प्रस्तुत पाठ के श्लोकों में रुचिकर गीत है। इस गीत में प्रकृति का सुन्दर चित्रण है। लयबद्ध श्लोकों में सूर्य, नदी, मन्दिर, फूल, वृक्ष, गाय, शेर, हिरण, ऊँट, घोड़ा और भालू आदि का सजीव वर्णन है।
पाठ का सार इस प्रकार हैप्रातः सूर्य उदय होता है। पक्षी कलकल की ध्वनि करते हैं। मन्दिर में घण्टा ध्वनि होती है। नदी के जल में नाव बहती है। फूलों पर विभिन्न रंग खिलते हैं। उन पर विचित्र तितलियाँ उड़ती हैं। प्रत्येक वृक्ष पर नए पत्ते हैं। गायें प्रातः दूध देती हैं। उसका दूध शुद्ध और मीठा होता है। गहन जंगल में बाघ गर्जना करता है। जोर से सिंह दहाड़ता है। मृग घास खाते हैं। वह विलासपूर्वक सर्वत्र चलता है। ऊँट धीरे-धीरे चलता है। पीठ पर अत्यधिक वजन ढोता है। घोड़ा तेज दौड़ता है। दौड़ते समय कुछ भी नहीं खाता है। भालू नाच दिखाता है।
(क) उदिते सूर्ये धरणी विहसति।
पक्षी कूजति कमलं विकसति॥1॥
सरलार्थ :
सूर्य के उगने पर (निकलने पर) पृथ्वी हँस रही है, पक्षी चहचहा रहा है, कमल खिल रहा है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ख) नदति मन्दिरे उच्चैढक्का।
सरितः सलिले सेलति नौका॥2॥
सरलार्थ :
मन्दिर में नगाड़ा ज़ोर से आवाज़ कर रहा है। नदी के जल में नाव डगमगा रही है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ग) पुष्पे पुष्पे नानारङ्गाः।
तेषु डयन्ते चित्रपतङ्गाः॥3॥
सरलार्थ :
विभिन्न फूलों पर विभिन्न रंग हैं। उन पर रंगबिरंगी तितलियाँ उड़ती हैं।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(घ) वृक्षे वृक्षे नूतनपत्रम्।
विविधैर्वर्णैर्विभाति चित्रम्॥4॥
सरलार्थ :
प्रत्येक पेड़ पर नए-नए पत्ते हैं। विभिन्न रंगों से चित्र (दृश्य) सुशोभित होता है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ङ) धेनुः प्रातर्यच्छति दुग्धम्।
शुद्धं स्वच्छं मधुरं स्निग्धम्॥5॥
सरलार्थ :
गाय सुबह शुद्ध, साफ़, मीठा (और) चिकना दूध देती है।
शब्दार्थाः (Word Meanings):
(च) गहने विपिने व्याघ्रो गर्जति।
उच्चस्तत्र च सिंहः नर्दति॥6॥
सरलार्थ :
घने जंगल में बाघ गरजता है और वहाँ शेर ज़ोर से दहाड़ता है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(छ) हरिणोऽयं खादति नवघासम्।
सर्वत्र च पश्यति सविलासम्॥7॥
सरलार्थ :
यह हिरण नई घास खाता है और सब स्थानों पर प्रसन्नता से देखता है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ज) उष्ट्रः तुङ्गः मन्दं गच्छति।
पृष्ठे प्रचुरं भारं निवहति ॥8॥
सरलार्थ :
ऊँचा ऊँट धीरे-धीरे चलता है। पीठ पर बहुत अधिक भार (बोझ) ढोता (ले जाता) है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(झ) घोटकराजः क्षिप्रं धावति।
धावनसमये किमपि न खादति॥9॥
सरलार्थः
घोड़ा तेज़ी से दौड़ता है। दौड़ते समय कुछ भी नहीं खाता है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
(ञ) पश्यत भल्लुकमिमं करालम्।
नृत्यति थथथै कुरु करतालम्॥10॥
सरलार्थ :
इस भयानक भालू को देखो। ताली बजाओ, (यह) थाथैया नाचता है।
शब्दार्थाः (Word Meanings) :
1. लालनगीतम् क्या है? |
2. लालनगीतम् गाने का कार्यक्रम क्या होता है? |
3. लालनगीतम् क्यों महत्वपूर्ण है? |
4. लालनगीतम् किस भाषा में लिपि गया है? |
5. लालनगीतम् को किसने लिखा है? |
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