प्रश्न 1: गाँधी जी ने महादेव भाई को अपने उत्तराधिकारी का पद कब सौंपा?
उत्तर: महादेव भाई जब 1917 में गाँधी जी के पास आए तभी गाँधी जी ने उनकी अद्भुत प्रतिभा को पहचान लिया और उन्हें अपने उत्तराधिकारी का पद सौंप दिया।
प्रश्न 2: गांधी जी ने यंग इंडिया प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया?
उत्तर: गांधीजी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में यह निश्चय किया कि वह इस साप्ताहिक पत्र को हफ्ते में केवल दो बार प्रकाशित करेंगे, क्योंकि सत्याग्रह आंदोलन में लीन रहने के कारण गांधी जी का काम बहुत बढ़ गया था।
प्रश्न 3: शुक्र तारे के समान किसे बताया गया और क्यों?
उत्तर: शुक्र तारे के समान महादेव भाई देसाई को बताया गया है, जो गाँधी जी के परम सहयोगी थे। आकाश के तारों में शुक्र का कोई जोड़ नहीं। शुक्र, चन्द्र का साथी। जिस प्रकार शुक्र तारा नक्षत्र मण्डल में ऐन शाम या सवेरे घण्टे दो घण्टे दिखता है, पर अपनी आभा-प्रभा से आकाश को जगमगा देता है, उसी प्रकार महादेव भाई आधुनिक भारत की स्वतन्त्रता के उषाकाल में अपने स्वभाव व विद्वता से देश-दुनिया को मुग्ध करके अचानक अस्त हो गए।
प्रश्न 4: उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वायसराय लम्बी साँस-उसाँस लेने लगते थे। शुक्र तारे के समान पाठ के आधार पर आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: भारत में उनके अक्षरों का कोई सानी नहीं था। वायसराय के नाम जाने वाले गाँधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे। बड़े-बड़े सिविलियन और गर्वनर कहा करते थे कि सारी ब्रिटिश सर्विसों में महादेव के समान अक्षर लिखने वाला कहीं खोजने पर नहीं मिलता था। महादेव भाई गाँधी जी को जो पत्र लिखते थे, उनके पास ऐसा व्यक्ति देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वायसराय लम्बी साँस लेते थे, क्योंकि उनके पास सुन्दर अक्षर लिखने वाला कोई लेखक नहीं था।
प्रश्न 5: शुक्रतारे के समान पाठ में गांधी जी के पत्र किसके लिखावट में जाते थे?
उत्तर: गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाया करते थे।
प्रश्न 6: गाँधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?
उत्तर: गाँधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकारी अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे।
प्रश्न 7: महादेव की साहित्यिक देन क्या है? ‘शुक्र तारे के समान’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर: महादेव को प्रथम श्रेणी की शिष्ट, सम्पन्न भाषा और मनोहारी लेखन-शैली की ईश्वरीय देन मिली थी। गाँधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेज़ी अनुवाद इन्होंने किया। नरहरि भाई के साथ उन्होंने टैगोर द्वारा रचित साहित्य का उलटना-पुलटना शुरू किया। टैगोर द्वारा रचित ‘विदाई का अभिशाप’ ‘शीर्षक नाटिका’, ‘शरद बाबू की कहानियाँ’ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक देन हैं।
प्रश्न 8: विद्यार्थी अवस्था में महादेव भाई क्या करते थे? महादेव भाई की साहित्यिक गतिविधियों में क्या देन है?
उत्तर: महादेव भाई पहले सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे। 1917 में वे गाँधी जी के पास आए और उनके वैयक्तिक सहायक बन गए।
महादेव भाई को शिष्ट सम्पन्न भाषा और मनोहारी लेखन शैली की ईश्वरीय देन मिली थी। गाँधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ (मूल गुजराती) का अंग्रेजी अनुवाद महादेव भाई ने किया। टैगोर के नाटक ‘विदाई का अभिशाप’ और शरत बाबू की कहानियों का अनुवाद उनकीसाहित्यिक देन है।
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