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Politics and Governance (राजनीति और शासन): August 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

मॉब लिंचिंग पर राज्यों की शिथिल प्रतिक्रिया

चर्चा में क्यों

नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (NFIW) ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

  • सर्वोच्च न्यायालय ने गृह मंत्रालय और छह राज्य सरकारों (महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश और हरियाणा) से गौ संरक्षकों द्वारा मुसलमानों की पीट-पीट कर हत्या और भीड़ हिंसा के विरुद्ध कार्रवाई करने में निरंतर विफलता के लिये स्पष्टीकरण की मांग की है।

मॉब लिंचिंग

  • मॉब लिंचिंग व्यक्तियों के समूह द्वारा की गई सामूहिक हिंसा है, जिसमें किसी व्यक्ति के शरीर या संपत्ति पर हमले शामिल होते हैं, चाहे वह सार्वजनिक या व्यक्तिगत हों।
    • ऐसे में भीड़ यह मानती है कि वह पीड़ित को गलत कार्य (ज़रूरी नहीं कि अवैध हो) करने के लिये दंडित कर रही है और किसी कानून का पालन किये बिना कथित आरोपी को दंडित करने हेतु कानून अपने हाथ में लेती है।

भारत में लिंचिंग से संबंधित आँकड़े

भारत में गाय से संबंधित हिंसा पर इंडिया स्पेंड नामक वेबसाइट द्वारा संकलित आँकड़े (वर्ष 2010-2017):

  • वर्ष 2010 से वर्ष 2017 के बीच की अवधि के दौरान गाय से संबंधित हिंसा की 63 घटनाओं में कुल 28 लोग मारे गए।
    • इनमें से लगभग 97% हमले वर्ष 2014 के बाद हुए जो पिछले कुछ वर्षों में ऐसी घटनाओं में तेज़ वृद्धि दर्शाता है।
    • इन घटनाओं में मारे गए लगभग 86% लोग मुस्लिम थे, जिससे पता चलता है कि एक विशिष्ट धार्मिक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा था।

मॉब लिंचिंग के कारण

  • संस्कृति या पहचान को कथित खतरा: जब भीड़ को लगता है कि व्यक्तियों या समूहों के कुछ कार्य या व्यवहार उनकी सांस्कृतिक या धार्मिक पहचान के लिये खतरा हैं, तो वे लिंचिंग में शामिल हो जाते हैं।
    • उदाहरण के लिये: अंतर-जातीय या अंतर-धार्मिक संबंध, कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन या रीति-रिवाज़ जिन्हें चुनौतीपूर्ण पारंपरिक मानदंडों के रूप में माना जाता है।
  • अफवाहें और गलत सूचना: मॉब लिंचिंग की घटनाएँ अक्सर सोशल मीडिया या अन्य चैनलों के माध्यम से फैली अफवाहों या गलत सूचनाओं के कारण होती हैं।
  • आर्थिक और सामाजिक तनावभूमि विवाद, आर्थिक अवसर और संसाधनों के लिये प्रतिस्पर्द्धा से संबंधित मुद्दे हिंसक टकराव में बदल सकते हैं।
  • राजनीतिक हेर-फेरराजनीतिक हित और एजेंडे मॉब लिंचिंग की घटनाओं को बढ़ावा दे सकते हैं।
  • जातीय या सांप्रदायिक विभाजनलंबे समय से चले आ रहे जातीय, धार्मिक या सांप्रदायिक विभाजन मॉब लिंचिंग में योगदान दे सकते हैं।
  • नैतिक सतर्कताव्यक्ति या समूह स्वयं-नियुक्त नैतिक निगरानीकर्त्ताओं की भूमिका निभा सकते हैं, जो हिंसा के माध्यम से सामाजिक मानदंडों और मूल्यों की अपनी व्याख्या को लागू कर सकते हैं।

मॉब लिंचिंग से संबंधित मुद्दे

  • मॉब लिंचिंग मानवीय गरिमा, संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा का घोर उल्लंघन है।
  • ऐसी घटनाएँ समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) और भेदभाव के निषेध (अनुच्छेद 15) का उल्लंघन करती हैं।
  • देश के कानून में कहीं भी मॉब लिंचिंग का जिक्र नहीं है। यदि सीधे शब्दों में कहा जाए तो इसे हत्या की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि इसे भारतीय दंड संहिता में शामिल नहीं किया गया है।

तहसीन पूनावाला मामले में सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी

  • जुलाई 2017 में तहसीन एस पूनावाला बनाम UOI के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अपने नागरिकों के जीवन की रक्षा करना राज्य का "अलंघनीय कर्तव्य" था।
    • इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने मॉब लिंचिंग को 'भीड़तंत्र का भयावह कृत्यउचित ही कहा था।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए सात उपचारात्मक निर्देश

