UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi  >  Economic Development (आर्थिक विकास): July 2023 UPSC Current Affairs

Economic Development (आर्थिक विकास): July 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

भूमि सम्मान, 2023

संदर्भ

  • भूमि अभिलेखों के पूर्ण डिजिटली करण के लिए 68 जिलों के जिला कलेक्टरों और 9 सचिवों को राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 18 जुलाई 2023 को 'भूमि सम्मान पुरस्कार-2023' प्रदान करेंगी।
  • इन जिलों ने केंद्र सरकार के 'डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम' (DILRMP) के एक भाग के रूप में सभी भूमि रिकॉर्ड के 100% डिजिटलीकरण को प्राप्त कर लिया है।

मुख्य बिंदु

  • यह पुरस्कार 'डिजिटल इंडिया भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम' (DILRMP) के मुख्‍य क्षेत्रों में उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन के लिए प्रदान किया जाता है।
  • इसका उद्देश्य अदालती मामलों को कम करना है।
  • इसमें भूमि विवाद और सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन शामिल है।
  • ग्रामीण विकास और पंचायती राज्‍य मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया कि यह कार्यक्रम राज्‍यों के राजस्‍व और पंजीकरण से जुडे़ पदाधिकारियों के लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण है।
  • उत्‍कृष्‍ट कार्य निष्‍पादन के लिए पिछले 75 वर्ष में पहली बार' भूमि सम्‍मान पुरस्‍कार' दिया गया।

सहकारी संघवाद को बढ़ावा

  • 'भूमि सम्‍मान योजना' विश्‍वास और भागीदारी पर आधारित केन्‍द्र और राज्‍यों के 'सहकारी संघवाद' का एक बेहतरीन उदाहरण है।
  • ग्रेडिंग प्रणाली मुख्‍यतौर पर भूमि रिकॉर्डों के कम्‍प्‍यूटरीकरण और डिजिटलीकरण के मुख्‍य क्षेत्रों में राज्‍यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों की रिपोर्टों और विचारों पर आधारित होती हैं।
  • श्री गिरिराज सिंह ने बताया कि भूमि रिकॉर्डों की डिजिटलीकरण प्रक्रिया और पंजीकरण से बड़ी संख्‍या में भूमिविवादों के न्‍यायालयों में लंबित मामलों की संख्‍या में कमी लाने और परियोजनाओं के रूके होने से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को हो रहे सकल घरेलू उत्‍पाद के नुकसान को कम करने में मदद मिलेगी।
  • उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कृषि और किसान कल्याण, रसायन और उर्वरक, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), पंचायती राज और वित्तीय संस्थान आदि केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के कार्यक्रमों से संबंधित विभिन्न सेवाओं और लाभों की प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाने में भूमि रिकॉर्ड से संबंधित जानकारी बहुत उपयोगी और प्रभावी हो सकती है।
  • उपर्युक्त विभागों/एजेंसियों/मंत्रालयों की सेवा-अदायगी की प्रभावशीलता विभिन्न हितधारकों के बीच भूमि रिकॉर्ड से संबंधित जानकारी साझा करने के क्रम में एकरूपता, अंतर-संचालन व अनुकूलता पर निर्भर करती है।
  • श्री सिंह ने यह भी बताया कि 'भूमि संसाधन विभाग' ने पूरे भारत में 94% डिजिटलीकरण लक्ष्य हासिल कर लिया है और 31 मार्च, 2024 तक इसे 100% करने का लक्ष्य है।

क्यों दिया जाता है पुरस्कार

  • प्रधानमंत्री ने 23 फरवरी 2022 को बजट-उपरांत वेबिनार में परिकल्पना की थी कि सभी जनकल्याणकारी योजनाओं के योजना घटकों को इस उद्देश्य के साथ पूरा किया जाना चाहिए कि कोई भी नागरिक पीछे न छूट जाए।
  • इस दिशा में एक कदम के रूप में भूमि संसाधन विभाग ने DILRMP के 6 मुख्य घटकों में प्रदर्शन आधारित श्रेणी निर्माण का कार्य शुरू किया था।
  • श्रेणी निर्माण जिलों के प्रदर्शन के आधार पर किया गया है, जैसा कि DILRMP की प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) में दर्शाया गया है और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों में जानकारी दी गई है।
  • प्लेटिनम श्रेणी उन जिलों को दी जाती है, जिन्होंने DILRMP के संबंधित मुख्य घटकों में संपूर्णता अर्थात 100 फीसद लक्ष्य पूरा कर लिया है।
  • भूमि अभिलेखों को पूर्ण डिजिटलीकरण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिलों को केंद्र सरकार द्वारा 'भूमि सम्मान पुरस्कार' दिया जाता है।
  • वर्ष 2022-23 का पुरस्कार लोहरदगा जिले के साथ झारखंड प्रदेश के नौ जिलों को मिला है।


