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स्मारकों में धार्मिक प्रथाओं पर ASI का रुख

History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): December 2023 UPSC Current Affairs | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

चर्चा में क्यों?

  • संसद समिति द्वारा प्रस्तुत 'भारत में अप्राप्य स्मारकों और स्मारकों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दे' पर एक हालिया रिपोर्ट संरक्षित स्मारकों पर धार्मिक गतिविधियों के प्रति भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) के दृष्टिकोण में महत्त्वपूर्ण बदलाव की अनुशंसा करती है।
  • इससे पहले मई 2022 में जम्मू-कश्मीर में 8वीं शताब्दी के मार्तंड सूर्य मंदिर में प्रार्थना के नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करने वाले ASI ने चिंता प्रकट की।

ASI स्मारकों पर पूजा को लेकर वर्तमान नीति क्या है?

  • अब तक ASI केवल उन स्मारकों पर पूजा और अनुष्ठान की अनुमति देता है जहाँ ASI द्वारा अधिग्रहण करने के समय ऐसी परंपराएँ चल रही थीं।
    • जीवंत ASI स्मारक का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण ताज महल है जहाँ हर शुक्रवार को नमाज़ होती है।
    • अन्य उल्लेखनीय समकालीन स्मारकों में कन्नौज में तीन मस्जिदें, मेरठ में रोमन कैथोलिक चर्च, दिल्ली के हौज़ खास गाँव में नीला मस्जिद और लद्दाख में कई बौद्ध मठ शामिल हैं।
  • इस प्रतिबंध का उद्देश्य स्मारकों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक अखंडता को संरक्षित करना है।
    • जीर्ण स्मारकों पर कोई भी धार्मिक अनुष्ठान आयोजित नहीं किया जा सकता है, जहाँ ASI-संरक्षित स्थल बनने के बाद से पूजा की निरंतरता नहीं देखी गई है।
    • नीतिगत निर्णय उन स्थलों पर पूजा करने पर रोक लगाता है जहाँ संरक्षण के समय यह प्रचलन में नहीं था या लंबे समय के लिये छोड़ दिया गया हो।
  • ASI द्वारा प्रबंधित 3,693 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों तथा पुरातात्त्विक स्थलों में से लगभग एक-चौथाई (820) में पूजा स्थल शामिल हैं, जबकि शेष को निर्जीव स्मारक माना जाता है जहाँ कोई नया धार्मिक अनुष्ठान शुरू अथवा संचालित नहीं किया जा सकता है।
    • इन स्थलों में विभिन्न प्रकार की धार्मिक संरचनाएँ शामिल हैं, जैसे- मंदिर, मस्जिद, दरगाह तथा चर्च।
  • करकोटा राजवंश के राजा ललितादित्य मुक्तपीड द्वारा बनवाया गया मार्तंड सूर्य मंदिर में एक समय पूजा संपन्न होती थी। हालाँकि इसे 14वीं शताब्दी में नष्ट कर दिया गया था।
    • 20वीं सदी में संरक्षण के लिये ASI ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया, तब वहाँ कोई पूजा अथवा हिंदू अनुष्ठान नहीं होता था। वर्ष 2022 में उपासकों के नेतृत्व में हाल ही में की गई पूजा को निर्जीव स्मारकों के लिये ASI मानदंडों का उल्लंघन माना गया।

ASI संरक्षित स्मारकों पर पूजा को लेकर समिति की अनुशंसाएँ क्या हैं?

अनुशंसाएँ:

  • समिति धार्मिक महत्त्व वाले ASI-संरक्षित स्मारकों पर पूजा-अर्चना की अनुमति देने की संभाव्यता पर विचार करने की अनुशंसा करती है।
  • नीति में यह संभावित बदलाव विभिन्न धार्मिक स्थलों पर इसके प्रभाव के बारे में सवाल उठाता है।
  • यह समिति संस्कृति मंत्रालय तथा ASI को स्मारक के संरक्षण से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करने में पारदर्शिता एवं जवाबदेही के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए स्मारकों की तुरंत पहचान करने व परिणामों को सार्वजनिक कर सर्वेक्षण करने का सुझाव देती है।

समिति की सिफारिशों के विरुद्ध चिंताएँ:

