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The Hindi Editorial Analysis- 18th September 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का विकास


सदंर्भ:

हाल के वर्षों में, भारत जलवायु परिवर्तन, विद्युतीकरण, विनिर्माण और अंतरिक्ष अन्वेषण जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक वैश्विक नेता के रूप में उभरा है। हालाँकि, इन उपलब्धियों के बीच, भारत को एक गंभीर स्वास्थ्य सेवा चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। समृद्ध भविष्य की कल्पना करते हुए, इसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के बढ़ते बोझ को संबोधित करना चाहिए और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) समाधानों में अपनी स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञता और क्षमता का लाभ उठाना चाहिए।

The Hindi Editorial Analysis- 18th September 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

एनसीडी महामारी: एक संभावित खतरा

  • भारत की तीव्र आर्थिक प्रगति के समक्ष उसका स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य एक प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है क्योंकि, एक तरफ जहां भारत को वर्तमान में विश्व की मधुमेह राजधानी के रूप में मान्यता प्राप्त है तो वहीं दूसरी तरफ लाखों लोग उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, कैंसर, श्वसन संबंधी समस्याओं और मानसिक स्वास्थ्य विकारों से पीड़ित हैं। यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो भारत में एनसीडी का आर्थिक बोझ 2030 तक लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जो संभावित रूप से जनसांख्यिकीय लाभांश को नष्ट कर देगा।

तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता

  • इस उभरते संकट का समाधान के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है। स्वास्थ्य देखभाल उद्योग को जागरूकता बढ़ाने, स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने और व्यापक स्वास्थ्य जांच को सक्षम करने के लिए सहयोग करना चाहिए जिसमें पारंपरिक रक्त परीक्षणों के साथ-साथ उन्नत नैदानिक उपचार भी शामिल हो।

स्वास्थ्य सेवा में सफलताएँ

  • भारत की स्वास्थ्य सेवा यात्रा में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। विशेषकर 1983 के बाद से, प्रमुख स्वास्थ्य संकेतकों में पर्याप्त सुधार हुआ है। शिशु मृत्यु दर में चार गुना की कमी आई है, मातृ मृत्यु दर में सात गुना की कमी आई है, और जीवन प्रत्याशा लगभग 30% बढ़ गई है, जो 70 साल के आंकड़े को पार कर गई है।
  • अपोलो,मेदांता,फोर्टिस और मैक्स आदि अस्पतालों की स्थापना के बाद भारत अब विश्व स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे और नैदानिक विशेषज्ञता का दावा करता है। यह बड़े पैमाने पर और लागत प्रभावी ढंग से असाधारण नैदानिक परिणाम प्रदान कर रहा है। अंग प्रत्यारोपण, कार्डियोलॉजी और ऑन्कोलॉजी जैसे क्षेत्रों में इसकी विशेषज्ञता ने देश को चिकित्सा पर्यटन के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित किया है।

मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी): एक वैश्विक केंद्र के रूप में

  • वैश्विक एमवीटी हब के रूप में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है, विशेषकर ऑन्कोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स और रोबोटिक सर्जरी में। प्रोटॉन बीम थेरेपी तकनीक की शुरूआत ने भारत को कैंसर उपचार में एक क्षेत्रीय नेता बना दिया है, जो दुनिया भर के रोगियों को आकर्षित करता है।
  • जोड़ प्रतिस्थापन (joint replacements ) और रीढ़ की हड्डी की सर्जरी सहित आर्थोपेडिक प्रक्रियाएं मिनिमली इनवेसिव तकनीकों के साथ की जाती हैं, जिससे प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल रोगियों को आकर्षित करती है । रोबोटिक-सहायता प्राप्त शल्य चिकित्सा ने सटीकता और तेजी से ठीक होने के लिए लोकप्रियता प्राप्त की है।

