विश्व युद्ध अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाला युद्ध है, जिसमें विश्व की अधिकांश या सभी प्रमुख शक्तियां शामिल होती हैं। "विश्व युद्ध" शब्द की जड़ें 19वीं शताब्दी के मध्य में मिलती हैं, विशेष रूप से कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा इसका उपयोग किया गया था। अंग्रेजी में पहली बार इसका प्रयोग 1848 में एक स्कॉटिश समाचार पत्र, द पीपुल्स जर्नल में हुआ था। इस जर्नल मे विश्व की महान शक्तियों के बीच युद्ध का वर्णन किया गया था।
1990 के दशक में शीत युद्ध के समापन ने तीसरे विश्व युद्ध के तात्कालिक जोखिम को कम कर दिया था। हालांकि, हाल की घटनाओं ने चिंताओं को बढ़ा दिया है, जैसे- मध्य पूर्व में तनाव, यूक्रेन में रूसी कार्रवाई और हिंद-प्रशांत में अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता आदि।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर इजरायल-ईरान के बीच तनाव, क्षेत्र के लिए सुरक्षा खतरा उत्पन्न कर रहा है। साथ ही गाजा में चल रहे संघर्ष में ईरान और हिज़्बुल्लाह जैसी क्षेत्रीय शक्तियों की भागीदारी इसे एक व्यापक युद्ध में बदल सकता है। इस क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों की भागीदारी से व्यापक संघर्ष की संभवना है।
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यूरोप में सबसे खतरनाक गतिविधि माना जा रहा है। रूस द्वारा परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी और परमाणु संधियों के निलंबन से तनाव और बढ़ गया है। इस संघर्ष की लंबी प्रकृति और संभावित वैश्विक निहितार्थ एक व्यापक संकट के जोखिम को प्रकट कर रहे हैं।
अमेरिका के ताइवान के साथ संबंध, अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव बढा रहा है। यद्यपि दोनों देशों के बीच सैन्य शक्ति में असमानता चीन को रोके हुए है, लेकिन ताइवान का मुद्दा इनके बीच संघर्ष को बढ़ा सकता है।
दक्षिण एशिया में परमाणु शक्ति सम्पन्न भारत, पाकिस्तान और चीन के मध्य बढ़ते तनाव से लेकर धार्मिक कट्टरवाद तक की कई चुनौतियां है।
जलवायु परिवर्तन उत्सर्जन में कमी के प्रयासों में असमानताओं और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर प्रतिस्पर्धा भू-राजनीतिक तनाव को बढ़ा रहा है। नौवहन और संसाधन अन्वेषण में अवसरों के कारण आर्कटिक क्षेत्र , विभिन्न देशों के बीच प्रतिस्पर्धा के एक संभावित केंद्र के रूप में उभरा है। रूस, चीन और अमेरिका आर्कटिक में व्यापक निवेश कर रहे हैं।
यद्यपि तीसरे विश्व युद्ध की संभावना कम है, लेकिन विभिन्न देशों के बीच सीमा संघर्ष और भू-राजनीतिक तनावों के कारण वैश्विक सतर्कता की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ मध्य पूर्व, पूर्वी यूरोप और हिंद-प्रशांत की घटनाएं ऐसी चुनौतियां प्रस्तुत करती हैं, जिनसे अगर सही तरीके से नहीं निपटा गया, तो दुनिया दूरगामी परिणामों के साथ एक वैश्विक संघर्ष में उलझ सकती है। इस तरह के विनाशकारी परिदृश्य को रोकने के लिए राजनयिक प्रयास, संघर्ष समाधान हेतु अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है।
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1. वैश्विक तनाव क्या है? |
2. तीसरे विश्व युद्ध क्या है? |
3. वैश्विक तनाव के संभावित कारक क्या हो सकते हैं? |
4. वैश्विक तनाव किस तरह संभव है? |
5. तीसरे विश्व युद्ध के संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं? |
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