UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia)

समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

प्रश्नावली

प्रश्न.1. देशों की पहचान करें-
(क) राजतंत्र, लोकतंत्र-समर्थक समूहों और अतिवादियों के बीच संघर्ष के कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना।
(ख) चारों तरफ भूमि से घिरा देश।
(ग) दक्षिण एशिया का वह देश जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।
(घ) सेना और लोकतंत्र-समर्थक समूहों के बीच संघर्ष में सेना ने लोकतंत्र के ऊपर बाजी मारी।
(ङ) दक्षिण एशिया के केंद्र में अवस्थित। इस देश की सीमाएँ दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों से मिलती हैं।
(च) पहले इस द्वीप में शासन की बागडोर सुल्तान के हाथ में थी। अब यह एक गणतंत्र है।
(छ) ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बचत और सहकारी ऋण की व्यवस्था के कारण इस देश को गरीबी कम करने में मदद मिली है।
(ज) एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतंत्र है। यह देश भी हर तरफ से भूमि से घिरा है।

(क) नेपाल
(ख) नेपाल
(ग) श्रीलंका
(घ) पाकिस्तान
(ङ) भारत
(च) मालदीव
(छ) बांग्लादेश  
(ज) भूटाना


प्रश्न.2. दक्षिण एशिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।
(ख) बांग्लादेश और भारत ने नदी-जल की हिस्सेदारी के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
(ग) 'साफ्टा' पर हस्ताक्षर इस्लामाबाद के 12वें सार्क सम्मेलन में हुए।
(घ) दक्षिण एशिया की राजनीति में चीन और संयुक्त राज्य अमरीका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सही उत्तर (क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है। 


प्रश्न.3. पाकिस्तान के लोकतंत्रीकरण में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ हैं?

पाकिस्तान में लोकतंत्रीकरण के रास्ते में कठिनाइयाँ: पाकिस्तान में कभी लोकतंत्र शासन चलता है तो कभी सैन्य शासन। वहाँ लोकतंत्र को स्थायित्व नहीं मिल पाया है बेशक वहाँ स्वतंत्र और प्रभावकारी प्रेस भी है और लोगों में लोकतंत्र के प्रति विश्वास भी।
वहाँ सैन्यशक्ति स्थापित होने और लोकतंत्र को मजबूत होने से रोकने में निम्नलिखित कारक भूमिका निभाते हैं:
(i) पाकिस्तान में आरंभ से ही सैनिक शक्ति पर नागरिक प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है।
(ii) पाकिस्तान की सामाजिक व्यवस्था में भूस्वामियों, कट्टरपंथी, धार्मिक नेताओं तथा सेना का दबदबा है और अवसर मिलते ही सैनिक शक्ति नागरिक प्रशासन पर प्रभावी हो जाती है।
(ii) पाकिस्तान के राजनीतिक दल शुद्ध राजनीतिक तथा आर्थिक मुद्दों पर आधारित नहीं हैं और उनमें आपसी खींचातानी बनी रहती है जिसका लाभ सैनिक अधिकारी उठाते हैं। जनता भी इनकी खींचातानी से तंग आ जाती है।
(iv) लोकतांत्रिक सरकारें भी विदेशी सहायता पर मजे करती आई हैं और देश में सामाजिक, आर्थिक विकास की ओर ध्यान नहीं देतीं। जनता में प्रशासन के प्रति असंतोष बना रहता है।
(v) निर्वाचित सरकारें भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन स्थापित नहीं कर पाई हैं और उनके काल में राजनीतिक दल अपनी हित पूर्ति को प्राथमिकता देते रहे हैं तथा भ्रष्टाचार बढ़ता जाता है और सैनिक शक्ति इस का लाभ उठाकर जनता को भ्रष्टाचार समाप्त करके स्वच्छ शासन का वायदा देती है।


प्रश्न.4. मेपाल के लोग अपने देश में लोकतंत्र को बहाल करने में कैसे सफल हुए?

