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Extract Based Questions: तुम कब जाओगे अतिथि | Hindi Class 9 (Sparsh and Sanchayan) PDF Download

1. गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
आज तुम्हारे आगमन के चतुर्थ दिवस पर यह प्रश्न बार-बार मन में घुमड़ रहा है- तुम कब जाओगे, अतिथि?
तुम जहाँ बैठे निस्संकोच सिगरेट का धुआँ फेंक रहे हो, उसके ठीक सामने एक कैलेंडर है। देख रहे हो ना! इसकी तारीखें अपनी सीमा में नम्रता से फड़फड़ाती रहती हैं। विगत दो दिनों से मैं तुम्हें दिखाकर तारीखें बदल रहा हूँ। तुम जानते हो, अगर तुम्हें हिसाब लगाना आता है कि यह चौथा दिन है, तुम्हारे सतत आतिथ्य का चौथा भारी दिन! पर तुम्हारे जाने की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती। लाखों मील लंबी यात्रा करने के बाद वे दोनों एस्ट्रॉनाट्स भी इतने समय चाँद पर नहीं रुके थे, जितने समय तुम एक छोटी-सी यात्रा कर मेरे घर आए हो। तुम अपने भारी चरण-कमलों की छाप मेरी ज़मीन पर अंकित कर चुके, तुमने एक अंतरंग निजी संबंध मुझसे स्थापित कर लिया।

प्रश्न 1: अतिथि कितने दिन तक लेखक के घर में रुका?
(क) 1
(ख) 2
(ग) 3
(घ) 4
उत्तर: 
(घ) 4

प्रश्न 2: अतिथि किसके सामने सिगरेट पी रहा था?
(क) लेखक के सामने
(ख) लेखक की पत्नी के सामने
(ग) लेखक के बच्चो के सामने
(घ) कैलेंडर के सामने
उत्तर:
(घ) कैलेंडर के सामने

प्रश्न 3: लेखक ने अतिथि की तुलना किससे की?
(क) एस्ट्रोनॉट से
(ख) कैलेंडर से
(ग) सिगरेट से
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: 
(क) एस्ट्रोनॉट से

प्रश्न 4: लेखक से अतरंग निजी संबंध किसने स्थापित किया?
(क) लेखक के दूर के दोस्त ने
(ख) अतिथि ने
(ग) लेखक के बचपन के दोस्त ने
(घ) लेखिका के मामा के लड़के ने
उत्तर: 
(ख) अतिथि ने

2. गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
तुमने मेरी आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्टान देख ली; तुम मेरी काफ़ी मिट्टी खोद चुके। अब तुम लौट जाओ, अतिथि! तुम्हारे जाने के लिए यह उच्च समय अर्थात हाईटाइम है। क्या तुम्हें तुम्हारी पृथ्वी नहीं पुकारती?
उस दिन जब तुम आए थे, मेरा हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा था। अंदर-ही-अंदर कहीं मेरा बटुआ काँप गया। उसके बावजूद एक स्नेह-भीगी मुसकराहट के साथ मैं तुमसे गले मिला था और मेरी पत्नी ने तुम्हें सादर नमस्ते की थी। तुम्हारे सम्मान में ओ अतिथि, हमने रात के भोजन को एकाएक उच्च-मध्यम वर्ग के डिनर में बदल दिया था। तुम्हें स्मरण होगा कि दो सब्जियों और रायते के अलावा हमने मीठा भी बनाया था। इस सारे उत्साह और लगन के मूल में एक आशा थी।

प्रश्न 1: किसने लेखक की आर्थिक सीमाओं की बैंजनी चट्टान देख ली?
(क) लेखक की पत्नी की मां ने
(ख) लेखक के दोस्तों ने
(ग) लेखक के ममेरे भाई ने
(घ) अतिथि ने
उत्तर:
(घ) अतिथि ने

प्रश्न 2: कौन लेखक की काफ़ी मिट्टी खोद चुका है?
(क) लेखक की पत्नी की मां ने
(ख) लेखक के दोस्तों ने
(ग) लेखक के ममेरे भाई ने
(घ) अतिथि ने
उत्तर:
(घ) अतिथि ने

