प्रश्न 1: उमा की शिक्षा के विषय में प्रेमी और रामस्वरूप के विचार किस तरह अलग थे? इनमें से किसके विचार आप उचित मानते हैं और क्यों? (मूल्यपरक प्रश्न)
उत्तर: उमा की शिक्षा के विषय में प्रेमा और रामस्वरूप के विचार अलग-अलग थे। प्रेमा चाहती थी कि उमा को इंट्रेस तक ही पढ़ाया जाए जबकि रामस्वरूप उच्च शिक्षा के समर्थक थे। उन्होंने अपनी बेटी को कॉलेज में पढ़ाकर बी.ए. करवाया। मुझे इनमें से रामस्वरूप के विचार अधिक उचित लगते हैं क्योंकि शिक्षा से व्यक्ति का विकास होता है। उच्च शिक्षा पाकर व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होता है। उसमें साहस आता है जिससे वह अपनी बात उचित ढंग से कह सकता है। शिक्षा स्त्री-पुरुष के बीच समानता लाने में सहायक होती है। इसके अलावा रामस्वरूप के विचार से स्त्रियाँ समाज में उचित सम्मान एवं गरिमा पाने की पात्र बनती हैं।
प्रश्न 2: गोपाल प्रसाद ऐसा क्यों चाहते थे कि उनकी बहू ज्यादा से ज्यादा दसवीं ही पास हो ?
उत्तर: गोपाल प्रसाद स्वयं उच्च शिक्षित थे। वे वकालत के पेशे से जुड़े थे। उनका बेटा शंकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। इसके बाद भी वे चाहते थे कि उनकी बहू ज्यादा से ज्यादा दसवीं ही पास हो। उनकी ऐसी चाहत के पीछे यह सोच रही होंगी कि उच्च शिक्षा प्राप्त लड़कियाँ अधिक जागरूक होती है। इससे वे अपने अधिकारों के प्रति सजग होती है। उनमें सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती हैं। ऐसी लड़कियों को बहू बनाने से उन पर अत्याचार नहीं किया जा सकता, उन्हें डरवाया नहीं जा सकता और अपने ऊपर हुए अत्याचार पर मुँह बंद नहीं रखती हैं।
प्रश्न 3: यदि उमा की स्थिति कम पढ़ी-लिखी लड़कियों जैसी होती तो एकांकी का अंत किस तरह अलग होता?
उत्तर: एकांकी की प्रमुख नारी पात्र उमा यदि बी.ए. पास और सुशिक्षित न होती और उसकी स्थिति कम पढ़ी-लिखी लड़कियों-सी होती तो वह सादगी पूर्ण जीवन जीने के बजाय अपनी माँ के कहने पर सज-धजकर गोपाल प्रसाद और शंकर के सामने आती। गोपाल प्रसाद और शंकर उससे अपनी मर्जी से तरह-तरह के सवाल करते और वह सिर झुकाए उत्तर देने को विवश रहती। वह शंकर की चारित्रिक कमजोरी जानते हुए भी खामोश रहती और अपनी बातें दृढ़ता एवं साहस से कह पाती। गोपाल प्रसाद और शंकर को तो ऐसी ही लड़की चाहिए थी। वे उमा को पसंद कर लेते तब एकांकी का अंत सुखद होता और सब खुश रहते।
प्रश्न 4: लड़कियों की शिक्षा और खूबसूरती के बारे में गोपाल प्रसाद के विचार किस तरह अलग थे? ‘रीढ़ की हड्डी’ नामक पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: गोपाल प्रसाद पढ़े-लिखे सुशिक्षित वकील थे। उनका बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था परंतु लड़कियों की शिक्षा के बारे में उनका विचारे यह था कि लड़कियों को अधिक पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए। पढ़ाई-लिखाई तो मर्दो के लिए बनी चीज़ है। इसके विपरीत वे स्त्री के लिए खूबसूरती आवश्यक मानते हैं। यह खूबसूरती चाहे स्वाभाविक हो या कृत्रिम पर नारी के लिए आवश्यक है। इस बारे में पुरुष एक बार तो मान भी जाते हैं पर स्त्रियाँ यह कभी भी मानने को तैयार नहीं। होती हैं कि वे खूबसूरत न दिखें। इस तरह लड़कियों की शिक्षा अरै उनकी खूबसूरती के बारे में गोपाल प्रसाद के विचार परस्पर विरोधी हैं।
प्रश्न 5: गोपाल प्रसाद और शंकर के सामने गीत गाती उमा ने अपना गीत अधूरा क्यों छोड़ दिया?