गेहूँ और चावल के लिये ओपन मार्केट सेल स्कीम

सन्दर्भ 

  • हाल ही में, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत केंद्रीय पूल से चावल और गेहूं की बिक्री बंद कर दी है।
  • OMSS के तहत चावल की बिक्री, पूर्वोत्तर के साथ-साथ पहाड़ी राज्यों और कानून और व्यवस्था की प्रतिकूल स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने वालों राज्यों के लिए जारी रहेगी।

ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS)

  • OMSS के तहत भारतीय खाद्य निगम, गेहूं और चावल के अधिशेष स्टॉक को समय-समय पर खुले बाजार में ई-नीलामी के माध्यम से पूर्व-निर्धारित कीमतों पर बेचता है
  • OMSS का प्रमुख उद्देश्य गेहूं और चावल की घरेलू उपलब्धता में सुधार करना और खुले बाजार में कीमतों को विनियमित करना है।
  • भारतीय खाद्य निगम, NCDEX (नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड) प्लेटफॉर्म का उपयोग करके इस योजना को खुले बाजार में संचालित करने के लिए एक साप्ताहिक नीलामी आयोजित करता है।
  • यदि राज्य सरकारों या केंद्र शासित प्रदेशों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के दायरे से बाहर गेहूं और चावल की आवश्यकता होती है , तो वह भी इस नीलामी में भी भाग ले सकते हैं।
  • भारतीय खाद्य निगम
    भारतीय खाद्य निगम (FCI), उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
  • FCI की स्थापना खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत वर्ष 1965 में की गयी थी। 
  • यह भारत में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु यह खाद्यान्नों का क्रय करके उन्हें गोदामों में भण्डारित करता है।
  • FCI के उद्देश्य - 
    • किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए प्रभावी मूल्य समर्थन
    • सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत देशभर में खाद्यान्नों का वितरण
    • उचित मूल्यों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्ग को
    • खाद्य सुरक्षा के उपाय के तौर पर बफर स्टॉक बनाए रखना
    • मूल्य स्थिरता के लिए बाजार में हस्तक्षेप करना

GST परिषद की 50वीं बैठक

चर्चा में क्यों? 

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने अपनी 50वीं बैठक में विभिन्न वस्तुओं पर कर दरों में परिवर्तन करने के साथ ही ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो एवं घुड़दौड़ के लिये नियम तय किये।

  • परिषद ने ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो एवं घुड़दौड़ के लिये लगाए गए दाँव के पूर्ण अंकित मूल्य पर एक समान 28% कर लगाने का निर्णय लिया।

बैठक की प्रमुख विशेषताएँ:  

