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The Hindi Editorial Analysis- 20th September2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

चीन की दक्षिण चीन सागर रणनीति और भारत पर इसका प्रभाव


संदर्भ

  • सितंबर 2023 की शुरुआत में, चीन ने एक मानचित्र जारी किया जिसमें दक्षिण चीन सागर (एससीएस) में पिछली नौ-डैश रेखा की जगह एक दस-डैश रेखा शामिल की । इससे पड़ोसी देशों में आक्रोश उत्पन्न हुआ। इस कदम को इन देशों द्वारा अपने विशेष आर्थिक क्षेत्रों के कुछ हिस्सों पर बीजिंग की संप्रभुता का दावा करने के प्रयास के रूप में देखा गया (EEZs)।
  • यद्यपि भारत, दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय दावे नहीं करता है, लेकिन लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा गतिरोध के संदर्भ में, चीन की इस कार्यवाही और इसके प्रभावों की बारीकी से निगरानी कर रहा है। यहां हम चीन की दक्षिण चीन सागर रणनीति, भारत के लिए इसके निहितार्थ, इस क्षेत्र में अमेरिका –चीन संघर्ष, हवाई क्षेत्र की चिंताओं, आसियान की भूमिका और दक्षिण चीन सागर में भारत के विकसित होते रुख का विश्लेषण कर रहे हैं।

The Hindi Editorial Analysis- 20th September2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

चीन के क्षेत्रीय दावेः

  • दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावे इसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर आधारित हैं। यह नौ-डैश रेखा (अब दस-डैश रेखा) पर अपना दावा करता है, इसके तहत दक्षिण चीन सागर का 90% से अधिक भाग शामिल है।
  • इन दावों को पड़ोसी देशों द्वारा व्यापक रूप से नकारा गया है और समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून (UNCLOS) के तहत भी इसे मान्यता प्राप्त नहीं है । एक मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा 2016 के फैसले के बावजूद, जिसने चीन के दावों को अमान्य घोषित कर दिया था, बीजिंग ने इस क्षेत्र में अपनी संप्रभुता का दावा करना जारी रखा है।

सैन्य विस्तार और दृढ़ताः

  • दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीपों के चीन के द्वारा सैन्यीकरण ने तनाव बढ़ा दिया है। बीजिंग ने इन द्वीपों पर सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है, जिसमें हवाई पट्टियाँ, रडार सुविधाएं और मिसाइल प्रणालियाँ शामिल हैं। इनका उपयोग चीन द्वारा निगरानी और रक्षा उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
  • चीनी तटरक्षक बल और समुद्री जहाजों की उपस्थिति ने तट रक्षकों और अन्य दावेदार राज्यों की नौसेनाओं के साथ टकराव पैदा कर दिया है। चीन की इन मुखर कार्रवाइयों ने इस क्षेत्र में एक अस्थिर वातावरण पैदा कर दिया है।

दक्षिण चीन सागर में अमेरिका-चीन संघर्ष

  • चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच तनावपूर्ण संबंध दक्षिण चीन सागर में समुद्री क्षेत्रों पर विवादों को बढ़ा रहे हैं। जबकि अमेरिका इन क्षेत्रीय विवादों का पक्षकार नहीं है, लेकिन यह, यहाँ स्थित दक्षिण पूर्व एशियाई राज्यों का समर्थन करता है, जिनमें से कई अमेरिका के सहयोगी हैं।
  • वाशिंगटन, अपतटीय संसाधनों पर चीन के दावों का विरोध करता है, परिणामस्वरूप दक्षिण चीन सागर में U.S. नौसेना की उपस्थिति बढ़ गई है। चीन इस उपस्थिति को एक अवांछित हस्तक्षेप के रूप में देखता है, यह आरोप लगाता है कि U.S. नेविगेशन गश्ती इसकी संप्रभुता का उल्लंघन कर रही है।

दक्षिण चीन सागर में विवादित हवाई क्षेत्र

  • क्षेत्रीय विवादों के अलावा, क्षेत्रीय हवाई क्षेत्र के लिए प्रतिस्पर्धा एक चिंताजनक आयाम है। भूमि और समुद्री क्षेत्र के साथ, हवाई क्षेत्र के दावे भी अस्पष्ट बने हुए हैं। चीन पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में विदेशी सैन्य विमानों का विरोध करता है, लेकिन दक्षिण चीन सागर में एक वायु रक्षा पहचान क्षेत्र (एडीआईजेड) स्थापित करने से बचता है, हालांकि इसका कारण व्यस्त हवाई क्षेत्रों में ऐसे क्षेत्रों को लागू करने मे आने वाली चुनौतियां भी हो सकती है।
  • हालांकि, चीन का आक्रामक व्यवहार जारी है, जिसमें वह ताइवान और दक्षिण चीन सागर पर विदेशी सैन्य विमानों परेशान करता रहता है।

