प्रश्न 1: लाला झाऊलाल की पत्नी ने ऐसा क्या कहा, जिसे सुनकर लालाजी का जी बैठ गया?
उत्तर: जब लाला झाऊलाल की पत्नी ने एक दिन अचानक ढाई सौ रुपये की माँग की । अच्छा खाने तथा अच्छा पहनने के बाद भी लाला जी को ढ़ाई सौ रुपये एक साथ आँख सेंकने के लिए भी न मिलते थे। ढाई सौ रुपये की माँग सुनकर उनका जी बैठ गया।
प्रश्न 2: लाला जी को बिलवासी जी पर गुस्सा क्यों आ रहा था?
उत्तर: जब बिलवासी जी अंग्रेज को प्रभावित करने और उसका विश्वास जीतने के कोशिश में लगे थे तब अंग्रेज ने लाला झाऊलाल की ओर इशारा करके बिलवासी जी से पूछा कि क्या वे लाला को जानते है तो बिलवासी जी बिल्कुल मुकर गए और कहते हैं कि वे लाला को बिल्कुल नहीं जानते । लाला जी को इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ। अंग्रेज का विश्वास हासिल करने की चालाकी में बिलवासी जी ने लाला जी को खतरनाक पागल तक कह दिया। तब लाला झाऊलाल को बिलवासी जी पर अत्यधिक गुस्सा आने लगा। उस समय ऐसा लग रहा था कि लाला जी बिलवासी जी को आँखों से ही खा जाएँगे।
प्रश्न 3: लाला जी को अंग्रेज से किसने बचाया और कैसे?
उत्तर: लाला जी के हाथ से पानी पीते वक्त लोटा छूटकर तिमंजिले छत से नीचे एक अंग्रेज व्यक्ति के ऊपर गिर गया, जिससे वह भीग भी गया और उसके पैर का अँगूठा भी चोटिल हो गया। तब अंग्रेज लाला जी पर बहुत गुस्सा होने लगा और पुलिस में शिकायत करने की धमकी देने लगा था । उस समय लाला जी के मित्र बिलवासी जी ने अंग्रेज के सामने उस लोटे को अकबर के समय का ऐतिहासिक लोटा सिद्ध कर दिया। अंग्रेज को भी ऐतिहासिक वस्तुओं को संग्रह करने का शौक था। लोटे की कहानी सुनकर लाला जी से उसे कोई शिकायत नहीं रही और वह उस लोटे को रु 500 में खरीद कर खुशी-खुशी चला गया।
प्रश्न 4: बिलवासी जी ने अपने मित्र की सहायता करने के लिए रुपयों का प्रबंध किस प्रकार किया था?
उत्तर: बिलवासी जी ने अपने मित्र की सहायता करने के लिए रुपयों का प्रबंध अपनी ही पत्नी के संदूक से निकाल कर किया था और लाला जी के घर रुपये देने पहुँच गए। लेकिन उस समय ‘अकबरी लोटा’ वाली घटना हो जाने के कारण उन रुपयों की जरूरत नहीं पड़ी। अतः उन्होंने ढाई सौ रुपये ज्यों-के-त्यों अपनी पत्नी के संदूक में रख दिया।
प्रश्न 5: बिलवासी जी ने अंग्रेज को लोटे के बारे में क्या कथा सुनाई?
उत्तर: बिलवासी जी ने अंग्रेज को लोटे के बारे में कथा सुनाई कि सोलहवीं शताब्दी की बात है। जब बादशाह हुमायूँ शेरशाह से हार कर अपनी जान बचा कर सिंध के रेगिस्तान में मारा-मारा फिर रहा था। उस समय में उन्हें प्यास लगी थी तभी एक ब्राह्मण ने इसी लोटे से पानी पिलाकर उसकी जान बचाई थी। हुमायूँ के बाद अकबर बादशाह बने तो उन्होंने उस ब्राह्मण का पता लगा लिया, जिस ब्राह्मण ने हुमायूँ को इस लोटे से पानी पीला कर उसकी जान बचाई थी। उस ब्राह्मण से अकबर ने यह लोटा ले लिया और इसके बदले दस सोने के लोटे दे दिए थे।
प्रश्न 6. लोटा बिकने पर लाला जी की क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर: जब अंग्रेज ने लाला झाऊलाल से वह लोटा पाँच सौ रुपये में खरीद लिया और अपने रास्ते चल पड़ा। तब लाला झाऊलाल का खुशी का ठिकाना ही नहीं था। लाला झाऊलाल जहाँ ढाई सौ रुपये का इंतजाम नहीं कर पा रहे थे वहाँ अब उन्हें मुक्त में पाँच सौ रुपये मिल गए थे । ऐसा लग रहा था कि उसके चेहरे पर छह दिन की बढ़ी हुई दाढ़ी का एक-एक बाल अपनी खुशी जाहिर कर रहा था उनके चहेरे पर प्रसन्नता साफ झलक रही थी। झाऊलाल ने अपने मित्र की चालाकी से बहुत खुश हो गए थे।
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