  1. कर की दरों में परिवर्तन: GST काउंसिल ने कर दरों में निम्नलिखित संशोधन किये:
    • बिना पकाए या बिना तले हुए स्नैक पैलेट और मछली में घुलनशील पेस्ट: कर की दर 18% से घटाकर 5% कर दी गई।
    • नकली ज़री धागे या सूत: कर की दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई।
    • सिनेमा हॉल के अंदर उपभोग किये जाने वाले खाद्य और पेय पदार्थ: सिनेमा सेवाओं पर पिछली 18% की कर दर को घटाकर 5% निर्धारित किया गया।
    • मूवी सेवाओं पर पहले के 18% कर के बजाय, इनपुट टैक्स क्रेडिट के बिना कर की दर को घटाकर 5% कर दिया गया।
    • ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो एवं घुड़दौड़ में कर उपचार: 
      (i) भले ही उनमें कौशल, अवसर या संयोजन शामिल हो, ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो एवं घुड़दौड़ गतिविधियों पर लगाए गए दाँव पर अब 28% GST लेवी आरोपित की जाएगी।
      (ii) कर ढाँचे के भीतर ऑनलाइन गेमिंग को शामिल करने के लिये GST कानूनों में संशोधन किया जाना है।
  2. GST से छूट
    • GST परिषद ने कैंसर के ईलाज से संबंधित दवाओं, दुर्लभ बीमारियों की दवाओं और विशेष चिकित्सा उद्देश्यों वाले खाद्य उत्पादों को GST से छूट प्रदान की है।
  3. GST अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना
    • इस परिषद ने देश में GST अपीलीय न्यायाधिकरणों की 50 पीठों की स्थापना के लिये राज्यों के प्रस्तावों की जाँच की।
    • प्रारंभिक पीठें राज्यों की राजधानियों और उन स्थानों पर स्थापित की जाएंगी जहाँ उच्च न्यायालयों की पीठ है। 
  4. GST नेटवर्क और PMLA को लेकर व्यक्त चिंताएँ:
    • प्रवर्तन निदेशालय द्वारा प्रशासित धन शोधन निवारण अधिनियम के दायरे में GST नेटवर्क को लाए जाने के हालिया फैसले की कुछ राज्यों ने आलोचना की है।
    • विशेष रूप से तमिलनाडु ने तर्क दिया कि यह समावेशन करदाताओं के हितों और GST अपराधों को अपराधमुक्त करने के उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत है।
    • जबकि राजस्व सचिव ने परिषद को आश्वासन दिया है कि यह वित्तीय कार्रवाई कार्य बल की आवश्यकताओं के अनुरूप है।
    • ऐसा स्पष्ट किया गया था कि प्रवर्तन निदेशालय GSTN से किसी प्रकार की कोई जानकारी साझा नहीं करेगा तथा इस अधिसूचना का उद्देश्य कर चोरी और धन शोधन की समस्या से निपटने के लिये कर अधिकारियों को सशक्त बनाना है। 

GST परिषद

परिचय:

  • GST परिषद एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में वस्तु एवं सेवा कर के कार्यान्वयन से संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें करती है।
  • संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279ए (1) के अनुसार, GST परिषद का गठन राष्ट्रपति द्वारा किया गया था। 

सदस्य

  • परिषद के सदस्यों में केंद्रीय वित्त मंत्री (अध्यक्ष), केंद्रीय राज्य मंत्री (वित्त) शामिल हैं।
  • प्रत्येक राज्य वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री या किसी अन्य मंत्री को सदस्य के रूप में नामित किया जा सकता है।

कार्य

  • अनुच्छेद 279 A (4) के अंतर्गत परिषद GST से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर संघ और राज्यों से सिफारिश करती है, जैसे कि वस्तु और सेवाएँ जो GST के अधीन हैं या जिन्हें छूट दी जा सकती है, मॉडल GST कानून, आपूर्ति के स्थान को नियंत्रित करने वाले सिद्धांत, प्रारंभिक सीमाएँ, बैंड के साथ फ्लोर रेट सहित GST दरें, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिये विशेष दरें, कुछ राज्यों के लिये विशेष प्रावधान आदि

सतत् पशुधन परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी

चर्चा में क्यों?

  • G20 के कृषि कार्य समूह (AWG) के तहत राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, आनंद में सतत् पशुधन परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया गया।

भारत में पशुधन क्षेत्र की स्थिति

परिचय

  • पशुधन ग्रामीण समुदाय के दो-तिहाई हिस्से को आजीविका प्रदान करता है। इसके साथ ही यह क्षेत्र देश की GDP में लगभग 4% का योगदान देता है।
    • भारत में डेयरी सबसे बड़ा एकल कृषि क्षेत्र है। भारत दूध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है जो वैश्विक दूध उत्पादन में 23% का योगदान देता है।
  • 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, देश में लगभग 303.76 मिलियन गोवंश (मवेशी, भैंस, मिथुन और याक), 74.26 मिलियन भेड़, 148.88 मिलियन बकरियाँ, 9.06 मिलियन सूअर और लगभग 851.81 मिलियन मुर्गियाँ हैं।
  • खाद्य और कृषि संगठन कॉर्पोरेट सांख्यिकीय डेटाबेस (FAOSTAT) उत्पादन डेटा (2020) के अनुसार, भारत विश्व में अंडा उत्पादन में तीसरे और मांस उत्पादन में 8वें स्थान पर है।