प्रश्न 3: किसके आने से हृदय किसी अज्ञात आशंका से धड़क उठा था?
(क) लेखक की पत्नी की मां के
(ख) अतिथि के
(ग) लेखक के ममेरे भाई के
(घ) लेखक के दोस्तों के
उत्तर: 
(ख) अतिथि के

प्रश्न 4: लेखक की पत्नी ने अतिथि के सत्कार के लिए डिनर में अतिरिक्त क्या बनाया?
(क) मीठा
(ख) चिकन
(ग) खीर
(घ) मैगी
उत्तर: 
(क) मीठा

3. गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
आशा थी कि दूसरे दिन किसी रेल से एक शानदार मेहमाननवाज़ी की छाप अपने हृदय में ले तुम चले जाओगे। हम तुमसे रुकने के लिए आग्रह करेंगे, मगर तुम नहीं मानोगे और एक अच्छे अतिथि की तरह चले जाओगे। पर ऐसा नहीं हुआ! दूसरे दिन भी तुम अपनी अतिथि-सुलभ मुसकान लिए घर में ही बने रहे। हमने अपनी पीड़ा पी ली और प्रसन्‍न बने रहे। स्वागत-सत्कार के जिस उच्च बिंदु पर हम तुम्हें ले जा चुके थे, वहाँ से नीचे उतर हमने फिर दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की और रात्रि को तुम्हें सिनेमा दिखाया। हमारे सत्कार का यह आखिरी छोर है, जिससे आगे हम किसी के लिए नहीं बढे। इसके तुरंत बाद भावभीनी विदाई का वह भीगा हुआ क्षण आ जाना चाहिए था, जब तुम विदा होते और हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाते। पर तुमने ऐसा नहीं किया।तीसरे दिन की सुबह तुमने मुझसे कहा, “मैं धोबी को कपड़े देना चाहता हूँ।”

प्रश्न 1: दोपहर के भोजन को किसकी गरिमा मिली?
(क) लंच
(ख) डिनर
(ग) मील
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: 
(क) लंच

प्रश्न 2: लेखक अतिथि को रात्रि में क्या दिखाया?
(क) नाटक
(ख) सिनेमा
(ग) नौटंकी
(घ) रामलीला
उत्तर: 
(ख) सिनेमा

प्रश्न 3: लेखक के सत्कार का आखिरी छोर क्या था?
(क) शॉपिंग कराना
(ख) 5 स्टार होटल में डिनर करवाना
(ग) सिनेमा दिखाना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) सिनेमा दिखाना

प्रश्न 4: तीसरे दिन की सुबह अतिथि ने लेखक से क्या कहा?
(क) धोबी को कपड़े देने के लिए
(ख) शॉपिंग करवाने के लिए
(ग) सिनेमा दिखाने के लिए
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर: 
(क) धोबी को कपड़े देने के लिए

4. गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
यह आघात अप्रत्याशित था और इसकी चोट मार्मिक थी। तुम्हारे सामीप्य की वेला एकाएक यों रबर की तरह खिंच जाएगी, इसका मुझे अनुमान न था। पहली बार मुझे लगा कि “किसी लॉण्ड्री पर दे देते हैं, जल्दी धुल जाएँगे।” मैंने कहा। मन-ही-मन एक विश्वास पल रहा था कि तुम्हें जल्दी जाना है।
“कहाँ है लॉण्ड्री?” “चलो चलते हैं।” मैंने कहा और अपनी सहज बनियान पर औपचारिक कुर्ता डालने लगा।
“कहाँ जा रहे हैं?” पत्नी ने पूछा।
“इनके कपड़े लॉण्ड्री पर देने हैं।” मैंने कहा।
मेरी पत्नी की आँखें एकाएक बड़ी-बड़ी हो गईं। आज से कुछ बरस पूर्व उनकी ऐसी आँखें देख मैंने अपने अकेलेपन की यात्रा समाप्त कर बिस्तर खोल दिया था। पर अब जब वे ही आँखें बड़ी होती हैं तो मन छोटा होने लगता है। वे इस आशंका और भय से बड़ी हुई थीं कि अतिथि अधिक दिनों ठहरेगा।