नेपाल के लोग अपने देश में लोकतंत्र को बहाल करने में निम्नलिखित तरीके से सफल हुए:
नेपाल में लोकतंत्र की बहाली: नेपाल अतीत में एक हिन्दू राज्य था फिर आधुनिक काल में कई सालों तक यहाँ संवैधानिक राजतंत्र रहा। संवैधानिक राजतंत्र के दौर में नेपाल की राजनीतिक पार्टियाँ और आम जनता एक ज्यादा खुले और उत्तरदायी शासन की आवाज उठाती रही लेकिन राजा ने सेना की सहायता से शासन पर पूरा नियंत्रण कर लिया और नेपाल में लोकतंत्र की राह अवरुद्ध हो गई। आखिरकार लोकतंत्र-समर्थक मजबूत आंदोलन की चपेट में आकर राजा ने 1990 में नए लोकतांत्रिक संविध न की माँग मान ली, लेकिन नेपाल में लोकतांत्रिक सरकारों का कार्यकाल बहुत छोटा और समस्याओं से भरा रहा। 1990 के दशक में नेपाल के माओवादी, नेपाल के अनेक हिस्सों में अपना प्रभाव जमाने में कामयाब हुए। माओवादी, राजा और सत्ताध री अभिजन के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह करना चाहते थे। इस वजह से राजा की सेना और माओवादी गुरिल्लों के बीच हिसंक लड़ाई छिड़ गई। कुछ समय तक राजा की सेना, लोकतंत्र-समर्थकों और माओवादियों के बीच त्रिकोणीय संघर्ष हुआ। 2002 में राजा ने संसद को भंग कर दिया और सरकार को गिरा दिया। इस तरह नेपाल में जो भी थोड़ा-बहुत लोकतंत्र था उसे भी राजा ने खत्म कर दिया।
अप्रैल 2006 में यहाँ देशव्यापी लोकतंत्र-समर्थक प्रदर्शन हुए। संघर्षरत लोकतंत्र-समर्थक शक्तियों ने अपनी पहली बड़ी जीत हासिल की जब राजा ज्ञानेन्द्र ने बाध्य होकर संसद को बहाल किया। इसे अप्रैल 2002 में भंग कर दिया गया था। मोटे तौर पर अहिंसक रहे इस प्रतिरोध का नेतृत्व सात दलों के गठबंधन (सेवेन पार्टी अलाएंस), माओवादी तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया।
नेपाल में लोकतंत्र की आमद अभी मुकम्मल नहीं हुई है। फिलहाल, नेपाल अपने इतिहास के एक अद्वितीय दौर से गुजर रहा है क्योंकि वहाँ संविधान-सभा के गठन की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। यह संविधान-सभा नेपाल का संविधान लिखेंगी।
नेपाल में राजतंत्र समाप्त हो गया और वहाँ लोकतंत्र स्थापित हो चुका है।


प्रश्न.5. श्रीलंका के जातीय-संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है?

