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Summary: रहीम के दोहे | Hindi (Vasant II) Class 7 (Old NCERT) PDF Download

सारांश

इस अध्याय में रहीम के पाँच प्रसिद्ध दोहे दिए गए हैं, जिनमें जीवन की सच्चाइयों को सरल और गूढ़ तरीके से प्रस्तुत किया गया है। हर दोहे में एक महत्वपूर्ण सीख छिपी हुई है, जो मानवीय मूल्यों को उजागर करती है। रहीम ने अपने दोहों में हमें सहनशीलता, विनम्रता, मितव्ययिता, मित्रता, और संयम का महत्व समझाया है।

सार

रहीम के दोहे एक साधारण भाषा में गहरे अर्थों को प्रस्तुत करते हैं। रहीम का काव्य हमें सिखाता है कि जीवन में मित्रता, सहनशीलता, मितव्ययिता, और विनम्रता जैसे गुण आवश्यक हैं। उनके दोहों से हम सीखते हैं कि कठिनाइयों का सामना धैर्य और समझदारी से करना चाहिए। रहीम की रचनाएँ आज भी जीवन के हर पहलू को समझने में सहायक होती हैं और यह दिखाती हैं कि कैसे सही आचरण और सोच से हम एक संतुलित और सुखद जीवन जी सकते हैं।

भावार्थ

पहला दोहा: 

"कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत। 
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत "

भावार्थ: उपर्युक्त दोहे में कवि रहीम कहते हैं कि हमारे सगे-संबंधी तो किसी संपत्ति की तरह होते हैं, जो बहुत सारे रीति-रिवाजों के बाद बनते हैं। परंतु जो व्यक्ति मुसीबत में आपकी सहायता कर, आपके काम आए, वही आपका सच्चा मित्र होता है।
Summary: रहीम के दोहे | Hindi (Vasant II) Class 7 (Old NCERT)

दूसरा दोहा: 

"जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह। 
रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह "

भावार्थ: उपर्युक्त दोहे में रहीमदास ने सच्चे प्रेम के बारे में बताया है। उनके अनुसार, जब नदी में मछली पकड़ने के लिए जाल डालकर बाहर निकाला जाता है, तो जल तो उसी समय बाहर निकल जाता है। क्योंकि उसे मछली से कोई प्रेम नहीं होता। मगर, मछली पानी के प्रेम को भूल नहीं पाती है और उसी के वियोग में प्राण त्याग देती है।

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तीसरा दोहा:

"तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान। 
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान " 

भावार्थ: उपर्युक्त दोहे रहीमदास कहते हैं कि जिस प्रकार वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते और नदी-तालाब अपना पानी स्वयं नहीं पीते। ठीक उसी प्रकार, सज्जन और अच्छे व्यक्ति अपने संचित धन का उपयोग केवल अपने लिए नहीं करते, वो उस धन से दूसरों का भला करते हैं।

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चौथा दोहा: 

"थोथे बादर क्वार के, ज्यों रहीम घहरात। 
धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात " 

भावार्थ: उपर्युक्त दोहे में रहीम दास जी ने कहते हैं कि जिस प्रकार बारिश और सर्दी के बीच के समय में बादल केवल गरजते हैं, बरसते नहीं हैं। उसी प्रकार, कंगाल होने के बाद अमीर व्यक्ति अपने पिछले समय की बड़ी-बड़ी बातें करते रहते हैं, जिनका कोई मूल्य नहीं होता है।

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पांचवाँ दोहा: 

"धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह। 
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह " 

भावार्थ: उपर्युक्त दोहे में कवि रहीम ने मनुष्य के शरीर की सहनशीलता के बारे में बताया है। वो कहते हैं कि मनुष्य के शरीर की सहनशक्ति बिल्कुल इस धरती के समान ही है। जिस तरह धरती सर्दी, गर्मी, बरसात आदि सभी मौसम झेल लेती है, ठीक उसी तरह हमारा शरीर भी जीवन के सुख-दुख रूपी हर मौसम को सहन कर लेता है।

कठिन शब्दों के अर्थ 

  • संपति - धन
  • सगे-संगे - संबंधी
  • बनत - बनना
  • बहुत - अनेक
  • रीत - प्रकार
  • विपत्ति - संकट
  • कसौटी - परखने का पत्थर
  • जे - जो
  • कसे - घिसने पर
  • तेई - वही
  • साँचे - सच्चे
  • मति - मित्र
  • परे - पड़ने पर
  • जात बहि - बाहर निकलना
  • तजि - त्यागना
  • मीनन - मछलियाँ
  • मोह - लगाव
  • नीर - पानी
  • तऊ - तब भी
  • छाँड़ति - छोड़ती है
  • छोह - मोह
  • तरुवर - पेड़
  • नहिं - नहीं
  • सरवर - तालाब
  • पियत - पीना
  • पान - पानी
  • परकाज - दूसरों के कार्य
  • हित - भलाई
  • सचहिं - संचय करना
  • सुजान - सज्जन व्यक्ति
  • थोथे - जलरहित
  • बादर - बादल
  • घहरात - गड़गड़ाना
  • भए - होना
  • पाछिली - पिछली
  • रीत - व्यवहार
  • सीत - ठंड
  • घाम - धूप
  • औ - और
  • मेह - बारिश
  • जैसी परे - जैसी परिस्थिति
  • सो - वह
  • सहि - सहना
  • देह - शरीर

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FAQs on Summary: रहीम के दोहे - Hindi (Vasant II) Class 7 (Old NCERT)

1. रहीम के दोहे का क्या महत्व है ?
Ans. रहीम के दोहे हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये दोहे न केवल ज्ञान और अनुभव का संग्रह हैं, बल्कि इनमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को सरल और स्पष्ट भाषा में व्यक्त किया गया है। रहीम की शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और सामाजिक, नैतिक और धार्मिक संदेश देती हैं।
2. क्या रहीम के दोहे बच्चों के लिए समझने में आसान हैं ?
Ans. हाँ, रहीम के दोहे बच्चों के लिए समझने में आसान होते हैं। उनकी भाषा सरल और स्पष्ट होती है, जिससे बच्चे आसानी से उनके अर्थ समझ सकते हैं। ये दोहे जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाते हैं, जैसे मित्रता, सदाचार और सहिष्णुता।
3. रहीम के दोहे किस प्रकार के विषयों पर आधारित होते हैं ?
Ans. रहीम के दोहे विभिन्न विषयों पर आधारित होते हैं, जैसे प्रेम, मित्रता, जीवन की सच्चाइयाँ, नैतिकता, और मानव संबंध। वे अक्सर दैनिक जीवन के अनुभवों और टिप्पणियों को दर्शाते हैं, जो समाज के लिए शिक्षाप्रद होते हैं।
4. क्या रहीम के दोहे में कोई कठिन शब्द हैं ?
Ans. हाँ, कुछ दोहों में कठिन शब्द हो सकते हैं, लेकिन उनके अर्थ समझने के लिए संदर्भ और व्याख्या की आवश्यकता होती है। कठिन शब्दों के अर्थ जानने से बच्चों को दोहे की गहराई और संदेश को समझने में मदद मिलती है।
5. क्या रहीम के दोहे का पाठ करने से कोई विशेष लाभ होता है ?
Ans. जी हाँ, रहीम के दोहे का पाठ करने से विद्यार्थियों को न केवल भाषा की समझ बढ़ती है, बल्कि उन्हें नैतिक शिक्षा भी मिलती है। इससे उनकी सोचने की क्षमता और जीवन के प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आता है।
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