1. नारी शिक्षा का महत्व
2. हमारे प्रिय नेता-महात्मा गाँधी
3. समय का सदुपयोग
4. स्वच्छ भारत अभियान
5. “दूरदर्शन या टेलीविजन”
1. नारी शिक्षा का महत्व
"नारी शिक्षा का महत्व"
प्रस्तावना : हमारे समाज में नारी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। नारी, एक माता, पत्नी, बहन और बेटी की भूमिका निभाती है। इसलिए नारी शिक्षा का महत्व बहुत अधिक है। यदि नारी शिक्षित होती है, तो वह अपने परिवार को समृद्ध और सफल बना सकती है। नारी शिक्षा के द्वारा ही समाज में समानता और समरसता की भावना बढ़ सकती है।
नारी शिक्षा का महत्व: समाज की समृद्धि: एक शिक्षित नारी अपने परिवार की समृद्धि के लिए काम करती है। वह समाज के विकास के लिए अपनी भूमिका निभा सकती है। शिक्षित नारी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करती है जिससे वे समाज की समृद्धि में योगदान देने वाले नागरिक बनते हैं।
आत्मनिर्भरता: शिक्षित नारी आत्मनिर्भर हो सकती है। वह अपने परिवार के लिए आर्थिक सहायता प्रदान कर सकती है। शिक्षित नारी अपनी नौकरी या व्यवसाय करके अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकती है।
समाज में समानता: नारी शिक्षा के माध्यम से समाज में समानता और समरसता की भावना बढ़ सकती है। शिक्षित नारी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती है और वह समाज में समानता के लिए संघर्ष कर सकती है।
कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ाई: शिक्षित नारी कुप्रथाओं और अंधविश्वासों के खिलाफ लड़ाई कर सकती है। वह अपने बच्चों को इन कुप्रथाओं के विषय में जागरूक करती है। शिक्षित नारी बाल विवाह, दहेज प्रथा, सती प्रथा आदि के खिलाफ आवाज उठा सकती है।
उपसंहार: इस प्रकार, हम यह कह सकते हैं कि नारी शिक्षा का महत्व बहुत अधिक है। एक शिक्षित नारी ही समाज के विकास में सकारात्मक योगदान दे सकती है। नारी शिक्षा की बाधाओं को दूर करके हमें समाज में समानता और समरसता लाने की कोशिश करनी चाहिए। नारी को शिक्षा प्राप्त करने का पूरा अधिकार होना चाहिए, ताकि वह अपने जीवन को स्वतंत्र और सम्मानित बना सके।
2. हमारे प्रिय नेता-महात्मा गाँधी
"हमारे प्रिय नेता-महात्मा गाँधी "
प्रस्तावना: हमारे देश में समय-समय पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है। इनमें महात्मा गाँधी का नाम प्रमुख है। अपने गुणों के कारण ही गाँधीजी एक बैरिस्टर होकर भी महात्मा कहलाये। आज सारा विश्व इस महापुरुष को देवता सदृश स्मरण करता है।
जन्म एवं शिक्षा परिचय: महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचन्द गाँधी था। इनका जन्म 2 अक्टूबर, सन् 1869 ई. को गुजरात राज्य के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम कर्मचन्द गाँधी और माता का नाम श्रीमती पुतलीबाई था। जीवन की घटनाएँ-गाँधीजी पोरबन्दर की एक फर्म के मुकदमे में सन् 1893 ई. में दक्षिणी अफ्रीका गये। वहाँ भारतीयों के साथ गोरे लोग बड़ा बुरा व्यवहार करते थे। यह देखकर गाँधीजी को बहुत दुःख हुआ। ऐसे अमानवीय व्यवहारों से पीड़ित होकर गाँधीजी ने सत्याग्रह किया और सत्याग्रह में विजयी होकर स्वदेश वापस आये।
विजय की भावना से प्रेरित होकर देश को स्वतंत्र करने की अभिलाषा जागृत हुई । सन् 1921 में असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ कर किया। गाँधीजी ने सन् 1930 ई. में नमक कानून के विरोध में सत्याग्रह किया। सन् 1942 ई. में महात्मा गाँधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ किया। इस दौरान गांधीजी को अनेक बार जेल जाना पड़ा। इनके प्रयत्नों से 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश भारत पूर्णरूप से स्वतंत्र हो गया।
उपसंहार: स्वतंत्र भारत के निर्माता होने से हम उन्हें 'बापू' और 'राष्ट्रपिता' के सम्बोधन से आदर देते हैं। 30 जनवरी, सन् 1948 ई. को दिल्ली में संध्या के समय नाथूराम विनायक गोडसे नामक एक युवक ने प्रार्थना सभा में गाँधीजी को पिस्तौल से गोली मार दी। पूरा देश इस पर स्तब्ध रह गया।
3. समय का सदुपयोग
" समय का सदुपयोग "
प्रस्तावना: 'समय' जीवन का अनमोल रत्न है। जिस प्रकार बहता हुआ पानी लौटाया नहीं जा सकता है, उसी प्रकार बीता हुआ समय भी वापस नहीं लाया जा सकता है। समय की उपयोगिता हमारे लिए अवर्णनीय है। इसलिए हमें समय का सदुपयोग करना चाहिए। उसके महत्त्व को समझना चाहिए।
समय के सदुपयोग की जरूरत: जीवन की सफलता का रहस्य समय के सदुपयोग में ही छिपा हुआ है। संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं उनके जीवन की सफलता का रहस्य समय का सदुपयोग ही रहा है। महात्मा गाँधी और नेहरू आदि समय के बहुत पाबन्द थे। वे एक-एक क्षण का बहुत ध्यान रखते थे। समय रुकता नहीं है, वह निरन्तर चलता ही रहता है।
