Class 9 Exam  >  Class 9 Notes  >  Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)  >  Short & Long Question Answer: दुःख का अधिकार

Short & Long Question Answer: दुःख का अधिकार | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

प्रश्न 1: खरबूजे बेचने आई महिला फफक-फफक कर क्यों रोए जा रही थी? दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर: महिला खरबूजे बेचने आई थी और वह फफक-फफक कर रो रही थी क्योंकि एक दिन पहले ही उसका जवान बेटा साँप के डसने से चल बसा था। उसके घर में पोते-पोती और बीमार बहू के लिए खाने को कुछ भी नहीं था। इस परिस्थिति में, शोक मनाने की जगह उसे खरबूजे बेचने की विवशता थी। बेटे की मृत्यु का दुःख उसके दिल को चीर रहा था, जिसके कारण वह रो रही थी।

प्रश्न 2: किस आधार पर हमारे समाज में व्यक्ति का स्तर निर्धारित किया जाता है? दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर: हमारे समाज में व्यक्ति का स्तर मुख्यतः उसकी पोशाक के आधार पर निर्धारित किया जाता है। एक व्यक्ति की पहचान उसकी पोशाक से होती है, क्योंकि यही उसे अधिकार और दर्जा दिलाती है।

प्रश्न 3: भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
उत्तर: भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर हरी तरकारियाँ और खरबूजे उगाया करता था। वह रोज़ इन्हें सब्ज़ी-मण्डी या फुटपाथ पर बैठकर बेचता था। इस प्रकार, वह कृषि करके अपने परिवार का निर्वाह करता था।

प्रश्न 4: यशपाल जी की कहानी दुःख का अधिकार में दुख मनाने का अधिकार सबको क्यों नहीं है?
उत्तर: दुःख की अनुभूति समाज के प्रत्येक वर्ग द्वारा की जाती है; हालाँकि, दुःख मनाने का अधिकार सभी को नहीं है। यह विशेष अधिकार केवल सम्पन्न वर्ग को प्राप्त है, क्योंकि उनके पास शोक मनाने के लिए आवश्यक सहूलियतें और समय होता है। इसके विपरीत, गरीब वर्ग की विवशता उन्हें दुःख मनाने की सुविधा नहीं प्रदान करती। वे तो अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए रोज़ी-रोटी की उलझनों में ही जूझते रहते हैं। इस तरह, दुःख मनाने का भी एक अधिकार होता है, जो केवल कुछ लोगों के पास होता है।

प्रश्न 5: दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए बुढ़िया के बेटे का नाम क्या था?
उत्तर: बुढ़िया के बेटे का नाम भगवाना था।

प्रश्न 6: लेखक ने बुढ़िया के दुःख का कारण किस प्रकार पता लगाया? दुःख का अधिकार पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर: लेखक ने बुढ़िया के दुःख का कारण आस-पड़ोस की दुकानों से पूछकर पता लगाया था। इस प्रक्रिया में उन्होंने स्थानीय लोगों से जानकारी प्राप्त की, जिससे उन्हें बुढ़िया के दुःख की वास्तविकता का पता चला।

प्रश्न 7: भगवाना के इलाज और उसकी मृत्यु के बाद घर की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: भगवाना के इलाज में घर का आटा और अनाज तक समाप्त हो गया था। उसकी मृत्यु के बाद, कफ़न के इंतजाम के लिए छोटे-मोटे आभूषण तक बिक गए। अब उसके घर में खाने की भी किल्लत होने लगी। इस तरह, घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल खराब हो गई थी।

प्रश्न 8: इस पाठ का शीर्षक दुःख का अधिकार कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इस पाठ का शीर्षक दुःख का अधिकार सटीक एवं सार्थक है। लेखक यह बताना चाहता है कि यद्यपि दुःख प्रकट करना हर व्यक्ति का अधिकार है, परन्तु हर कोई ऐसा कर नहीं सकता। एक ओर, सम्पन्न महिला है जो बिना किसी जिम्मेदारी के अपने दुःख का प्रदर्शन कर सकती है। उसके पास डॉक्टर, सेवा-कर्मी, साधन, धन और समय है, जिससे वह पुत्र-शोक मनाने में सक्षम है। वहीं, गरीब लोग अभागे हैं; वे चाहे तो भी शोक प्रकट करने के लिए आसानी से दो आँसू नहीं बहा सकते। उनके सामने खड़ी भूख, गरीबी और बीमारी नंगा नाच करने लगती है। इस प्रकार, दुःख प्रकट करने का अधिकार गरीबों को नहीं है, क्योंकि उनके पास इससे निपटने के लिए आवश्यक साधन नहीं होते।

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FAQs on Short & Long Question Answer: दुःख का अधिकार - Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan)

1. "दुःख का अधिकार" पाठ का मुख्य विषय क्या है?
Ans."दुःख का अधिकार" पाठ में यह बताया गया है कि जीवन में दुःख और सुख दोनों का अनुभव होना सामान्य है। यह पाठ इस बात पर जोर देता है कि दुःख को स्वीकार करना और उससे सीखना आवश्यक है, क्योंकि यह हमारे विकास और परिपक्वता के लिए महत्वपूर्ण है।
2. "दुःख का अधिकार" लेख में लेखक का दृष्टिकोण क्या है?
Ans.लेखक का दृष्टिकोण यह है कि दुःख केवल नकारात्मक अनुभव नहीं है, बल्कि यह जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेखक यह बताने का प्रयास करते हैं कि दुःख को समझना और उसे सहन करना व्यक्ति को मजबूत बनाता है और जीवन के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है।
3. पाठ में दुःख और सुख के बीच का संबंध कैसे दर्शाया गया है?
Ans.पाठ में दुःख और सुख के बीच का संबंध इस तरह दर्शाया गया है कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। जहाँ सुख आनंद और संतोष का अनुभव कराता है, वहीं दुःख हमें जीवन की कठिनाइयों का सामना करना और उनसे सीखना सिखाता है। इस प्रकार, दुःख को एक आवश्यक अनुभव के रूप में देखा गया है।
4. "दुःख का अधिकार" पाठ से हमें कौन से नैतिक मूल्य सीखने को मिलते हैं?
Ans.पाठ से हमें यह नैतिक मूल्य सीखने को मिलते हैं कि हमें कठिनाइयों का सामना करते समय धैर्य और साहस नहीं खोना चाहिए। इसके अलावा, दुःख को सहन करने से मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास का विकास होता है, जो जीवन में आगे बढ़ने में मदद करता है।
5. "दुःख का अधिकार" पाठ में दिए गए उदाहरणों का क्या महत्व है?
Ans.पाठ में दिए गए उदाहरणों का महत्व यह है कि वे पाठक को वास्तविक जीवन की परिस्थितियों से जोड़ते हैं। ये उदाहरण दिखाते हैं कि कैसे विभिन्न लोग अपने दुःख का सामना करते हैं और उससे कैसे उबरते हैं। इससे पाठक को प्रेरणा मिलती है और वे अपने व्यक्तिगत अनुभवों से भी जोड़ पाते हैं।
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