प्रश्न 1: रामन के प्रारंभिक जीवन पर प्रकाश डालिए?
उत्तर: चंद्रशेखर वेंकट रामन का जन्म 7 नवंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में हुआ था। वे एक विशेषज्ञ भौतिकविज्ञानी थे और उन्होंने अपने विशेषज्ञता के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। उनके पिता भी एक गणित और भौतिकी के शिक्षक थे, जिनका प्रभाव रामन के शैक्षिक प्रवृत्तियों पर बड़ा था। उनका बचपन विज्ञान के प्रति उनकी गहरी रुचि के साथ गुजरा, और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय और स्थानिक शिक्षा संस्थानों से प्राप्त की। वे अपनी पढ़ाई को और भी आगे बढ़ाते गए और उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज, मद्रास से अपनी पोस्ट-ग्रेजुएशन की पढ़ाई की जहाँ से उन्होंने भौतिकी में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की।
प्रश्न 2: ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस की प्रयोगशाला के बारे में बताइए?
उत्तर: 'इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस' या आई.ए.ई.सी.एस. भारतीय विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण संगठन थी जिसकी स्थापना महेंद्रलाल सरकार ने की थी। इसका उद्देश्य था विज्ञान की प्रोत्साहन देना, वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करना, और भारत में विज्ञान की शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देना। इस संगठन के तहत विज्ञानिकों को आवश्यक संसाधनों की प्राप्ति के लिए समर्थन प्रदान किया जाता था।
प्रश्न 3: रामन् वाद्य यंत्रों में खोज क्यों करना चाहते थे?
उत्तर: रामन् की खोज की एक मुख्य दिशा थी वाद्य यंत्रों के प्रदर्शन के क्षेत्र में। उन्होंने सबूत देने का इरादा किया कि भारतीय वाद्य यंत्र भी उतने ही उच्च गुणवत्ता और प्रदर्शन क्षमता के साथ हो सकते हैं जैसे कि विदेशी वाद्य यंत्र। उन्होंने भारतीय वाद्य यंत्रों के साथ-साथ विदेशी वाद्य यंत्रों में भी खोज कर दिखाया कि यह भ्रांति गलत है और भारतीय यंत्र भी अच्छे प्रदर्शन क्षमता रखते हैं।
प्रश्न 4: रमन प्रभाव क्या है?
उत्तर: रमन प्रभाव एक भौतिकीय प्रभाव है जिसमें प्रकाश के बिखरने के प्रक्रिया में वर्णक्रम में परिवर्तन होता है। यह प्रक्रिया सबसे पहले भारतीय भौतिकविज्ञानी चंद्रशेखर वेंकट रामन द्वारा 1928 में प्रस्तुत की गई थी। जब प्रकाश किसी द्रव्य के साथ मिलता है, तो कुछ तरह की किरणों का बिखरना या परावर्तन होता है, जिससे प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन आता है। यह परिवर्तन उस द्रव्य की मोलेक्युलर संरचना के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
प्रश्न 5: रामन् को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?
उत्तर: रामन् को उनके योगदान के लिए कई महत्वपूर्ण पुरस्कार मिले, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 6: रामन् की खोज से भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में क्या बदलाव लाए?
उत्तर: रामन् की खोज ने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाए। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए रामन प्रभाव के प्रयोग से प्रकाश के बिखरने के तरीके का अध्ययन किया गया और यह पता चला कि प्रकाश के बिखरने के प्रक्रिया में एक नई दिशा को प्रमोट किया जा सकता है। इससे विज्ञानिकों को पदार्थों की संरचना के बारे में नई जानकारी प्राप्त हुई और यह उन्हें अधिक समझने और अनुसंधान करने का अवसर प्रदान किया।
प्रश्न 7: रामन् के साथ स्टॉकहोम में क्या हुआ?
उत्तर: जब रामन् स्टॉकहोम गए थे ताकि उन्हें नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जा सके, तो वह एक प्रस्तावना प्रस्तुत करने के लिए वहाँ पहुँचे। इस प्रस्तावना के दौरान, उन्हें विज्ञानिकों के साथ मिलकर उनके शोध कार्यों का प्रस्तुतीकरण करने का अवसर मिला। उन्होंने अल्कोहल पर रामन प्रभाव का प्रदर्शन किया, जिसमें प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन आता है। यह उनके शोध कार्य की एक महत्वपूर्ण दिशा थी और इससे वे विज्ञानिक समुदाय में एक महत्वपूर्ण योगदान करने में सफल रहे।
प्रश्न 8: रमन की खोज से आइंस्टाइन का क्या संबंध है?
उत्तर: रामन की खोज की एक महत्वपूर्ण परिणामिकता थी जो आइंस्टाइन के विचारों को प्रायोगिक रूप में समर्थन प्रदान करती थी। आइंस्टाइन की सापेक्ष तात्त्विकता के अनुसार, प्रकाश की किरणों का बिखरना और परावर्तन विशिष्ट तरीके से होता है जब यह किसी पदार्थ में प्रवेश करता है। रामन की खोज ने इस दिशा को प्रायोगिक रूप में प्रमाणित किया जब उन्होंने दिखाया कि प्रकाश के बिखरने के प्रक्रिया में वर्णक्रम में परिवर्तन होता है, जो पदार्थ की संरचना के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिससे आइंस्टाइन की सिद्धांतों को समर्थन मिला।
प्रश्न 9: रमन ने “रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट” की स्थापना क्यों की?
उत्तर: रमन ने बंगलौर, भारत में "रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट" की स्थापना उनके दृष्टिकोण में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए की। उन्हें भारतीय वैज्ञानिकों को उच्चतर शिक्षा और शोध के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता महत्वपूर्ण लगी थी, जिससे वे विद्यार्थियों को बाहर जाने की आवश्यकता नहीं होती और वे देश में ही उन्नत तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर सकते। इसके अलावा, उन्होंने इंडियन जर्नल ऑफ फिजिक्स नामक वैज्ञानिक पत्रिका की स्थापना भी की, जिससे विज्ञान समुदाय में विज्ञानिक अनुसंधान की प्रोत्साहन की गई।
प्रश्न 10: रमन विवाद क्या था?
उत्तर: 'रमन विवाद' भारतीय विज्ञान समुदाय में एक महत्वपूर्ण विवाद था जो चंद्रशेखर वेंकट रामन के और विज्ञान समुदाय के बीच में था। 1930 में रामन् के द्वारा रामन प्रभाव की खोज के बाद, उन्होंने एक शोध लेख प्रकाशित किया जिसमें वे यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे थे कि प्रकाश के बिखरने का कारण क्या है। इसमें उन्होंने यह माना कि प्रकाश के बिखरने का कारण अलकोहल जैसे द्रव्यों में है, जो बाद में गलत साबित हुआ। इसके परिणामस्वरूप, कुछ भारतीय वैज्ञानिकों ने रामन् के विचारों का खंडन किया, जिनमें भगवान चंद्रशेखर वेंकट रामन के अनुयायी भी शामिल थे। इस विवाद के कारण, रामन् की खोज पर सवाल उठे और इसका परिणामस्वरूप उन्हें 1930 में नोबेल पुरस्कार से वंचित कर दिया गया। हालांकि, बाद में उनकी खोज सत्य सिद्ध हुई और उन्हें 1930 में ही नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
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