समय के सदुपयोग से लाभ और हानि: समय के सदुपयोग से अनेक लाभ मिलते हैं। प्रत्येक काम उचित समय पर करने से पछताना नहीं पड़ता है। समय के सदुपयोग की आदत पड़ने से दैनिक जीवनचर्या सुव्यवस्थित हो जाती है। किसी भी काम के लिए हानि या नुकसान नहीं उठाना पड़ता है। समय का दुरुपयोग करने से व्यक्ति आलसी, निकम्मा, नासमझ और कर्तव्यहीन हो जाता है। उसका कोई सम्मान नहीं करता है।
उपसंहार: वर्तमान में प्रायः भारतीयों को समय का महत्त्व न समझने वाला माना जाता है। समय का सदुपयोग करने से व्यक्ति, समाज और राष्ट्र का हित होता है। समय का सदुपयोग ही सफलताओं का मूल मंत्र है।
4. स्वच्छ भारत अभियान
"स्वच्छ भारत अभियान"
प्रस्तावना: मानव जीवन की एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण की बहुत महत्व होती है। इसको ध्यान में रखते हुए, हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था। प्रधानमंत्री जी का यह प्रयास भारत को बीमारियों से मुक्त करने और स्वच्छ वातावरण की ओर ले जाने के लिए किया गया है। इस निबंध में हम स्वच्छ भारत अभियान के बारे में विस्तार से जानेंगे।
स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य: स्वच्छ भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य भारत को स्वच्छ और स्वस्थ बना देना है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य किए जा रहे हैं:
- सड़कों, गलियों, स्कूलों, कॉलेजों, रेलवे स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक स्थलों की सफाई।
- शौचालयों की निर्माण, उपयोग और उसकी सफाई की जानकारी देना।
- स्वच्छता के प्रति जन चेतना और जन सहभागिता बढ़ाना।
- कूड़े का सही प्रबंधन और कचरे के पुनर्चक्रण के लिए प्रोत्साहित करना।
- नदियों, झीलों, तालाबों और अन्य जल स्रोतों की सफाई और संरक्षण।
स्वच्छ भारत अभियान की सफलता: स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के लिए सभी वर्गों की सहभागिता आवश्यक है। सभी नागरिक स्वच्छता के प्रति संवेदनशील होकर अपने आसपास के क्षेत्र की सफाई और स्वच्छता में योगदान देने के लिए प्रेरित हों। स्वच्छता के प्रति व्यक्तिगत और सार्वजनिक स्तर पर जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों, संस्थानों और सामाजिक संगठनों का योगदान महत्वपूर्ण है।
उपसंहार: स्वच्छ भारत अभियान देश के स्वच्छता, स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण और सकारात्मक कदम है। इसकी सफलता हमारे देश के विकास और आर्थिक स्थिरता की कुंजी है। इसलिए, हमें स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने में हमारी पूरी क्षमता के साथ योगदान देना होगा। हमें अपने देश को स्वच्छ और हरित बना कर आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुंदर और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करना है।
5. दूरदर्शन या टेलीविजन
"दूरदर्शन या टेलीविजन "
प्रस्तावना: वर्तमान काल में अनेक वैज्ञानिक आविष्कार हुए हैं। इनमें दूरदर्शन या टेलीविजन काफी चमत्कारी आविष्कार है। इससे घर बैठे ही दूर के दृश्य एवं समाचार साक्षात् देखे-सुने जाते हैं। यह मनोरंजन के साथ ही शिक्षा-प्रचार और ज्ञान-प्रसार का श्रेष्ठ साधन है।
दूरदर्शन की उपयोगिता: हमारे देश में सन् 1959 ई. से दूरदर्शन का प्रयोग प्रारम्भ हुआ। वर्तमान में कृत्रिम उपग्रह के द्वारा सारे भारत में दूरदर्शन का प्रसारण हो रहा है। दूरदर्शन के सैकड़ों चैनलों से अनेक तरह के कार्यक्रम, सीरियल एवं फिल्में प्रसारित होती हैं। इनसे तुरन्त घटित या आँखों देखा प्रसारण भी होता है। दूरदर्शन की सबसे बड़ी उपयोगिता मनोरंजन के कार्यक्रमों के साथ समाचारों का तत्काल प्रसारण है। इससे शिक्षा का प्रसार होता है तथा रोजगार के साधनों का ज्ञान कराया जाता है। इस तरह जनचेतना को जागृत करने में तथा प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में दूरदर्शन विशेष उपयोगी माना जाता है।
दूरदर्शन का प्रभाव: दूरदर्शन या टेलीविजन से अनेक लाभ हैं, परन्तु इससे कुछ हानियाँ भी हैं। बालक दूरदर्शन से चिपके रहते हैं, इससे उनकी आँखें कमजोर हो जाती हैं और पढ़ने में रुचि नहीं रखते हैं। युवक दूरदर्शन के दृश्यों की नकल करके गलत आचरण करने लगते हैं। दूरदर्शन का वर्तमान नयी पीढ़ी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
उपसंहार: आज के युग में दूरदर्शन की विशेष उपयोगिता - है। जनता में जागृति लाने का यह श्रेष्ठ साधन है। परन्तु बालकों एवं युवाओं को इससे होने वाली हानि से बचाये रखना चाहिए।
28 videos|98 docs|28 tests
|
|
Explore Courses for Class 6 exam
|