प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ में त्रिपुरा के विषय में दी गई जानकारी को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर: प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है कि दिसंबर 1999 में ‘ ऑन द रोड’ शीर्षक से तीन खंडों वाली एक टी०वी० श्रृंखला बनाने के सिलसिले में वह त्रिपुरा की राजधानी अगरतला गया था। उसने बताया कि त्रिपुरा भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक है। इसकी जनसंख्या वृद्धि की दर चौंतीस प्रतिशत से भी अधिक है। यह तीन ओर से बाँग्लादेश और एक ओर से भारत के मिज़ोरम व असम राज्य से जुड़ा हुआ है। यहाँ बाँग्लादेश के लोगों का गैर-कानूनी ढंग से आना-जाना लगा रहता है। असम और पश्चिम बंगाल के लोग भी यहाँ खूब रहते हैं।
यहाँ बाहरी लोगों के लगातार आने से जनसंख्या का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है। यह त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष का भी मुख्य कारण है। इसके साथ-साथ त्रिपुरा अनेक धर्मों के लोगों के यहाँ बस जाने के कारण बहुधार्मिक समाज का उदाहरण भी बना हुआ है। त्रिपुरा में महात्मा बुद्ध और भगवान शिव की अनेक मूर्तियाँ हैं। यहाँ के उनाकोटी क्षेत्र को तो शैव तीर्थ के रूप में जाना जाता है। यहाँ का पूरा इलाका देवी – देवताओं की मूर्तियों से भरा पड़ा है। उनाकोटी में भगवान शिव की एक करोड़ से एक कम मूर्तियाँ हैं।
प्रश्न 2: त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष के पीछे क्या कारण है?
अथवा
किसी भी राज्य में बाहरी लोगों के आने से कुछ समस्याएँ उत्पन्न होती हैं तो कुछ अच्छा भी होता है । - इस कथन के संदर्भ में त्रिपुरा की स्थिति स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर: बांग्लादेश से लोगों की अवैध आवक यहाँ जबरदस्त है और इसे यहाँ सामाजिक स्वीकृति भी हासिल है। यहाँ की असाधारण जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण यही है । असम और पश्चिम बंगाल से भी लोगों का प्रवास यहाँ होता ही है। कुल मिलाकर बाहरी लोगों की भारी आवक ने जनसंख्या संतुलन को स्थानीय आदिवासियों के खिलाफ ला खड़ा किया है। यह त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष की मुख्य वजह है । इसके बावजूद त्रिपुरा राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण बन गया है। यहाँ 19 अनुसूचित जनजातियाँ तथा विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व है।
प्रश्न 3: किस घटना के कारण लेखक त्रिपुरा के उनाकोटी क्षेत्र की यादों में खो गया ?
उत्तर: एक दिन प्रातःकाल आकाश काले बादलों से भर गया। चारों ओर अँधेरा छा गया था। उस दिन सुबह – सुबह आकाश बिल्कुल ठंडा और भूरा दिखाई दे रहा था। बादलों की तेज़ गर्जना और बीच-बीच में बिजली का कड़क कर चमकना प्रकृति के तांडव के समान दिखाई दे रहा था। तीन साल पहले ठीक ऐसा ही लेखक के साथ त्रिपुरा के उनाकोटी क्षेत्र में हुआ था। वहाँ भी अचानक घनघोर बादल घिर आए थे और गर्जन–तर्जन के साथ प्रकृति का तांडव शुरू हो गया था। तीन साल पहले और उस दिन के वातावरण में पूर्ण समानता होने के कारण ही लेखक त्रिपुरा के उनाकोटी क्षेत्र की यादों में खो गया।
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