  • नामित नोडल अधिकारी की नियुक्ति:
    • मॉब लिंचिंग और हिंसा जैसे पूर्वाग्रह से प्रेरित अपराधों को रोकने के उपाय करने के लिये एक नामित नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाना चाहिये जो पुलिस अधीक्षक के पद से निम्न स्तर का न हो।
  • तत्काल FIR दर्ज कर नोडल अधिकारी को सूचित करना:
    • यदि स्थानीय पुलिस के संज्ञान में मॉब लिंचिंग या हिंसा की कोई घटना आती है तो उन्हें तुरंत FIR दर्ज करनी चाहिये।
    • FIR दर्ज करने वाले थाना प्रभारी को घटना के बारे में ज़िले के नोडल अधिकारी को सूचित करना होगा।
  • जाँच की व्यक्तिगत निगरानी:
    • नोडल अधिकारी को अपराध की जाँच की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करनी चाहिये।
  • समय रहते चार्जशीट दाखिल करना:
    • कानून के मुताबिक तय अवधि के भीतर जाँच और चार्जशीट दाखिल की जानी चाहिये।
  • पीड़ित मुआवज़ा योजना:
    • पूर्वाग्रह से प्रेरित हिंसा के पीड़ितों को मुआवज़ा देने के लिये एक योजना होनी चाहिये।
  • अनुपालन  करने की स्थिति में कार्यवाही:
    • पुलिस अथवा ज़िला प्रशासन के अधिकारी द्वारा न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन न करना जान-बूझकर की गई लापरवाही/कदाचार माना जाएगा और ऐसी स्थिति में विभागीय कार्यवाही के अतिरिक्त छह महीने के भीतर उचित कार्रवाई करना अनिवार्य है।
  • अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई
    • राज्यों को उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करना अनिवार्य है जो पूर्व जानकारी के बावजूद मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने में विफल रहे हैं अथवा घटना के बाद अपराधी को पकड़ने तथा उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने में देरी करते हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम एवं पहलें

  • मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून:
    • अभी तक मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाले केवल तीन राज्य; मणिपुरपश्चिम बंगाल और राजस्थान हैं।
    • झारखंड विधानसभा ने भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा और मॉब लिंचिंग रोकथाम विधेयक, 2021 को पारित कर दिया है जिसे हाल ही में राज्यपाल ने कुछ प्रावधानों पर पुनर्विचार के लिये लौटा दिया था।
  • जागरूकता अभियान:
    • राँची पुलिस ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिये पोस्टर अभियान के माध्यम से पूरे रांची ज़िले में जन जागरूकता अभियान का आयोजन किया।
    • औरंगाबाद पुलिस ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिये मराठवाड़ा के सभी आठ ज़िलों में जागरूकता अभियान चलाया है।
  • पीड़ित मुआवज़ा योजना:
    • गोवा सरकार ने पीड़ित मुआवज़ा योजना की घोषणा करते हुए कहा है कि अगर भीड़ द्वारा की गई हिंसा की वजह से किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो परिवार को 2 लाख रुपए की मुआवज़ा राशि प्रदान की जाएगी।
  • सोशल मीडिया अनुवीक्षण:
    • भारत के दक्षिणी शहर हैदराबाद में पुलिस सोशल मीडिया अभियान के माध्यम से हैशटैग #HyderambaKillsRumors का उपयोग करके भीड़ द्वारा होने वाली हिंसा को रोकने का प्रयास कर रही है।

आगे की राह

  • लिंचिंग और भीड़ हिंसा के पीड़ितों को "न्यूनतम एक समान राशि" का भुगतान।
  • भारत जैसे लोकतांत्रिक समाज में लिंचिंग का कोई स्थान नहीं है। यह जरूरी है कि भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को जड़ से खत्म किया जाए।
  • सभी राज्यों और केंद्र को इस मामले पर व्यापक कानून लाने के लिये तत्परता दिखाने की आवश्यकता है जैसा कि मणिपुर, पश्चिम बंगाल और राजस्थान जैसे राज्यों द्वारा लाया गया है।
  • फर्जी खबरों और घृणास्पद भाषण/हेट स्पीच के प्रसार को रोकने के लिये भी आवश्यक उपाय किया जाना जरूरी है।

क्षेत्रीय संपर्क योजना के समक्ष चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों

इस योजना के तहत बनाए गए कई हवाई अड्डों का संचालन न होने के कारण नागरिक उड्डयन मंत्रालय की क्षेत्रीय संपर्क योजना (Regional Connectivity Scheme- RCS), उड़ान (UDAN) को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

  • 74 हवाई अड्डों के निर्माण की मांग के बावजूद मई 2014 के बाद से केवल 11 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का ही संचालन हो पाया है।

क्षेत्रीय संपर्क योजना

  • परिचय:
    • क्षेत्रीय हवाई अड्डे के विकास तथा क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिये नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा UDAN (उड़े देश का आम नागरिक/Ude Desh Ka Aam Nagarik) को लॉन्च किया गया था।
    • यह राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (National Civil Aviation Policy), 2016 का हिस्सा है।
    • यह योजना 10 वर्ष की अवधि के लिये लागू है।
  • उद्देश्य:
    • भारत के सुदूर क्षेत्रों और क्षेत्रीय हवाई संपर्क में सुधार करना।
    • दूरस्थ क्षेत्रों का विकास और व्यापार एवं वाणिज्य तथा पर्यटन विस्तार को बढ़ाना।
    • आम लोगों को सस्ती दरों पर हवाई यात्रा की सुविधा उपलब्ध कराना।
    • विमानन क्षेत्र में रोज़गार सृजन।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • इस योजना के तहत एयरलाइंस को कुल सीटों की 50% सीटों के लिये हवाई किराया 2,500 रुपए प्रति घंटे की उड़ान पर सीमित करना होगा।
    • इस उद्देश्य को निम्नलिखित के आधार पर प्राप्त किया जाएगा:
    • केंद्र एवं राज्य सरकारों और हवाई अड्डों के संचालकों की ओर से रियायतों के रूप में वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से।
    • व्यवहार्यता अंतराल अनुदान (Viability Gap Funding- VGF)- संचालन की लागत और अपेक्षित राजस्व के बीच अंतर को कम करने के लिये एयरलाइंस को प्रदान किये जाने वाले सरकारी अनुदान के माध्यम से।
      • योजना के तहत व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये क्षेत्रीय कनेक्टिविटी अनुदान (Regional Connectivity Fund- RCF) प्रदान किया गया है।
      • इस निवेश में सहभागी राज्य सरकारें (केंद्रशासित प्रदेश और NER राज्यों के अतिरिक्त जिनका योगदान 10% है) 20% की भागीदारी करेंगी।

