प्रश्न 1: साँवले सपनों का हुजूम कहाँ जा रहा है? उसे रोकना संभव क्यों नहीं है?
उत्तर: साँवले सपनों का हुजूम मौत की खामोश वादी की ओर जा रहा है। इसे रोकना इसलिए संभव नहीं है क्योंकि इस वादी ‘ में जाने वाले वे होते हैं जो मौत की गोद में चिर विश्राम कर रहे होते हैं। ये अपना जीवन जी चुके होते हैं।
प्रश्न 2: ‘मौत की खामोश वादी’ किसे कहा गया है? इसे घाटी की ओर किसे ले जाया जा रहा है?
उत्तर: ‘मौत की खामोश वादी’ कब्रिस्तान को कहा गया है। इस घाटी की ओर प्रसिद्ध पक्षी प्रेमी सालिम अली को ले जाया जा रहा है जो लगभग सौ वर्ष की उम्र में कैंसर नामक बीमारी का शिकार हो गए और मृत्यु की गोद में सो गए हैं।
प्रश्न 3: सालिम अली के इस सफ़र को अंतहीन क्यों कहा गया है?
उत्तर: सालिम अली के इस सफ़र को इसलिए अंतहीन कहा गया है क्योंकि इससे पहले वाले सफ़रों में सालिम अली जब पक्षियों की खोज में निकलते थे तो वे पक्षियों को देखते ही उनसे जुड़ी दुर्लभ जानकारियाँ लेकर लौट आते थे परंतु इस सफ़र का कोई अंत न होने से सालिम अली लौट न सकेंगे।
प्रश्न 4: मृत्यु की गोद में सोए सालिम अली की तुलना किससे की गई है और क्यों?
उत्तर: मृत्यु की गोद में सोए सालिम अली की तुलना उस वन-पक्षी से की गई है जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि सालिम अली भी अपनी जिंदगी के सौ वर्ष जीकर मृत्यु को प्राप्त कर चुके हैं। अब वे पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र करने नहीं जा सकेंगे।
प्रश्न 5: सालिम अली की दृष्टि में मनुष्य क्या भूल करते हैं? उन्होंने इसे भूल क्यों कहा?
उत्तर: सालिम अली की दृष्टि में मनुष्य यह भूल करते हैं कि लोग पक्षियों जंगलों-पहाड़ों, झरने-आवशारों आदि को आदमी की निगाह से देखते हैं। उन्होंने इसे भूल इसलिए कहा क्योंकि मनुष्य पक्षियों, नदी-झरनों आदि को इस दृष्टि से देखता है कि इससे उसका कितना स्वार्थ पूरा हो सकता है।
प्रश्न 6: वृंदावन में यमुना का साँवला पानी किन-किन घटनाओं की याद दिलाता है?
उत्तर: वृंदावन में यमुना का साँवला पानी कृष्ण से जुड़ी विभिन्न घटनाओं की याद दिलाता है, जैसे-
प्रश्न 7: वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को होने वाली अनुभूति अन्य स्थानों की अनुभूति से किस तरह भिन्न है?
उत्तर: वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को सुखद अनुभूति होती है। वहाँ सूर्योदय पूर्व जब उत्साहित भीड़ यमुना की सँकरी गलियों से गुजरती है तो लगता है कि अचानक कृष्ण बंशी बजाते हुए कहीं से आ जाएँगे। कुछ ऐसी ही अनुभूति शाम को भी होती है। ऐसी अनुभूति अन्य स्थानों पर नहीं होती है।
प्रश्न 8: पक्षियों के प्रति सालिम अली की दृष्टि अन्य लोगों की दृष्टि में क्या अंतर है? ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: सालिम अली दूर-दूर तक पक्षियों की खोज में यात्रा करते थे। वे अत्यंत उत्साह से दुर्गम स्थानों पर भी पक्षियों की खोज करते, उनकी सुरक्षा के बारे में सोचते और उनसे जुड़ी दुर्लभ जानकारी हासिल करते थे परंतु अन्य लोग पक्षियों को अपने स्वार्थ और मनोरंजन की दृष्टि से देखते हैं।\
प्रश्न 9: ‘बर्ड-वाचर’ किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर: ‘बर्ड-वाचर’ प्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी सालिम अली को कहा गया है क्योंकि सालिम अली जीवनभर पक्षियों की खोज करते रहे। और उनकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित रहे। वे अपने सुख-दुख की चिंता किए बिना आँखों पर दूरबीन लगाए पक्षियों से जुड़ी जानकारी एकत्र करते रहे।
प्रश्न 10: सालिम अली पक्षी-प्रेमी होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी थे। साँवले सपनों की याद पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सालिम अली पक्षियों से जितना लगाव रखते हुए उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित रहते थे उतना ही वे प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी चिंतित रहते थे। वे केरल की साइलेंट वैली को बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले और वैली को बचाने का अनुरोध किया।
प्रश्न 11: तहमीना कौन थीं? उन्होंने सालिम अली की किस तरह मदद की?
