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विश्वबंधुत्वम् Chapter Notes | संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7) PDF Download

पाठ परिचय

प्रस्तुत पाठ के द्वारा संसार में बन्धुत्व अर्थात् भाईचारे की भावना की आवश्यकता और महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। सभी विकसित, विकासशील और अविकसित देशों में परस्पर प्रेम और मित्रता का व्यवहार होना चाहिए। पाठ में वर्णन किया गया है कि सूर्य, चन्द्र और प्रकृति भेदभाव नहीं करते हैं, तब मानव को भी वैरभाव छोड़कर बन्धुत्व के भाव से संसार में व्यवहार करना चाहिए। संसार के कल्याण के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी को एक परिवार के रूप में मानने वाले उदार एवं महान् व्यक्ति होते हैं। पाठ में कारक और उपपद विभक्तियों का प्रयोग छात्रों के लिए उपयोगी होगा।

विश्वबंधुत्वम्

इस पाठ में भाईचारे का उपदेश किया गया है। पाठ का सार इस प्रकार है उत्सव में, व्यक्तिगत संकट में, अकाल पड़ने पर, देश पर आपदा आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह मित्र होता है। यदि संसार में सब जगह ऐसा भाव आ जाए तो विश्वबन्धुता सम्भव है।

दुःख की बात है कि समूचे संसार में कलह और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे दूसरे के कष्ट को अपना कष्ट नहीं समझते हैं। समर्थ देश असमर्थ देशों के प्रति अनादर की भावना ‘ प्रदर्शित करते हैं और उन पर अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं। संसार में सब जगह शत्रुता, वैर और हिंसा की भावना दिखाई पड़ती है। देशों का विकास भी बाधित होता है।

यह महान् आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय से बन्धुता का व्यवहार करें। संसार के मनुष्यों में यह भावना आवश्यक है। इसके द्वारा विकसित अविकसित देशों के बीच में स्वस्थ स्पर्धा होगी। सभी देश ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में मैत्री भावना और सहयोग के द्वारा समृद्धि को प्राप्त करने में समर्थ हो जाएंगे।

सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश सब जगह समान रूप से फैलता है। प्रकृति भी सभी के साथ समान व्यवहार करती है। इसलिए हम सबको आपसी शत्रुता के भाव को छोड़कर संसार में भाईचारा स्थापित करना चाहिए। इसलिए विश्व के कल्याण के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए-यह अपना है अथवा पराया है ऐसी सोच संकीर्ण मन वालों की होती है। उदार मन वालों के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी ही परिवार होती है।

Word Meanings

(क) उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे, दैनन्दिनव्यवहारे च यः सहायतां करोति सः बन्धुः
भवति। यदि विश्वे सर्वत्र एतादृशः भावः भवेत् तदा विश्वबन्धुत्वं सम्भवति।

सरलार्थ :
पर्व (त्योहार) में, संकट के समय में, अकाल पड़ने पर, देश पर विपत्ति आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह भाई होता है। यदि संसार में सब स्थानों पर ऐसी भावना हो, तब संसार में भाईचारा सम्भव होता है।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :

  • उत्सवे-पर्व में
  • व्यसने-संकट के समय में 
  • दुर्भिक्षे-अकाल पड़ने पर
  • राष्ट्रविप्लवे-देश पर विपत्ति (संकट)आने पर
  • बन्धुः -भाई अथवा मित्र 
  • विश्वबन्धुत्वं-विश्व के प्रति भाईचारा 
  • सम्भवति - सम्भव है

(ख) परन्तु अधुना निखिले संसारे कलहस्य अशान्तेः च वातावरणम् अस्ति। मानवाः परस्परं न विश्वसन्ति। ते परस्य कष्टं स्वकीयं कष्टं न गणयन्ति।अपिच समर्थाः देशाः असमर्थान् देशान् प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति, तेषाम् उपरि स्वकीयं प्रभुत्वं स्थापयन्ति। संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य,शत्रुतायाः, हिंसायाः च भावना दृश्यते।देशानां विकासः अपि अवरुद्धः भवति।

सरलार्थ :
परन्तु अब सारे विश्व में लड़ाई और अशान्ति का वातावरण है। मनुष्य आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे (मनुष्य) दूसरे की पीड़ा को अपनी पीड़ा नहीं गिनते (समझते) हैं। और (भी) सम्पन्न देश असमर्थ (गरीब) देशों के प्रति अनादर का भाव दिखाते हैं और उनके ऊपर अधिकार स्थापित करते हैं (रखते हैं) विश्व में सब स्थानों पर द्वेष की, वैर की और हिंसा की भावना दिखाई देती है। देशों की उन्नति भी रुक जाती है।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :

  • अधुना-अब (now), निखिले-सम्पूर्ण (में) (in the whole), 
  • विश्वसन्ति-विश्वास करते हैं (are trusting), 
  • स्वकीयम्-अपना [(one’s) own], 
  • उपेक्षाभावम्- अनादर की भावना की (disrespect), 
  • प्रभुत्वं-प्रभुता को (बड़प्पन की भावना) (superiority), 
  • विद्वेषस्य-शत्रुता की (of enmity), 
  • अवरुद्धः- रुक जाता/जाती है (stops).

