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The Hindi Editorial Analysis- 21st December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

संसदीय सुरक्षा: 13 दिसंबर की घटना और संसदीय सुरक्षा में सुधार की आवश्यकता

संदर्भ:

हाल ही में 13 दिसंबर, 2023 को दो व्यक्तियों ने लोकसभा की सुरक्षा का उल्लंघन करते हुए वहाँ अनधिकृत प्रवेश किया। यह घटना संसद की निरंतर सुरक्षा और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए ऐतिहासिक संदर्भों और संभावित सुरक्षा उपायों की व्यापक समझ को महत्वपूर्ण बनाती है।

  • विशेषज्ञ इस उल्लंघन की गंभीरता और संसद भवन के आसपास की सुरक्षा के बुनियादी ढांचे के लिए उपर्युक्त घटना के प्रभावों का अवलोकन कर रहें हैं।

The Hindi Editorial Analysis- 21st December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

13 दिसंबर, 2001 की घटना से समानता:

  • इस हालिया सुरक्षा उल्लंघन ने 13 दिसंबर, 2001 की दुखद घटनाओं के साथ अस्थिर समानताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है। 13 दिसंबर, 2001 को आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था, जिसमें नौ सुरक्षा कर्मियों की जान चली गई थी।
  • उसी तारीख को होने वाला वर्तमान उल्लंघन 2001 के बाद लागू किए गए सुरक्षा उपायों की प्रभावकारिता के विषय में चिंता पैदा करता है। इससे संसद की सुरक्षा व्यवस्था और वहाँ की सुरक्षा के लिए नियोजित प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित होता है।

उल्लंघन की वजह :

  • संसद भवन में सुरक्षा व्यवस्था के विभिन्न चरणों के तहत स्पाइक बैरियर, बोलार्ड, ड्रॉप गेट, स्कैनर, RFID उपकरण और केंद्रीय पुलिस बलों के कर्मी शामिल होते हैं। केंद्रीय पुलिस बलों के पुरुषों और महिलाओं का एक समूह बाहरी परिसर में तैनात होता है, जबकि संसदीय ड्यूटी समूह के व्यक्ति और दिल्ली पुलिस के कर्मी आंतरिक परिवेश में विभिन्न स्टेशनों और चौकियों पर तैनात होते हैं। इन उपायों के बावजूद, आगंतुकों के लिए व्यक्तिगत स्क्रीनिंग की विभिन्न प्रक्रियाओं में सुरक्षा उल्लंघन हुआ।
  • विशेषज्ञ, स्क्रीनिंग प्रक्रियाओं में जूतों में छुपाए गए प्लास्टिक या रबर का पता लगाने की विफलताओं की पहचान करते हैं। यह एक ऐसा पहलू है जो पारंपरिक मेटल डिटेक्टरों द्वारा कवर नहीं किया जाता है। सुरक्षाकर्मियों की निगरानी की कमी और घुसपैठियों को पकड़ने में मार्शलों की विफलता ने सुरक्षा उल्लंघन को संभव बनाया।

सुरक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिकाः

  • सुरक्षा उपायों को मजबूत करने में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया जाता है। इस संदर्भ में विशेष रूप से प्लास्टिक जैसे पदार्थों का पता लगाने में सक्षम बैकस्कैटर स्कैनर जैसी उन्नत स्क्रीनिंग तकनीकों की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है।
  • नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक द्वारा हाल ही में एक घोषणा की गई थी कि दिल्ली हवाई अड्डे पर अधिक गहन एवं तेज़ स्क्रीनिंग सुनिश्चित करने के लिए फुल बॉडी स्कैनर और कंप्यूटर टोमोग्राफी एक्स-रे (CTX) मशीनें लगाई जाएंगी।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में मिलीमीटर-वेव स्कैनर का उपयोग किया जा रहा है। ऐसी अंतरराष्ट्रीय प्रथाएं संसद भवन में सुरक्षा बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक को अपनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।

दोषारोपण और उत्तरदायित्वः

  • संयुक्त सचिव, सुरक्षा और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के प्रमुखों जैसे प्रमुख पदधारियों पर संसद की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी हेतु सवाल उठाया गया है। इन पदों के रिक्त होने से गृह मंत्रालय (MHA) की ओर ध्यान आकर्षित होता है क्योंकि यह संसद की सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए प्राथमिक इकाई के रूप में काम करता है।
  • इस बात को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं कि क्या सुरक्षा खामियों को दूर करने के लिए गृह मंत्रालय और संसद के बीच सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए गृह मंत्रालय ने सक्रिय रूप से नई तकनीक के एकीकरण की सिफारिश की है।
  • प्रमुख मुद्दा गृह मंत्रालय और संसद की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक निकायों के बीच समन्वय की कमी है। गृह मंत्रालय को उन्नत प्रौद्योगिकी उन्नयन की सलाह देने और लागू करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए थी। अधिकार क्षेत्र और नेतृत्व की भूमिकाओं के बारे में चल रही राजनीतिक बहस सुरक्षा प्रक्रियाओं की विफलता की मूलभूत समस्या से ध्यान हटाती है।

