UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi Editorial Analysis- 23rd August 2023

The Hindi Editorial Analysis- 23rd August 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

चीन का आर्थिक संकट और भारत के रणनीतिक फायदे


संदर्भ:
  • शून्य-कोविड दृष्टिकोण के तीन वर्षों के बाद इस वर्ष चीन के आर्थिक परिदृश्य में फिर से संवृद्धि का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, सबसे हालिया आर्थिक संकेतक चीन की अर्थव्यवस्था के अपस्फीति की तस्वीर पेश करते हैं। घरेलू मांग में गिरावट के साथ, औद्योगिक उत्पादन और खुदरा बिक्री दोनों ही शुरुआती पूर्वानुमानों से कम हो गई है। इस संदर्भ में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट के साथ-साथ आवास और विभिन्न वस्तुओं की कीमतों में गिरावट विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

चीन की आर्थिक मंदी के अंतर्निहित कारक:

  • कोविड रणनीति प्रभाव: अपने देश में कोविड-19 को खत्म करने के चीन के लगातार प्रयास के परिणामस्वरूप बार-बार लॉकडाउन, यात्रा प्रतिबंध और व्यापक परीक्षण की प्रक्रिया अपनाई गई। इस रणनीति ने न केवल वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किया, बल्कि भू-राजनीतिक तनाव भी उत्पन्न किया, जिससे विनिर्माण क्षेत्र में स्थानांतरण को बढ़ावा मिला, परिणामस्वरूप घरेलू विकास और उपभोक्ता व्यय दोनों ही अपेक्षाकृत कमजोर हो गए।
  • औद्योगिक उत्पादन संकुचन: मूल्य वर्धित औद्योगिक उत्पादन का वार्षिक विस्तार घटकर 3.7% हो गया है, जो पिछले जून में दर्ज 4.4% की वृद्धि से भी कम है।
  • निर्यात मंदी: जुलाई 2023 में पिछले वर्ष की तुलना में चीन के निर्यात में 14.5% की कमी देखी गई, साथ ही आयात में भी 12.4% की गिरावट देखी गई।
  • बढ़ती बेरोजगारी: जुलाई 2023 तक, कुल बेरोजगारी दर 5.3% तक पहुंच गई थी, जबकि जून में युवा बेरोजगारी 21.3% के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।
  • आवास क्षेत्र का पतन: वर्तमान समय में चीन आर्थिक विश्वास संकट से जूझ रहा है, जिसका मुख्य कारण उसके ऋण-संचालित आवास क्षेत्र का लगभग पतन होना है। सर्वेक्षण के अनुसार यह देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30% है।
  • बढ़ते कर्ज का बोझ: चीन की तीव्र आर्थिक वृद्धि आंशिक रूप से पर्याप्त उधार पर निर्भर थी, जिसके कारण ऋण का एक संचय बढ़ता गया। चीन का ऋण-से-जीडीपी अनुपात अनुमानतः 282% है, जो अमेरिका से भी अधिक है।
  • तकनीकी उद्योग पर कार्रवाई: चीन की सरकार ने अत्यधिक आकार और प्रभाव की चिंताओं का हवाला देते हुए वीडियो गेमिंग, तकनीक और ई-कॉमर्स सहित अपने संपन्न तकनीकी क्षेत्र पर कार्रवाई शुरू की। इससे राजस्व हानि हुई और नौकरियों में कटौती की गई क्योंकि कई कंपनियों का आकार या तो छोटा हो गया या वह बंद हो गई।
  • निवेश और उपभोक्ता खर्च में गिरावट: चीन की आर्थिक मंदी, चीनी परिवार और निवेशक दोनों के ही व्यय को सीमित कर रहे हैं, जिससे अपस्फीति बढ़ता जा रहा है। जुलाई 2023 में खुदरा बिक्री में वार्षिक रूप से 2.5% की वृद्धि हुई, जो जून में 3.1% की वृद्धि से कम की संवृद्धि दर्शाती है।
  • संरचनात्मक परिवर्तन: चीन अपनी अर्थव्यवस्था को निर्यात और निवेश निर्भरता से घरेलू उपभोग और नवाचार पर जोर देने वाले अधिक संतुलित मॉडल में बदलने का प्रयास कर रहा है। यह बदलाव, महत्वपूर्ण होते के साथ साथ कई चुनौतियां लेकर आया है, जिससे विकास दर धीमी हो गई है और वित्तीय जोखिम बढ़ गए हैं।
  • अमेरिका के साथ व्यापार विवाद: वर्ष 2018 से चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के परिणामस्वरूप टैरिफ, प्रतिबंध और बाजार विघटन हुआ है, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और उपभोक्ता सहित व्यावसायिक विश्वास कम हुआ है।

चीन की मंदी पर वैश्विक चिंताएँ:

