प्रश्न 1: पाटल कौन है? वह किस अवस्था में है?
उत्तर: पाटल गुलाब है तथा वह मौन अवस्था में तट पर खड़ा हुआ है।
प्रश्न 2: प्रेयसी गीत को सुनकर क्या विचार करती है?
उत्तर: प्रेमी द्वारा गाए जा रहे गीत को सुनकर प्रेयसी विचार करती है कि ईश्वर ने उसे इस गीत की एक कड़ी क्यों नहीं बनाया? उसे भी इस गीत का हिस्सा होना चाहिए था।
प्रश्न 3: निर्झरी कौन है?
उत्तर: निर्झरी नदी या झरना है।
प्रश्न 4: शुकी किस अवस्था में बैठी हुई है?
उत्तर: शुकी ने अपने पंख फुला रखे हैं और वह घोंसले में रखे अंडों को सेने का काम कर रही है।
Short Answer Type Questions
प्रश्न 1: 'गीत-अगीत' कविता में कवि की दुविधा क्या है? उसने अपनी दुविधा को किन उदाहरणों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है?
उत्तर: ‘गीत-अगीत' कविता में कवि की दुविधा है कि अपनी वेदना को मन-ही-मन अनुभव करना ठीक है या उसे प्रकट करना। वह निम्न उदाहरणों से अपनी दुविधा व्यक्त करता है- नदी और किनारा, निर्झरी और गुलाब, शुक और शुकी, विरही गायक और उसकी राधा।
प्रश्न 2: कवि ने 'अगीत' को गीत के समान महत्त्व क्यों दिया है?
उत्तर: कवि गीत को भावनाओं का प्रकटीकरण मानता है। इसमें भावनाओं का महत्त्व शब्दों से अधिक है। शब्द बाह्य है, भावना अन्दरूनी। बाह्य अलंकरण मात्र होता है। शब्द उमड़ने से पहले जो भावनाएँ हृदय में होती हैं, उन्हीं का महत्त्व होता है। ये भावनाएँ हर मनुष्य में होती हैं। शब्दों के माध्यम से प्रकटीकरण सभी नहीं कर पाते। हृदय में उमड़ने वाली भावनाएँ किसी गीत से कम नहीं होतीं। अतः 'अगीत' का महत्त्व गीत के समान ही है।
प्रश्न 3: प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंधों के बारे में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के संबंधों के बारे में निम्नलिखित स्पष्टीकरण हैं-
प्रश्न 4: मनुष्य प्रकृति के किस रूप से आंदोलित होता है?
उत्तर: मनुष्य प्रकृति के अनेक रूपों से आंदोलित होता है, जो निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 1: शुकी, शुक के प्रेम-भरे गीत सुनकर भी बाहर क्यों नहीं आती है ?
उत्तर: शुकी घोंसले में अपने पंख फैलाकर अपने अंडे सेने का काम कर रही है। वह मातृत्व स्नेह से भरी हुई है। उसे शुक के प्रेम-भरे गीत सुनाई दे रहे हैं। परंतु उसके गीत मन में उमड़कर भी बाहर नहीं आते। शुकी अपने उत्पन्न होने वाले बच्चों के प्रेम में सिक्त है। वह शुक का प्रेम-गीत सुन रही है, परंतु उसका प्रेम मौन रूप धारण किए हुए है। वह अपना प्रेम प्रकट नहीं करती है क्योंकि वह मातृत्व के सुखद भावों में डूबी हुई है।
प्रश्न 2: ‘गीत-अगीत’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि प्रेम की पहचान मुखरता में नहीं अपितु मौन भाव में है।
उत्तर: ‘गीत-अगीत’ कविता में कविवर श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने प्रेम के साहित्यिक पक्ष को अभिव्यक्ति प्रदान की है। कवि का मानना है कि प्रेम की पहचान मुखरता में नहीं अपितु प्रेम की पीड़ा को मौन भाव से पी जाने में है। इसे कवि ने नदी और गुलाब, शुक और शुकी तथा प्रेमी और प्रेमिका की निम्नलिखित तीन स्थितियों के माध्यम से स्पष्ट किया है –
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