उड़ान योजना के चरण

  • चरण 1 को वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य देश में अनुपयोगी और असेवित हवाई अड्डे शुरू करना था।
  • चरण 2 को वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया, जिसका उद्देश्य देश के दूरस्थ और दुर्गम हिस्सों में हवाई संपर्क का विस्तार करना था।
  • चरण 3 को नवंबर 2018 में लॉन्च किया गया, जिसमें देश के पहाड़ी और दूरदराज़ के क्षेत्रों में हवाई संपर्क बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • उड़ान योजना का चरण 4 दिसंबर 2019 में शुरू किया गया, जिसमें द्वीपों और देश के अन्य दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
  • चरण 5 को अप्रैल 2023 में लॉन्च किया गया, यह श्रेणी-2 (20-80 सीटऔर श्रेणी-3 (>80 सीटएयरक्राफ्ट पर केंद्रित है, इसमें यान की उड़ान के आरंभ और गंतव्य के बीच की दूरी पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

RCS योजना की चुनौतियाँ

  • वाणिज्यिक व्यवहार्यता:
    • योजना के तहत चिह्नित कई मार्ग एयरलाइंस के लिये व्यावसायिक रूप से अव्यवहार्य पाए गए हैं। कुछ मार्गों पर हवाई यात्रा की कम मांग के कारण उड़ान योजना के तहत प्रदान किये जाने वाले अनुदान के बावजूद एयरलाइंस के लिये लाभप्रद ढंग से कार्य करना मुश्किल है।
    • RCS के तहत हवाई अड्डा विकास में कम उपयोग वाले हवाई अड्डों के पुनरुद्धार के लिये 479 मार्गों पर परिचालन करना शामिल था। हालाँकि इनमें से 225 मार्गों पर परिचालन बंद हो चुका है।
  • ढाँचागत बाधाएँ
    • कुछ दूरदराज़ के क्षेत्रों में पर्याप्त हवाई अड्डों के बावजूद बुनियादी ढाँचे की कमी, एयरलाइंस के लिये चुनौतियाँ खड़ी करती हैं।
    • कई हवाई अड्डों को सुरक्षा मानकों को पूरा करने और हवाई यातायात में हुई वृद्धि के उचित प्रबंधन के लिये उन्नयन तथा सुधार की आवश्यकता है।
  • हवाई यात्रा पर सब्सिडी:
    • RCS का लक्ष्य चयनित मार्गों पर परिचालन करने वाली एयरलाइंस को सब्सिडी और व्यवहार्यता अंतर निधि प्रदान करके हवाई यात्रा को किफायती बनाना है। हालाँकि इस योजना को समस्याओं का सामना करना पड़ा है क्योंकि सब्सिडी के बावजूद कुछ मार्ग व्यावसायिक रूप से अव्यवहार्य पाए गए।
  • उच्च परिचालन लागत
    • दूरदराज़ के क्षेत्रों में परिचालन करने वाली एयरलाइंस को अक्सर उच्च परिचालन लागत का सामना करना पड़ता है, जिसमें ईंधन खर्च, रख-रखाव लागत और लॉजिस्टिक चुनौतियों में वृद्धि शामिल है, जो उनकी लाभप्रदता को प्रभावित कर सकती है।
  • हवाई यात्रा किराए की सीमाएँ
    • RCS उड़ानों के लिये हवाई किराए की सीमा एयरलाइन्स की राजस्व क्षमता को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब परिचालन लागत अधिक हो। यह एयरलाइंस को कुछ मार्गों पर परिचालन को लेकर हतोत्साहित कर सकता है।
  • यात्री जागरूकता:
    • उड़ान के तहत हवाई यात्रा विकल्पों की उपलब्धता के बारे में संभावित यात्रियों के बीच जागरूकता की कमी क्षेत्रीय हवाई सेवाओं की मांग और उपयोग को सीमित कर सकती है।

आगे की राह 

  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना ने हवाई अड्डे के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन वाणिज्यिक व्यवहार्यता और एयरलाइंस की स्थिरता से संबंधित चुनौतियों ने इसकी समग्र सफलता में बाधा उत्पन्न की है।
  • जैसे-जैसे विमानन क्षेत्र का विकास जारी है, देश भर के छोटे शहरों और क्षेत्रों के लिये स्थायी हवाई कनेक्टिविटी प्राप्त करने हेतु इन मुद्दों को संबोधित करना आवश्यक होगा।
  • इन चुनौतियों से निपटने के लिये सरकार, विमानन उद्योग के हितधारकों और स्थानीय अधिकारियों के सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता है।
  • हवाई अड्डे के बुनियादी ढाँचे का विस्तार, सब्सिडी वितरण को सुव्यवस्थित करनापरिचालन संबंधी बाधाओं को दूर करना और क्षेत्रीय हवाई यात्रा जागरूकता को बढ़ावा देना आवश्यक है जिन पर भारत की क्षेत्रीय संपर्क योजना उड़ान की सफलता तथा स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