श्रीलंका में जातीय-संघर्ष: श्रीलंका में स्वतंत्रता के बाद से ही जातीय संकट बना हुआ है और इसके कारण श्रीलंका को कई बार विकट संकटों तथा गृहयुद्ध की स्थिति का सामना भी करना पड़ा है। श्रीलंका में मुख्य जनसंख्या सिंहलियों (Sinhalese) की है, परन्तु जनसंख्या का एक भाग लगभग 18 प्रतिशत भारत मूल के तमिल लोगों का भी है जो स्वतंत्रता के पहले से ही वहाँ बसे हुए थे। और बाद में भी वहाँ जाकर बसते रहे। भारतीय मूल के निवासी मुख्य रूप से श्रीलंका के उत्तरी भाग में बसे हुए हैं। श्रीलंका के मूल निवासियों सिंहलियों का यह मानना है कि श्रीलंका सिंहलियों का है तथा तमिल लोग वहाँ विदेशी हैं। स्वाभाविक है कि शासन और राजनीति पर बहुसंख्यक सिंहलियों का दबदबा है। दोनों समुदयों की भाषा तथा तौर तरीकों में भी अन्तर है। सिंहली मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के मानने वाले हैं और तमिल लोग बौद्ध धर्म को नहीं मानते। जब श्रीलंका स्वतंत्र हुआ तो सिंहलियों ने श्रीलंका को भाषा तथा धर्म के आधार पर एक एकात्मक राज्य स्थापित करने का प्रयास किया। इसका उद्देश्य था कि एकात्मक शासन केंद्रित सरकार का समस्त श्रीलंका पर नियंत्रण रहेगा और वह सिंहलियों के हितों की रक्षा करेगी तथा तमिल लोगों को किसी प्रकार की सुविधा नहीं दी जाएगी। सिंहलियों का मानना है तमिल जन संख्या विदेशी है और इन्हें सरकार तथा राजनीतिक संस्थाओं और सुविधाओं में अधिक भागीदारी का अधिकार नहीं है। तमिल ने एकात्मक सरकार बनाए जाने का विरोध किया। तमिल लोगों को मूल जड़ें भारत में तमिलनाडु में है और वे आशा तथा दावा करते हैं कि भारत सरकार को उनके हितों की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए तथा श्रीलंका पर दबाव डालकर यह समस्या समाप्त करवानी चाहिए। 1983 के बाद तमिल लोगों का अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जरूरी हो गया जबकि तमिल जनसंख्या ने अपने लिए अलग राज्य 'तमिल ईलम' की माँग रखी और इसकी प्राप्ति के लिए तमिल ईलम स्वतंत्रता संगठन (लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम Liberation Tigers of Tamil Eeelam-LTTE) ने श्रीलंकाई सेनाओं के साथ सशस्त्र संघर्ष आरंभ कर दिया। इस संगठन ने कई बार श्रीलंकाई सेनाओं से टक्कर ली और शासन को अवरुद्ध बनाने के प्रयास किए। तमिलनाडु के नेताओं ने भी भारतीय सरकार पर दबाव बनाया कि वह तमिल लोगों के हितों की रक्षा हेतु कदम उठाए और श्रीलंका की सरकार को इस समस्या को हल करने के लिए कहे। 1987 में भारत सरकार ने श्रीलंका सरकार और लिट्टे के बीच संघर्ष को रोकने और शांति की स्थापना के लिए अपने सैनिक श्रीलंका भेजे परन्तु यह कदम सफलता प्राप्त नहीं कर सका और वहाँ की जनता तथा लिट्टे दोनों ने ही कुछ समय बाद इसका विरोध किया तथा भारत सरकार को अपनी सेना वापस बुलानी पड़ी।
श्रीलंका में आज तक इस संकट का कोई संतोषजनक हल नहीं निकल पाया। दूसरे देशों ने विशेष कर नावें ने दोनों में समझौता करवाने और शांति स्थापित करवाने के प्रयल किए हैं परन्तु वे सफल नहीं हो पाए हैं। कभी युद्ध विराम की स्थिति बनी रहती है और कुछ समय बाद सशस्त्र संघर्ष या गृहयुद्ध की स्थिति बन जाती है। मार्च 2007 में लिट्टे उग्रवादियों ने श्रीलंका के कोलम्बो हवाई अड्डे पर भी आतंकवादी आक्रमण और एक बस में भी बम विस्फोट किया। यह संकट बड़ा गंभीर है। इस संकट तथा निरन्तर संघर्ष के होते हुए भी वहाँ शासन व्यवस्था लोकतांत्रिक है और अच्छी अर्थव्यस्था तथा विकास की उच्च दर है।


प्रश्न.6. भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में क्या समझौते हुए?

अभी हाल के वर्षों में भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मामलों के बारे में वार्ताओं के दौर चल रहे हैं। वास्तव में भारत और पाकिस्तान के संबंध कभी खत्म न होने वाले झगड़ों और हिंसा की एक कहानी जान पड़ते हैं फिर भी तनाव को कम करने और शांति बहाल करने के लिए इन देशों के बीच लगातार प्रयास हुए हैं।
दोनों देश युद्ध के खतरे कम करने के लिए विश्वास बहाली के उपाय करने में सहमत हो गये हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और महत्त्वपूर्ण हस्तियाँ दोनों देशों के लोगों के बीच दोस्ती का माहौल बनाने के लिए एकजुट हुई हैं। दोनों देशों के नेता एक-दूसरे को बेहतर ढंग से समझने और दोनों के बीच मौजूद बड़ी समस्याओं के समाधान के लिए सम्मेलनों में भेंट करते हैं। पिछले पाँच वर्षों के दौरान दोनों देश के पंजाब वाले हिस्से के बीच कई बस मार्ग खोले गए हैं। अब वीसा पहले की तुलना में आसानी से मिल जाते हैं।
दोनों देशों के शिखर नेता आपस में कई बार मिल चुके है तथा उनमें कई मुद्दों पर सहमति भी बनी है जिनमें द्विपक्षीय व्यापार एवं आतंकवाद प्रमुख हैं। परन्तु पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने (जैसे मुंबई पर आतंकवादी हमला) तथा कश्मीर मुद्दे को तूल देने से कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।


प्रश्न.7. ऐसे दो मसलों के नाम बताएँ जिन पर भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग है और इसी तरह दो ऐसे मसलों के नाम बताएं जिन पर असहमति है।

