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The Hindi Editorial Analysis- 15th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

सीओपी 28 (COP28): उपलब्धि और चुनौतियाँ

संदर्भ -

सीओपी 28 की जलवायु बैठक में कई मुद्दों पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है परंतु कई ऐसे मुद्दे शेष रह गए हैं जिन पर अभी भी चिंताऐं बरकरार है ।

  • जीवाश्म ईंधन संक्रमण, मीथेन उत्सर्जन में कमी, लॉस एंड डैमेज फंड की स्थापना तथा अनुकूलन हेतु वैश्विक लक्ष्य पर प्रगति पर तो हुई है, लेकिन सीओपी 28 कई उम्मीदों को पूरा करने में विफल रहा है। इस लेख में हम उन्ही मुद्दों पर प्रकाश डाल रहे हैं।

The Hindi Editorial Analysis- 15th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

कॉप 28 से उम्मीदें

  • कॉप 28 जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट से निस्तारण की तत्काल आवश्यकता के मध्य आयोजित किया गया।ध्यातव्य है कि 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा है।
  • इस सम्मेलन का प्राथमिक एजेंडा ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी) था। ग्लोबल स्टॉकटेक को पेरिस समझौते के दौरान अपनाया गया था, इसका उद्देश्य विभिन्न देशों के ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए किए गए प्रयासों का मूल्यांकन करना और भविष्य की कार्रवाइयों के लिए मार्ग निर्धारित करना है।
  • यह संभावना थी कि सीओपी 28 सम्मेलन में 1.5-डिग्री सेल्सियस तक ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने लक्ष्य के साथ 2023 और 2030 के बीच महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई को उत्प्रेरित करने का एक ढांचा तैयार करना होगा।

सीओपी 28 के परिणामः

जीवाश्म ईंधन संक्रमणः

  • सीओपी 28 मे जीवाश्म ईंधन को चरणद्ध रूप से बाहर ( फेज-आउट) करने मुद्दा सबसे प्रभावी रहा, इसने ग्लोबल वार्मिंग में जीवाश्म ईंधन की भूमिका को उजागर किया है।
  • इस समझौते में देशों से 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन को प्राप्त करने उद्देश्य से जीवाश्म ईंधन से नवीकरणीय ईंधन में संक्रमण हेतु योगदान करने का आग्रह किया गया है।
  • हालांकि, विशिष्ट समयसीमा और लक्ष्यों की अनुपस्थिति के कारण देशों के बीच असंतोष मे वृद्धि हो रही है । सम्मेलन के दौरान "जीवाश्म ईंधन चरण-समाप्ति"( fossil fuel phase-out) शब्द विवाद का एक बिंदु रहा है।
  • जीवाश्म ईंधन के निकट-अवधि के उत्पादन और उपभोग पर समझौते का प्रभाव अभी भी अनिश्चित बना हुआ है । इस दिशा में ठोस कार्यों की आवश्यकता है।

नवीकरणीय ऊर्जा को तिगुना करनाः

  • सम्मेलन की उल्लेखनीय उपलब्धि “2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की वैश्विक स्थापित क्षमता को तिगुना” करने में योगदान हेतु सभी देशों से सर्वसम्मत समझौता करने का आह्वान किया गया है ।
  • इस प्रतिबद्धता से ऊर्जा दक्षता में वार्षिक सुधार को दोगुना करने के साथ-साथ, 7 बिलियन टन CO2 के बराबर उत्सर्जन कम हो सकता है।
  • हालांकि, लक्ष्य की वैश्विक प्रकृति किसी देश के स्तर पर इसके कार्यान्वयन के बारे में सवाल उठाती है, क्योंकि नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को प्रभावी तीन गुना सुनिश्चित करने के लिए तंत्र पर और स्पष्टता की आवश्यकता है।

कोल फेज-डाउनः

  • कोयला के एक महत्वपूर्ण जीवाश्म ईंधन है । COP28 के दौरान 2021 में ग्लासगो सम्मेलन में स्थापित कोल फेज-डाउन प्रतिबद्धता को दोहराया गया है।
  • विशेष रूप से, नए कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों में कार्बन कैप्चर और भंडारण सुविधाओं को अनिवार्य करने के प्रयासों को प्रमुख देशों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। यह इस चरण को मापने और आधार रेखा निर्धारित करने के लिए विशिष्ट मेट्रिक्स की व्यावहारिकता और प्रभावशीलता के संदर्भ मे चिंताओं को व्यक्त करता है ।

मीथेन उत्सर्जन में कमीः

  • मीथेन उत्सर्जन को संबोधित करना सीओपी 28 में चर्चा के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में उभरा। समझौते में ग्रीनहाउस गैस के रूप में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को "व्यापक रूप से कम" करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
  • हालांकि, 2030 के लिए स्पष्ट लक्ष्यों की अनुपस्थिति इस मुद्दे की संवेदनशीलता को दर्शाती है, विशेष रूप से भारत जैसे देशों में, जहां कृषि और पशुधन मीथेन उत्सर्जन में काफी योगदान देते हैं। उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों के बीच संतुलन बनाना और विविध राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का सम्मान करना एक चुनौती बनी हुई है।