  • संरक्षित स्मारकों पर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने से स्मारकों की अखंडता, प्रामाणिकता और ऐतिहासिक मूल्यों को खतरा उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि उनमें भक्तों या अधिकारियों के कारण परिवर्तन, परिवर्धन, संशोधन या क्षति हो सकती है।
  • संरक्षित स्मारकों पर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देने से विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच संघर्ष और विवाद भी पैदा हो सकता है, जो स्मारकों पर स्वामित्व या अधिकार का दावा कर सकते हैं या अन्य समूहों की गतिविधियों पर आपत्ति कर सकते हैं।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI):

  • संस्कृति मंत्रालय के तहत ASI देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्त्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
  • यह 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
  • इसकी गतिविधियों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण करना, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज और उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण और रखरखाव आदि शामिल हैं।
  • इसकी स्थापना 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा की गई थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को “भारतीय पुरातत्त्व का जनक” भी कहा जाता है।
  • यह प्राचीन स्मारक और पुरातत्त्व स्थल और अवशेष अधिनियम,1958 के तहत देश के भीतर सभी पुरातात्त्विक उपक्रमों की देख-रेख करता है।

गुजरात के गरबा नृत्य को यूनेस्को से मान्यता

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चर्चा में क्यों?
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने बोत्सवाना में अंतर-सरकारी समिति के अपने 18वें सत्र के दौरान आधिकारिक तौर पर गुजरात के प्रतिष्ठित गरबा नृत्य को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की अपनी प्रतिष्ठित प्रतिनिधि सूची में शामिल किया।

  • गरबा नृत्य शैली यूनेस्को की सूची में जगह बनाने वाली भारत की 15वीं सांस्कृतिक धरोहर है। कोलकाता की दुर्गा पूजा को वर्ष 2021 में इसमें शामिल किया गया था।

गरबा नृत्य क्या है?

  • गरबा गुजराती लोकनृत्य का एक रूप है जो नौ दिवसीय हिंदू त्योहार नवरात्रि के दौरान किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न है।
    • गरबा नाम संस्कृत के गर्भ शब्द से आया है, जिसका अर्थ जीवन और सृज़न है।
  • गरबा नृत्य विभिन्न मातृ देवियों के प्रति समर्पण को दर्शाता है, प्रजनन क्षमता का जश्न मनाता है और नारीत्व का महिमामंडन करता है।
    • यह नृत्य परंपरागत रूप से एक लड़की के पहले मासिक धर्म तथा बाद में उसके आसन्न विवाह  का भी प्रतीक है।
  • यह नृत्य एक केंद्र में जलाकर रखे गए दीपक अथवा देवी शक्ति की प्रतिमा अथवा मूर्ति के आसपास किया जाता है, जो ब्रह्मांड की नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है।
  • गरबा में लयबद्ध संगीत, गायन तथा ताली बजाई जाती है। यह नृत्य आयु, लिंग अथवा सामाजिक स्थिति की परवाह किये बिना कोई भी कर सकता है।
  • आधुनिक गरबा पारंपरिक रूप से पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य डांडिया रास से काफी प्रभावित है। वर्तमान का उल्लासपूर्ण गरबा नृत्य इन दोनों नृत्यों को मिलाकर बनाया गया है।
  • गरबा सामाजिक-आर्थिक, लैंगिक तथा कठोर संप्रदाय संरचनाओं को कमज़ोर करके सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है।
    • इसमें विविध तथा हाशियाई समुदाय के लोग भाग लेते हैं जिससे सामुदायिक बंधन मज़बूत होता है।

यूनेस्को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) क्या है?

परिचय:

  • यूनेस्को ICH एक शब्द है जो उन प्रथाओं, प्रतिनिधित्वों, अभिव्यक्तियों, ज्ञान, कौशल और सांस्कृतिक स्थानों को संदर्भित करता है जिन्हें किसी समुदाय, समूह या व्यक्ति की सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में मान्यता दी जाती है।
    • यूनेस्को ने ICH को "मानवता की सांस्कृतिक विविधता का मुख्य स्रोत और इसका रखरखाव, निरंतर रचनात्मकता की गारंटी" के रूप में परिभाषित किया है।
    • वर्ष 2003 में यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सुरक्षा के लिये कन्वेंशन का अंगीकरण किया, जो मानव संस्कृति की विविध अभिव्यक्तियों की रक्षा, प्रचार एवं संचार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
    • सम्मेलन ICH के लिये दो महत्त्वपूर्ण सूचियाँ स्थापित करता है।
  • प्रतिनिधि सूची: ICH की वैश्विक विविधता को प्रदर्शित करते हुए यह सूची इसके महत्त्व और विशेषता के बारे में जागरूकता बढ़ाती है।
  • तत्काल सुरक्षा सूची: खतरे में पड़े ICH की पहचान करते हुए यह सूची इसके अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिये तत्काल उपायों की मांग करती है।