संबंधित संवैधानिक प्रावधान

  • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत
    • अनुच्छेद 48: राज्य कृषि और पशुपालन को आधुनिक एवं वैज्ञानिक आधार पर संगठित करने की दिशा में काम करेगा।
    • यह गायों, बछड़ों और अन्य दुधारू तथा माल ढोने वाले मवेशियों की नस्लों के संरक्षण एवं सुधार हेतु महत्त्वपूर्ण कदम उठाएगा तथा हत्या पर रोक लगाएगा।
  • मौलिक कर्तव्य
    • अनुच्छेद 51A(g): जंगलों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा एवं सुधार करना तथा सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया दिखाना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।

भारत में पशुधन क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ

  •  संसाधन तथा चारे की कमी: अनाज एवं चारे सहित पशु आहार की मांग, आपूर्ति से अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों को पशु पोषण हेतु उच्च लागत से समझौता करना पड़ता है।
    • यह कमी पशुधन के स्वास्थ्य, उत्पादकता के साथ समग्र कल्याण को प्रभावित करती है, जिससे टिकाऊ चारा उत्पादन तथा वितरण के लिये नवीन समाधान की आवश्यकता होती है।
    • भारतीय चरागाह और चारा अनुसंधान संस्थान (IGFRI) के अनुसार, भारत में हरे चारे की कमी 63.5% है तथा सूखे चारे की कमी 23.5% है।
  • अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचा: पशु चिकित्सा सेवाओं एवं टीकों तक सीमित पहुँच रोग नियंत्रण के लिये खतरा उत्पन्न करती है, जिससे लगातार प्रकोप होता है जो पशुधन उत्पादकता के साथ उपज की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, उदाहरण के लिये गाँठदार त्वचा रोग या लंपी स्किन डिज़ीज़।
  • जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय दबाव: अनियमित मौसम पैटर्न, जल की कमी तथा बढ़ता तापमान भोजन एवं जल की उपलब्धता दोनों को प्रभावित करते हैं, जिससे पशुधन गर्मी के तनाव और संबंधित बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।
    • राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) के एक अध्ययन में पाया गया कि गर्मी के तनाव के कारण भारत में गर्मी के महीनों के दौरान प्रति गाय प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन 0.45 किलोग्राम कम हो गया।
  • गुणवत्तापूर्ण प्रजनन और आनुवंशिक सुधार: भारत में पशुधन प्रजनन अक्सर गुणवत्तापूर्ण प्रजनन स्टॉक और आनुवंशिक सुधार कार्यक्रमों तक पहुँच के संदर्भ में सीमाओं का सामना करता है।
    • पशुपालन एवं डेयरी विभाग (DAHD) के अनुसार, भारत में प्रजनन योग्य मादा गोवंश में से केवल 30% ही कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं के अंतर्गत आते हैं।
    • पशु कल्याण और नैतिक चिंताएँ:  पशु क्रूरता और अमानवीय प्रथाओं जैसे पशुपालन से संबंधित नैतिक मुद्दों ने हाल के वर्षों में अधिक ध्यान आकर्षित किया है।
  • पशुधन क्षेत्र से संबंधित सरकारी पहल
    • राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Animal Disease Control Programme- NADCP)
    • पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund- AHIDF)
    • राष्ट्रीय पशुधन मिशन
    • पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960
    • भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) की स्थापना वर्ष 1962 में अधिनियम की धारा 4 के तहत की गई थी।