स्वास्थ्य क्षेत्र और कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • भारत के पास कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस या एआई) संचालित स्वास्थ्य सेवा समाधानों में अपार संभावनाएं हैं। इसमें भारत के पास एक प्रतिभा पूल है जिसमें डेटा वैज्ञानिक, इंजीनियर और स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर शामिल हैं जो नवाचार को बढ़ावा देने में सक्षम हैं। यह प्रतिभा पूल कृत्रिम बुद्धिमत्ता निदान को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है, सटीकता और दक्षता में सुधार कर सकता है, जिससे तेजी से उपचार निर्णय और बेहतर रोग निदान परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमताएं बीमारी के प्रकोप की भविष्यवाणी, स्वास्थ्य देखभाल डेटा विश्लेषण, उपचार योजना अनुकूलन और दवा की खोज तक विस्तृत हैं, जो अंततः स्वास्थ्य सेवा को व्यक्तिगत बनाती हैं और इसकी प्रभावशीलता को बढ़ाती हैं।

भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • सीमित बजटीय प्रावधान : 2021-22 में स्वास्थ्य सेवा पर भारत का सार्वजनिक व्यय सकल घरेलू उत्पाद का केवल 2.1% था, जबकि जापान, कनाडा और फ्रांस सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10% व्यय करते हैं।
  • असमान वितरण: भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली शहर केंद्रित है जबकि अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है।
  • चिकित्सा अनुसंधान का अभाव: भारत में अनुसंधान एवं विकास और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आधारित नई परियोजनाओं पर कम ध्यान दिया जाता है।
  • निम्न डॉक्टर-रोगी अनुपात: भारत में डॉक्टर-रोगी अनुपात लगभग 1:1500 है जो कि प्रति 1,000 लोगों पर एक डॉक्टर के डब्ल्यूएचओ के मानक से बहुत अधिक है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की प्रभावी भूमिका का अभाव: भारत में स्वास्थ्य देखभाल व्यय में निजी क्षेत्र का योगदान लगभग 80 प्रतिशत है जबकि शेष 20 प्रतिशत योगदान सार्वजनिक क्षेत्र का है।
  • निजी क्षेत्र भारत में 58 प्रतिशत अस्पतालों और 81 प्रतिशत डॉक्टरों की भी व्यवस्था करता है।

देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार के लिए भारत सरकार की पहलें:

  • प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम): इसका उद्देश्य भारत के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना और देश की प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक देखभाल सेवाओं में सुधार करना है।
  • आयुष्मान भारत: स्वास्थ्य देखभाल को घरों के करीब लाने के लिए स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के निर्माण द्वारा दो-आयामी दृष्टिकोण का पालन किया जाता है।
  • प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई): गरीब और कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य संबंधी घटनाओं से उत्पन्न होने वाले वित्तीय जोखिम से बचाने के लिए प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) का संचालन किया जा रहा है ।
  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन: इसका उद्देश्य देश भर के अस्पतालों को डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों से जोड़ना है। इसके तहत अब हर नागरिक को एक डिजिटल हेल्थ आईडी उपलब्ध करायी जा रही है जिससे सभी का स्वास्थ्य रिकॉर्ड डिजिटल रूप से सुरक्षित रहेगा।
  • राष्ट्रीय आयुष मिशन: यह पारंपरिक दवाओं के विकास के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना है
  • प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई): इसका उद्देश्य सस्ती एवं विश्वसनीय तृतीयक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में क्षेत्रीय असंतुलन को ठीक करना और देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाओं को बढ़ाना है।

निष्कर्ष

  • भारत अपने स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। वैश्विक मेडिकल वैल्यू गंतव्य और एआई-संचालित स्वास्थ्य सेवा में अग्रणी के रूप में अपनी क्षमता का एहसास करने के लिए, भारत को सामुदायिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिए, अनुसंधान में निवेश करना चाहिए और एक नवाचार-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहिए।
  • सामूहिक प्रयासों और उत्कृष्टता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को क्रियान्वित करके, भारत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और अधिक समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकता है। यह गैर संचारी रोगों का मुकाबला कर सकता है, एआई-संचालित स्वास्थ्य सेवा में नवाचार कर सकता है साथ ही देश की अर्थव्यवस्था और कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान देकर स्वास्थ्य सेवा समाधानों में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है।
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