प्रश्न 1: लेखिका का कैंप तहस-नहस कैसे हो गया?
उत्तर: एक लंबे बर्फ के पिंड ने लहोत्से ग्लेशियर से टूटकर ढलान से नीचे आते हुए लेखिका के कैंप को तहस-नहस कर दिया।
प्रश्न 2: लेखिका के यात्रा दल के नेता कौन थे?
उत्तर: लेखिका के एवरेस्ट अभियान दल के नेता थे कर्नल खुल्लर |
प्रश्न 3: लेखिका के अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई दल के सह सदस्य कौन थे?
उत्तर: लेखिका के साथ अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई दल के सह सदस्य थे - की, जय तथा मीनू।
प्रश्न 4: फूल (प्लूम) बनने का क्या कारण था?
उत्तर: प्लूम पर्वत शिखर की ऊपरी सतह के आसपास 150 किलोमीटर या इससे भी अधिक गति से हवा चलने के कारण बनता था।
प्रश्न 5: लेखिका क्यों डर गई?
उत्तर: लेखिका पर्वत शिखर पर 150 किलोमीटर या इससे भी अधिक की रफ़्तार से बहती बर्फीली आँधी तथा तूफ़ानों को देखकर अत्यंत डर गईं थी।
प्रश्न 6: की, जय और मीनू कैंप तक देर से क्यों पहुँचे?
उत्तर: क्योंकि वे भारी बोझ लेकर एवं बिना ऑक्सीजन के यात्रा कर रहे थे।
प्रश्न 7: 'की' क्यों हक्का-बक्का रह गया?
उत्तर: 'की' लेखिका को बिना कोई सावधानी लिए कैंप क्षेत्र के बाहर देखकर हक्का-बक्का रह गया।
प्रश्न 8: जय लेखिका से कहाँ मिला?
उत्तर: जय लेखिका से जेनेवा स्पर की चोटी के ठीक नीचे मिला।
Short Answer Type Questions
प्रश्न 1. बेस कैंप 3 में पर्वतारोहियों के साथ क्या दुर्घटना घटी ?
उत्तरः जब लेखिका तथा दल के अन्य सदस्य सोए हुए थे तब रात में एक जोरदार धमाका हुआ। एक लम्बा बर्फ का पिण्ड ग्लेशियर से टूटकर उनके कैंप के ऊपर गिरा था जिसने कैंप को पूरी तरह नष्ट कर दिया था। प्रत्येक व्यक्ति को चोट लगी थी परन्तु संयोगवश किसी की मृत्यु नहीं हुई थी।
प्रश्न 2. जय लेखिका को देखकर हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तरः जय बछेन्द्री पाल का पर्वतारोही साथी था। उसे भी बछेन्द्री के साथ पर्वत-शिखर पर जाना था। शिखर कैम्प पर पहुँचने में उसे देर हो गई थी। वह सामान ढोने के कारण पीछे रह गया था। अतः बछेन्द्री उसके लिए चाय-जूस आदि लेकर उसे लेने के लिए पहुँची। जय ने यह कल्पना नहीं की थी कि बछेन्द्री उसकी चिन्ता करेगी। इसलिए जब उसने बछेन्द्री पाल को उसके लिए चाय-जूस लाया देखा तो वह हक्का-बक्का रह गया।
प्रश्न 3. साउथ पोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शुरू की?
अथवा
साउथ पोल कैंप पर पहुँचकर लेखिका ने क्या-क्या कार्य किए?
उत्तरः साउथ पोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी। उसने खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर इकट्ठे किए। उसके बाद लेखिका अपने दल के दूसरे सदस्यों की मदद करने के लिए एक थरमस में जूस तथा दूसरे में चाय भरने के लिए नीचे उतर गई।
प्रश्न 4. कर्नल खुल्लर ने बछेन्द्री पाल को उसकी सफलता पर बधाई देते हुए क्या अनूठी बात कही
उत्तरः कर्नल खुल्लर ने बछेन्द्री पाल को बधाई देते हुए कहा कि मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा। वे बोले कि देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी, जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा।
प्रश्न 5. डाॅ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
उत्तरः डाॅ. मीनू मेहता ने निम्न जानकारियाँ दीं:
प्रश्न 6. तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा ?
