UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  The Hindi Editorial Analysis- 29th December 2023

The Hindi Editorial Analysis- 29th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

भारत के विकास को पुनः परिभाषित करनाः खुशहाली की संकल्पना के साथ विकसित भारत


संदर्भ-

वर्ष 2047 में भारत स्वतंत्रता का शताब्दी वर्ष मनाएगा। इस समय तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने के संकल्प के साथ ‘विकसित भारत’ का औपचारिक रूप से शुभारंभ किया गया है। ध्यातव्य है कि विकसित भारत के संदर्भ में आर्थिक विकास केंद्र में है, हालांकि विकास की व्यापक प्रकृति और भारतीय जनता की विविध आकांक्षाओं के साथ यह अवधारणा कितनी मेल खाती है, इसके बारे में विभिन्न सवाल उठते हैं। आलोचकों का तर्क है कि विकास का वर्तमान मॉडल आर्थिक विकास पर बहुत अधिक जोर देता है, यह एक यूरोप-केंद्रित विकास मॉडल है जो पूरी तरह से भारत के सर्वोत्तम हितों को पोषित नहीं कर सकता है।

The Hindi Editorial Analysis- 29th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

व्यापक विकास एजेंडाः

  • भारत को विकसित बनाने के लिए संरचनात्मक परिवर्तन, श्रम बाजार संगठन, प्रतिस्पर्धा में वृद्धि, वित्तीय एवं सामाजिक समावेशन में सुधार, शासन सुधार और हरित क्रांति में अवसरों का लाभ उठाने सहित विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देने कि आवश्यकता होगी । हालांकि ये कारक भौतिक विकास में तो योगदान करते हैं, किन्तु प्रश्न यह है कि क्या अकेले आर्थिक समृद्धि 2047 तक भारत की बहुआयामी आकांक्षाओं को पूरा कर सकती है ? पारंपरिक विकास मॉडल के आलोचक एक पुनर्कल्पित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर देते हैं जिसमें लोककल्याण और खुशहाली के व्यापक आयाम शामिल हों।

विकास को पुनःपरिभाषित करनाः विकसित भारत से लेकर ‘खुशहाल भारत-विकसित भारत’ की संकल्पना

विकास कि अवधारणा में एक आदर्श बदलाव प्रस्तावित किया गया खुशहाली को भारत की विकास यात्रा में केंद्रीय तत्व के रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए , क्योंकि खुशहाली प्राप्त किए बिना, विकास का कोई अर्थ नहीं है। यह आलोचना इस अवलोकन तक विस्तारित है कि विकसित देश के रूप में मूल्यांकित राष्ट्र अक्सर सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण संकेतकों की उपेक्षा करते हैं।विदित हो कि पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2023 में 137 देशों में से भारत का 126वां स्थान चिंता का विषय है।

खुशी सूचकांक और इसके पैरामीटरः

खुशहाली को पहले व्यक्तिपरक माना जाता था, लेकिन अब यह दुनिया भर में सार्वजनिक नीति में एक मापन योग्य आयाम बन गया है। 2012 में शुरू की गई विश्व खुशहाली रिपोर्ट में छह संकेतकों को शामिल करते हुए इसके मापन हेतु एक मजबूत कार्यप्रणाली का उपयोग किया गया हैः

General Factors:

  1. प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद,
  2. जन्म के समय स्वस्थ जीवन प्रत्याशा,
  3. उदारता,
  4. सामाजिक समर्थन,
  5. जीवन चयन करने की स्वतंत्रता, और
  6. भ्रष्टाचार की धारणा।

2023 की रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी जैसी संकट स्थितियों के संदर्भ में विश्वास और परोपकार पर विशेष रूप से जोर दिया गया है।

सामाजिक संबंध और परोपकार

यह रिपोर्ट खुशहाली और कल्याण में योगदान देने में सामाजिक संबंधों की भूमिका को रेखांकित करती है। महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद परोपकार के कार्य, जैसे अजनबियों की मदद करना, दान करना और स्वयंसेवा करना आदि विश्व स्तर पर काफी बढ़ गए हैं। सबसे खुश माने जाने वाले फिनलैंड, डेनमार्क, आइसलैंड और नीदरलैंड जैसे देशों ने सामाजिक एकता का त्याग किए बिना विकास हासिल किया है। इससे यह सवाल उठता है कि सामाजिक संबंधों और सांस्कृतिक मूल्यों पर अपनी मजबूत निर्भरता को देखते हुए क्या भारत के लिए एक खुशहाली-प्रेरित विकास मॉडल प्रासंगिक है?