उत्तर: तहमीना सालिम अली की सहपाठिनी थी जो बाद में उनकी जीवनसंगिनी बनी। उन्होंने सालिम अली के पक्षी-प्रेम के मार्ग में कोई बाधा नहीं खड़ी की। उन्होंने सालिम अली का साथ दिया और प्रकृति से जुड़ने में उनकी मदद की।
प्रश्न 12: ‘अब हिमालय और लद्दाख की बरफ़ीली जमीनों पर रहने वाले पक्षियों की वकालत कौन करेगा’? ऐसा लेखक ने क्यों कहा होगा? ‘सावले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: सालिम अली की मृत्यु पर लेखक के मस्तिष्क में उनसे जुड़ी हर यादें चलचित्र की भाँति घूम गईं। लेखक ने महसूस किया कि सालिम अली आजीवन पक्षियों की तलाश में पहाड़ जैसे दुर्गम स्थानों पर घूमते रहे। वे आँखों पर दूरबीन लगाए नदी के किनारों पर जंगलों में और पहाड़ जैसे दुर्गम स्थानों पर भी पक्षियों की खोज करते रहे और उनकी सुरक्षा के प्रति प्रयत्नशील रहे। वे पक्षियों को बचाने का उपाय करते रहे। इसके विपरीत आज मनुष्य पक्षियों की उपस्थिति में अपना स्वार्थ देखता है। सालिम अली के पक्षी-प्रेम को याद कर लेखक ने ऐसा कहा होगा।
प्रश्न 13: फ्रीडा कौन थी? उसने लॉरेंस के बारे में क्या-क्या बताया?
उत्तर: फ्रीडा डी.एच.लॉरेंस की पत्नी थीं। लॉरेंस के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया था कि मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ कह पाना असंभव-सा है। मुझे लगता है कि मेरे छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। वह मुझसे भी ज्यादा जानती है। वह सचमुच ही इतना खुला-खुला और सादा दिल आदमी थे। संभव है कि लॉरेंस मेरी रगों में, मेरी हड्डियों में समाया हो।
प्रश्न 14: ‘साँवले-सपनों की याद’ पाठ के आधार पर बताइए कि सालिम अली को नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप क्यों कहा गया है?
उत्तर: सालिम अली महान पक्षी-प्रेमी थे। इसके अलावा वे प्रकृति से असीम लगाव रखते थे। वे प्रकृति के इतना निकट आ गए थे कि ऐसा लगता था कि उनका जीवन प्रकृतिमय हो गया था। सालिम अली प्रकृति के प्रभाव में आने के कायल नहीं थे। वे प्रकृति को अपने प्रभाव में लाना चाहते थे। पक्षी-प्रेम के कारण वे पक्षियों की खोज करते हुए प्रकृति के और निकट आ गए। नदी-पहाड़, झरने विशाल मैदान और अन्य दुर्गम स्थानों से उनका गहरा नाता जुड़ गया था। जिंदगी में अद्भुत सफलता पाने के बाद भी वे प्रकृति से जुड़े रहे। इस तरह उनका जीवन नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गया था।
प्रश्न 15: ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर सालिम अली के व्यक्तित्व की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: सालिम अली दुबली-पतली काया वाले व्यक्ति थे, जिनकी आयु लगभग एक सौ वर्ष होने को थी। पक्षियों की खोज में की गई लंबी-लंबी यात्राओं की थकान से उनका शरीर कमजोर हो गया था। वे अपनी आँखों पर प्रायः दूरबीन चढ़ाए रखते थे। पक्षियों की खोज के लिए वे दूर-दूर तक तथा दुर्गम स्थानों की यात्राएँ करते थे। उनकी एअर गन से घायल होकर गिरी नीले कंठवाली गौरैया ने उनके जीवन की दिशा बदले दी। वे पक्षी प्रेमी होने के अलावा प्रकृति प्रेमी भी थे। वे प्रकृतिमय जीवन जीते थे और उसकी सुरक्षा के लिए प्रयासरत रहते थे। वे नदी पहाड़-झरनों आदि को प्रकृति की दृष्टि से देखते थे।
प्रश्न 16: ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर बताइए कि सामान्य लोग पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान किस तरह दे सकते हैं?
उत्तर: ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ से ज्ञात होता है कि सालिम अली प्रकृति और उससे जुड़े विभिन्न अंगों-नदी, पहाड़, झरने, आबशारों आदि को प्रकृति की निगाह से देखते थे और उन्हें बचाने के लिए प्रयत्नशील रहते थे। उन्होंने केरल साइलेंट वैली को बचाने का अनुरोध किया। इसी तरह सामान्य लोग भी अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए विभिन्न रूपों में अपना योगदान दे सकते हैं; जैसे-
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