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Moral Integrity (नैतिकता अखंडता): March 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

Question 1: लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा के महत्त्व को बताते हुए सिविल सेवाओं में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को प्रोत्साहन देने हेतु उठाए जा सकने वाले उपायों पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)'

परिचय:
सत्यनिष्ठा, लोक प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला एक आवश्यक मूल्य है। इससे सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक अधिकारी जनता के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा यह सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है कि सिविल सेवा भ्रष्टाचार से मुक्त है।

मुख्य भाग

लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा का महत्त्व:

लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा कई कारणों से आवश्यक है जैसे:

  • सरकार पर लोगों के विश्वास में वृद्धि होना: प्रभावी ढंग से शासन करने की किसी भी सरकार की क्षमता में सार्वजनिक प्राधिकरण पर विश्वास होना एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
  • सरकार और उसके संस्थानों में जनता का विश्वास बनाए रखने के लिये सत्यनिष्ठा आवश्यक है।
  • सत्यनिष्ठा से कार्य करने वाले सार्वजनिक अधिकारी सार्वजनिक हित की सेवा हेतु प्रतिबद्ध रहते हैं और वे जिन नागरिकों की सेवा करते हैं उनका विश्वास अर्जित कर सकते हैं।
  • पारदर्शिता और जवाबदेहिता: सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेहिता सुनिश्चित करने के लिये सत्यनिष्ठा आवश्यक है।
  • सत्यनिष्ठा से कार्य करने वाले सरकारी अधिकारी अपने कार्यों और निर्णयों में पारदर्शी होते हैं और वे अपने कार्यों के लिये जवाबदेह होते हैं।
  • इससे सिविल सेवा में भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिलने के साथ यह सुनिश्चित हो सकता है कि सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग लक्षित उद्देश्यों के लिये किया जा रहा है।
  • दक्षता और प्रभावशीलता: लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा से सरकारी कार्यों की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार हो सकता है।
  • जब सार्वजनिक अधिकारी सत्यनिष्ठा के साथ कार्य करते हैं तो वे ऐसे निर्णय लेते हैं जो जनता के सर्वोत्तम हित में होते हैं। इससे बेहतर नीतिगत परिणाम के साथ अधिक प्रभावी सेवा वितरण हो सकता है।

सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देने के उपाय:

सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देने से यह सुनिश्चित होगा कि सार्वजनिक अधिकारी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ कार्य करें। सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:

  • मजबूत कानूनी ढाँचा: सिविल सेवा में भ्रष्टाचार और दुर्भावना को रोकने के लिये एक मजबूत कानूनी ढाँचा आवश्यक है।
  • कानूनी ढाँचे द्वारा सार्वजनिक अधिकारियों के आचरण हेतु स्पष्ट दिशानिर्देश निर्धारित करने के साथ अनैतिक व्यवहार के परिणामों को परिभाषित करना चाहिये।
  • आचार संहिता: आचार संहिता ऐसे नियमों और मानकों का समूह है जिनका सार्वजनिक अधिकारियों को पालन करना चाहिये।
  • इससे नैतिक व्यवहार को मार्गदर्शन मिलने के साथ सरकारी अधिकारियों के आचरण से संबंधित अपेक्षाओं का निर्धारण होता है।
  • लोक अधिकारी सत्यनिष्ठा के साथ कार्य करें,यह सुनिश्चित करने के लिये आचार संहिता को मजबूती से लागू किया जाना चाहिये।
  • प्रशिक्षण और शिक्षा: सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने के लिये प्रशिक्षण और शिक्षा आवश्यक है।
  • सार्वजनिक अधिकारियों को नैतिक और अनैतिक व्यवहार के परिणामों के बारे में प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिये।
  • यह सत्यनिष्ठा के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सिविल सेवा में ईमानदारी की संस्कृति को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है।
  • व्हिसलब्लोअर संरक्षण: सार्वजनिक अधिकारियों को प्रतिशोध के डर के बिना अनैतिक व्यवहार की रिपोर्ट करने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु व्हिसलब्लोअर सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक है।
  • कानूनी ढाँचे के तहत अनैतिक व्यवहार की रिपोर्ट करने के लिये तंत्र स्थापित करना चाहिये।
  • निष्कर्ष:
  • पारदर्शी, जवाबदेह और कुशल प्रशासनिक तंत्र सुनिश्चित करने हेतु सिविल सेवा में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक है। सत्यनिष्ठा की इस संस्कृति को मजबूत करने के लिये सार्वजनिक अधिकारियों को उदाहरण प्रस्तुत करने, नैतिक व्यवहार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के साथ नागरिकों को सरकारी अधिकारियों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता है।
    इसके अतिरिक्त पारदर्शिता को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग भी एक प्रभावी उपकरण हो सकता है। इससे हम लोक प्रशासन में सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा दे सकते हैं जिससे लोगों के सर्वोत्तम हितों को महत्त्व मिलने के साथ सरकारी संस्थानों में लोगों के विश्वास में वृद्धि होगी।

