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The Hindi Editorial Analysis- 8th July 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

जलवायु-लचीला वित्तपोषण और बुनियादी ढांचे के विकास में NaBFID की भूमिका


सन्दर्भ:

नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (एनएबीएफआईडी) राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को लागू करने और राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) में परियोजनाओं के वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए जलवायु-लचीला वित्तपोषण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

बुनियादी ढांचे वित्त पोषण में जलवायु लचीलेपन का एकीकरण

  • जलवायु जोखिमों पर सीमित ध्यान: एनआईपी के तहत जलवायु जोखिमों का एकीकरण मुख्य रूप से बढ़ते तापमान और जैव विविधता हानि जैसे पुराने भौतिक जोखिमों की अनदेखी करते हुए तीव्र भौतिक जलवायु जोखिमों पर केंद्रित है। इस समय प्रकृति-आधारित समाधानों और हरित बुनियादी ढांचे की ओर एक वैश्विक रुझान बढ़ता जा रहा है, जिसे एनआईपी को अपनाना चाहिए।
  • पारंपरिक बुनियादी ढांचे पर बल: तूफानी जल निकासी जैसे पारंपरिक ग्रे बुनियादी ढांचे पर एनआईपी का ध्यान हरित बुनियादी ढांचे के विकल्पों के एकीकरण की उपेक्षा करता है, यद्यपि इसे वैश्विक स्तर पर शहरों द्वारा बाढ़ शमन के लिए अपनाया जा रहा है।

पारदर्शिता और जवाबदेही:

  • स्वैच्छिक जलवायु प्रकटीकरण: इस सन्दर्भ में किया जाने वाला वैश्विक पहल जलवायु-संबंधित वित्तीय प्रकटीकरण को अनिवार्य बनाती है, भारत में ऐसे मामले काफी हद तक स्वैच्छिक हैं। इस दिशा में शीर्ष सूचीबद्ध कंपनियों तक व्यावसायिक जिम्मेदारी और स्थिरता रिपोर्ट (बीआरएसआर) का विस्तार एक सकारात्मक कदम है, लेकिन स्थिरता और जलवायु लचीलेपन को मुख्यधारा में लाने के प्रयासों को अभी भी व्यावहारिक कार्यान्वयन की आवश्यकता है।
  • वित्तीय जोखिमों को संबोधित करना: जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न वित्तीय जोखिमों को विश्व स्तर पर तेजी से पहचाना जा रहा है। केंद्रीय बैंकों ने तनाव परीक्षण उपाय शुरू किए हैं, साथ ही भारतीय नियामकों ने हरे/नीले बांड और जलवायु तनाव परीक्षण दिशानिर्देशों के लिए रूपरेखा की घोषणा की है। यद्यपि, जलवायु जोखिमों की मात्रा निर्धारित करना और ऋण जोखिमों का हिसाब-किताब रखना एक जटिल प्रक्रिया है।

नवोन्मेषी वित्तपोषण और साझेदारी का लाभ:

  • ट्रांजिशन बांड: NaBFID ट्रांजिशन बांड की लोकप्रियता का लाभ उठा सकता है, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से परियोजनाओं को वित्त पोषित करता है। यह इकाई-स्तरीय और परियोजना-स्तरीय सुरक्षा उपायों तथा नवीन वित्तपोषण संरचनाओं को नियोजित करके विविध प्रकार के फंडिंग स्रोतों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी): निवेश पर रिटर्न उत्पन्न करने के साथ-साथ परिसंपत्ति प्रबंधन और गुणवत्ता में सुधार के लिए संरचनात्मक उपायों पर एनएबीएफआईडी द्वारा किया जाने वाला कार्य अति महत्वपूर्ण है। पूर्व-योजना, सहयोगी प्रक्रियाओं और इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) के सहयोग के माध्यम से पीपीपी को बढ़ाने से लागत में वृद्धि को चिन्हित किया जा सकता है।

जलवायु-लचीला वित्तपोषण उपकरणों को बढ़ावा:

  • ग्रीन बांड और सतत-लिंक्ड बांड: ग्रीन बांड, सतत-लिंक्ड बांड और अन्य वित्तीय उत्पाद धन के प्रवाह को जलवायु शमन और उसके लचीलापन परियोजनाओं की तरफ अग्रसारित करते हैं। NaBFID बुनियादी ढांचे में हरित पूंजी प्रवाह को बढ़ाने के लिए हरित बांड के लिए निजी प्लेसमेंट जारी कर सकता है।
  • प्रकटीकरण मानक और उभरते बुनियादी ढांचे के मानक: जलवायु से संबंधित वित्तीय प्रकटीकरण को अनिवार्य करना और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए उभरते मानकों को अपनाने से पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ सकती है, साथ ही साथ निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में प्रकृति को एकीकृत किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

भारत के विकास के लिए बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण में NaBFID की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। जलवायु लचीलेपन को प्राथमिकता देकर, हरित बुनियादी ढांचे को अपनाकर, नवीन वित्तीय उत्पादों का लाभ उठाकर और मजबूत प्रकटीकरण मानकों को लागू करके, NaBFID जलवायु-लचीला वित्त पोषण सुनिश्चित कर सकता है और स्थायी परियोजनाओं के लिए धन भेज सकता है।

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