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The Hindi Editorial Analysis- 1st November 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

न्यायपालिका पर अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का प्रभाव सन्दर्भ:

  • पिछले दो दशकों के दौरान, नई प्रौद्योगिकियों के आगमन ने बैंकिंग, स्वास्थ्य, पुलिस, न्याय आदि सभी क्षेत्रों को डिजिटलीकरण के कारण बदल दिया है, व्यापार करने और विभिन्न सेवाओं तक पहुंच के तरीके में गति ला दी है। साथ ही दक्षता में सुधार और अनुभवों को बढ़ाने की क्षमता के साथ, डिजिटलीकरण ने व्यापक प्रगति की है।
  • न्यायपालिका, समाज के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में, सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु आधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ अपार क्षमता रखती है। हालांकि इस परिवर्तन के साथ कई समस्याएं भी जुड़ी हुई हैं, लेकिन क्षमता का दोहन करना, जोखिमों को कम करना और ऐसे समाधान प्रदान करना आवश्यक है जो वास्तव में न्यायिक प्रणाली में क्रांति ला सकते हैं।

The Hindi Editorial Analysis- 1st November 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

उभरती प्रौद्योगिकियाँ न्यायिक प्रणाली को कैसे बदल सकती हैं:


अदालती कार्यवाही का डिजिटलीकरण:
  • उभरती प्रौद्योगिकियाँ अदालती कार्यवाही के डिजिटलीकरण, कागजी कार्रवाई को कम करने, विभिन्न क्षेत्रों तक अपनी पहुंच बढ़ाने और न्यायिक मामलों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने में सक्षम बनाती हैं।
  • डिजिटलीकृत अदालती रिकॉर्ड पारदर्शिता में सुधार करते हैं और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाते हैं। भारत में ई-कोर्ट जैसी परियोजनाएँ इस परिवर्तन का मुख्य उदाहरण हैं।

एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं, पैटर्न की पहचान कर सकते हैं और परिणामों की भविष्यवाणी कर सकते हैं, जिससे न्याय वितरण की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि हो सकती है।
  • भारत में उच्चतम न्यायालय विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर (एसयूवीएएस) और सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट्स एफिशिएंसी (एसयूपीएसीई) जैसे उपकरण; न्यायिक प्रणाली में एआई के एकीकरण को प्रदर्शित करते हैं।
मामलों की ई-फाइलिंग:
  • ई-फाइलिंग से केस रजिस्टर्ड करने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, डेटा सटीकता में सुधार होता है और अदालत में भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय का ई-फाइलिंग पोर्टल वकीलों और वादियों को ऑनलाइन मामले दर्ज करने और रिकॉर्ड तक पहुंचने की अनुमति देता है।
सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग:
  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दूरस्थ सुनवाई की सुविधा मिलती है, इससे समय और धन दोनों की बचत होती है, यात्रा का बोझ कम होता है और सभी प्रतिभागियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग इसकी प्रभावशीलता को उजागर करता है।

सुरक्षित रिकॉर्ड-कीपिंग के लिए ब्लॉकचेन:

  • वर्तमान समय में भारतीय राज्य तेलंगाना भूमि रिकॉर्ड को सुरक्षित करने और धोखाधड़ी को रोकने के लिए ब्लॉकचेन का उपयोग कर रहा है।

न्यायिक प्रणाली में उभरती प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग की चुनौतियाँ:

डाटा सुरक्षा:

  • संवेदनशील न्यायिक डेटा को उल्लंघनों से बचाना सार्वजनिक विश्वास बनाए रखने के लिए अनिवार्य है।

पूर्वाग्रह और भेदभाव:

  • न्याय प्रणाली के भीतर निरंतर पूर्वाग्रह और भेदभाव को रोकने के लिए एआई एल्गोरिदम का सावधानीपूर्वक निर्माण किया जाना आवश्यक है।

समझ की कमी:

  • कानूनी पेशेवरों को उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए आवश्यक तकनीकी विशेषज्ञता प्राप्त करनी चाहिए।

सुरक्षा की सोच:

  • उभरती प्रौद्योगिकियों को दुरुपयोग और अनधिकृत निगरानी को रोकने के लिए गोपनीयता अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।

लागत:

  • कार्यान्वयन लागत न्यायिक प्रणाली में उभरती प्रौद्योगिकियों के संभावित लाभों को सीमित करती है।

नैतिक प्रतिपूर्ति:

  • उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते समय निर्णय में मानवीय तत्व और नैतिक मानकों को बनाए रखना आवश्यक है।

अग्रगामी रणनीति:

नैतिक प्रतिपूर्ति:

  • यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये, कि न्यायिक प्रणाली में उभरती प्रौद्योगिकियां नैतिक मानकों का पालन करें और मानवाधिकारों का सम्मान करें।

● डेटा गोपनीयता और सुरक्षा:

  • गोपनीयता और सुरक्षा नियमों, विशेषकर एआई और IoT प्रौद्योगिकियों के अनुपालन में डेटा एकत्र करना और उसका उचित उपयोग करना आवश्यक है।

अभिगम्यता:

  • यह सुनिश्चित करना कि, उभरती प्रौद्योगिकियां विकलांग लोगों सहित सभी व्यक्तियों के लिए पहुंच में बाधाएं उत्पन्न नहीं करती हैं।

पारदर्शिता और जवाबदेही:

  • न्यायिक प्रक्रिया में उभरती प्रौद्योगिकियों का उचित और निष्पक्ष उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शी और जवाबदेह उपाय लागू किया जाना चाहिए।

प्रशिक्षण और शिक्षा:

  • उभरती प्रौद्योगिकियों का प्रभावी और उचित उपयोग करने के लिए न्यायाधीशों, वकीलों और हितधारकों के पास पर्याप्त प्रशिक्षण और शिक्षा का अनुभव होना चाहिए ।.

निष्कर्ष:

न्यायपालिका में उभरती प्रौद्योगिकियों को अपनाने से अधिक कुशल, सुलभ और पारदर्शी न्याय प्रणाली का निर्माण होता है। हालांकि इस संदर्भ में, डेटा सुरक्षा, पूर्वाग्रह, समझ, गोपनीयता, लागत और नैतिकता से संबंधित चुनौतियों का समाधान करना भी महत्वपूर्ण है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये प्रौद्योगिकियाँ न्याय के सिद्धांतों को बनाए रखते हुए समाज को लाभान्वित करती हैं।

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