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स्वीडन में खोजे गए दुर्लभ मृदा तत्त | |
जोशीमठ में भूस्खलन | |
विनिर्मित रेत | |
भारत में बाँधों की स्थिति | |
शीत लहर | |
रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी गोनोरिया |
बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब की ओर जाने वाले यात्रियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण केंद्र जोशीमठ में भूस्खलन एवं ज़मीन धँसने के कारण चिंतित स्थानीय लोगों द्वारा प्रदर्शन किया गया।
रेत की कमी की समस्या के अपने अभिनव समाधान के लिये कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) सुर्खियों में है। विनिर्मित रेत (M-Sand) के उत्पादन के लिये यह कंपनी पत्थरों के महीन कण, कोयला खदानों के अधिभार/ ओवरबर्डन (OB) से प्राप्त रेत और ओपनकास्ट कोयला खनन के दौरान हटाई गई मृदा का उपयोग कर रही है।
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, चंबल नदी (मध्य प्रदेश) पर निर्मित गांधी सागर बाँध की तत्काल मरम्मत कराए जाने की आवश्यकता है।
नियमित जाँच का अभाव, गैर-कार्यात्मक उपकरण और चोक नालियाँ वर्षों से बाँध को नुकसान पहुँचाने वाले प्रमुख कारक हैं
दिल्ली और उत्तर पश्चिम भारत के अनेक हिस्से वर्ष 2023 की शुरुआत से ही शीत लहर की चपेट में हैं।
हाल ही में केन्या में रोगाणुरोधी-प्रतिरोधी गोनोरिया का प्रकोप देखा गया।
रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR)
सार्वजनिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और दवा प्रतिरोधी संक्रमणों के प्रसार को रोकने के लिये रोगाणुरोधी प्रतिरोध को नियंत्रित करना महत्त्वपूर्ण है। इसके लिये रोगाणुरोधी दवाओं के उपयोग को केवल उचित मामलों तक सीमित करना, संक्रमण पर नियंत्रण स्थिति में सुधार करना, अनुसंधान और विकास में निवेश करना एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने जैसे उपायों को लागू करना महत्त्वपूर्ण है।
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1. स्वीडन में खोजे गए दुर्लभ मृदा तत्त क्या हैं? |
2. जोशीमठ में भूस्खलन क्या हैं? |
3. विनिर्मित रेत क्या होती हैं? |
4. भारत में बाँधों की स्थिति क्या हैं? |
5. शीत लहर क्या होती हैं? |
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