प्रश्न 1: खरबूजे बेचने आई महिला फफक-फफक कर क्यों रोए जा रही थी? दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर: खरबूजे बेचने आई महिला इसलिए फफक-फफककर रोए जा रही थी क्योंकि एक दिन पहले ही उसका जवान बेटा साँप के डसने से चल बसा था। उसके घर में पोते-पोती और बीमार बहू के लिए कुछ भी खाने को न था। शोक मनाने की जगह खरबूजे बेचने की विवशता और बेटे की मृत्यु के दुख के कारण वह फफक-फफक कर रोए जा रही थी।
प्रश्न 2: किस आधार पर हमारे समाज में व्यक्ति का स्तर निर्धारित किया जाता है? दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर: हमारे समाज में व्यक्ति की पोशाक देखकर उसका स्तर निर्धारित किया जाता है। उसकी पहचान उसकी पोशाक से होती है, क्योंकि वही उसे अधिकार व दर्जा दिलाती है।
प्रश्न 3: भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
उत्तर: भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर हरी तरकारियाँ तथा खरबूजे उगाया करता था। वह रोज ही उन्हें सब्जी-मण्डी या फुटपाथ पर बैठकर बेचा करता था। इस प्रकार वह कछियारी करके अपने परिवार का निर्वाह करता था।
प्रश्न 4: यशपाल जी की कहानी दुःख का अधिकार में दुख मनाने का अधिकार सबको क्यों नहीं है?
उत्तर: दुःख की अनुभूति समाज का प्रत्येक वर्ग करता है परन्तु दुःख मनाने का अधिकार सबको नहीं है वह केवल सम्पन्न वर्ग को ही प्राप्त है क्योंकि उसके पास शोक मनाने के लिए सहूलियत भी है और समय भी। गरीब वर्ग की विवशता न तो उन्हें दु:ख मनाने की सुविधा प्रदान करती है न अधिकार। वे तो अपने परिवार के पालन पोषण के लिए रोजी-रोटी की उलझन में ही उलझे रहते हैं। अतः दुःख मनाने का भी एक अधिकार होता है।
प्रश्न 5: दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए बुढ़िया के बेटे का नाम क्या था?
उत्तर: बुढ़िया के बेटे का नाम भगवाना था।
प्रश्न 6: लेखक ने बुढ़िया के दुःख का कारण किस प्रकार पता लगाया? दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर: लेखक ने बुढ़िया के दुःख का कारण आस-पड़ोस की दुकानों से पूछकर पता लगाया था।
प्रश्न 7: भगवाना के इलाज और उसकी मृत्यु के बाद घर की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: भगवाना के इलाज में ही घर का आटा और अनाज तक खत्म हो गया था। उसकी मृत्यु के बाद उसके लिए कफ़न के इंतजाम में छोटे-मोटे आभूषण तक बिक गए। अब उसके घर में खाने के भी लाले पड़ गए। इस तरह घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल खराब हो गई थी।
प्रश्न 8: इस पाठ का शीर्षक दुःख का अधिकार कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस पाठ का शीर्षक दुःख का अधिकार सटीक एवं सार्थक है। लेखक यह कहना चाहता है कि यद्यपि दुःख प्रकट करना हर व्यक्ति का अधिकार है। परन्तु हर कोई ऐसा कर नहीं सकता। एक ओर सम्पन्न महिला है और उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं है। उसके पास पुत्र-शोक मनाने के लिए डॉक्टर हैं, सेवा-कर्मी हैं, साधन हैं, धन है, समय है। परन्तु गरीब लोग अभागे हैं, वे चाहे तो भी शोक प्रकट करने के लिए आराम से दो आँसू नहीं बहा सकते। उनके सामने खड़ी भूख, गरीबी और बीमारी नंगा नाच करने लगती है। अतः दुःख प्रकट करने का अधिकार गरीबों को नहीं है।
15 videos|160 docs|37 tests
|
15 videos|160 docs|37 tests
|
|
Explore Courses for Class 9 exam
|