UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12)  >  NCERT Solutions: राष्ट्रीय आय का लेखांकन (National Income Accounting)

राष्ट्रीय आय का लेखांकन (National Income Accounting) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC PDF Download

अभ्यास

प्रश्न.1. उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं?

उत्पादन के चार कारण निम्नलिखित हैं:
1. श्रम: किसी भी प्रकार का शारीरिक या मानसिक कार्य जो धन उपार्जन के लिए किया जाता है श्रम कहलाता है।
2. भूमि: अर्थशास्त्र में उत्पादन में प्रयोग होने वाले सभी प्राकृतिक साधनों को भूमि में शामिल किया जाता है।
3. पूँजी: उत्पादन में प्रयोग होने वाले मनुष्य उत्पादित साधनों को पूँजी में शामिल किया जाता है।
4. उद्यमी: उद्यमी ऐसे लोग हैं जो बड़े निर्णयों के नियंत्रण का कार्य करते हैं और उद्यम के साथ जुड़े बड़े जोखिम का वहन करते हैं।
श्रम के पारिश्रमिक को वेतन कहते हैं।
भूमि के पारिश्रमिक को किराया लगान कहते हैं।
पूँजी के पारिश्रमिक को ब्याज कहते हैं।
उद्यमी के पारिश्रमिक को लाभ कहते हैं।


प्रश्न.2. किसी अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय समस्त कारक अदायगी के बराबर क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।


Best answer

एक अर्थव्यवस्था में समस्त अंतिम व्यय समस्त कारक अदायगी के बराबर होता है क्योंकि अंतिम व्यय और कारक अदायगी दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। प्रत्येक अर्थव्यवस्था में मुख्य रूप से दो बाजार होते हैं।
1. उत्पादन बाजार
2. कारक बाजार
परिवार फर्मों के कारक साधन जैसे-भूमि, श्रम, पूँजी, उद्यमी आदि की आपूर्ति करते हैं जिनके बदले में फर्ने । इन्हें लगान, किराया, मजदूरी, ब्याज और लाभ केग रूप में कारक भुगतान करती है। परिवारों को जो आय प्राप्त होती है उससे वे अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए फर्मों से अंतिम वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदते हैं। इस प्रकार उत्पादकों का व्यय लोगों की आय और लोगों का व्यय उत्पादकों की आय बनता है। एक अर्थव्यवस्था में दो बाजारों में चक्रीय प्रवाह को हम निम्नलिखित चित्र द्वारा दिखा सकते हैं।

राष्ट्रीय आय का लेखांकन (National Income Accounting) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC


प्रश्न.3. स्टॉक और प्रवाह में भेद स्पष्ट कीजिए। निवल निवेश और पूँजी में कौन स्टॉक है और कौन प्रवाह? हौज में पानी के प्रवाह से निवल निवेश और पूँजी की तुलना कीजिए।