(i) भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग के मसले: भारत और बांग्लादेश ने कई मसलों पर आपसी सहयोग किया है। पिछले दस वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध ज्यादा बेहतर हुए हैं। बांग्लादेश भारत के 'पूरब चलो' को नौति का हिस्सा है। इस नीति के अंतर्गत म्यांमार के मार्फत दक्षिण-पूर्व एशिया से संपर्क साधने की बात है। आपदा प्रबंधन और पर्यावरण के मामले पर भी दोनों देशों ने निरन्तर सहयोग किया है। इस बात के भी प्रयास किए जा रहे हैं कि साझे खतरों को पहचान कर तथा एक-दूसरे की जरुरतों के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता बरतकर सहयोग के दायरे को बढ़ाया जाए।
(ii) भारत-बांग्लादेश के बीच असहमति के मसले: भारत और बांग्लादेश के बीच भी कई मुद्दों को लेकर मनमुटाव है। बांग्लादेश और भारत के बीच गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के जल में हिस्सेदारी सहित कई मुद्दों पर मतभेद हैं। भारतीय सरकारों के बांग्लादेश से नाखुश होने के कारणों में भारत में अवैध आप्रवास पर ढाका के खंडन, भारत विरोधी इस्लामी कट्टरपंथी जमातों को समर्थन, भारतीय सेना को पूर्वोत्तर भारत में जाने के लिए अपने इलाके से रास्ता देने से बांग्लादेश के इंकार, ढाका के भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने के फैसले तथा म्यांमार को बांग्लादेशी इलाके से होकर भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने देने जैसे मसले शामिल हैं। बांग्लादेश की सरकार का मानना है कि भारतीय सरकार नदी-जल में हिस्सेदारी के सवाल पर क्षेत्रीय दादा की तरह बर्ताव करती है। इसके अलावा भारत की सरकार पर चटगाँव पर्वतीय क्षेत्र में विद्रोह को हवा देने; बांग्लादेश के प्राकृतिक गैस में सेंधमारी करने और व्यापार में बेईमानी बरतने के भी आरोप हैं।


प्रश्न.8. यक्षिण एशिया में द्विपक्षीय संबंधों को बाहरी शक्तियाँ कैसे प्रभावित करती हैं?

दक्षिण एशिया में द्विपक्षीय संबंधों को बाहरी शक्तियों द्वारा प्रभावित करना: चाहे कोई क्षेत्र अपने को गैर-क्षेत्रीय शक्तियों से अलग रखने की कितनी भी कोशिश करें उस पर बाहरी ताकतों और घटनाओं का असर पड़ता ही है। चीन और संयुक्त राज्य अमरीका दक्षिण एशिया की राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पिछले दस वर्षों में भारत और चीन के संबंधों में सुधार हुआ है। चीन की रणनीतिक साझेदारी पाकिस्तान के साथ है और यह भारत-चीन संबंधों में एक बड़ी कठिनाई है। विकास की जरूरत और वैश्वीकरण के कारण एशिया महादेश के ये दो बड़े देश ज्यादा नजदीक आये हैं। सन् 1991 के बाद से इनके आर्थिक संबंध ज्यादा मजबूत हुए शीतयुद्ध के बाद दक्षिण एशिया में अमरीकी प्रभाव तेजी से बढ़ा है। अमरीका ने शीतयुद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों से अपने संबंधों में सुधार किया है। वह भारत-पाक के बीच लगातार मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है। दोनों देशों में आर्थिक सुधार हुए हैं और उदार नीतियाँ अपनाई गई हैं। इससे दक्षिण एशिया में अमरीकी भागीदारी ज्यादा गहरी हुई है। अमरीका में दक्षिण एशियाई मूल के लोगों की संख्या अच्छी-खासी है। फिर, इस क्षेत्र की जनसंख्या और बाजार का आकार भी भारी भरकम है। इस कारण इस क्षेत्र की सुरक्षा और शांति के भविष्य से आमरीका के हित भी बंधे हुए हैं।


प्रश्न.9. क्षिण एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में दक्षेस (सार्क) की भूमिका और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। दक्षिण एशिया की बेहतरी में 'दक्षेस' (सार्क) ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सके, इसके लिए आप क्या सुझाव देंगे?