आगे की राह

  • पशुधन आहार के लिये पोषण संबंधी नवाचार: वैकल्पिक एवं सतत् चारा स्रोतों में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना।
    • पारंपरिक चारा फसलों पर निर्भरता कम करने के लिये कीट-आधारित प्रोटीन, शैवाल-आधारित पूरक और उपोत्पाद उपयोग हेतु प्रौद्योगिकियों में निवेश करने की आवश्यकता है।
  • पशुधन अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजनाएँ:  बायोगैस उत्पादन के लिये पशुधन अपशिष्ट का उपयोग करने वाले बायोएनर्जी संयंत्रों की स्थापना को बढ़ावा देना।
    • यह न केवल अपशिष्ट प्रबंधन को संबोधित करता है बल्कि ग्रामीण समुदायों के लिये नवीकरणीय ऊर्जा भी उत्पन्न करता है।  
    • बायोगैस उत्पादन के उपोत्पादों का उपयोग जैविक उर्वरकों के रूप में किया जा सकता है, जिससे संसाधन उपयोग की बाधा समाप्त होगी और स्थिरता बढ़ेगी। 
  • साथ ही कृषि अपशिष्ट को पौष्टिक पशु आहार में परिवर्तित करके चक्रीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देना, जो पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी दोनों हो सकता है
  • आनुवंशिक निगरानी: भारत में पशुधन के लिये विशेष रूप से वायरस की आनुवंशिक निगरानी को मज़बूत करने की आवश्यकता है।
    • चूँकि लम्पी रोग (Lumpy Skin Disease) का प्रकोप उच्च मृत्यु दर के साथ तेज़ी से फैल रहा है, इसलिये इस मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये इसकी आनुवंशिक संरचना की जाँच करने और इसके व्यवहार का विश्लेषण करने की आवश्यकता है।
  • वन हेल्थ दृष्टिकोण को अपनाना: व्यक्तियों, जानवरों, पौधों और पर्यावरण के अंतर्संबंध को समझना तथा वन हेल्थ दृष्टिकोण को पहचानना महत्त्वपूर्ण है।
  • अनुसंधान और ज्ञान साझा करने में अंतःविषय सहयोग को प्रोत्साहित करने से स्वास्थ्य स्थिरता को बढ़ावा मिल सकता है तथा ज़ूनोटिक रोगों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है।

फुल-रिज़र्व बैंकिंग बनाम फ्रैक्शनल-रिज़र्व बैंकिंग

चर्चा में क्यों?  

अर्थशास्त्रियों के बीच फुल-रिज़र्व बैंकिंग (100% रिज़र्व बैंकिंग) बनाम फ्रैक्शनल-रिज़र्व बैंकिंग का मुद्दा  चर्चा का विषय बना हुआ है।

  • हालाँकि दोनों प्रणालियों के अपने समर्थक और आलोचक हैं, आर्थिक विकास तथा वित्तीय स्थिरता पर उनके संभावित प्रभाव का आकलन करने के लिये उनके बीच महत्त्वपूर्ण अंतर को समझना आवश्यक है।

फुल-रिज़र्व बैंकिंग बनाम फ्रैक्शनल-रिज़र्व बैंकिंग

  • फुल-रिज़र्व बैंकिंग: जमा की सुरक्षा
    • फुल-रिज़र्व बैंकिंग के तहत बैंकों को ग्राहकों से प्राप्त मांग जमा को उधार देने से सख्ती से प्रतिबंधित किया जाता है जिससे प्रतिबंध के जोखिम को कम किया जा सकता है।
    • इसके बजाय उन्हें केवल संरक्षक के रूप में कार्य करते हुए इन जमाओं का 100% हमेशा अपने कक्ष (Vaults) में रखना चाहिये।
    • बैंक इस सेवा के लिये शुल्क लेकर जमाकर्ताओं के पैसे के सुरक्षित रक्षक के रूप में कार्य करते हैं।
    • बैंक केवल सावधि जमा के रूप में प्राप्त धन को उधार दे सकते हैं।
  • फ्रैक्शनल-रिज़र्व बैंकिंग: क्रेडिट और जोखिम का विस्तार
    • फ्रैक्शनल-रिज़र्व बैंकिंग प्रणाली, जो वर्तमान में चलन में है, बैंकों को उनकी रिज़र्व में रखी नकदी से अधिक धन उधार देने की अनुमति देती है।
    • यह प्रणाली उधार देने के लिये इलेक्ट्रॉनिक मनी पर बहुत अधिक निर्भर करती है।
    • यदि कई जमाकर्ता एक साथ नकदी की मांग करते हैं तो बैंक बंद होना एक संभावित जोखिम है।
    • बैंक बंद होने से कई जमाकर्ताओं द्वारा एक साथ नकदी की मांग करने का संभावित जोखिम है।
    • हालाँकि केंद्रीय बैंक तत्काल संकट को टालने के लिये आपातकालीन नकदी प्रदान कर सकता है।
  • अलग-अलग दृष्टिकोण
    • फ्रैक्शनल-रिज़र्व बैंकिंग के समर्थकों का तर्क है कि यह अर्थव्यवस्था को केवल जमाकर्ताओं की वास्तविक बचत पर निर्भर होने से मुक्त करके निवेश तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
    • दूसरी ओर, फुल-रिज़र्व बैंकिंग के समर्थकों का तर्क है कि यह फ्रैक्शनल-रिज़र्व प्रणाली में निहित संकटों को रोकता है तथा अधिक स्थिर अर्थव्यवस्था की ओर ले जाता है।  

