प्रश्न.1. स्वतन्त्रता से क्या आशय है? क्या व्यक्ति के लिए स्वतन्त्रता और राष्ट्र के लिए स्वतन्त्रता में कोई सम्बन्ध है?
व्यक्ति पर बाहरी प्रतिबन्धों का अभाव ही स्वतन्त्रता है। बाहरी प्रतिबन्धों का अभाव और ऐसी स्थितियों का होना जिसमें लोग अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें, स्वतन्त्रता के ये दोनों ही पहलू महत्त्वपूर्ण हैं। एक स्वतन्त्र समाज वह होगा, जो अपने सदस्यों को न्यूनतम सामाजिक अवरोधों के साथ अपनी सम्भावनाओं के विकास में समर्थ बनाएगा।
राष्ट्र की स्वतन्त्रता और व्यक्ति की स्वतन्त्रता में घनिष्ठ सम्बन्ध है। यदि राष्ट्र स्वतन्त्र नहीं होगा तो व्यक्ति की स्वतन्त्रता का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। स्वतन्त्र राष्ट्र में ही व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास और उत्तरदायित्वों का निर्वाह भली-भाँति कर सकता है।
प्रश्न.2. स्वतन्त्रता की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा में क्या अन्तर है?
सकारात्मक स्वतन्त्रता के पक्षधरों का मानना है कि व्यक्ति केवल समाज में ही स्वतन्त्र हो सकता है, समाज से बाहर नहीं और इसीलिए वह इस समाज को ऐसा बनाने का प्रयास करते हैं, जो व्यक्ति के विकास का मार्ग प्रशस्त करे। दूसरी ओर नकारात्मक स्वतन्त्रता का सम्बन्ध अहस्तक्षेप के अनुलंघनीय क्षेत्र से है, इस क्षेत्र से बाहर समाज की स्थितियों से नहीं। नकारात्मक स्वतन्त्रता अहस्तक्षेप के इस छोटे क्षेत्र का अधिकतम विस्तार करना चाहेगी। साधारणतया दोनों प्रकार की स्वतन्त्रताएँ साथ-साथ चलती हैं और एक-दूसरे का समर्थन करती हैं।
प्रश्न.3. सामाजिक प्रतिबन्धों से क्या आशय है? क्या किसी भी प्रकार के प्रतिबन्ध स्वतन्त्रता के लिए आवश्यक हैं?
सामाजिक प्रतिबन्धों से आशय है; वे प्रतिबन्ध जिनसे समाज की व्यवस्था भंग न हो और समाज निरन्तर गतिशील रहे। स्वतन्त्रता मानव समाज के केन्द्र में है और गरिमापूर्ण मानव-जीवन के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसलिए स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध विशेष परिस्थितियों में ही लगाए जा सकते हैं। प्रतिबन्ध स्वतन्त्रता के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। बिना प्रतिबन्धों के स्वतन्त्रता उद्दण्डता में बदल जाएगी।
प्रश्न.4. नागरिकों की स्वतन्त्रता को बनाए रखने में राज्य की क्या भूमिका है?
नागरिकों की स्वतन्त्रता बनाए रखने में राज्य की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं में स्पष्ट किया जा सकता है-
- यदि नागरिकों की स्वतन्त्रता की रक्षा करनी है तो राज्य द्वारा नागरिकों के कार्यों पर नियन्त्रण किया जाना चाहिए। राज्य का कर्तव्य है कि वह व्यक्ति को ऐसे कार्यों को करने से रोक दे जो दूसरों के हितों का उल्लघंन करते हैं।
- राज्य न्यायालयों के माध्यम से व्यक्ति की स्वतन्त्रता की रक्षा करते हैं।
- राज्य में लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली की स्थापना से नागरिकों को अनेक स्वतन्त्रताएँ प्राप्त हो जाती हैं।
- राज्य व्यक्तियों को विभिन्न अधिकार प्रदान कर उनकी स्वतन्त्रता को बढ़ावा देता है।
प्रश्न.5. अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का क्या अर्थ है? आपकी राय में इस स्वतन्त्रता पर समुचित प्रतिबन्ध क्या होंगे? उदाहरण सहित बताइए।
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता से आशय यह है कि प्रत्येक नागरिक को विचाराभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है, परन्तु शर्त यह है कि अभिव्यक्ति समाज में अव्यवस्था उत्पन्न न करे। अपने विचार पत्र-पत्रिकाओं, समाचार पत्रों में प्रकाशित करने और करवाने की दृष्टि से लेखक और प्रकाशक दोनों स्वतन्त्र हैं, लेकिन ये विचार अश्लील और विघटनकारी नहीं होने चाहिए।
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