दक्षेस (साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (SAARC)) दक्षिण एशियाई देशों द्वारा बहुस्तरीय साधनों से आपस में सहयोग करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। इसकी शुरुआत 1985 में हुई। दुर्भाग्य से सदस्यों के मध्य विभेदों की मौजूदगी के कारण दक्षेस को ज्यादा सफलता नहीं मिली है। दक्षेस के सदस्य देशों ने सन् 2002 में दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापर-क्षेत्र समझौते' (साउथ एशियन फ्री ट्रेड एरिया SAFTA) पर दस्तखत किये। इसमें पूरे दक्षिण एशिया के लिए मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का वायदा है।
यदि दक्षिण एशिया के सभी देश अपनी सीमारेखा के आर-पार मुक्त-व्यापार पर सहमत हो जाएँ तो इस क्षेत्र में शांति और सहयोग के एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते (SAFTA) के पीछे यही भावना काम कर रही है। इस समझौते पर 2004 में हस्ताक्षर हुए और यह समझौता । जनवरी, 2006 से प्रभावी हो गया। इस समझौते  लक्ष्य है कि इन देशों के बीच आपसी व्यापार में लगने वाली सीमा शुल्क को 2007 तक बीस प्रतिशत कम कर दिया जाए।
दक्षेस की सीमाएँ:
(i) कुछ छोटे देश मानते हैं कि 'साफ्टा' की आड़ लेकर भारत उनके बाजार में सेंध मारना चाहता है और व्यावसायिक उद्यम तथा व्यावसायिक मौजूदगी के जरिये उनके समाज और राजनीति पर असर डालना चाहता है। 'दूसरी ओर भारत सोचता है कि साफ्टा' से इस क्षेत्र के हर देश को फायदा होगा और क्षेत्र में मुक्त व्यापार बढ़ने से राजनीतिक मसलों पर सहयोग ज्यादा बेहतर होगा।
(ii) दोस के सदस्य देशों में आपसी मतभेद बहुत अधिक हैं। कहीं सीमा विवाद तो कहीं पानी के बंटवारे को लेकर आपसी मनमुटाव बना रहता है। भारत पाकिस्तान द्वारा आयोजित आतंकवाद से परेशान है जबकि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर भारत से दुश्मनी रखता है। इन सब कारणों से सदस्य देशों के हाथ अवश्य मिलते हैं लेकिन दिल नहीं मिलते। दक्षेस को अपेक्षित सफलता न मिलने के यही कारण हैं।
दक्षेस या दक्षिण एशियाई देशों को मजबूत बनाने के सुझाव: दक्षेस की सफलता उसके सदस्य देशों को राजनीतिक सहमति पर आधारित है। सभी देशों को आपसी मतभेद भुलाकर दक्षेस को मजबूत बनाना चाहिए ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस संगठन को महत्त्व मिले तथा उसकी आवाज सुनी जाए। आपसी मतभेदों की छाया दक्षेस के कार्यक्रम क्रियान्वयन पर नहीं पड़नी चाहिए। दक्षेरा के मंच पर बड़े देश या छोटे देश का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। सभी उसकी सफलता के लिए वरावर जिम्मेदार हों। द्विपक्षीय मुद्दों को दक्षेस से दूर रखना चाहिए। इस क्षेत्र का सबसे बड़ा तथा ताकतवर देश होने के कारण भारत को अपने पड़ोसियों की यथानुसार सहायता करनी चाहिए। दक्षेस की मजबूती ही इस क्षेत्र की मजबूती है।


प्रश्न.10. दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर यह क्षेत्र एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता। इस कथन की पुष्टि में कोई भी दो उदाहरण दें और दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय सुझाएँ।

दक्षिण एशिया के सभी देश एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते, इसलिए वे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक स्वर में नहीं बोल पाते। उदाहरण के लिए, अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत पाकिस्तान के विचार सदैव एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। दोनों ही देश एक-दूसरे में कमियाँ निकालना शुरू कर देते हैं।
दक्षिण एशिया के सारे झगड़े सिर्फ भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच ही नहीं हैं, बल्कि भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल के बीच में भी अनेक मुद्दों पर विवाद बने हुए हैं, जैसे- जातीय मूल के नेपालियों के भूटान अप्रवास तथा रोहिंग्या लोगों के मयांमार में अप्रवास के मसलों के मतभेद भी अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठते रहते हैं। बांग्लादेश और नेपाल के बीच हिमालीय नदियों के बंटवारे को लेकर मतभेद बने हुए हैं।
दक्षेस के अन्य देशों को यह डर बना हुआ है कि भारत कहीं बड़े होने का दबाव हम पर न बना बैठे। इसका कारण दक्षिण एशिया का भूगोल भी है, जहाँ भारत बीच में स्थित है और अन्य देश भारत को सीमा के चारों तरफ है। दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के उपाय: दक्षिण एशिया को निम्नलिखित उपायों द्वारा मजबूत बनाया जा सकता है, जैसे-मुक्त व्यापार संधि को पूरी ईमानदारी से लागू करना, सेवाओं के क्षेत्र में आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, व्यापारियों तथा पर्यटकों को दीर्घकालीन वीजा देकर तथा इन देशों के जहाजों को अपने बंदरगाहों पर प्राथमिकता से आने-जाने की सुविधा देकर। यदि दक्षिण एशिया के देश आपस में संदेह और अविश्वास की दीवारें तोड़ दें तो 140 करोड़ की आबादी वाले ये देश अपने संसाधनों का उचित विकास कर सकते हैं तथा विभिन्न कार्य क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।