बैंक से धन निकालने की होड़

परिचय

  • बैंक संचालन उस स्थिति को संदर्भित करता है जहाँ बड़ी संख्या में जमाकर्ता एक साथ बैंक से अपना धन बैंक की सॉल्वेंसी या स्थिरता संबंधी चिंताओं के कारण निकालते हैं।

प्रभाव

  • चलनिधि संकट: आकस्मिक और बड़े पैमाने पर धन की निकासी से बैंक के लिये चलनिधि संकट (Liquidity Crisis) उत्पन्न हो सकता है।
    • बैंक के पास सभी निकासी अनुरोधों को पूर्ण करने हेतु पर्याप्त नकदी भंडार नहीं हो सकता है, जिससे जमाकर्ताओं के बीच घबराहट बढ़ सकती है।
  • संक्रामक प्रभाव: किसी एक बैंक पर निर्भर रहने वाला बैंक प्रभावित हो सकता है, जिससे सिस्टम में शामिल अन्य बैंकों में भय उत्पन्न हो सकता है।
    • यदि इस संक्रामक प्रभाव पर तुरंत काबू नहीं पाया गया तो यह व्यापक वित्तीय संकट का कारण बन सकता है।
  • भरोसे की कमी: एक बैंक के दिवालिया होने से संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली से आम जनता का भरोसा गिर सकता है, जिससे वित्तीय संस्थानों में भरोसे की कमी हो सकती है।
    • इसके परिणामस्वरूप जमा पूंजी में दीर्घकालिक कमी हो सकती है, जिससे बैंकों को ऋण प्रदान करना और आर्थिक विकास का समर्थन करना कठिन हो जाएगा।

इससे अर्थव्यवस्था के अनौपचारिकीकरण में वृद्धि हो सकती है।

कॉर्पोरेट ऋण बाज़ार विकास निधि

संदर्भ: 

  • कॉर्पोरेट ऋण बाजार विकास कोष (सीडीएमडीएफ) केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। इस पहल का उद्देश्य कॉर्पोरेट ऋण बाजारों की दक्षता और तरलता को बढ़ाना है।

विवरण

  • कॉरपोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (सीडीएमडीएफ) कॉरपोरेट बांड बाजार में तरलता और विश्वास को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की एक नई पहल है।
  • केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री द्वारा 2021-22 के केंद्रीय बजट में सामान्य और तनावग्रस्त दोनों स्थितियों में कॉर्पोरेट बॉन्ड के लिए द्वितीयक बाजार का समर्थन करने के लिए एक स्थायी संस्थागत ढांचे के रूप में इसकी घोषणा की गई थी ।
The document Economic Development (आर्थिक विकास): July 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
245 videos|237 docs|115 tests

Top Courses for UPSC

245 videos|237 docs|115 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Economic Development (आर्थिक विकास): July 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

,

study material

,

ppt

,

Important questions

,

Viva Questions

,

mock tests for examination

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Semester Notes

,

Free

,

Summary

,

Sample Paper

,

shortcuts and tricks

,

Economic Development (आर्थिक विकास): July 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

,

pdf

,

video lectures

,

past year papers

,

Extra Questions

,

MCQs

,

Objective type Questions

,

Exam

,

Economic Development (आर्थिक विकास): July 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

,

practice quizzes

;