राजनीतिक प्रतिक्रिया और राष्ट्रीय सुरक्षाः

  • सुरक्षा उल्लंघन के लिए राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की आलोचना की जाती है, जो अधिकार क्षेत्र की बहसों में शामिल होने के बजाय सुरक्षा विफलता के महत्व पर बल देते है।
  • संभावित राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थों पर बल दिया जाता है कि विशेष रूप से यदि प्रधानमंत्री उल्लंघन के दौरान मौजूद थे तो विशेष सुरक्षा समूह (SPG) के हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
  • उल्लंघन की गंभीरता को स्वीकार करते हुए संसद में गृह मंत्री द्वारा बयान न देना और उच्च स्तरीय जांच की घोषणा विशेष रूप से प्रधानमंत्री के लिए संभावित खतरे को देखते हुए एक चिंता का विषय है। सार्थक चर्चा में शामिल होने से पहले विपक्ष को जांच के परिणामों की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
  • सुरक्षा उल्लंघन करने वाले आगंतुकों के लिए पास की सिफारिश करने वाले सांसद को दोषी ठहराना अनुचित है, क्योंकि सांसदों ने आगंतुकों की व्यापक पृष्ठभूमि की जांच के बिना आगंतुकों की सिफारिश की थी । व्यक्तिगत दोष के बजाय सुरक्षा चूक को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

कानूनी निहितार्थ और आगे की जांचः

  • सुरक्षा उल्लंघन में शामिल व्यक्तियों ने भले ही किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया हो, लेकिन यह घटना संसद की सुरक्षा में कमजोरियों को उजागर करती है।
  • गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोपों को स्वीकार करते हुए एक निष्पक्ष जांच का आह्वान किया जाता है, जिसमें एक अच्छी तरह से संरक्षित स्थान में अनधिकृत प्रवेश के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की आवश्यकता पर बल दिया जाता है।

व्यापक बदलावों का आह्वानः

  • सुरक्षा मुद्दों को व्यापक रूप से संबोधित करने के लिए कैबिनेट सचिवालय में सुरक्षा सचिव की देखरेख में विभिन्न दलों के सांसदों की एक समिति का गठन किया जाना चाहिए।
  • इस समिति को सुरक्षा उपायों को लागू करने के लिए सुरक्षा क्षेत्र के अंदर और बाहर दोनों के विशेषज्ञों को शामिल करना चाहिए।
  • संसद की रक्षा करने वाले विभिन्न सुरक्षा बलों के बीच समन्वय में सुधार किया जाना चाहिए। संभवतः एक महानिदेशक के नेतृत्व में जवाबदेही और जिम्मेदारी सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही सांसदों को बढ़ी हुई सुरक्षा व्यवस्थाओं में सक्रिय रूप से सहयोग करना चाहिए।

निष्कर्ष

  • सुरक्षा खतरों की विकसित प्रकृति के लिए सुरक्षा के बुनियादी ढांचे की निरंतर निगरानी और उन्नयन की आवश्यकता होती है। 13 दिसंबर की घटना एक स्पष्ट अनुस्मारक के रूप में कार्य करती हैं कि सबसे मजबूत सुरक्षा व्यवस्था का भी उल्लंघन किया जा सकता है। यह विश्लेषण सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और राष्ट्र के लोकतंत्र की पवित्रता की रक्षा के लिए गृह मंत्रालय और संसद के बीच एक सहयोगी और सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
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FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 21st December 2023 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. संसदीय सुरक्षा की घटना क्या है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: संसदीय सुरक्षा की घटना संघीय संसद में हुई एक घटना है जिसमें एक या अधिक व्यक्ति ने संसद के सुरक्षा प्रणाली को ध्वस्त किया होता है। यह घटना संसदीय लोकतंत्र में बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से लोकतंत्र की संरक्षा होती है और संसद के सदस्यों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
2. 13 दिसंबर की घटना क्या थी और इसके पीछे की कारण क्या था?
उत्तर: 13 दिसंबर की घटना एक हमला था जो संसद के द्वारा नवीनीकृत सुरक्षा प्रणाली के अभियांत्रिकी और कार्यवाही में खामियों की वजह से हुआ था। इस हमले के पीछे की कारण यह थी कि संसद के सुरक्षा प्रणाली में खामियां थीं जिसका उपयोग करके एक व्यक्ति संसद में घुस गया था और हमला कर दिया था।
3. संसदीय सुरक्षा में सुधार की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर: संसदीय सुरक्षा में सुधार की आवश्यकता है क्योंकि 13 दिसंबर की घटना ने यह प्रकट किया कि संसद की सुरक्षा प्रणाली में कमियां हैं और उसे मजबूत करने की जरूरत है। संसद देश की निर्माणाधीन संस्था है और यहां निर्णय लिया जाता है जो देश के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक है।
4. संसदीय सुरक्षा में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
उत्तर: संसदीय सुरक्षा में सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं जैसे कि सुरक्षा प्रणाली की नवीनीकरण, तकनीकी उन्नयन, सुरक्षा कर्मियों की प्रशिक्षण और उन्नयन, संसदीय इमरजेंसी प्रणाली का निर्माण और अधिक सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना। इन कदमों का उद्घाटन किया गया है ताकि इस तरह की घटनाएं फिर से न हो सकें।
5. संसदीय सुरक्षा में सुधार कैसे हम सबको लाभ पहुंचा सकता है?
उत्तर: संसदीय सुरक्षा में सुधार हम सबको लाभ पहुंचा सकता है जब हम सुरक्षा प्रणाली को सुषमा और तंग से रहने वाले लोगों के लिए अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाएँ। इसके लिए हमें सुरक्षा के बारे में जागरूक होना चाहिए, सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए और सुरक्षा प्रशासन के लिए सत्यापित और तत्पर रहना चाहिए।
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