स्टॉक और प्रवाह दोनों चर मात्रा के अन्तर का आधार समय है। एक को समय बिंदु के संदर्भ में मापा जाता है। तो दूसरे को समयावधि के संदर्भ में मापा जाता है। प्रवाह चर-प्रवाह एक ऐसी मात्रा है जिसे समय अवधि के संदर्भ में मापा जाता है, जैसे घंटे, दिन, सप्ताह, मास, वर्ष आदि के आधार पर मापा जाता है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय आय एक प्रवाह है जो किसी देश में, एक वर्ष में उत्पादित अंतिम पदार्थ व सेवाओं के शुद्ध प्रवाह के मौद्रिक मूल्य को मापता है। अन्य शब्दों में, राष्ट्रीय आय, अर्थव्यवस्था की एक वर्ष की समयावधि में होने वाली प्राप्तियों को दर्शाता है। प्रवाह चरों के साथ जब तक समयावधि न लगी हो इनका कोई अर्थ नहीं निकलता। मान लो श्रीमान X की आय १ 2000 है तो आप उनके वित्तिय स्तर के विषय में क्या कहेंगे? कुछ भी नहीं कह सकते। यदि उनकी आय १ 2000 प्रति वर्ष है। तो वे बहुत निर्धन हैं यदि यह है 2000 प्रति माह है तो वे गरीबी रेखा से थोड़ा ऊपर हैं, यदि यह है 2000 प्रति सप्ताह है तो वे मध्यम वर्ग में हैं, यदि यह 2000 प्रति दिन है तो वे अमीर हैं और यदि यह है 2000 प्रति घंटा है तो बहुत अमीर हैं। अतः प्रवाह चरों का अर्थ समयावधि के बिना नहीं निकाला जा सकता। स्टॉक-स्टॉक एक ऐसी मात्रा है जो किसी निश्चित समय बिन्दु पर मापी जाती है। इसकी व्याख्या समय के किसी बिन्दु जैसे-4 बजे, सोमवार, 1 जनवरी 2014 आदि के आधार पर की जाती है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय पूँजी एक स्टॉक है जो देश के अधिकार में किसी निश्चित तिथि को मशीनों, इमारतों, औजारों, कच्चामाल आदि के स्टॉक के रूप में करती है। स्टॉक का संबंध एक निश्चित तिथि से होता है। मान लो श्रीमान X का बैंक शेष । १ 2000 है तो इसके साथ यह बताना जरूरी है कि कब/किस समय बिन्दु पर। उचित अर्थ के लिए कहना चाहिए कि 1 जुलाई, 2014 को श्रीमान X का बैंक शेष १ 2000 है। निवल निवेश एक प्रवाह है और पूँजी स्टॉक है क्योंकि निवल निवेश का संबंध एक समय काल से है, जबकि पूँजी एक निश्चित समय पर एक व्यक्ति की संपत्ति का भण्डार बनाती है। पूँजी एक हौज के समान है जबकि निवल निवेश उस हौज में पानी के प्रवाह के समान है। हौज में पानी का स्तर एक निश्चित समय बिन्दु पर मापा जाता है, अत: यह एक स्टॉक है, जबकि बहते हुए पानी का संबंध समय-काल से है।


प्रश्न.4. नियोजित और अनियोजित माल-सूची संचय में क्या अन्तर है? किसी फर्म की माल सूची और मूल्यवर्धित के बीच संबंध बताइए।

नियोजित माल सूची संचय तथा अनियोजित माल सूची संचय में अन्तर इस प्रकार है:
राष्ट्रीय आय का लेखांकन (National Income Accounting) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

मूल्यवर्धित = उत्पादन का मूल्य – मध्यवर्ती उपभोग
उत्पादन का मूल्य = बिक्री + माल-सूची संचय
अतः मूल्यवर्धित = बिक्री + माल-सूची संचय – मध्यवर्ती उपभोग


प्रश्न.5. तीनों विधियों से किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने की किन्हीं तीन निष्पत्तियाँ लिखिए। संक्षेप में यह भी बताइए कि प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य क्या आना चाहिए?

सकल घरेलू उत्पाद के आकलन की तीन विधियाँ और उसकी निष्पत्तियाँ निम्नलिखित हैं:
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प्रत्येक विधि से सकल घरेलू उत्पाद का एक-सा मूल्य आना चाहिए, क्योंकि अर्थव्यवस्था में जितना उत्पादन होगा, उतना ही कारक आय सृजित होगी और जितनी साधन आय सृजित होगी उतना ही अंतिम व्यय होगा।
i.e. राष्ट्रीय आय = राष्ट्रीय उत्पाद = राष्ट्रीय व्यय  


प्रश्न.6. बजटीय घाटा और व्यापार घाटा को परिभाषित कीजिए। किसी विशेष वर्ष में किसी देश की कुल बचत के ऊपर निजी । निवेश का आधिक्य 2000 करोड़ १ था। बजटीय घाटे की राशि 1500 करोड़ १ थी। उस देश के व्यापार घाटे का परिमाण क्या था?

राष्ट्रीय आय का लेखांकन (National Income Accounting) NCERT Solutions | NCERT Textbooks in Hindi (Class 6 to Class 12) - UPSC

सकल घरेलू उत्पाद = C + S + T
सकल घरेलू व्यय = C + I + G + X – M
अतः C + I + G + X – M = C + S + T

  1. इसमें G – T से उस मात्रा की माप होती है, जिस मात्रा में सरकारी व्यय में सरकार द्वारा अर्जित कर राजस्व से अधिक वृद्धि होती है। इसे ‘बजटीय घाटा’ के रूप में सूचित किया जाता है। M – X के अन्तर
    को व्यापार घाटा’ के रूप में सचित किया जाता है।
  2. बजट घाटा देश के लिए एक सीमा के भीतर वांछनीय हो सकता है परन्तु व्यापार घाटा सदा अवांछनीय है।
  3. (I – S) + (G – T) = M – X हम जानते हैं (I – S) + (G – T)
    (2000) + 1500 = 35000
    अतः व्यापार घाटा = + 3000


