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History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): November 2023 UPSC Current Affairs | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

पार्थेनन मूर्तियाँ

एथेंस ने लंदन पर विवादित मूर्तियों (जिन्हें एल्गिन मार्बल्स के नाम से भी जाना जाता है) पर बातचीत से बचने का आरोप लगाया, जिससे ब्रिटिश संग्रहालय में रखी पार्थेनन मूर्तियों को लेकर ग्रीस और ब्रिटेन के बीच राजनयिक विवाद छिड़ गया है।

  • उनकी स्थायी वापसी के लिये ग्रीस के बार-बार अनुरोध के बावजूद ब्रिटेन और ब्रिटिश संग्रहालय ने लगातार इनकार कर दिया है।

पार्थेनन मूर्तियाँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • ब्रिटिश संग्रहालय में रखी पार्थेनन मूर्तियाँ पत्थर की ग्रीस की 30 से अधिक प्राचीन मूर्तियों का संग्रह है, जो 2,000 साल से अधिक पुरानी हैं।
    • मूल रूप से एथेंस में एक्रोपोलिस पहाड़ी पर पार्थेनन मंदिर की दीवारों और मैदानों को सजाने वाली ये कलाकृतियाँ एथेंस के स्वर्ण युग के महत्त्वपूर्ण अवशेष हैं, मंदिर का निर्माण 432 ईसा पूर्व में पूरा हुआ था।
    • देवी एथेना को समर्पित, पार्थेनन सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व की प्रतीक हैं।
  • कलात्मक चित्रण और सांस्कृतिक महत्त्व:
    • मूर्तियों के बीच 75 मीटर तक फैला एक उल्लेखनीय खंड एथेना के जन्मदिन का जश्न मनाते हुए एक जुलूस को चित्रित करता है। इसके अतिरिक्त संग्रह की अन्य मूर्तियाँ जो विभिन्न देवताओं, नायकों और पौराणिक प्राणियों को दर्शाती हैं।
    • इनका जटिल शिल्प कौशल और ऐतिहासिक संदर्भ इन मूर्तियों को न केवल कलात्मक खजाना बनाते हैं बल्कि ग्रीस की सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग भी बनाते हैं।
  • ब्रिटेन में आगमन: 
    • उन्हें 19वीं सदी की शुरुआत में एल्गिन के 7वें अर्ल और ऑटोमन साम्राज्य के तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत थॉमस ब्रूस द्वारा पार्थेनन से हटा दिया गया था। मार्बल्स को ब्रिटेन ले जाया गया और वर्ष 1816 में ब्रिटिश संग्रहालय द्वारा खरीदा गया।
  • मूर्तियों को लेकर विवाद: 
    • मूर्तियों के संरक्षक के रूप में कार्यरत ब्रिटिश संग्रहालय का दावा है कि एल्गिन ने उन्हें ऑटोमन साम्राज्य के साथ एक अनुबंध के माध्यम से कानूनी रूप से प्राप्त किया था।
    • जबकि एथेंस ने एल्गिन पर चोरी का आरोप लगाया, उसने दावा किया कि उसके पास अनुमति पात्र था। दुर्भाग्य से मूल अनुमति पत्र खो गया है, जिससे उनके दावे की प्रामाणिकता विवाद में पड़ गई है।

अमरनाथ गुफा तीर्थ तक मोटर योग्य सड़क

सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation- BRO) ने एक मोटर योग्य सड़क का निर्माण पूरा कर लिया है जो कश्मीर की लिद्दर घाटी में अमरनाथ गुफा तीर्थ को बालटाल आधार शिविर से जोड़ती है, जिससे भक्तों के लिये तीर्थयात्रा अधिक सुलभ और आरामदायक हो गई है।

  • यह सुविधा बालटाल सड़क (Baltal Road) के सफल उन्नयन के परिणामस्वरूप प्राप्त हुई, जो प्रोजेक्ट बीकन (Project Beacon) के निरंतर प्रयासों के माध्यम से हासिल की गई एक उपलब्धि है।

अमरनाथ गुफा तीर्थ के संबंध में प्रमुख तथ्य क्या हैं?