Question 2: सार्वजनिक सेवा में नैतिक व्यवहार पर सांस्कृतिक मूल्यों के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। (150 शब्द)

परिचय:
सांस्कृतिक मूल्य में किसी समाज के विश्वास, दृष्टिकोण और प्रथाएँ शामिल होती हैं। इन मूल्यों को धर्म, इतिहास, परंपराओं और सामाजिक मानदंडों जैसे विभिन्न कारकों द्वारा आकार मिलता है।
इससे सार्वजनिक सेवा सहित विभिन्न संदर्भों में व्यवहार का मार्गदर्शन होने के साथ निर्णय प्रभावित होता है।
नैतिक व्यवहार, सार्वजनिक सेवा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। यह अनिवार्य है कि लोक सेवक जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिये नैतिक व्यवहार करें। लोक सेवकों के नैतिक व्यवहार को आकार देने में सांस्कृतिक मूल्य महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मुख्य भाग:

  • लोक सेवा में नैतिक व्यवहार पर सांस्कृतिक मूल्यों का प्रभाव: सार्वजनिक जीवन में नैतिक व्यवहार विभिन्न सांस्कृतिक मूल्यों से प्रभावित होता है जैसे:
  • प्राधिकरण के प्रति सम्मान: कई समाजों में सरकारी अधिकारियों के सम्मान पर जोर दिया जाता है।
    • इससे सत्ता में बैठे लोगों के प्रति सम्मान की संस्कृति विकसित हो सकती है जिससे लोक सेवकों के लिये अनैतिक व्यवहार को रोकना आसान हो सकता है।
  • पारदर्शिता: किसी समाज में पारदर्शिता के स्तर से लोक सेवकों का व्यवहार प्रभावित हो सकता है।
    • जिन समाजों में पारदर्शिता को महत्त्व दिया जाता है वहाँ भ्रष्टाचार के लिये अधिक जवाबदेही होती है। इससे लोक सेवकों के बीच नैतिक व्यवहार को बढ़ावा मिल सकता है।
  • व्यक्तिवाद बनाम सामूहिकतावाद: व्यक्तिवाद और सामूहिकतावाद के बीच संतुलन से भी सार्वजनिक सेवा में नैतिक व्यवहार प्रभावित हो सकता है।
  • व्यक्तिवादी समाजों में व्यक्तिगत लाभ और स्वार्थ पर अधिक ध्यान दिया जा सकता है, जिससे अनैतिक व्यवहार प्रेरित हो सकता है।
    • सामूहिकतावादी समाजों में सभी के कल्याण पर अधिक जोर दिया जा सकता है, जिससे नैतिक व्यवहार को बढ़ावा मिल सकता है।
  • विश्वा: विश्वास, सार्वजनिक जीवन में नैतिक व्यवहार का एक महत्त्वपूर्ण घटक होता है।
    • ऐसे समाजों में जहाँ विश्वास का उच्च स्तर होता है उसमें लोक सेवकों द्वारा जनता के सर्वोत्तम हित में कार्य करने की संभावना अधिक होती है।
    • ऐसे समाजों में जहाँ विश्वास का निम्न स्तर होता है उसमें लोक सेवकों के अपने स्वयं के हित में कार्य करने की अधिक संभावना हो सकती है।
  • सामाजिक पदानुक्रम: सामाजिक पदानुक्रम से संबंधित सांस्कृतिक मूल्य भी सार्वजनिक जीवन में नैतिक व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं।
    • कठोर सामाजिक पदानुक्रम वाले समाजों में सत्ता में रहने वालों के प्रति अधिक सम्मान हो सकता है और ऐसे में प्राधिकरण को चुनौती देना मुश्किल कार्य हो सकता है, जिससे अनैतिक व्यवहार को रोकना मुश्किल हो सकता है।
  • सांस्कृतिक विविधता: सार्वजनिक जीवन में नैतिक व्यवहार के निर्धारण में सांस्कृतिक विविधता भी भूमिका निभा सकती है।
    • लोक सेवकों को विभिन्न समूहों के मूल्यों और विश्वासों के बारे में पता होना चाहिये।
  • इसके लिये संवेदनशीलता, खुले विचार और विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों के अनुकूल होने की इच्छा की आवश्यकता होती है