उत्तर: गोपाल प्रसाद अपने पुत्र शंकर के साथ उसके विवाह के लिए उमा को देखने आए थे। उमा अपने पिता रामस्वरूप के कहने पर मीरा का पद ‘मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरों न कोई तल्लीनता से गा रही थी। अचानक उमा की दृष्टि ऊपर उठी, उसने शंकर को देखा और पहचान लिया कि यह वह शंकर है जो लड़कियों के हॉस्टल में आगे-पीछे घूमता था। वहाँ नौकरानी द्वारा पकड़े जाने पर उसके (नौकरानी के) पैरों पड़कर अपना मुँह छिपाकर भागे थे। ऐसे चरित्रहीन लड़के के सामने से उसका आत्मसम्मान रोक रहा था और उसने अपना गीत अधूरा छोड़ दिया।
प्रश्न 6: इस एकांकी में आपको शंकर के व्यक्तित्व में कौन-कौन-सी कमियाँ नज़र आईं, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर: गोपाल प्रसाद पेशे से वकील हैं। शंकर उनका पुत्र है जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। शंकर उच्चशिक्षित होकर भी चाहता है कि उसकी शादी किसी ऐसी लड़की से हो जो दसवीं से अधिक पढ़ी-लिखी न हो ताकि वह शंकर की किसी उचित-अनुचित बात का जवाब न दे सके और न विरोध कर सके, बस उसकी हाँ में हाँ मिलाती रहे। इसके अलावा शंकर में मौलिक विचारों की कमी है। वह शारीरिक और चारित्रिक रूप से दुर्बल है। वह अपने पिता की हाँ में हाँ मिलाता रह जाता है।
प्रश्न 7: ‘रीढ़ की हड्डी’ नामक यह एकांकी अपने उद्देश्य में कितना सफल रही है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: ‘रीढ़ की हड्डी’ नामक एकांकी के माध्यम से समाज में व्याप्त दहेज की समस्या, लड़कियों को शिक्षा से दूर रखने की साजिश, लड़की के पिता की विवशता, लड़के के पिता की दहेज लोलुपता, युवाओं में शिक्षा एवं चरित्र की मजबूती के प्रति घटती रुचि आदि समस्याओं को उभारने का प्रयास किया गया है। एकांकी की प्रमुख नारी पात्र उमा ने अपनी उच्च शिक्षा, साहस और वाक्पटुता से शंकर और उसके पिता को जवाब दिया है और शंकर की पोल खोलकर लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा की सार्थकता सिद्ध कर दिया है, उसे देखते हुए यह एकांकी अपने उद्देश्य में पूर्णतया सफल रही है।
प्रश्न 8: रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के आधार पर उमा की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताइए कि वर्तमान में इनकी कितनी उपयोगिता है?
उत्तर: उमा ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की प्रमुख नारी पात्र है। वह बी.ए. पास सुशिक्षित है। उसमें अवसर पर अपनी बातें कहने की योग्यता है। एकांकी की कथावस्तु उमा के इर्द-गिर्द घूमती है। उमा की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 9: रामस्वरूप अपने घर की साज-सज्जा पर विशेष ध्यान देते हुए दिखाई देते हैं। उनका ऐसा करना समाज की किस मानसिकता की ओर संकेत करता है तथा ऐसी प्रथाओं के पीछे क्या कारण होते होंगे?
उत्तर: गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर के साथ उमा को देखने आने वाले हैं। यह जानकर रामस्वरूप अपने बैठक के कमरे को सजाते हैं। वे तख्त बिछवाकर उस पर दरी और चादर बिछवाते हैं। कमरे में हारमोनियम और सितार रखवा देते हैं। उन्होंने घर की सजावट पर विशेष ध्यान दे रखा है। उनका ऐसा करना समाज की दिखावटी या अधिक बढ़-चढ़कर दिखाने की मानसिकता की ओर संकेत करता है ताकि दूसरे लोग प्रभावित हों और उसे सामर्थ्यवान समझे। ऐसी प्रथाओं के पीछे आगंतुकों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति, अपनी सुंदर अभिरुचि का प्रदर्शन तथा अपनी हैसियत दर्शाने की चाहत होती है।
प्रश्न 10: उमा की व्यथा आज के समय में कितनी प्रासंगिक है? इस स्थिति में सुधार लाने के लिए एक युवा होने के नाते आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे? ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के आलोक में लिखिए।
उत्तर: उमा साहसी, शिक्षित, समझदार तथा विवाह योग्य लड़की है। वह बी.ए. पास प्रगतिशील विचारों वाली लड़की है। मेडिकल की पढ़ाई कर रहा दुर्बल शरीर एवं कमजोर चरित्र वाला नवयुवक शंकर उसे देखने अपने पिता गोपाल प्रसाद के साथ आता है। गोपाल प्रसाद को दसवीं पास बहू चाहिए। वे उमा को दसवीं पास समझते हैं। उससे गाना-बजाना, सिलाई-कढाई तथा इनाम-विनाम जीतने जैसी तरह-तरह की बातें पूछते हैं और अपने बेटे की सच्चाई का पता चलने पर उमा की उच्च शिक्षा को उसकी कमी बताकर चले जाते हैं।
उमा की यह व्यथा समाज की बहुत-सी लड़कियों की व्यथा है। उन्हें भी उमा के समान ही यह सब सहना और झेलना पड़ता है। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए युवाओं को लड़कियों की उच्च शिक्षा का महत्त्व समझना चाहिए। उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। समाज में लड़कियों के साथ भेदभाव न करने की जागरुकता फैलानी चाहिए। इसके लिए युवाओं को दहेज विवाह के लिए आगे आकर पहल करनी चाहिए।
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