जीडीपी से परेः विकास के मापन के लिए व्यापक सूचकांक

  • आलोचकों का तर्क है कि वर्तमान विकास मॉडल का सकल घरेलू उत्पाद पर विशेष ध्यान देने के कारण यह महत्वपूर्ण मानवीय और सामाजिक पहलुओं पर विचार करने में विफल रहता है। अधिक समावेशी दृष्टिकोण के समर्थक विकास कि अवधारणा में ‘मानव विकास सूचकांक (HDI)’ जैसे सूचकांकों को शामिल करने का सुझाव देते हैं जो जीवन प्रत्याशा, शैक्षिक प्राप्ति और आय के स्तर पर विचार करता है। इसके अतिरिक्त, 1970 में बनाया गया संयुक्त राष्ट्र सामाजिक विकास अनुसंधान संस्थान का सामाजिक विकास सूचकांक, 16 मुख्य संकेतकों पर विचार करता है जो विकसित भारत की व्यापकता को बढ़ा सकते हैं।
  • विश्व बैंक जैसे संगठनों द्वारा विकसित विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सूचकांक विकास पर एक अन्य वैकल्पिक दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। पर्यावरणीय रूप से सतत विकास के मापन के लिए 'हरित सूचकांक' उत्पादित परिसंपत्तियों, प्राकृतिक संसाधनों और मानव संसाधनों पर विचार करके किसी राष्ट्र की संपत्ति को मापता है। एक अन्य 'अंतर्राष्ट्रीय मानव पीड़ा सूचकांक' मानव पीड़ा के विभिन्न मापदंडों के आधार पर देशों का मूल्यांकन करता है। विकसित भारत@2047 के विजन में इन सूचकांको को एकीकृत करके विकास की अधिक समग्र समझ विकसित की जा सकती हैं।

विकास मापन में व्यापक सूचकांकों को शामिल करनाः

  • यूरोपीय आयोग का GDP से आर्थिक प्रदर्शन और सामाजिक प्रगति के माप मे बदलाव एक अधिक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता के अनुरूप है।वैश्विक नवाचार सूचकांक, कानून के नियम सूचकांक, गरीबी सूचकांक, भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक, लैंगिक समानता सूचकांक और विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जैसे विशिष्ट सूचकांकों को विकसित भारत के विकास एजेंडे में शामिल करने के लिए प्रस्तावित किया गया है। इन विविध सूचकांकों पर विचार करके, भारत न केवल आर्थिक समृद्धि की दिशा में प्रयास कर सकता है, बल्कि एक पूर्ण और समावेशी विकास की दिशा में भी प्रयास कर सकता है जो अपने नागरिकों के बीच खुशहाली को बढ़ावा देगा।

निष्कर्ष-

चूंकि भारत विकसित भारत अभियान की शुरुआत कर रहा है, अतः इसके द्वारा अपनी विकास प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करने की अनिवार्यता स्पष्ट हो जाती है। नीति निर्माताओं के समक्ष संकीर्ण आर्थिक दृष्टिकोण से अधिक व्यापक मॉडल पर ध्यान केंद्रित करने का प्रस्ताव है जो खुशहाली को प्राथमिकता देता हो। खुशहाली सूचकांक, अच्छी तरह से परिभाषित मापदंडों के साथ, सकल घरेलू उत्पाद से परे सफलता को मापने के लिए एक मूल्यवान ढांचा प्रदान करता है। सामाजिक संबंध, दयालुता के कार्य और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने से विकास की गाथा को नया रूप मिल सकता है।

The document The Hindi Editorial Analysis- 29th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
2209 docs|810 tests

Top Courses for UPSC

2209 docs|810 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Exam

,

Extra Questions

,

mock tests for examination

,

Previous Year Questions with Solutions

,

ppt

,

Sample Paper

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

pdf

,

past year papers

,

shortcuts and tricks

,

practice quizzes

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

video lectures

,

Summary

,

MCQs

,

Objective type Questions

,

Viva Questions

,

The Hindi Editorial Analysis- 29th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Weekly & Monthly - UPSC

,

The Hindi Editorial Analysis- 29th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

The Hindi Editorial Analysis- 29th December 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Semester Notes

,

Free

,

study material

,

Important questions

;