निष्कर्ष:

  • सार्वजनिक जीवन में नैतिक व्यवहार पर सांस्कृतिक मूल्यों का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। समाज के मूल्य, लोक सेवकों के व्यवहार को आकार दे सकते हैं और उनके निर्णय लेने को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिये सार्वजनिक सेवा के संदर्भ में नैतिक मानकों को डिज़ाइन करते समय सांस्कृतिक मूल्यों को समझना और उन पर विचार करना महत्त्वपूर्ण है।
  • सार्वजनिक जीवन में नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने के लिये, सांस्कृतिक कारकों की पहचान करना आवश्यक है। इसे प्रशिक्षण, शिक्षा और एक ऐसा वातावरण बनाने के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है जो पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और विश्वास से प्रेरित हो। सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए हम अधिक नैतिक और प्रभावी लोक सेवकों के साथ सभी के कल्याण को बढ़ावा दे सकते हैं।

Case study 1


आप एक ऐसे विकासशील देश में भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी के रूप में नियुक्त हैं जो मानवाधिकारों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के लिये जाना जाता है। आपका कार्य भारत के हितों का प्रतिनिधित्व करना और संबंधित देश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देना है। हालाँकि आपको पता चलता है कि इस देश की सरकार कई अनैतिक प्रथाओं में शामिल है जिसमें राजनीतिक स्तर पर भ्रष्टाचार, मीडिया पर सेंसरशिप तथा विदेशी सहायता का दुरूपयोग करना शामिल है।
एक दिन आप अपने दूतावास से एक गोपनीय रिपोर्ट प्राप्त करते हैं जिससे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी तथा आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने सहित अवैध गतिविधियों में संबंधित देश की सरकार की भागीदारी की पुष्टि होती है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ भारतीय कंपनियाँ इन अवैध गतिविधियों में अप्रत्यक्ष रूप से धन और अन्य संसाधन प्रदान करने के रूप में शामिल हैं।
इस परिदृश्य में एक IFS अधिकारी के रूप में आप क्या करेंगे तथा आप अपने कार्यों को नैतिक रूप से किस प्रकार उचित ठहराएंगे?

परिचय:
यह मामला विकासशील देश (यह देश अपने मानवाधिकारों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के लिये जाना जाता है) में कार्यरत एक भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी से संबंधित है। इस देश की सरकार कई अनैतिक प्रथाओं में शामिल है जिसमें राजनीतिक स्तर पर भ्रष्टाचार, मीडिया पर सेंसरशिप तथा विदेशी सहायता का दुरूपयोग करना शामिल है। इसमें अधिकारी को एक गोपनीय रिपोर्ट प्राप्त हुई है जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी तथा आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने सहित अवैध गतिविधियों में संबंधित देश की सरकार की भागीदारी की पुष्टि हुई है।
शामिल हितधारक:

  • संबंधित देश की सरकार,
  • भारतीय कंपनियाँ,
  • भारतीय दूतावास,
  • भारतीय विदेश मंत्रालय,
  • भारतीय गृह मंत्रालय,
  • भारतीय जनता,
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठन।

इसमें शामिल नैतिक मुद्दे:

  • नैतिक मानकों को बनाए रखते हुए भारत के हितों को बढ़ावा देना।
  • राजनयिक संबंधों की रक्षा करते हुए अवैध गतिविधियों की सूचना देना।
  • व्यावसायिक हितों की रक्षा करते हुए भारतीय कंपनियों की इन अनैतिक प्रथाओं में भागीदारी को रोकना।