प्रश्न.7. मान लीजिए कि किसी विशेष वर्ष में किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर 1100 करोड़ र था। विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय 100 करोड़ था। अप्रत्यक्ष कर मूल्य-उपदान का मूल्य 150 करोड़ है और | राष्ट्रीय आय 850 र है, तो मूल्यह्रास के समस्त मूल्य की गणना कीजिए।

हमें पता है की
राष्ट्रीय आय = बाजार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद + विदेशों से प्राप्त निवल कर्क आये - शुद्ध अप्रत्यक्ष कर - मूलयह्रस
∴ 850 = 1,100 + 100 - 150 मूलयह्रस
मूलयह्रस = 1,100 + 100 - 150 - 850
= 1,200 - 1,000 = 200 करोड़ रु


प्रश्न.8. किसी देश विशेष में एक वर्ष में कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद 1900 करोड़ १ है। फर्मों/सरकार द्वारा परिवार को अथवा परिवार के द्वारा सरकार/फर्मों को किसी भी प्रकार का ब्याज अदायगी नहीं की जाती है, परिवारों की वैयक्तिक प्रयोज्य आय 1200 करोड़ र है। उनके द्वारा अदा किया गया वैयक्तिक आयकर 600 करोड़ र है। और फर्मों तथा सरकार द्वारा अर्जित आय का मूल्य 200 करोड़ १ है। सरकार और फर्म द्वारा परिवार को दी गई अंतरण अदायगी का मूल्य क्या है?

NNPFC = 1900
वैयक्तिक प्रयोज्य आय = 1200
वैयक्तिक आयकर = 600 करोड़
वैयक्तिक आय = 1200 + 600 = 1800
वैयक्तिक आय = NNPFC – अवितरित लाभ + सरकार और फर्मों द्वारा परिवार को दी गई अंतरण अदायगी
1800 = 1900 – 200 + अंतरण अदायगी
अंतरण अदायगी = 1800 – 1700 = 100 करोड़ 


प्रश्न.9. निम्नलिखित आँकड़ों से वैयक्तिक आय और वैयक्तिक प्रयोज्य आय की गणना कीजिए। (करोड़ ₹ में)
(a) कारक लागत पर निवल घरेलू उत्पाद = 8000
(b) विदेशों से प्राप्त निवल कारक आय = 200
(c) अवितरित लाभ = 1000
(d) निगम कर = 500
(e) परिवारों द्वारा प्राप्त ब्याज = 1500
(f) परिवारों द्वारा भुगतान किया गया ब्याज = 1200
(g) अंतरण आय = 300
(h) वैयक्तिक कर = 500

वैयक्तिक आय = (a) + (b) – (c) – (d) + (e) – (f) + (g)
= 8000 + 200 – 1000 – 500 + 1500 – 1200 + 300 = 10000 – 2700 = ₹ 6300
करोड़ वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर = 6300 – 500 = ₹ 5800 करोड़


प्रश्न.10. हजाम राजू एक दिन में बाल काटने के लिए 500 ₹ का संग्रह करता है। इस दिन उसके उपकरण में 50 ₹ का मूल्यह्रास होता है। इस 450 में से राजू 30 ₹ बिक्री कर अदा करता है। वह 200 ₹ घर ले जाता है और 220 ₹ उन्नति और नए उपकरणों का क्रय करने के लिए रखता है। वह अपनी आय में से 20 ₹ आय कर के रूप में अदा करता है। इन पूरी सूचनाओं के आधार पर निम्नलिखित में राजू का योगदान ज्ञात कीजिए-
(a) सकल घरेलू उत्पाद
(b) बाजार कीमत पर निबल राष्ट्रीय उत्पाद
(c) कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय आय
(d) वैयक्तिक आय
(e) वैयक्तिक प्रयोज्य आये

(a) सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर = कुल प्राप्ति = 500

सकल घरेलू उत्पाद कारक आय पर = सकल उत्पाद बाजार कीमत पर – अप्रत्यक्ष कर

= 500 – 30 = ₹ 470

(b) बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद = सकल घरेलू उत्पाद बाजार कीमत पर – मूल्यह्रास ब

= 500 – 50 = ₹ 450

(c) कारक लागत पर निम्न राष्ट्रीय उत्पाद = बाजार कीमत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद – अप्रत्यक्ष कर