उत्तरः जब लेखिका ने स्वयं को नौसिखिया बताया तो तेनजिंग ने लेखिका के कंधे पर अपना हाथ रख तारीफ करते हुए कहा कि तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो, तुम्हें तो एवरेस्ट शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।
प्रश्न 1. ‘एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा’ पाठ में उपनेता प्रेमचंद ने किन परिस्थितियों से अवगत कराया
उत्तरः अभियान दल के उपनेता प्रेमचन्द अग्रिम दल का नेतृत्व कर रहे थे। वे 26 मार्च को पैरिच लौट आए और आकर उन्होंने पहली बड़ी बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कैम्प-एक 6000 मीटर ऊपर है, जो हिमपात के ठीक ऊपर ही है। वहाँ तक जाने का रास्ता साफ कर दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा झाँड़ियों से रास्ता चिह्नित कर सभी बड़ी बाधाओं का जायजा ले लिया गया है। और यह भी बताया कि ग्लेशियर बर्फ की नदी है और अभी बर्फ का गिरना जारी है। हिमपात के कारण सारा काम व्यर्थ भी हो सकता है तथा हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा भी करना पड़ सकता है।
प्रश्न 2. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तरः हिमपात में बर्फ गिरती है। कभी-कभी बर्फ के भारी टुकड़े भी गिरते हैं। हिमपात अनिश्चित और अनियमित होता है। इससे अनेक प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ में हलचल हो जाती है जिससे बर्फ की चट्टानें तत्काल गिर जाती हैं। इससे धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं और यह दरारें-चैड़े हिम-विदर में बदल जाती हैं। कभी-कभी स्थिति खतरनाक रूप धारण कर लेती है।
प्रश्न 3. सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बछेन्द्री को किस कार्य से मिलता है?
अथवा
बिना सहयोग एवं सहायता की भावना से सम्मिलित अभियान संभव नहीं है। लेखिका बछेन्द्री पाल ने ऐसा क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः (i) एक सम्मिलित अभियान की सफलता सभी के सहयोग पर आधारित होती है।
(ii) सहयोग के आधार पर सामान्य-सा व्यक्ति भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकता है।
(iii) बछेन्द्रीपाल ने स्वयं यह करके दिखाया हैμअपने व्यवहार से सहयोग की भावना का परिचय दिया है।
(iv) उसने जब देखा कि उसके साथ जय और मीनू कैंप तक नह° पहुँचे हैं तो उनके लिये चाय जूस बनाया तथा मार्ग में ही जा पहुँची, जबकि उस रास्ते पर जाना कठिन और खतरनाक था।
(v) सहयोग के आधार पर ही उपनेता प्रेमचन्द, डाॅ. मीनू मेहता, लोपसांग तथा अंगदोरजी बड़ी-बड़ी भूमिकाओं का निर्वाह कर रहे थे। अतः बछेन्द्री पाल का यह कथन सर्वथा उपयुक्त है।
प्रश्न 4. एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
अथवा
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए बनाए गए कैपों का वर्णन कीजिए।
उत्तरः एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए निम्नलिखित छह कैम्प बनाए गए थे-
(i) बेस कैम्प-यहाँ से असली चढ़ाई शुरू होनी थी। यहाँ सारी सुविधाएँ एकत्रित की गई थी। यहाँ तेनजिंग भी मिलने आए थे।
(ii) कैम्प-एक- इस कैम्प में लेखिका और एक अन्य महिला पहले पहुँची।
(iii) कैम्प-दो -16 मई को प्रातः सभी लोग इस कैम्प पर पहुंचे। जिसमें एक शेरपा की टाँग टूट गई थी, उसे स्ट्रेचर पर लिटाया गया।
(iv) कैम्प-तीन-इसमें 10 व्यक्ति थे। यह नायलाॅन से बना तम्बू था। वहीं रात 12ः30 बजे बर्फ का खण्ड टूटकर आ गिरा था।
(v) कैम्प-चार-यह कैम्प 29 अप्रैल, 1948 को अंगदोरजी, लोपसाँग और गगन बिस्सा ने 7900 मीटर की ऊँचाई पर लगाया।
(vi) शिखर कैम्प-इस मैदान में लेखिका और अंगदोरजी केवल दो घण्टों में पहुँच गये यहाँ से सागरमाथा नजदीक था।
प्रश्न 5. एवरेस्ट की शिखर यात्रा में किन-किन लोगों ने लेखिका बछेन्द्री पाल को सहयोग दिया?
उत्तरः एवरेस्ट की शिखर यात्रा में अभियान दल के नेता कर्नल खुल्लर, उपनेता प्रेमचंद, साथी अंगदोरजी तथा डाॅक्टर मीनू मेहता ने लेखिका को सफलता प्राप्त करने में उल्लेखनीय सहयोग दिया। कर्नल खुल्लर ने लेखिका को शिखर यात्रा के प्रारंभ से लेकर अंत तक हिम्मत बँधायी, उसका साहस बढ़ाया। उन्होंने अभियान दल के सभी सदस्यों की मृत्यु को सहजता से स्वीकार करने का पाठ पढ़ाकर उन्हें मृत्यु के भय से मुक्त किया। उपनेता प्रेमचंद ने पहली बाधा खुंभु हिमपात की स्थिति से उन्हें अवगत कराया और सचेत किया कि ग्लेशियर बर्फ की नदी है तथा बर्फ का गिरना जारी है। अतः सभी लोगों को सावधान रहना चाहिए। डाॅक्टर मीनू मेहता ने एल्युमीनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुल बनाने, लट्ठों एवं रस्सियों का उपयोग, बर्फ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियों को बाँधना आदि सिखाया। अंगदोरजी ने लेखिका को लक्ष्य तक पहुँचने में सहयोग दिया तथा प्रोत्साहित भी किया।
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