  • अमरनाथ पर्वत के दक्षिण में एक गुफा है जो अमरनाथ गुफा के नाम से प्रसिद्ध है। यह गुफा अमरनाथ मंदिर स्थल है, जो भारत के जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग ज़िले की पहलगाम तहसील में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है।
  • यह तीर्थ स्थल 3,800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, जो तीर्थयात्रा की चुनौतीपूर्ण प्रकृति में योगदान देता है।
  • अमरनाथ शिखर, हिमालय का एक हिस्सा, जम्मू-कश्मीर के गांदरबल ज़िले में, सोनमर्ग के आसपास, 5,186 मीटर की ऊँचाई वाला एक पर्वत है
  • अमरनाथ यात्रा अमरनाथ गुफा की एक वार्षिक तीर्थयात्रा है, जहाँ भक्त बर्फ द्वारा निर्मित एक आकृति पर श्रद्धा अर्पित करते हैं, जिसे भगवान शिव का लिंग (शिवलिंग) माना जाता है।
  • बर्फ की वह आकृति प्रत्येक वर्ष गर्मियों के महीनों के दौरान बनती है तथा जुलाई और अगस्त में अपने अधिकतम आकार तक पहुँच जाती है, जब हज़ारों हिंदू श्रद्धालु गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा करते हैं।
  • पारंपरिक पहुँच मार्ग:
    • तीर्थयात्री ऐतिहासिक रूप से दो मार्गों पहलगाम और सोनमर्ग के माध्यम से मंदिर तक पहुँचते थे, दोनों लिद्दर घाटी में स्थित हैं, प्रत्येक मार्ग कठिन चुनौतियाँ पेश करता था।
    • तीर्थयात्रियों के पास मंदिर से 6 किमी. दूर स्थित बालटाल से पंचतरणी तक हेलिकॉप्टर सेवाओं का उपयोग करने का विकल्प भी था। हालाँकि पारिस्थितिक चिंताओं के कारण सीधे मंदिर तक सेवाएँ बंद कर दी गईं।

History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): November 2023 UPSC Current Affairs | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi


यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में कोझिकोड और ग्वालियर

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने अपने क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क (UCCN) में 55 नए शहरों को जोड़ने की घोषणा की। नए प्रवेशकों में दो भारतीय शहरों- केरल में कोझिकोड ने 'साहित्य की नगरी' के रूप में और मध्य प्रदेश में ग्वालियर ने 'संगीत की नगरी' के रूप में अपनी पहचान बनाई।

कोझिकोड और ग्वालियर का महत्त्व

  • साहित्य की नगरी के रूप में कोझिकोड:
    • कोझिकोड यूनेस्को द्वारा 'साहित्य की नगरी' का प्रतिष्ठित खिताब प्राप्त करने वाला भारत का पहला शहर है।
    • शहर में विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों की मेज़बानी का एक लंबा इतिहास है, जैसे कि केरल साहित्य महोत्सव, जो एशिया में सबसे बड़े साहित्यिक समारोहों में से एक है।
    • यह स्वीकृति बौद्धिक आदान-प्रदान और साहित्यिक चर्चाओं के केंद्र के रूप में शहर की भूमिका को मज़बूत करती है।
    • कोझिकोड को 500 से अधिक पुस्तकालय होने का गौरव प्राप्त है।
    • इस शहर में कई प्रसिद्ध लेखकों का घर भी है, जिनमें एस. के. पोटेटे कट्ट (शहर के सबसे प्रसिद्ध लेखक), थिककोडीयन और पी. वाल्सला संजयन शामिल हैं, जिन्होंने मलयालम साहित्य एवं संस्कृति की विविधता तथा जीवंतता को बनाये रखने में योगदान दिया है।
  • संगीत की नगरी के रूप में ग्वालियर:
    • वर्ष 2015 में वाराणसी के बाद यूनेस्को द्वारा 'संगीत की नगरी' के रूप में नामित होने वाला ग्वालियर भारत का दूसरा शहर है।
    • इस शहर को व्यापक रूप से भारतीय इतिहास के सबसे महान संगीतकारों और कंपोजरों में से एक तानसेन का जन्मस्थान माना जाता है, जो सम्राट अकबर के दरबार में 'नवरत्नों' (नौ रत्नों) में से एक थे।
    • यह शहर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की सबसे पुरानी और सबसे प्रभावशाली शैली ग्वालियर घराने का उद्गम स्थल भी है।
    • यह शहर भारत के सबसे बड़े वार्षिक संगीत समारोहों में से एक, तानसेन संगीत समारोह का आयोजन करता है, जो देश और विदेश से हजारों संगीत प्रेमियों तथा कलाकारों को आकर्षित करता है।

पुर्तगाली सिक्का

उत्तरी गोवा के नानोदा बंबर गाँव में एक किसान को ऐसा बर्तन मिला जिसमें बीते युग के सिक्के थे।

  • पॉट में 832 तांबे के सिक्के थे, माना जाता है कि इन्हें 16वीं या 17वीं शताब्दी के आसपास गोवा में ढाला गया था, जब यह पुर्तगाली शासन के अधीन था।

भारत में पुर्तगाली सिक्के की विशेषता क्या थी?