आसियान की भूमिका और विरोधाभास

  • चीन की समुद्री आक्रामकता और द्वीप के सैन्यीकरण पर आसियान के सदस्य देशों की स्थिति के भीतर विसंगतियों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। कुछ देश चीन की कार्रवाइयों का विरोध कर रहे हैं, जबकि अन्य बीजिंग का अधिक समर्थन करते दिखाई देते हैं। दक्षिण पूर्व एशिया में चीन का आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव आसियान के रुख को और अस्पष्ट कर देता है।

क्वाड की भागीदारी

  • यद्यपि दक्षिण पूर्व एशिया संघर्ष में सीधे क्वाड (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल) शामिल नहीं है, लेकिन सदस्य देश व्यापार और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए इसके महत्व को स्वीकार करते हैं। जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के इस क्षेत्र में व्यापारिक हित हैं और वे महत्वपूर्ण नौवहन मार्गों पर चीनी नियंत्रण और ताइवान की सुरक्षा के बारे में चिंतित हैं। ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में अमेरिका समुद्री संचालन का समर्थन करता है।

दक्षिण चीन सागर में भारत के हित

  • भारत भी व्यापार और संपर्क के लिए दक्षिण चीन सागर के महत्व को स्वीकार करता है। इसका 55 प्रतिशत से अधिक व्यापार इस क्षेत्र से होकर गुजरता है। भारत का प्राथमिक ध्यान हिंद महासागर पर है, लेकिन यह पश्चिमी प्रशांत महासागर के बढ़ते महत्व को स्वीकार करता है।
  • नई दिल्ली हिंद महासागर सहित दक्षिण चीन सागर में चीन को रोकने का प्रयास कर रही है, क्योंकि दक्षिण चीन सागर में चीनी प्रभुत्व बंगाल की खाड़ी में इसकी अधिक उपस्थिति का कारण बन सकता है।
  • भारत ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ मजबूत संबंध स्थापित किए हैं। इनके साथ संयुक्त अभ्यास किए हैं,साथ ही चीन से 2016 के मध्यस्थता निर्णय का पालन करने का आग्रह किया है।

भारत का दृष्टिकोणः

  • दक्षिण चीन सागर में बढ़ती भागीदारी के बावजूद, भारत ने इस क्षेत्र में एक सतर्क दृष्टिकोण बनाए रखा है। यह दृष्टिकोण चीन के साथ सीधे टकराव से बचने के साथ-साथ हिंद महासागर में अपने रणनीतिक हितों की रक्षा को प्राथमिकता देता है। भारत अपने व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक प्राथमिकताओं के साथ दक्षिण चीन सागर में अपने हितों को संतुलित करना चाहता है।
  • हालांकि, दक्षिण चीन सागर में अपनी भूमिका तय करने और उसका विस्तार करने की चीन की बढ़ती क्षमता ने भारत को अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है।
  • एक्ट ईस्ट नीति के हिस्से के रूप में, भारत ने दक्षिण चीन सागर में चीन की धमकी देने वाली रणनीति का मुकाबला करने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विवादों का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना शुरू कर दिया है।
  • इसके अलावा, भारत दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए अपनी बौद्ध विरासत का भी लाभ उठा रहा है।
  • भारत ने वियतनाम के साथ दक्षिण चीन सागर में अपनी नौसेना को भी तैनात किया है ताकि संचार के समुद्री मार्गों (एस. एल. ओ. सी.) की रक्षा की जा सके, जिस पर चीन को दावा करने की कोई गुंजाइश नहीं है। इसके अलावा, भारत क्वाड पहल (भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) का सदस्य है । चीन इन पहलों को एक रोकथाम रणनीति के रूप में देखता है।

आसियान के लिए समर्थनः

  • भारत का उद्देश्य चीन की मुखरता के खिलाफ आसियान देशों का समर्थन करके क्षेत्र में एक जिम्मेदार हितधारक बनना है। इसमें राजनयिक समर्थन, संयुक्त अभ्यास और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग प्रदान करना शामिल है। दक्षिण चीन सागर में भारत की भागीदारी इसके "क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास" (सागर) सिद्धांत और "एक्ट ईस्ट" नीति के साथ मेल खाती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

निष्कर्ष

चूंकि दक्षिण चीन सागर रणनीतिक महत्व का एक क्षेत्र बना हुआ है, इसलिए चीन की मुखर कार्रवाइयां और क्षेत्रीय दावे, क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता पैदा करते हैं। भारत, इसके महत्व को पहचानता है और अपने हितों की रक्षा के लिए इस क्षेत्र में अधिक सक्रिय रूप से संलग्न है। दक्षिण चीन सागर में विकसित होने वाली गतिशीलता का एशिया के शक्ति संतुलन, क्षेत्रीय सहयोग और क्वाड जैसे राष्ट्रों की भूमिका पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसमें शामिल राष्ट्रों के लिए यह अनिवार्य है कि वे इस जटिल मुद्दे को समझदारी से निपटाएं और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखें।

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