लॉस एंड डैमेज फंड:-

  • सुभेद्य देशों के लिए, सीओपी 28 में लॉस एंड डैमेज फंड के संचालन में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
  • आरंभ में शर्म अल-शेख में तय किए गए कोष ने सम्मेलन के अंत तक $800 मिलियन से अधिक की प्रतिबद्धताओं के साथ गति प्राप्त की।
  • इसे जलवायु-प्रेरित आपदाओं से उबरने वाले देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह विकास कमजोर समुदायों पर जलवायु परिवर्तन के असमान प्रभाव को संबोधित करने की दिशा में एक कदम आगे (वृद्धि ) का प्रतिनिधित्व करता है।

वित्तीय सहायता और निष्पक्षताः

  • विकसित देशों द्वारा वित्तीय सहायता के मुद्दे का समाधान करने में सम्मेलन विफल रहा है। 2020 तक प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर की पिछली प्रतिबद्धता में असफलता के उपरांत भी , मसौदे में नए लक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए गए।
  • अनुकूलन और स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लिए विशिष्ट आवंटन के साथ 2030 से पहले की अवधि के लिए विकासशील देशों की अनुमानित वित्तीय आवश्यकताओं को 5.8-5.9 ट्रिलियन डॉलर आँका गया है, लेकिन इन वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में ठोस कदम सम्मेलन में उल्लेखनीय रूप से अनुपस्थित रहे।

अनुकूलन पर वैश्विक लक्ष्य

  • COP28 में अनुकूलन के लिए एक वैश्विक ढांचे की स्थापना की विकासशील देशों की मांग एक आवश्यक कदम रहा है ।
  • ग्लासगो सम्मेलन में शुरू किए गए दो साल के कार्यक्रम के परिणामस्वरूप सामान्य अनुकूलन लक्ष्यों की पहचान हुई है।
  • इनमें जलवायु परिवर्तन के कारण जल की कमी, खाद्य और कृषि उत्पादन में नम्यता और स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने जैसे क्षेत्र सम्मिलित हैं।
  • इस संदर्भ में स्पष्ट रूपरेखा को अपनाना उल्लेखनीय है। समझौते में वित्तीय प्रावधानों की वर्तमान कमी को आने वाले वर्षों में मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

सीओपी 28, महत्वपूर्ण स्वीकृति और प्रतिबद्धताओं को प्रदान करते हुए, महत्वाकांक्षा और व्यावहारिकता के बीच संतुलन पर चिंतन के लिए प्रेरित करता है। जीवाश्म ईंधन संक्रमण और मीथेन उत्सर्जन में कमी में विशिष्ट समयसीमा की अनुपस्थिति जलवायु कार्रवाई की तात्कालिकता के बारे में चिंता पैदा करती है। यद्यपि नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का लक्ष्य एक आशा की किरण बनकर सामने आया है परंतु राष्ट्रीय स्तर पर वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्पष्ट संरचना की आवश्यकता है। लॉस एण्ड डैमज फंड और वैश्विक अनुकूलन ढांचा एक सकारात्मक कदम हैं, लेकिन वित्तीय प्रावधानों और विस्तृत संकेतकों की आवश्यकता अभी भी बनी हुई है। जैसा कि हम जानते हैं विश्व जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से जूझ रहा है। इस संकट के मध्य सीओपी 28 एक स्थायी भविष्य की खोज में अधिक महत्वाकांक्षी , ठोस कार्रवाई और निरंतर सहयोग के लिए एक सामूहिक आह्वान को प्रेरित कर रहा है ।

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FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 15th December 2023 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. COP28 क्या है और यह किस विषय पर आधारित है?
उत्तर: COP28, यानी कि कार्यकारी इकाई 28, एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है जो कि जलवायु परिवर्तन और संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह एक महत्वपूर्ण ग्लोबल सम्मेलन है जिसमें दुनिया के विभिन्न देशों के नेताओं, वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधित्व में विचार-विमर्श होता है।
2. COP28 कब और कहां हो रहा है?
उत्तर: COP28 का आयोजन 2023 में हो रहा है। इसकी कार्यशाला और संगोष्ठी वाराणसी, भारत में आयोजित की जाएगी।
3. COP28 में कौन-कौन से मुद्दे चर्चा के लिए उपलब्ध होंगे?
उत्तर: COP28 में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इनमें से कुछ मुद्दे शामिल हो सकते हैं जैसे कि जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, जल संसाधनों का व्यय, विद्युत ऊर्जा और जनसंख्या नियंत्रण।
4. COP28 क्या उपलब्धि प्राप्त करने का उद्देश्य रखता है?
उत्तर: COP28 का मुख्य उद्देश्य ग्लोबल स्तर पर जलवायु परिवर्तन के लिए संघर्ष करना है और समझौते और संयुक्त अभियानों की योजना को आगे बढ़ाना है। इसके साथ ही, इसका उद्देश्य विभिन्न देशों के बीच विज्ञान, नीति और तकनीकी ज्ञान को साझा करना और इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए प्राथमिकता स्थापित करना भी है।
5. COP28 के आयोजन का महत्व क्या है?
उत्तर: COP28 का आयोजन महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें विश्व स्तर पर जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा और ज्ञान, नीति और तकनीकी ज्ञान को साझा करने का अवसर मिलेगा। यह एक महत्वपूर्ण प्लेटफ़ॉर्म है जहां देशों को अपने संघर्षों और समझौतों को देखने और सुनने का मौका मिलेगा और साथ ही इसे योजनाबद्ध और प्रभावी कार्रवाई लेने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
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