  • पुर्तगालियों ने गोवा से सोने और चाँदी के सिक्के जारी किये, साथ ही कोचीन, दीव और दमन जैसे अन्य टकसालों से तांबे, टिन और सीसे के सिक्के भी जारी किये।
  •  सोने के सिक्कों को 'क्रूज़ाडो' या 'मैनोएल' कहा जाता था और ये समान आकार, मूल्य तथा वज़न में जारी किये जाते थे। उनके एक तरफ क्रॉस था एवं दूसरी तरफ शाही हथियार प्रदर्शित किये गए थे।
  • चाँदी के सिक्कों को 'मीया-एस्पेरा' और 'एस्पेरा' कहा जाता था।
  • तांबे के सिक्कों को विभिन्न मूल्यवर्गों में विभाजित किया गया था जैसे 'बाज़ारुको', 'लील', 'तांगा', 'परदाउ' और 'रियल'।
  • तांबे के सिक्कों पर महल, शेर, मुकुट, क्रॉस और राजा का नाम जैसे विभिन्न प्रतीक थे।
  • टिन और सीसे के सिक्के मुख्य रूप से दीव और मलक्का से जारी किये जाते थे और इन्हें  'जिनहेइरो' (Dinheiro) कहा जाता था।
  • उनका डिज़ाइन कच्चा था और वे अक्सर आकार में अनियमित होते थे। उनके एक तरफ राजा का नाम या प्रथमाक्षर और दूसरी तरफ एक क्रॉस या एक फूल था।

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गोवा में पुर्तगालियों के साथ भारत का जुड़ाव

  • यात्री के रूप में पुर्तगाली: वास्को डी गामा वर्ष 1498 में मालाबार तट पर कालीकट में समुद्र के रास्ते भारत पहुँचने वाला पहला पुर्तगाली खोजकर्त्ता था और उसका स्वागत एक स्थानीय शासक ज़मोरिन ने किया था।
  • उपनिवेशक के रूप में पुर्तगाली: वर्ष 1505 में फ्राँसिस्को डी अल्मीडा पुर्तगाली भारत के पहले वायसराय बने और कोचीन में एक आधार स्थापित किया। उन्होंने कालीकट के ज़मोरिन और मिस्र के मामलुकों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी, जो मसाला व्यापार में प्रतिद्वंद्वी थे।
    • अफोंसो डी अल्बुकर्क (1510 में) ने बीजापुर सल्तनत से गोवा पर कब्ज़ा कर लिया और गोवा को भारत के पुर्तगाली राज्य की राजधानी बना दिया।
  • पुर्तगालियों का औपनिवेशिक शासन: गोवा में पुर्तगाली शासन वर्ष 1510 से 1961 तक लगभग 450 वर्षों तक चला। इस अवधि के दौरान गोवा एक समृद्ध और महानगरीय शहर बन गया, जिसे "पूर्व का रोम" कहा जाता था।
  • गोवा की मुक्ति: पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति भारत सरकार द्वारा दिसंबर 1961 में 36 घंटे के सैन्य अभियान के बाद हासिल की गई, जिसे ऑपरेशन विजय के नाम से जाना जाता है।
  • गोवा को राज्य का दर्जा: वर्ष 1987 में गोवा को भारत सरकार द्वारा राज्य का दर्जा दिया गया और यह भारत का 25वाँ राज्य बन गया।
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FAQs on History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): November 2023 UPSC Current Affairs - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. पार्थेनन मूर्तियाँ क्या हैं?
उत्तर: पार्थेनन मूर्तियाँ एक प्रकार की मूर्तियाँ हैं जो महिलाओं को देवी रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए उपयोग होती हैं। इन मूर्तियों में महिलाओं की गणना और पूजा की जाती है और उन्हें भक्ति के लिए उत्सवों में उपयोग किया जाता है।
2. अमरनाथ गुफा क्या है?
उत्तर: अमरनाथ गुफा एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है जो कि जम्मू और कश्मीर राज्य में स्थित है। यह गुफा भगवान शिव की प्राचीन मंदिर संरचना है और हर साल अमरनाथ यात्रियों के लिए खुलती है। यात्रा में यात्रियों को गुफा तक पहुंचने के लिए मोटर योग्य सड़क उपलब्ध है।
3. यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क क्या है?
उत्तर: यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य शहरों के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना है। यह नेटवर्क विभिन्न शहरों को चुनने और उन्हें विशेष ढांचा देने के लिए यूनेस्को द्वारा निर्धारित किया जाता है। कोझिकोड और ग्वालियर दोनों ही शहर यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क में शामिल हैं।
4. नवंबर 2023 में इतिहास, कला और संस्कृति का क्या महत्व है?
उत्तर: नवंबर 2023 में इतिहास, कला और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण महीना है। इस महीने में विभिन्न संस्थानों और स्थानीय समुदायों द्वारा ऐतिहासिक, कला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह महीना लोगों को अपनी धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को समझने और मनाने का अवसर प्रदान करता है।
5. क्या इस लेख में दी गई जानकारी पर और विस्तारित कर सकते हैं?
उत्तर: इस लेख में पार्थेनन मूर्तियाँ, अमरनाथ गुफा, यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क, और नवंबर 2023 के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। यह जानकारी मुख्य रूप से इन विषयों से संबंधित है और पाठ के साथ संगत है।
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