संभावित समाधान और इनका औचित्य:

  • गोपनीय रिपोर्ट की समीक्षा करना: सबसे पहले मैं यह सुनिश्चित करते हुए रिपोर्ट की प्रामाणिकता की पुष्टि करूँगा कि यह जानकारी सटीक और विश्वसनीय है। एक बार पुष्टि हो जाने के बाद मैं दूतावास में अपने वरिष्ठों को इस मामले की रिपोर्ट करूँगा और इस रिपोर्ट को भारत में संबंधित अधिकारियों जैसे कि विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ साझा करूँगा

विकल्प 1: अपने वरिष्ठों को अवैध गतिविधियों की रिपोर्ट करना और इसमें भारतीय कंपनियों की संलिप्तता के खिलाफ कार्रवाई करना।

  • इसका एक संभावित समाधान इस मामले की वरिष्ठों को रिपोर्ट करना और इसमें भारतीय कंपनियों की संलिप्तता के खिलाफ कार्रवाई करना है।
  • इसके लिये मुझे अपनी रिपोर्टिंग में ईमानदार और पारदर्शी होना होगा और अवैध गतिविधियों में भारतीय कंपनियों की किसी भी संलिप्तता के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना होगा।
  • एक IFS अधिकारी के रूप में मेरा कर्तव्य न केवल भारत के हितों को बढ़ावा देना है बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि भारतीय कंपनियाँ नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं का पालन करें और किसी भी अवैध गतिविधियों में शामिल न हों।
  • गुण: यह विकल्प नैतिक मानकों को बनाए रखेगा, जवाबदेही को बढ़ावा देगा और भारतीय कंपनियों को अवैध गतिविधियों में शामिल होने से रोकेगा।
  • दोष: यह विकल्प राजनयिक संबंधों को खराब कर सकता है और इससे संबंधित देश में भारत के हितों से समझौता हो सकता है।

विकल्प 2: संबंधित देश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना और अवैध गतिविधियों पर ध्यान न देना।

  • इसका एक अन्य संभावित समाधान संबंधित देश के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना और अवैध गतिविधियों की अनदेखी करना है। इसमें मेरे द्वारा केवल भारत के हितों को प्राथमिकता देते हुए संबंधित देश की अनैतिक प्रथाओं को अनदेखा करना शामिल होगा।
  • यह विकल्प मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिये एक IFS अधिकारी के रूप में मेरे कर्तव्य और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में नैतिक मानकों को बनाए रखने की मेरी जिम्मेदारी के बारे में नैतिक चिंताएँ पैदा करता है।
  • गुण: यह विकल्प मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखेगा और संबंधित देश में भारत के हितों को बढ़ावा मिलेगा।
  • दोष: इस विकल्प से नैतिक मानकों से समझौता होगा, अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और भारत की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा।

विकल्प 3: व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए संबंधित देश के साथ रचनात्मक संवाद करना।

  • इसका एक तीसरा संभावित समाधान व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना और मेजबान देश के साथ रचनात्मक संवाद करना है। इसमें अवैध गतिविधियों और भारतीय कंपनियों की भागीदारी से संबंधित चिंताओं के संदर्भ में संबंधित देश के अधिकारियों के साथ कूटनीतिक दृष्टिकोण को अपनाना शामिल होगा।
  • यह विकल्प नैतिक रूप से सबसे अधिक वांछनीय है क्योंकि इसमें इस मुद्दे को हल करने के लिये सहयोगी और रचनात्मक दृष्टिकोण को महत्त्व दिया गया है तथा इसमें भारत के हितों की रक्षा के साथ संबंधित देश की संप्रभुता का सम्मान होगा।
  • गुण: यह विकल्प सहयोगी और रचनात्मक संबंधों को बढ़ावा देने के साथ नैतिक मानकों को बनाए रखने और संबंधित देश में भारत के हितों की रक्षा करने में सहायक होगा।
  • दोष: इस विकल्प के लिये समय और संसाधनों की अधिक आवश्यकता होने के साथ यह अवैध गतिविधियों को रोकने में प्रभावी नहीं हो सकता है।

निष्कर्ष:

  • एक IFS अधिकारी के रूप में मैं इस रिपोर्ट की प्रामाणिकता की पुष्टि करूँगा और दूतावास में अपने वरिष्ठों के साथ ही भारत में संबंधित अधिकारियों को इस मामले की रिपोर्ट करूँगा। 
  • इसके बाद मैं तीसरा विकल्प चुनूँगा जिसमें संबंधित देश के साथ रचनात्मक बातचीत करने के साथ व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाना शामिल है। इसमें अवैध गतिविधियों और भारतीय कंपनियों की भागीदारी से संबंधित चिंताओं के संदर्भ में संबंधित देश के अधिकारियों के साथ कूटनीतिक दृष्टिकोण को अपनाना शामिल होगा। 
  • इस विकल्प से नैतिक मानकों को बढ़ावा मिलने और भारत के हितों की रक्षा होने के साथ राजनयिक संबंध बेहतर होंगे

Case study 2

आप एक ऐसे सूखाग्रस्त क्षेत्र के ज़िला कलेक्टर हैं जहाँ के किसान फसल की विफलता और कर्ज से पीड़ित हैं। आपको इस क्षेत्र में खाद्यान्न वितरण, ऋण माफी और रोज़गार सृजन योजनाओं जैसे राहत उपाय करने के लिये राज्य सरकार द्वारा धन आवंटित किया गया है।
हालाँकि आपको पता चलता है कि कुछ स्थानीय राजनेता और अधिकारी इस धन को अपने व्यक्तिगत लाभ हेतु उपयोग करने में शामिल हैं। इन लोगों के द्वारा कुछ ईमानदार कर्मचारियों को धमकी दी गई है जिन्होंने इनके भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की है।
आपके पास इन भ्रष्ट लोगों के खिलाफ सबूत हैं लेकिन आप यह भी जानते हैं कि इनके मजबूत राजनीतिक संबंध होने के साथ इस क्षेत्र में इनका काफी प्रभाव भी है।

परिचय:
यह मामला ज़िला कलेक्टर को सूखाग्रस्त क्षेत्र में किसानों को राहत उपाय प्रदान करने के लिये धन आवंटित किये जाने से संबंधित है। हालाँकि इसमें कुछ स्थानीय राजनेता और अधिकारी इस धन को अपने व्यक्तिगत लाभ के लिये इस्तेमाल कर रहे हैं और ईमानदार कर्मचारियों (जिन्होंने उनके भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की है) को धमकी भी दी गई है । ज़िला कलेक्टर के पास इन भ्रष्ट लोगों के खिलाफ सबूत होने के साथ क्षेत्र में इनके मजबूत राजनीतिक संबंधों और प्रभाव की भी जानकारी है।

मुख्य भाग:

इसमें शामिल हितधारक:

  • किसान और उनके परिवार।
  • ईमानदार कर्मचारी।
  • भ्रष्ट नेता और अधिकारी।
  • राज्य और केंद्र सरकार।
  • समाज।

इसमें शामिल नैतिक मुद्दे:

  • भ्रष्टाचार
  • शक्ति का दुरुपयोग
  • सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग
  • लोगों के साथ विश्वासघात

उपलब्ध विकल्प:

भ्रष्टाचार पर ध्यान न दें और राहत कार्य जारी रखें: यह विकल्प अनैतिक होगा क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने के साथ जनता के विश्वास की अवहेलना होगी।

  • गुण: 
    • राहत के लिये सीमित संसाधनों को उन किसानों और उनके परिवारों तक पहुँचाया जा सकता है जिन्हें इसकी आवश्यकता है।
    • इससे ईमानदार कर्मचारी और ज़िला कलेक्टर नकारात्मक परिणामों से बच सकते हैं।
  • दोष:
    • इसमें भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने के साथ जनता के विश्वास की अवहेलना होगी।
    • ऐसे में भ्रष्ट अधिकारी सार्वजनिक संसाधनों और अपनी शक्ति का दुरुपयोग करना जारी रख सकते हैं।

उच्च अधिकारियों को भ्रष्टाचार के बारे में सूचित करना: यह विकल्प नैतिक होगा, लेकिन इससे ईमानदार कर्मचारियों और ज़िला कलेक्टर के लिये नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।