तंबाकू नियंत्रण पर WHO की रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) ने हाल ही में तंबाकू नियंत्रण उपायों पर एक व्यापक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट एमपॉवर उपायों (तंबाकू के उपयोग तथा स्वास्थ्य पर इसके हानिकारक प्रभावों से निपटान हेतु WHO द्वारा विकसित रणनीतियों का एक समूह) की शुरूआत के बाद से विश्व स्तर पर हुई प्रगति का मूल्यांकन करती है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • वैश्विक तंबाकू नियंत्रण प्रगति:
    • पूरे विश्व में धूम्रपान का प्रचलन वर्ष 2007 में 22.8% से घटकर वर्ष 2021 में 17% रह गया है, जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान में धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या में 300 मिलियन की कमी आई है।
    • WHO के MPOWER/एमपॉवर उपायों ने विगत 15 वर्षों में तंबाकू नियंत्रण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, अर्थात् WHO ने इस उपाय से कम से कम 5.6 बिलियन लोगों (वैश्विक आबादी का 71%) की रक्षा की है।
    • कम से कम एक एमपॉवर उपाय लागू करने वाले देशों की संख्या वर्ष 2008 में 44 से बढ़कर वर्ष 2022 में 151 हो गई हैजबकि चार देशों - ब्राज़ीलतुर्कियेनीदरलैंड और मॉरीशस ने सभी उपायों को सफलतापूर्वक लागू किया है।
  • चुनौतियों का समाधान:
    • यह रिपोर्ट उन चुनौतियों पर भी प्रकाश डालती है जिन्हें अधिक प्रभावी तंबाकू नियंत्रण के लिये संबोधित करने की आवश्यकता है।
    • विश्व में 44 देश अभी भी कोई एमपॉवर उपाय लागू नहीं करते हैंजबकि 53 देशों की स्वास्थ्य सुविधाओं में धूम्रपान पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है।
    • इसके अतिरिक्त, केवल कुछ देश ही धूम्रपान-मुक्त कार्यस्थलों और रेस्टोरेंट्स पर इन उपायों को लागू करते हैं।
    • WHO, -सिगरेट के खतरों पर भी प्रकाश डालता है, क्योंकि तंबाकू उद्योग द्वारा हानिकारक विकल्प के रूप में -सिगरेट का सक्रिय प्रचार प्रगति को कमज़ोर करता है।
    • ई-सिगरेट, उपयोगकर्त्ता और उसके आस-पास के लोग दोनों के लिये जोखिम उत्पन्न करती है, मूलतः आतंरिक वातावरण (indoor environments) में।
  • सेकेंड-हैंड स्मोकिंग
    • प्रतिवर्ष अनुमानित 8.7 मिलियन मौतें तंबाकू से संबंधित हैंजबकि इसमें से 1.3 मिलियन मौतें गैर-धूम्रपान करने वालों से संबंधित हैंजो कि सेकेंड-हैंड/अप्रत्यक्ष स्मोकिंग के संपर्क में आने से प्रभावित हुए हैं।
    • हृदय रोग के कारण होने वाली लगभग 400,000 मौतों का कारण सेकेंड-हैंड स्मोकिंग है। इसके अलावा निष्क्रिय धूम्रपान बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है, जिससे गंभीर अस्थमा, श्वसन पथ में संक्रमण और अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (Sudden infant death syndrome- SIDS) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
    • 20 वर्ष से कम उम्र के लगभग 51,000 बच्चों और किशोरों की मौत सेकेंड हैंड स्मोकिंग के संपर्क में आने से होती है।
  • तंबाकू नियंत्रण को लेकर भारत की प्रगति:
    • भारत तंबाकू उत्पादों पर स्वास्थ्य चेतावनी लेबल लागू करने और तंबाकू की लत को रोकने हेतु उपचार प्रदान करने में उत्कृष्ट है।
    • भारत में लगभग 85% सिगरेट पैकों पर आगे और पीछे दोनों तरफ स्वास्थ्य चेतावनियाँ लिखी होती हैं, जो चेतावनी लेबल आकार के मामले में देश को शीर्ष 10 में रखता है।
    • भारत ने -सिगरेट की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाने के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं तथा शैक्षणिक संस्थानों में धूम्रपान पर प्रतिबंध लगा दिया है।
    • बंगलूरू में सैकड़ों प्रवर्तन अभियानों, 'नो स्मोकिंगसाइन डिस्प्ले, धूम्रपान और सेकेंड-हैंड स्मोकिंग के धुएँ से उत्पन्न खतरों के बारे में व्यापक जागरूकता अभियानों के परिणामस्वरूप तंबाकू नियंत्रण में महत्त्वपूर्ण प्रगति देखी गई है।
    • शहर द्वारा किये गए प्रयासों से सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान में 27% की सराहनीय कमी देखी गई है।

