प्रश्न 1: ललद्यद किस भाषा की कवियत्री हैं
उत्तर: कश्मीरी
प्रश्न 2: “वाख” का अर्थ क्या हैं
उत्तर: वाणी
प्रश्न 3: कवयित्री ने अपनी श्वासों (सांस) की तुलना किससे की
उत्तर: कच्ची डोरी से
प्रश्न 4: कवयित्री “कच्चे धागे की रस्सी” किसे कहती है
उत्तर: मनुष्य की श्वासों को
प्रश्न 5: कवयित्री कौन सा सागर पार करना चाहती है
उत्तर: जन्म - मरण रूपी भवसागर
प्रश्न 6: कविता में , कवयित्री ने “कच्चे सकोरे” किसे कहा है
उत्तर: मनुष्य के नाशवान शरीर को
प्रश्न 7: किससे मिलने की हूक बार -बार कवयित्री के मन में उठती है
उत्तर: परमात्मा से
प्रश्न 8: कवयित्री के दुख का कारण क्या है
उत्तर: ईश्वर मिलन में आने वाली बाधाओं से पार न पा पाना
प्रश्न 9: “सम खा तभी होगा समभावी” , में “सम खा” से क्या तात्पर्य है
उत्तर: भोग व वैराग्य के बीच संतुलन बनाकर चलना
प्रश्न 10: “सम खा तभी होगा समभावी” , इन पंक्तियों में कवयित्री ने किसके महत्व को समझाया हैं
उत्तर: जीवन में संतुलन के
प्रश्न 11: ललद्यद की काव्य शैली को क्या कहते है
उत्तर: वाख
प्रश्न 12: कवयित्री ने अपनी जिंदगी की तुलना किससे की हैं
उत्तर: नाव से
प्रश्न 13: “रस्सी कच्चे धागे की , खींच रही मैं नाव”, में कौन सा अलंकार है
उत्तर: रूपक
प्रश्न 14: “भवसागर” , में कौन सा अलंकार है
उत्तर: रूपक
प्रश्न 15: “कच्चे सकोरे” , किसे कहते हैं
उत्तर: कच्ची मिट्टी के घड़े या बर्तन को
प्रश्न 16: “पानी टपके कच्चे सकोरे”, का क्या अर्थ हैं
उत्तर: हर बीतते दिन के साथ उम्र का कम होना।
प्रश्न 17: कवयित्री किसके घर जाना चाहती है
उत्तर: परमात्मा के
प्रश्न 18: कवयित्री द्वारा मुक्ति के लिए किए जाने वाले प्रयास व्यर्थ क्यों हो रहे हैं
उत्तर: भक्ति का सीधा सरल मार्ग न अपनाकर हठयोग का मार्ग अपनाने के कारण ।
प्रश्न 19: “खुलेगी साँकल बन्द द्वार की”, का भाव क्या है
उत्तर: मन की दुविधा का दूर होना या सभी लोगों को खुले हृदय से अपने जीवन में अपनाना।
प्रश्न 20: हमें अपने जीवन में किस - किस के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए
उत्तर: भोग और त्याग के बीच में
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