(ग) इयम् महती आवश्यकता वर्तते यत् एकः देशः अपरेण देशेन सह निर्मलेन हृदयेन बन्धुतायाः व्यवहारं कुर्यात्। विश्वस्य जनेषु इयं भावना आवश्यकी। ततः विकसिताविकसितयोः देशयोः मध्ये स्वस्था स्पर्धा भविष्यति। सर्वे देशाः ज्ञानविज्ञानयोः क्षेत्रे मैत्रीभावनया सहयोगेन च समृद्धि प्राप्तुं समर्थाः भविष्यन्ति।

सरलार्थ :
यह बड़ी आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ शुद्ध हृदय (मन) से भाईचारे का व्यवहार करे। संसार के लोगों के लिए यह भावना आवश्यक है। तब विकसित और अविकसित देशों के बीच में सही होड़ होगी। सभी देश ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में मित्रता की भावना से और सहयोग से उन्नति प्राप्त करने के योग्य होंगे।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :

  • वर्तते-है 
  • अपरेण-दूसरे से
  • जनेषु -मनुष्यों में
  • स्पर्धा-होड़ (मुकाबला)
  • ज्ञानविज्ञानयोः-ज्ञान और विज्ञान के 
  • मैत्रीभावनया-मित्रता की भावना से

(घ) सूर्यस्य चन्द्रस्य च प्रकाशः सर्वत्र समानरूपेण प्रसरति। प्रकृतिः अपि सर्वेषु समत्वेन
व्यवहरति। तस्मात् अस्माभिः सर्वैः परस्परं वैरभावम् अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्।

सरलार्थ :
सूर्य और चन्द्र की रोशनी सब स्थानों पर समान रूप से फैलती है। प्रकृति भी सब में समान भावना से व्यवहार करती है। उसी कारण से हम सबको आपसी शत्रुता के भाव को छोड़कर संसार में भाईचारा स्थापित करना चाहिए।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :

  • प्रसरति-फैलता है/बहता है 
  • ज्ञायते-जाना जाता है
  • व्यवहरति-व्यवहार करती है
  • समत्वेन-समान भावना से
  • अपहाय-छोड़कर
  • स्थापनीयम्-स्थापित करना चाहिए

(ङ) अतः विश्वस्य कल्याणाय एतादृशी भावना भवेत्
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्॥

सरलार्थ :
इसलिए संसार की भलाई (हित) के लिए ऐसी भावना होनी चाहिए-यह अपना है और यह पराया है, इस प्रकार की गिनती (सोच) क्षुद्र (छोटे) हृदय वाले लोगों की होती है। दयालु अर्थात् विशाल हृदय वाले व्यक्तियों के लिए तो (सारी) पृथ्वी ही एक परिवार है।

शब्दार्थाः (Word Meanings) :

  • निजः-अपना (own), 
  • लघुचेतसाम्-छोटे हृदय वालों का (of the narrow minded), 
  • वसुधैव (वसुधा+एव)-पृथ्वी ही (only earth), 
  • उदारचरितानां-विशाल (दयालु) हृदय वालों का (of large hearted people), 
  • कुटुम्बकम्-परिवार (family).
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FAQs on विश्वबंधुत्वम् Chapter Notes - संस्कृत कक्षा 7 (Sanskrit Class 7)

1. क्या विश्वबंधुत्वम् एक व्यापक या सीमित विषय है?
उत्तर: नहीं, विश्वबंधुत्वम् एक व्यापक विषय है जो मानवता के समस्त व्यक्ति और जातियों के बीच संबंधों को समझने और बढ़ावा देने पर जोर देता है। यह एक सामाजिक मानविकी भी है जो विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, धर्मों और जीवन शैलियों के मध्य गहरे संबंधों को स्थापित करने की चुनौती पेश करती है।
2. क्या विश्वबंधुत्वम् एक मानवाधिकार का मुद्दा है?
उत्तर: हां, विश्वबंधुत्वम् एक मानवाधिकार का मुद्दा है क्योंकि यह मानवता के सभी सदस्यों को समान अधिकारों, स्वतंत्रता, और समानता की आवश्यकता को प्रोत्साहित करता है। इसका मतलब है कि हर किसी को इस अधिकार का सम्मान करना चाहिए और सभी को दुसरे के साथ समझदारी और सद्भावना से व्यवहार करना चाहिए।
3. विश्वबंधुत्वम् क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मानवता के सभी सदस्यों के बीच समझ, सहयोग, और समरसता को प्रमोट करता है। यह विभिन्न समस्याओं जैसे जातिवाद, द्वेष, असहिष्णुता, और आपसी विरोधों का समाधान करने में मदद करता है। इसके अलावा, यह सभी लोगों को एक साथ रहने की कला को सिखाता है और विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं की सम्पदा को मान्यता देता है।
4. विश्वबंधुत्वम् के माध्यम से हम कैसे व्यक्ति के रूप में बदल सकते हैं?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् के माध्यम से हम व्यक्ति के रूप में बदल सकते हैं जब हम दूसरों की भावनाओं को समझते हैं, उन्हें सम्मान करते हैं और सहयोग करते हैं। हम इसे अपने दैनिक जीवन में लागू करके दूसरों के साथ बदलाव ला सकते हैं, जैसे कि विभिन्न समुदायों के सदस्यों के साथ मिलकर काम करना, विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों को समझना और समर्थन करना, और विभिन्न भाषाओं की सीख करना।
5. विश्वबंधुत्वम् की क्या उपयोगिता है व्यापार में?
उत्तर: विश्वबंधुत्वम् व्यापार में अत्यंत उपयोगी है। यह व्यापारियों को विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, और धर्मों के बीच संबंध बनाने और समझने की क्षमता प्रदान करता है। यह उन्हें विभिन्न देशों में नए बाजारों की खोज करने और व्यापारी भाषा की समझ में मदद करता है। इसके अलावा, विश्वबंधुत्वम् व्यापारियों को ग्लोबल मानव संसाधन और उपकरणों का लाभ उठाने की अनुमति देता है।
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