भारत में तंबाकू उपभोग/खपत की स्थिति

  • परिचय:
    • ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे इंडिया, 2016-17 के अनुसार, भारत में लगभग 267 मिलियन वयस्क (15 वर्ष और उससे अधिकसभी वयस्कों का 29%) तंबाकू का उपभोग करते हैं।
    • धुआँ रहित तंबाकू भारत में तंबाकू के उपयोग का सबसे प्रचलित रूप है।
    • यह भारत में कई बीमारियों और मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है और प्रत्येक वर्ष इससे लगभग 1.35 मिलियन लोगों की मौत होती है। भारत, तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक भी है।
  • सरकारी पहलें
    • राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम
    • इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अध्यादेश, 2019 का प्रख्यापन
    • सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का निषेध और व्यापार एवं वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति तथा वितरण का विनियमन) संशोधन नियम, 2023
    • नेशनल टोबैको क्विटलाइन सर्विसेज़
    • भारत के केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2023-24 के बजट में सिगरेट पर राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (National Calamity Contingent Duty- NCCD) में 16% की वृद्धि की घोषणा की
    • भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्ट्रीमिंग प्लेटफाॅर्म पर किसी भी प्रकार की स्ट्रीमिंग से पूर्व तंबाकू से संबंधित स्वास्थ्य चेतावनियों को प्रदर्शित करना अनिवार्य करने के लिये ओवर--टॉप (OTT) प्लेटफाॅर्मों हेतु नए नियमों की घोषणा की है।

गन्ने हेतु अतिरिक्त भुगतान

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने सहकारी चीनी मिलों द्वारा किसानों को गन्ना हेतु किये गए अतिरिक्त मूल्य भुगतान को "व्यावसायिक व्ययके रूप में दावा करने की अनुमति प्रदान करके एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।

गन्ने हेतु अतिरिक्त भुगतान का मुद्दा

  • गन्ना भारत में एक प्रमुख फसल है, खासकर महाराष्ट्रउत्तर प्रदेशकर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में।
  • केंद्र प्रत्येक वर्ष गन्ने के लिये उचित और लाभकारी मूल्य निर्धारित करता है, यह चीनी मिलों द्वारा किसानों को उनके गन्ने की खरीद के लिये भुगतान की जाने वाली न्यूनतम राशि है।
  • हालाँकि कुछ सहकारी चीनी मिलेंविशेष रूप से महाराष्ट्र में किसानों को प्रोत्साहन अथवा बोनस के रूप में FRP से अधिक का भुगतान करती हैं। इसे अतिरिक्त गन्ना भुगतान (Excess Cane Payment) कहा जाता है।
  • इस अतिरिक्त गन्ना भुगतान के कारण सहकारी चीनी मिलों और आयकर विभाग के बीच कर विवाद खड़ा हो गया है।
    • ये मिलें अतिरिक्त भुगतान का दावा व्यावसायिक व्यय के रूप में करती हैं, जबकि विभाग इसे मुनाफे का वितरण मानता है और इन पर किसी भी प्रकार की छूट की अनुमति नहीं देता है।

विवाद निपटान की प्रक्रिया:

  • भारत सरकार ने वित्त अधिनियम में संशोधन करते हुए वर्ष 2015-16 के केंद्रीय बजट में सहकारी चीनी मिलों को अपनी व्यावसायिक आय की गणना के लिये कटौती के रूप में अतिरिक्त गन्ना भुगतान का दावा करने की अनुमति दी। हालाँकि यह 2016-17 मूल्यांकन वर्ष से लागू किया गया था।
  • भारत सरकार ने सत्र 2023-24 के केंद्रीय बजट में सत्र 2015-16 से पहले के सभी वित्तीय वर्षों के लिये कटौती के लाभ में वृद्धि की है। यह आयकर अधिनियम की धारा 155 में संशोधन कर किया गया था।
  • इस कदम से वित्तीय वर्ष 2015-16 से पहले किये गए भुगतान के संबंध में लंबित कर मांगों और मुकदमेबाज़ी के विरुद्ध सहकारी चीनी मिलों को लगभग 10,000 करोड़ रुपए की राहत मिलने की उम्मीद है।

उचित और लाभकारी मूल्य (FRP)

  • परिचय:
    • यह सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य है, चीनी मिलें किसानों से गन्ने की खरीद इस मूल्य पर करने को बाध्य हैं।
  • भुगतान और समझौता:
    • मिलों को कानूनी तौर पर किसानों से खरीदे गए गन्ने के लिये उन्हें FRP का भुगतान करना आवश्यक है।
    • मिलें किसानों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने का विकल्प चुन सकती हैं, जिससे उन्हें किश्तों में FRP का भुगतान करने की अनुमति मिल सके।
    • विलंबित भुगतान पर प्रतिवर्ष 15% तक का ब्याज शुल्क लग सकता है और चीनी आयुक्तमिलों की संपत्तियों को संलग्न करके भुगतान  किये गये FRP की वसूली कर सकते हैं।
  • शासी विनियम:
    • गन्ने का मूल्य निर्धारण आवश्यक वस्तु अधिनियम (ECA), 1955 के तहत जारी गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के वैधानिक प्रावधानों द्वारा नियंत्रित होता है।
    • नियमों के मुताबिक, FRP का भुगतान गन्ना डिलीवरी के 14 दिनों के अंदर किया जाना चाहिये।
  • निर्धारण एवं घोषणा:
    • FRP का निर्धारण कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर किया जाता है।
    • आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने FRP की घोषणा की।
    • FRP की घोषणा आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा की जाती है।
  • विचारणीय कारक:
    • FRP में विभिन्न कारकों को ध्यान में रखा जाता है जिसमें गन्ना उत्पादन की लागतवैकल्पिक फसलों से प्राप्त निधिकृषि वस्तुओं की कीमतों में रुझान, उपभोक्ताओं को चीनी की उपलब्धता, चीनी का बिक्री मूल्य, गन्ने से चीनी की रिकवरी और गन्ना उत्पादकों के लिये आय सीमा शामिल है।

