1. नीचे दिए गए सार को पढ़ें और उसके बाद आने वाले प्रश्नों के उत्तर दें।
हम सभी उसके बारे में सोचते ही हमारे में उन जैसा कौन था। कभी भी उस जैसा दूसरा लड़का नहीं ढूँढ़ पाते थे। उसकी बातें, गालियाँ, मार पिटाई का ढंग अलग था ही, उसकी शक्ल-सूरत भी सबसे अलग थी। हाँड़ी जितना बड़ा सिर, उसके ठिगने चार बालिश्त के शरीर पर ऐसा लगता जैसे बिल्ली के बच्चे के माथे पर तरबूज रखा हो। इतने बड़े सिर में नारियल-की-सी आँखों वाला बंदरिया के बच्चे जैसा चेहरा और भी अजीब लगता। लड़ाई वह हाथ-पाँव नहीं, सिर से किया करता। जब साँड़ की भाँति फुँकारता, सिर झुका कर किसी के पेट या छाती में मार देता तो उससे दुगुने-तिगुने शरीर वाले लड़के भी पीड़ा से चिल्लाने लगते। हमें डर लगता कि किसी की छाती की पसली ही न तोड़ डाले। उसके सिर की टक्कर का नाम हमने ‘रेल-बम्बा’ रखा हुआ था-रेल के (कोयले से चलने वाले) इंजन की भाँति बड़ा और भयंकर ही तो था।
प्रश्न 1: इस कहानी के लेखक और पाठ का नाम बताएं-
उतर: लेखक का नाम – गुरदयाल सिंह
पाठ का नाम – सपनों के-से दिन
प्रश्न 2: सभी बच्चे किसके बारे में ऐसा सोचते है कि उसके जैसा हमारे बीच कोई नही ? और क्यों?
उतर: सभी बच्चे ओमा के बारे में सोचते है क्योंकि ओमा का सिर बहुत बड़ा था और उसके बोलने, मारने पीटने का तरीका और देखने में भी दूसरे बच्चों से सबसे अलग था।
प्रश्न 3: किसकी बातें, गालियाँ और मार पिटाई का ढंग सबसे अलग था?
उतर: ओमा की
प्रश्न 4: ‘बालिश्त’ का क्या अर्थ है-
उतर: बित्ता
प्रश्न 5. लेखक और उसके साथी किसको ‘रेल-बम्बा’ बुलाते थे?
उतर: ओमा को
2. नीचे दिए गए सार को पढ़ें और उसके बाद आने वाले प्रश्नों के उत्तर दें।
सभी लड़के उस ‘पीटी’ से बहुत डरते थे क्योंकि उन जितना सख्त अध्यापक न कभी किसी ने देखा, न सुना था। यदि कोई लड़का अपना सिर भी इधर-उधर हिला लेता या पाँव से दूसरी पिंडली खुजलाने लगता तो वह उसकी और बाघ की तरह झपट पड़ते और ‘खाल खींचने’ के मुहावरे को प्रत्यक्ष करके दिखा देते।
प्रश्न 1: सभी बच्चे पी.टी. सर से क्यों डरते थे?
उतर: सभी बच्चे पी.टी. (प्रीतम चंद) सर से इसलिए डरते थे क्योंकि पी.टी. सर बहुत सख्त थे अगर कोई विद्यार्थी गलती करता तो उसको डांटते, फटकारते या शारीरिक दंड दे देते थे।
प्रश्न 2: ‘खाल उधेड़ना’ से क्या तात्पर्य है-
उतर: कड़ा दंड देना, बहुत अधिक मारना-पीटना
3. नीचे दिए गए सार को पढ़ें और उसके बाद आने वाले प्रश्नों के उत्तर दें।
हम कोई गलती न करते तो अपनी चमकीली आँखें हलके से झपकाते कहते-शाबाश। वैल बिगिन अगेन-वन, टू, थ्री, थ्री, टू, वन! उनकी एक शाबाश ऐसे लगने लगती जैसे हमने किसी फ़ौज के सभी तमगे जीत लिए हों। कभी यही शाबाश, सभी मास्टरों की ओर से, हमारी सभी कापियों पर साल भर की लिखी ‘गुड्डों’ (गुड का बहुवचन) से अधिक मूल्यवान लगने लगती। कभी ऐसा भी लगता कि कई साल की सख्त मेहनत से प्राप्त की पढ़ाई से भी पीटी साहब के डिसीप्लिन में रह कर प्राप्त की ‘गुडविल’ बहुत बड़ी थी।
प्रश्न 1: कौन किसको आँखें हलके से झपकाते हुए शाबाश कहता है?
उतर: आँखें हलके से झपकाते हुए पी.टी. सर बच्चों को शाबाश कहते है।
प्रश्न 2: बच्चो को किसकी शाबाशी फ़ौज के तमगों जैसी लगती है?
उतर: पी.टी. (प्रीतम चंद) सर की
प्रश्न 3: ‘गुडविल’ से क्या अर्थ है-
उतर: साख, प्रख्याति
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