प्रश्न 1: कौन सा आघात अप्रत्याशित था?
(क) जब अतिथि शॉपिंग करने को बोला
(ख) जब अतिथि लॉन्ड्री के लिए बोला
(ग) जब अतिथि फाइव स्टार होटल में खाना खाने के लिए बोलो
(घ) जब अतिथि सिनेमा दिखाने के लिए बोला
उत्तर:
(ख) जब अतिथि लॉन्ड्री के लिए बोला

प्रश्न 2: लेखक की पत्नी की आखें बड़ी क्यों हो गई?
(क) लेखक के घायल हो जाने से
(ख) अतिथि के और दिन तक रुकने का सोचकर
(ग) बच्चे की शरारत से गुस्सा होकर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अतिथि के और दिन तक रुकने का सोचकर

प्रश्न 3: किसके सामीप्य की बेला एकाएक रबड़ की तरह खींच रही थी?
(क) अतिथि की
(ख) लेखक की
(ग) लेखक की पत्नी की
(घ) लेखक के बच्चों की
उत्तर: 
(क) अतिथि की

प्रश्न 4: किसकी आखें बड़ी होने से लेखक का दिल छोटा होने लगा?
(क) अतिथि की
(ख) लेखक के दोस्त की
(ग) लेखक की पत्नी की
(घ) लेखक के बच्चों की
उत्तर: 
(ग) लेखक की पत्नी की

5. गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए –
तुम्हें देखकर फूट पड़नेवाली मुसकराहट धीरे-धीरे फीकी पड़कर अब लुप्त हो गई है। ठहाकों के रंगीन गुब्बारे, जो कल तक इस कमरे के आकाश में उड़ते थे, अब दिखाई नहीं पड़ते। बातचीत की उछलती हुई गेंद चर्चा के क्षेत्र के सभी कोनलों से टप्पे खाकर फिर सेंटर में आकर चुप पड़ी है। अब इसे न तुम हिला रहे हो, न मैं। कल से मैं उपन्यास पढ़ रहा हूँ और तुम फिल्‍मी पत्रिका के पन्‍ने पलट रहे हो। शब्दों का लेन-देन मिट गया और चर्चा के विषय चुक गए। परिवार, बच्चे, नौकरी, फिल्म, राजनीति, रिश्तेदारी, तबादले, पुराने दोस्त, परिवार-नियोजन, मँँहगाई, साहित्य और यहाँ तक कि आँख मार-मारकर हमने पुरानी प्रेमिकाओं का भी ज़िक्र कर लिया और अब एक चुप्पी है। सौहार्द अब शनै:-शने: बोरियत में रूपांतरित हो रहा है। भावनाएँ गालियों का स्वरूप ग्रहण कर रही हैं, पर तुम जा नहीं रहे। किस अदृश्य गोंद से तुम्हारा व्यक्तित्व यहाँ चिपक गया है, मैं इस भेद को सपरिवार नहीं समझ पा रहा हूँ। बार-बार यह प्रश्न उठ रहा है- तुम कब जाओगे, अतिथि?
अपने बिस्तर को गोलाकार रूप नहीं प्रदान करते तो हमें उपवास तक जाना होगा। तुम्हारे-मेरे संबंध एक संक्रमण के दौर से गुज़र रहे हैं। तुम्हारे जाने का यह चरम क्षण है। तुम जाओ न अतिथि!

प्रश्न 1: किसको देखकर लेखक की मुस्कुराहट फूट पड़ती थी?
(क) अतिथि को
(ख) अपनी पत्नी को
(ग) अपने बच्चों को
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर:
(क) अतिथि की

प्रश्न 2: सौहार्द किसमे बदल गया?
(क) नफरत में
(ख) जलन में
(ग) दुख में
(घ) बोरियत में
उत्तर: 
(घ) बोरियत में

प्रश्न 3: भावनाएं किसका रूप ले रही?
(क) नफरत का
(ख) दुख का
(ग) गाली का
(घ) बोरियत में
उत्तर: 
(ग) गाली का

प्रश्न 4: लेखक के साथ किसके संबंध संक्रमण के दौर से गुज़र रहे?
(क) पत्नी के
(ख) अतिथि के
(ग) पड़ोसी के
(घ) बच्चों के
उत्तर: 
(ख) अतिथि के

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