गन्ना

  • तापमान: गर्म और आर्द्र जलवायु के साथ 21-27°C के बीच।
  • वर्षालगभग 75-100 सेमी.।
  • मिट्टी का प्रकारगहरी समृद्ध दोमट मिट्टी।
  • शीर्ष गन्ना उत्पादक राज्य: उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार।
  • ब्राज़ील के बाद भारत गन्ने का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
  • इसे बलुई दोमट से लेकर चिकनी दोमट मिट्टी तक सभी प्रकार की मृदा में उगाया जा सकता है क्योंकि इसके लिये अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है।
  • इसमें बुवाई से लेकर कटाई तक शारीरिक श्रम की आवश्यकता होती है।
  • यह चीनी, खांडसारी, गुड़ और शीरे का मुख्य स्रोत है।
  • चीनी उपक्रमों को वित्तीय सहायता बढ़ाने की योजना (SEFASU) और जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, गन्ना उत्पादन एवं चीनी उद्योग को समर्थन देने के लिये सरकार की दो योजनाएँ हैं।

PMAY-U की नई पूरक योजनाएँ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में शहरी गरीबों द्वारा सामना की जाने वाली आवास संकट की समस्या का समाधान करने हेतु एक नई योजना का उल्लेख किया।

  • यह नई योजना वर्ष 2015 में शुरू की गई एक प्रमुख सरकारी पहल प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी (Pradhan Mantri Awas Yojana Urban- PMAY-U) की पूरक है।

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी

  • परिचय:
    • आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के तत्त्वावधान में क्रियान्वित प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी का उद्देश्य आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के बीच शहरी आवास की कमी का समाधान करना है।
    • इस मिशन के तहत वर्ष 2022 तक सभी पात्र शहरी परिवारों को "पक्के" (टिकाऊ और स्थायीघर उपलब्ध कराना है।
      • इस लक्ष्य की पूर्ति के लिये फंडिंग पैटर्न और कार्यान्वयन पद्धति में बदलाव किये बिना सभी स्वीकृत घरों के निर्माण का कार्य पूरा करने हेतु इस योजना को दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
  • लाभार्थीयह मिशन झुग्गीवासियों/स्लम सहित EWS/LIG और MIG श्रेणियों के बीच शहरी आवास की कमी को संबोधित करता है।
    • आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (Economically Weaker Section- EWS)- अधिकतम वार्षिक पारिवारिक आय 3,00,00 रुपए।
    • निम्न आय समूह (Low Income Group- LIG)- अधिकतम वार्षिक पारिवारिक आय 6,00,000 रुपए।
    • मध्यम आय समूह (Middle Income Groups- MIG I & II)- अधिकतम वार्षिक पारिवारिक आय 18,00,000 रुपए।
      • लाभार्थी परिवार में पति, पत्नी, अविवाहित बेटे और/या अविवाहित बेटियाँ शामिल होंगी।
  • PMAY-U के घटक
    • इन-सीटू स्लम पुनर्विकास (In-situ Slum Redevelopment- ISSR): ISSR कार्यक्रम निजी डेवलपर्स के सहयोग से संसाधन के रूप में भूमि का उपयोग करते हुए पुनर्विकास के दौरान योग्य स्लम निवासियों के लिये प्रति आवास 1 लाख रुपए की केंद्रीय सहायता प्रदान करता है।
      • राज्यों/शहरों के पास इस केंद्रीय सहायता को अन्य स्लम पुनर्विकास परियोजनाओं के लिये आवंटित करने की छूट है।
    • क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (Credit Linked Subsidy Scheme- CLSS): यह योजना EWS/LIG, मध्यम आय समूह (MIG)-I और MIG-II के लाभार्थियों को आवास खरीदने, निर्माण करने या विस्तार के लिये आवास ऋण की मांग को करने में सहायता करता है।
    • व्यक्ति ये लाभ उठा सकते हैं:
      • 6 लाख रुपए तक की ऋण राशि पर 6.5% की ब्याज सब्सिडी।
      • 9 लाख रुपए तक की ऋण राशि पर 4% की ब्याज सब्सिडी।
      • 12 लाख रुपए तक की ऋण राशि पर 3% की ब्याज सब्सिडी।
    • आवास और शहरी विकास निगम (HUDCO), राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB) और भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India- SBI) नामित केंद्रीय नोडल एजेंसियाँ (CNAs) हैं जो ऋण संस्थानों के माध्यम से सब्सिडी देने तथा प्रगति की निगरानी के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • अफोर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप (AHP):
    • AHP के तहत भारत सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) के प्रत्येक परिवार को आवास के लिये 1.5 लाख रुपए की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • किफायती आवास परियोजनाओं (Affordable Housing Projects) में विभिन्न श्रेणियों को शामिल किया जा सकता है, लेकिन वे केवल तभी केंद्रीय सहायता के लिये योग्य हैं जब इनमें कम-से-कम 35% आवास EWS श्रेणी के लिये हों।
    • राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने सामर्थ्य सुनिश्चित करने के लिये EWS घरों की बिक्री मूल्य पर ऊपरी सीमा निर्धारित की है।
  • लाभार्थी द्वारा व्यक्तिगत आवास निर्माण/संवर्द्धन (BLC-N/ BLC-E):
    • योग्य आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) के परिवारों को घरों के निर्माण  सुधार के लिये केंद्रीय सहायता के रूप में 1.5 लाख रुपए तक प्रदान किये जाते हैं।
    • शहरी स्थानीय निकाय भूमि के स्वामित्व, आर्थिक स्थिति और पात्रता की पुष्टि के लिये लाभार्थी की जानकारी और भवन योजना का सत्यापन करते हैं।