ICH के उदाहरण:

  • भाषाएँ, मौखिक परंपराएँ, साहित्य और कविता।
  • प्रदर्शन कलाएँ, जैसे- संगीत, नृत्य और रंगमंच।
  • सामाजिक प्रथाएँ, रीति-रिवाज़ और उत्सव संबंधी कार्यक्रम।
  • प्रकृति और ब्रह्मांड से संबंधित ज्ञान एवं अभ्यास।
  • पारंपरिक शिल्प कौशल, जैसे- मृदभांड/मिट्टी के बर्तन, बुनाई और धातुकर्म।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद

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चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में राष्ट्रपति ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है।

डॉ. राजेंद्र प्रसाद कौन थे?

  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के सिवान ज़िले के जीरादेई में हुआ था।
  • वह बिहार में चंपारण सत्याग्रह (1917) के दौरान महात्मा गांधी के साथ जुड़े थे।
  • डॉ. प्रसाद ने 1918 के रॉलेट एक्ट और 1919 के जलियाँवाला बाग हत्याकांड पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
  • डॉ. प्रसाद ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन के तहत बिहार में असहयोग का आह्वान किया।
  • उन्होंने वर्ष 1930 में बिहार में नमक सत्याग्रह में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके कारण उन्हें कारावास भी हुआ।
  • वह आधिकारिक तौर पर वर्ष 1911 में कलकत्ता में आयोजित अपने वार्षिक सत्र के दौरान भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस में शामिल हो गए।
  • वर्ष 1946 में वे पंडित जवाहरलाल नेहरू की अंतरिम सरकार में खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में शामिल हुए तथा “अधिक अन्न उगाओ” का नारा दिया।
  • उन्होंने 26 जनवरी, 1950 से (जब देश ने अपना संविधान अपनाया था) 13 मई, 1962 तक भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राष्ट्रपति का रिकॉर्ड अपने नाम किया।
  • 26 जनवरी, 1950 को वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति चुने गए। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने 12 वर्षों से अधिक समय तक सेवा की, जो उन्हें भारत के इतिहास में सर्वाधिक समय तक कार्यरत राष्ट्रपति के रूप में दर्शाता है।
  • डॉ. प्रसाद को वर्ष 1962 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें "सत्याग्रह एट चंपारण," "इंडिया डिवाइडेड" तथा उनकी "आत्मकथा" शामिल हैं।
  • 28 फरवरी, 1963 को उनका निधन हो गया।

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FAQs on History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): December 2023 UPSC Current Affairs - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. स्मारकों में धार्मिक प्रथाओं पर ASI का रुख क्या है?
उत्तर. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) का मुख्य उद्देश्य भारतीय संगठनों और धार्मिक स्थलों के संरक्षण और संरक्षण का कार्य करना है। ASI का धार्मिक प्रथाओं पर रुख धार्मिक स्थलों के संरक्षण, संरक्षण और सार्वजनिक उपयोग की व्यवस्था करना है।
2. गुजरात के गरबा नृत्य को यूनेस्को से मान्यता मिली है क्या?
उत्तर. हां, गुजरात के गरबा नृत्य को यूनेस्को (यूनाइटेड नेशंस एजेंसी फॉर कल्चरल, एजुकेशनल, साइंटिफिक और वर्ल्ड हेरिटेज ऑर्गेनाइजेशन) द्वारा मान्यता मिली है। गरबा नृत्य को यूनेस्को ने विश्व सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया है, जो इसे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक नृत्य के रूप में पहचानती है।
3. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किस वर्ष में इतिहास, कला और संस्कृति का पठन किया था?
उत्तर. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इतिहास, कला और संस्कृति का पठन दिसंबर 2023 में किया था।
4. इस लेख में कितने प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं?
उत्तर. इस लेख में अब तक चार प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं।
5. कौनसा संगठन गरबा नृत्य को यूनेस्को से मान्यता देता है?
उत्तर. यूनेस्को (यूनाइटेड नेशंस एजेंसी फॉर कल्चरल, एजुकेशनल, साइंटिफिक और वर्ल्ड हेरिटेज ऑर्गेनाइजेशन) गरबा नृत्य को मान्यता देता है।
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