= 450 – 30 = ₹ 420

(d) वैयक्तिक आय = कारक लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद – अवितरित लाभ

= 420 – 220 = ₹ 200

(e) वैयक्तिक प्रयोज्य आय = वैयक्तिक आय – वैयक्तिक कर

= 200 – 20 = ₹ 180


प्रश्न.11. किसी वर्ष एक अर्थव्यवस्था में मौद्रिक सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य 2500 करोड़ १ था। उसी वर्ष, उस देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद का मूल्य किसी आधार वर्ष की कीमत पर 3000 करोड़ १ था। प्रतिशत के रूप में वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक के मूल्य की गणना कीजिए। क्या आधार वर्ष और उल्लेखनीय वर्ष के बीच कीमत स्तर में वृद्धि हुई?

सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक (GDP Deflator) का मूल्य:

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चूँकि सकल घरेलू उत्पाद अवस्फीतिक का मान 100% से कम हैं तो इसका अभिप्राय यह है कि कीमत स्तर में कोई वृद्धि नहीं हुई है, बल्कि कीमत स्तर में गिरावट आई हैं।


प्रश्न.12. किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाओं को लिखो।

किसी देश के कल्याण के निर्देशांक के रूप में सकल घरेलू उत्पाद की कुछ सीमाएँ निम्नलिखित हैं:

  • सकल घरेलू उत्पाद का वितरण: यह संभव है कि किसी देश का सकल घरेलू उत्पाद भी बढ़ रहा हो और उसके साथ-साथ आय की असमानताएँ भी बढ़ रही हो। ऐसी स्थिति में अमीर और अधिक अमीर हो । जायेंगे, परन्तु निर्धन और अधिक निर्धन हो जायेंगे, अतः निर्धनों का कल्याण नहीं होगा। उदाहरण के लिए एक देश की आय सन् 2000 में 14000 करोड़ से बढ़कर 320000 करोड़ हो गई। 14000 करोड़ में से 400 करोड़ 50% निर्धनतम को मिल रहे थे जबकि 20000 करोड़ में से ₹ 2000 करोड़ निर्धनतम वर्ग को मिल रहे थे और 180000 करोड़ अमीरतम वर्ग को तो निर्धनतम को आर्थिक कल्याण स्तर कम हुआ है।
  • गैर मौद्रिक विनिमय: अर्थव्यवस्था के अनेक कार्यकलापों का मूल्यांकन मौद्रिक रूप में नहीं होता। उदाहरण के लिए जो महिलायें अपने घरों में घरेलू सेवाओं का निष्पादन करती हैं, उसके लिए उन्हें कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। बहुत सी सेवाओं को एक दूसरे के बदले में प्रत्यक्ष रूप से विनिमय होता है, क्योंकि मुद्रा का यहाँ प्रयोग नहीं होता है, इसीलिए वस्तु विनिमय को आर्थिक कार्यकलाप का हिस्सा नहीं माना जाता। इससे सकल घरेलू उत्पाद का अल्पमूल्यांकन होता है, अतः सकल घरेलू उत्पाद का मूल्यांकन मानक तरीके से करने पर यह देश के कल्याण की सही तस्वीर प्रस्तुत नहीं करता।
  • बाह्य कारण: बाह्य कारणों से तात्पर्य किसी देश या व्यक्ति के लाभ या हानि से है, जिससे दूसरा पक्ष प्रभावित होता है जिसे भुगतान नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए जब एक फैक्टरी प्रदूषण करती है। तो इससे समाज को हानि होती है, परन्तु समाज को इस हानि के प्रतिफल में क्षतिपूर्ति नहीं दी जाती। जल प्रदूषण मछुआरों को हानि पहुँचाता है परन्तु इस हानि की क्षतिपूर्ति नहीं होती। इससे सकल घरेलू उत्पाद, अर्थव्यवस्था के कल्याण का सही मूल्यांकन करने में असमर्थ हो जाता है। इसी प्रकार एक व्यक्ति आम का बाग लगाता है तो इससे शुद्ध वायु का लाभ उस स्थान के पूरे समाज को मिलता है, परन्तु । इस लाभ के लिए कोई आम के बाग के मालिक को भुगतान नहीं करता। अतः ऋणात्मक बाह्यताएँ तथा धनात्मक बाह्यताएँ सकल घरेलू उत्पाद को अर्थव्यवस्था के कल्याण का सूचक नहीं रहने देती।
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