Politics and Governance (राजनीति और शासन): August 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

  • प्रगति:
    • नवीनतम अपडेट के अनुसार, PMAY-U पहल के तहत कुल 118.9 लाख घर बनाए जा चुके हैं, जिनमें से 76.25 लाख घरों में लोग रह रहे हैं।
  • संबंधित पहल
    • किफायती किराये के आवास परिसर (ARHCs): MoHUA ने PMAY-U के अंर्तगत एक उप-योजना ARHCs प्रारंभ की है।
      • इससे शहरी प्रवासियों/औद्योगिक क्षेत्र के गरीबों के साथ-साथ गैर-औपचारिक शहरी अर्थव्यवस्था में रहने वाले लोगों को आसानी होगी और उन्हें अपने कार्यस्थल के समीप ही किफायती किराये के आवास तक पहुँच प्राप्त होगी।
    • अंगीकार अभियान: यह सामुदायिक गतिशीलता और IEC गतिविधियों के माध्यम से PMAY-U लाभार्थियों के लिये जल और ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट प्रबंधन, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता जैसी सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने पर केंद्रित है। 
      • यह अभियान औपचारिक रूप से 150वीं गांधी जयंती के उपलक्ष्य में 2 अक्तूबर, 2019 को शुरू किया गया था।
    • GHTC इंडिया: MoHUA ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज - इंडिया (GHTC इंडियाकी शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य आवास निर्माण क्षेत्र के लिये विश्व स्तरीय नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों की पहचान करके इसे मुख्यधारा में लाना है जो टिकाऊ, पर्यावरण-अनुकूल और आपदा-लचीली हो।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेख

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) जारी की गई, जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के नियमों के तहत शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण सुधार हुए।

  • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (National Curriculum Framework- NCF) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के तहत कक्षा 3 से कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों के लिये शैक्षिक परिदृश्य को नया आकार देते हुए भाषा सीखने, विषय संरचना, मूल्यांकन रणनीतियों और पर्यावरण शिक्षा में बदलाव पेश करती है।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा की मुख्य विशेषताएँ

  • भाषा सीखना:
    • कक्षा 9 और 10 के विद्यार्थी तीन भाषाएँ सीखते हैं, जिनमें से कम-से-कम दो मूल भारतीय भाषाएँ होती हैं।
    • कक्षा 11 और 12 में दो भाषाएँ पढ़ाई जाएंगी, जिनमें एक भारतीय मूल की होगी।
    • कम-से-कम एक भारतीय भाषा में भाषायी क्षमता का "साहित्यिक स्तरहासिल करने का लक्ष्य है।
  • बोर्ड परीक्षा और मूल्यांकन:
    • यह विद्यार्थियों/छात्रों को एक स्कूल वर्ष (School Year) में कम-से-कम दो बार पर बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति देता है।
    • दी गई परीक्षाओं में से केवल सर्वोत्तम स्कोर को ही बरकरार रखा जाएगा।
  • NEP 2020 के साथ संरेखण:
    • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा NEP 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुसार है। यह CBSE के तहत ग्रेड 3 से 12 तक नई पाठ्य-पुस्तकें तैयार करने हेतु आवश्यक रूपरेखा प्रदान करती है।
    • कक्षा 3 से 12 के लिये पाठ्य-पुस्तकों को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना।
    • दूरदर्शिता और वर्तमान संदर्भ में समन्वय सुनिश्चित करने पर ध्यान देना
  • अनिवार्य एवं वैकल्पिक विषयों में परिवर्तन:
    • इससे पहले कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिये पाँच अनिवार्य विषय और एक अतिरिक्त विषय लेने का विकल्प रहता था।
    • अब कक्षा और 10 के लिये अनिवार्य विषयों की संख्या सात है तथा कक्षा 11 एवं 12 के लिये छह है।
  • वैकल्पिक विषय:
    • पहले समूह में कला शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा सम्मिलित है।
    • दूसरे समूह में सामाजिक विज्ञान, मानविकी और अंतःविषय जैसे क्षेत्र सम्मिलित हैं।
    • तीसरे समूह में विज्ञान, गणित और कंप्यूटेशनल सोच (Computational Thinking) सम्मिलित है।
  • छात्रों के लिये विकल्प की सुविधा:
    • अधिक लचीलापन और विकल्प प्रदान करने के लिये ‘माध्यमिक चरण’ को पुनः डिज़ाइन किया गया।
    • शैक्षणिक और व्यावसायिक विषयों या विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और शारीरिक शिक्षा जैसे विषयों में कोई बड़ा अंतर नहीं होगा।
    • विद्यार्थी अपने स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के लिये विषयों का दिलचस्प संयोजन चुन सकते हैं।
  • पर्यावरण शिक्षा:
    • पर्यावरण जागरूकता और स्थिरता पर ज़ोर दिया जाएगा।
    • पर्यावरण शिक्षा को स्कूली शिक्षा के सभी चरणों में एकीकृत किया गया है।
    • माध्यमिक चरण में पर्यावरण शिक्षा के लिये अलग से अध्ययन क्षेत्र होगा।
  • सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम के लिये सामग्री वितरण (कक्षा 6-8):
    • 20% विषयवस्तु स्थानीय स्तर की होगी।
    • 30% विषयवस्तु क्षेत्रीय स्तर की होगी।
    • 30% विषयवस्तु राष्ट्रीय स्तर की होगी।
    • वैश्विक स्तर की 20% विषयवस्तु होगी।