  • गुण:
    • यह विकल्प नैतिक है और इससे भ्रष्टाचार को रोकने में मदद मिल सकती है।
    • इससे भ्रष्ट अधिकारियों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराया जा सकता है।
  • दोष:
    • ईमानदार कर्मचारियों और ज़िला कलेक्टर को धमकी और प्रतिशोध जैसे नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
    • इस विकल्प में जाँच के लिये अधिक समय और संसाधन खर्च हो सकते हैं तथा इसमें सकारात्मक परिणाम नहीं भी प्राप्त हो सकते हैं क्योंकि भ्रष्ट लोग अपने मजबूत राजनीतिक संबंधों और शक्ति का दुरुपयोग कर सकते हैं।

भ्रष्टाचार की जाँच करना: यह विकल्प नैतिक होगा और इससे भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इससे यह सुनिश्चित होगा कि अधिकारियों के खिलाफ उपलब्ध सबूतों से छेड़छाड़ नहीं की गई है या उनके खिलाफ कोई साजिश नहीं की गई है। हालांकि इसमें अधिक समय लगने के साथ ईमानदार कर्मचारियों और ज़िला कलेक्टर के लिये नकारात्मक परिणाम भी हो सकते हैं।

  • गुण:
    • इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कहीं अधिकारियों के खिलाफ जानबूझकर फर्जी सबूत बनाकर उनके खिलाफ साजिश तो नहीं की गई है।
    • अगर ये दोषी पाए जाते हैं तो इससे अधिकारियों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराया जा सकेगा।
  • दोष:
    • इसमें जाँच में अधिक समय और संसाधन की आवश्यकता हो सकती है तथा इसमें सकारात्मक परिणाम नहीं भी प्राप्त हो सकते हैं।

भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना: यह विकल्प नैतिक होगा और इससे उन लोगों को मजबूत संदेश मिलेगा जो सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग करते हैं। हालाँकि इससे ईमानदार कर्मचारियों और ज़िला कलेक्टर के लिये नकारात्मक परिणामों का भी सामना करना पड़ सकता है।

  • गुण:
    • इससे भ्रष्ट अधिकारियों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराने के साथ यह संदेश दिया जा सकता है कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
    • इससे सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग के साथ शक्ति के दुरुपयोग को रोका जा सकता है।
  • दोष:
    • इससे ईमानदार कर्मचारियों और ज़िला कलेक्टर को धमकी और प्रतिशोध जैसे नकारात्मक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है।
    • कानूनी कार्रवाई समय लेने वाली होने के साथ इसमें सकारात्मक परिणाम नहीं भी प्राप्त हो सकते हैं।

निष्कर्ष

  • इस संदर्भ में यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि इसमें उचित प्रक्रिया का पालन करने के साथ अधिकारियों के खिलाफ कोई भी कानूनी कार्रवाई करने से पहले साक्ष्य की पूरी तरह से जाँच की गई है। यदि इसमें अधिकारी दोषी नहीं पाए जाते हैं तो इस तथ्य को स्वीकार करते हुए उनके खिलाफ साजिश की संभावना होने पर आगे की जाँच करना उचित होगा।
  • एक ज़िला कलेक्टर के रूप में मैं इस मामले की जाँच करने का विकल्प चुनूँगा। इससे मुझे भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान करने और यह पुष्टि करने में मदद मिलेगी कि उनके खिलाफ सबूत वैध हैं। इससे यह निर्धारित करने में भी सहायता मिल सकती है कि जानबूझकर फर्जी सबूत द्वारा उनके खिलाफ कोई साजिश तो नहीं रची जा रही है।
  • अगर जाँच में भ्रष्टाचार के सबूत की पुष्टि होती है तो मैं भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकता हूँ। इससे भ्रष्टाचार करने वालों को संदेश जाने के साथ सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग और शक्ति के दुरुपयोग को रोकने में सहायता मिलेगी।
  • कुल मिलाकर भ्रष्टाचार की जाँच करना नैतिक और व्यवहार्य विकल्प है जिससे भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान करने, उनके खिलाफ सबूतों की पुष्टि करने और उन्हें जवाबदेह ठहराने के लिये कानूनी कार्रवाई करने में मदद मिल सकती है।
  • यदि जाँच से पता चलता है कि कोई भ्रष्टाचार नहीं है तो ऐसे में यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण होगा कि अधिकारियों को गलत तरीके से लक्षित तो नहीं किया जा रहा है।
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