वंचित होने के कारण समाज में सामाजिक, आर्थिक अंतर बढ़ता जायेगा जो समाज में टकराव का कारण बनेगा ।
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