प्रश्न.11. दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहुबली समझते हैं जो इस क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अंदरूनी मामलों में दखल देता है। इन देशों की ऐसी सोच के लिए कौन-कौन सी बाते जिम्मेदार हैं?

दक्षिण एशिया के छोटे-छोटे पड़ोसियों के साथ भारत को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत का आकार बहुत बड़ा है और वह शक्तिशाली है। इस कारण से अपेक्षाकृत छोटे देशों का भारत के इरादों को लेकर शक करना लाजिमी है। दूसरी ओर भारत सरकार को अक्सर ऐसा लगता है कि उसके पड़ोसी देश उसका बेजा फायदा उठा रहे हैं। भारत नहीं चाहता कि इन देशों में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो। उसे भय लगता है कि ऐसी स्थित मे बाहरी ताकतों को इस क्षेत्र में प्रभाव जमाने में मदद मिलेगी। छोटे देशों को लगता है कि भारत दक्षिण एशिया के सारे विवाद केवल भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच ही नहीं हैं। नेपाल-भूटान तथा बांग्लादेश-प्यांमार के बीच जातीय मूल के नेपालियों के भूटान अप्रवास तथा रोहिंग्या लोगों के म्यांमार में अप्रवास के मसले पर मतभेद रहे हैं। बांग्लादेश और नेपाल के बीच हिनालयी नदियों के जल की हिस्सेदारी को लेकर खटपट है। यह बात सही है कि इस इलाके के सभी बड़े झगड़े भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच हैं। इसका एक कारण दक्षिण एशिया का भूगोल भी है जहाँ भारत बीच में स्थित है और बाकी देश भारत की सीमा के इर्द-गिर्द स्थित हैं।
मेरे विचारानुसार उन देशों की भारत के बारे में सोच गलत है क्योंकि भारत एक शांतिप्रिय देश है। वह सारे विश्व को एक कुटुम्ब के समान समझता रहा है। भारत परस्पर प्रेम तथा सहयोग का पक्षधर है। भारत हर समय सहर्ष सभी देशों से प्राकृतिक विपत्ति में सहयोग लेता भी रहा है और देता भी रहा है। चाहे वह सुनामी का अवसर हो या भूकंप अथवा किसी अन्य अवसर पर भारत धन तथा मानव स्रोतों (सेवाओं) एवं अन्य संसाधनों से तुरंत सहयोग देता रहा है। भारत में समय-समय पर बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका, फिलिस्तीन आदि देशों से शरणार्थी आये हैं तथा भारतवासियों ने उनको पूर्ण सहयोग दिया है। भारत उदारीकरण, वैश्वीकरण एवं नई आर्थिक अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था तथा उदार लोकतंत्रीय व्यवस्था का समर्थक है। वह संयुक्त राष्ट्र एवं गुटनिरपेक्षता का समर्थक राष्ट्र है। फिर वह दादागिरी कैसे जमा सकता है?

The document समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC is a part of the UPSC Course NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12).
All you need of UPSC at this link: UPSC
916 docs|393 tests

Top Courses for UPSC

Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Free

,

past year papers

,

video lectures

,

study material

,

mock tests for examination

,

समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Objective type Questions

,

MCQs

,

Summary

,

Extra Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

shortcuts and tricks

,

Semester Notes

,

ppt

,

Exam

,

Important questions

,

Sample Paper

,

pdf

,

समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

समकालीन दक्षिण एशिया (Contemporary South Asia) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

,

Viva Questions

,

practice quizzes

;