प्रश्न 1: रमन् की खोज 'रामन प्रभाव' क्या है?
उत्तर: 1921 में चंद्रशेखर वेंकट रामण के मस्तिष्क में समुद्र की नीली आभा में क्या कारण है, इस पर विचार करते समय उन्होंने 'रमन् प्रभाव' की खोज की। उनके अनुसार, जब एक वर्गीय प्रकाश की किरणें किसी तरल या ठोस पदार्थ से गुज़रती हैं, तो गुजरने के बाद उनके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है। प्रकाश की किरण के फोटान से ऊर्जा निकलती है या मिल जाती है। ऊर्जा के निकलने या पाने के हिसाब से उसका वर्ण परिवर्तित हो जाता है। यही रामन प्रभाव है।
प्रश्न 2: रमन् के जीवन से भावी पीढ़ी को क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर: रमन् वैज्ञानिक दृष्टि और प्रबल राष्ट्रीय चेतना की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। उनके जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हम भी उनकी तरह अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं का अवलोकन वैज्ञानिक दृष्टि से करें, प्रकृति के बीच छिपे वैज्ञानिक रहस्यों को खोलें तथा देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास हेतु प्रयास करें।
प्रश्न 3: 'रमन् प्रभाव' की खोज से वैज्ञानिक क्षेत्र किस प्रकार लाभान्वित हुआ?
उत्तर: 'रमन् प्रभाव' की खोज से पदार्थों की आणविक और परमाणविक संरचना का अध्ययन करना सरल हो गया। साथ ही पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना संभव हो गया तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण किया जाने लगा।
प्रश्न 4: रमन् के व्यक्तित्व पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर: रमन् उच्चकोटि के वैज्ञानिक तथा शोधकर्ता थे। वे भावुक प्रकृति प्रेमी होने के कारण समुद्र की नीली आभा में घंटों खोए रहते थे। उनकी गणित व भौतिकी में विशेष रुचि थी। उनमें प्रबल राष्ट्रीय चेतना थी। उन्होंने वाद्ययंत्रों के कंपन का रहस्य खोजा। उन्होंने 'रमन् प्रभाव' की खोज की। वे शुद्ध शाकाहारी, मदिरा से परहेज़ रखने वाले तथा भारतीय पहनावे को धारण करने वाले व्यक्ति थे। वे आगामी पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत थे।
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