  • IMF के एक अनुमान के अनुसार चीन इस वर्ष वैश्विक विकास में 35% का योगदान दे सकता है, यह पूर्वानुमान अब असंभव लगता है। आंकड़ों के आधार पर चीन को लगभग 5% की अपनी लक्षित विकास दर प्राप्त करने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ सकता है, जो बदले में वैश्विक मांग को प्रभावित कर सकता है। दुनिया की सबसे बड़ी विनिर्माण अर्थव्यवस्था और महत्वपूर्ण वस्तुओं के प्रमुख उपभोक्ता के रूप में, चीन में मंदी का असर वैश्विक बाजार पर भी पड़ सकता है।

भारत के लिए अवसर:

  • आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाना: आज कई देश कच्चे माल, मध्यवर्ती वस्तुओं और तैयार उत्पादों के लिए चीन का विकल्प तलाश रहे हैं, भारत का पर्याप्त घरेलू बाजार, कुशल श्रम पूल, लागत-कुशल कार्यबल और बेहतर बुनियादी ढांचा इसे वैकल्पिक गंतव्य के रूप में अनुकूल स्थिति में रखता है।
  • विदेशी निवेश आकर्षित करना: निवेश स्थल के रूप में चीन का घटता आकर्षण भारत को अपने कारोबारी माहौल को बढ़ाने, नियमों को सरल बनाने, कर प्रोत्साहन और भूमि अधिग्रहण सहित श्रम सुधारों को आसान बनाने का अवसर प्रदान करता है।
  • नवाचार, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना: नवाचार, अनुसंधान एवं विकास में चीन की कमजोरियों का लाभ उठाते हुए, भारत अपने स्वयं के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश कर सकता है, जिससे शिक्षा, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा मिल सकता है। अपनी प्रतिभा का लाभ उठाकर, भारत वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित कर सकता है।
  • घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना: भारत उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना, आत्मनिर्भर भारत अभियान और GST सुधार जैसी पहलों के माध्यम से आत्मनिर्भरता और लचीलेपन को बढ़ाकर घरेलू विनिर्माण को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रहा है।
  • गठबंधनों को मजबूत बनाना: भारत, विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करके चीन के प्रभाव को संतुलित कर सकता है। क्वाड और ब्रिक्स जैसे मंचों में भारत की भागीदारी क्षेत्रीय सहयोग और स्थिरता का समर्थन करती है।

चीन की मंदी, भारत का रणनीतिक लाभ:

  • निर्यात विविधीकरण: भारत ने अन्य देशों में अपने निर्यात का विस्तार किया है, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां चीन की प्रतिस्पर्धात्मकता घट रही है। विशेष रूप से, भारत के इंजीनियरिंग सामान, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स और वस्त्रों के क्षेत्र में निर्यात की वृद्धि इसका उदाहरण हो सकती है।
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षण: भारत ने वर्तमान व्यापार परिदृश्य में चीन का विकल्प तलाशने वाली कंपनियों से अधिक FDI आकर्षित किया है। इसे हेतु, भारत ने अपने FDI नियमों को आसान बनाया है और व्यापार करने में आसानी सूचकांक में अपनी रैंकिंग बढ़ाई है। निवेश आकर्षित करने के लिए बिजली, भूमि अधिग्रहण और श्रम जैसे क्षेत्रों में सुधार शुरू किए गए हैं।
  • घरेलू विनिर्माण और उपभोग को सुदृढ़ बनाना: उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना और आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसी पहलों के माध्यम से, भारत घरेलू विनिर्माण और खपत को बढ़ावा दे रहा है। इन प्रयासों का उद्देश्य बाहरी झटकों के खिलाफ आत्मनिर्भरता और लचीलापन बढ़ाना है। इसके अतिरिक्त, GST सुधार इस लक्ष्य में योगदान करते हैं।
  • आर्थिक और रणनीतिक सम्बन्ध को बढ़ावा देना: भारत सक्रिय रूप से अन्य देशों के साथ, विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, अपनी आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी बढ़ा रहा है। ऐसा करना भारत के लिए चीन के प्रभाव और आक्रामक व्यवहार को कम कर सकता है।

निष्कर्ष

  • चीन की आर्थिक मंदी के प्रति भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया में निर्यात में विविधता लाना, एफडीआई को आकर्षित करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना आदि शामिल है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन / प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं को लागू करके और 'चीन प्लस वन' रणनीति में शामिल होकर, भारत का लक्ष्य खुद को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और विनिर्माण में एक प्रमुख प्रतिभागी के रूप में स्थापित करना है। चीनी निर्यात में कमी की संभावना इस दिशा में भारत के प्रयासों को और बढ़ावा दे सकती है।
The document The Hindi Editorial Analysis- 23rd August 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2325 docs|814 tests

Top Courses for UPSC

Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Semester Notes

,

Free

,

mock tests for examination

,

pdf

,

Sample Paper

,

study material

,

The Hindi Editorial Analysis- 23rd August 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Important questions

,

Extra Questions

,

ppt

,

MCQs

,

past year papers

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

The Hindi Editorial Analysis- 23rd August 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Viva Questions

,

The Hindi Editorial Analysis- 23rd August 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Summary

,

video lectures

,

Objective type Questions

,

practice quizzes

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

shortcuts and tricks

,

Exam

;