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा

  • परिचय
    • NCF नई शिक्षा नीति (New Education Policy- NEP) 2020 के प्रमुख घटकों में से एक हैजो NEP 2020 के उद्देश्योंसिद्धांतों और दृष्टिकोण से सूचित इस परिवर्तन को सक्षम एवं सुनिश्चित करती है।
    • NCF में पहले चार संशोधन वर्ष 1975, 1988, 2000 और 2005 में हो चुके हैं। यदि प्रस्तावित संशोधन लागू होता हैतो यह ढाँचे का पाँचवा संशोधन होगा।
  • NCF के चार खंड:
    • स्कूली शिक्षा के लिये NCF (NCF for School Education- NCF-SE)
    • प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के लिये NCF (मूलभूत चरण)
    • शिक्षक शिक्षा के लिये NCF
    • प्रौढ़ शिक्षा के लिये NCF
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य शिक्षाशास्त्र सहित पाठ्यक्रम में सकारात्मक बदलावों के माध्यम से NEP 2020 में परिकल्पित भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली को सकारात्मक रूप से बदलने में मदद करना है।
    • इसका उद्देश्य भारत के संविधान द्वारा परिकल्पित समतामूलक, समावेशी और बहुलवादी समाज को साकार करने के अनुरूप सभी बच्चों को उच्चतम गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है।

शैक्षिक सुधारों से संबंधित अन्य सरकारी पहल

  • प्रौद्योगिकी संवर्द्धित शिक्षण पर राष्ट्रीय कार्यक्रम।
  • सर्व शिक्षा अभियान।
  • प्रज्ञाता।
  • मध्याह्न भोजन योजना।
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ।
  • पीएम श्री स्कूल।
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FAQs on Politics and Governance (राजनीति और शासन): August 2023 UPSC Current Affairs - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. मॉब लिंचिंग पर राज्यों की शिथिल प्रतिक्रिया क्या है?
उत्तर: मॉब लिंचिंग पर राज्यों की शिथिल प्रतिक्रिया अर्थात् राज्य सरकारों के द्वारा मॉब लिंचिंग के खिलाफ लेने जाने वाली कार्रवाई की कमी या अव्यवस्था को दर्शाती है। इसके परिणामस्वरूप, मॉब लिंचिंग जैसे हिंसात्मक क्रियाओं को रोकने और दण्डित करने के लिए सख्त क़ानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती।
2. क्षेत्रीय संपर्क योजना क्या है और इसकी चुनौतियाँ क्या हैं?
उत्तर: क्षेत्रीय संपर्क योजना भारतीय सरकार द्वारा शुरू की गई एक पहल है जो उत्तरी प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और जम्मू और कश्मीर के कुछ ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में कृषि, कृषि उत्पादों की बिक्री, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इसकी मुख्य चुनौतियों में से कुछ शामिल हैं - संचार की कमी, पहुंच की कमी, आपूर्ति श्रृंखला की कमी और तकनीकी क्षमता की कमी।
3. तंबाकू नियंत्रण पर WHO की रिपोर्ट क्या कहती है?
उत्तर: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट तंबाकू नियंत्रण के बारे में जानकारी और दिशानिर्देश प्रदान करती है। इस रिपोर्ट में तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की व्यापकता और संभावित उपाय के बारे में जानकारी दी गई है। यह रिपोर्ट तंबाकू प्रयोग और धूम्रपान के नकारात्मक प्रभावों को जागरूक करने का एक माध्यम भी है।
4. गन्ने हेतु अतिरिक्त भुगतान क्या है?
उत्तर: गन्ने हेतु अतिरिक्त भुगतान एक कृषि योजना है जिसके तहत गन्ने के किसानों को गन्ने के लिए अतिरिक्त भुगतान दिया जाता है। इसका मुख्य लक्ष्य गन्ने के किसानों की आय को बढ़ाना और उन्हें स्थायी आय स्रोत प्रदान करना है। यह भुगतान गन्ने के उत्पादन के लिए किसानों को बढ़ी हुई लागतों का भुगतान करने के रूप में किया जाता है।
5. PMAY-U की नई पूरक योजनाएँ क्या हैं?
उत्तर: PMAY-U (प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी) की नई पूरक योजनाएं शहरी क्षेत्रों में आवास के लिए सब्सिडीज़ड ब्याज दर पर ऋण प्रदान करने के लिए शुरू की गई हैं। इन योजनाओं के तहत, गरीब लोगों को सस्ते और वाणिज्यिक ब्याज दर पर वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ऋण प्रदान किया जाता है। यह योजनाएं आवास के लिए सस्ते और उचित विकल्प प्रदान करने के लिए शुरू की गई हैं।
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