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Indian Society and Social Issues (भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे): December 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में गिरावट

प्रसंग

  • एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है, 2020-21 में मुस्लिम छात्रों के बीच उच्च शिक्षा में नामांकन में गिरावट आई है।
  • यह रिपोर्ट यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) और अखिल भारतीय सर्वेक्षण के डेटा के विश्लेषण से तैयार की गई है। उच्च शिक्षा (AISHE).

मुख्य विचार
Indian Society and Social Issues (भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे): December 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly

भारत में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए प्रमुख योजनाएँ

  • प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति योजना: प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से छात्रों के शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए।
  • नया सवेरा- नि:शुल्क कोचिंग और संबद्ध योजना: इस योजना का उद्देश्य तकनीकी/प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के लिए अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के छात्रों/उम्मीदवारों को मुफ्त कोचिंग प्रदान करना है। व्यावसायिक पाठ्यक्रम और प्रतियोगी परीक्षाएँ।
  • पढ़ो परदेश: अल्पसंख्यक समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को विदेशी उच्च अध्ययन के लिए शैक्षिक ऋण पर ब्याज सब्सिडी की योजना।
  • नई रोशनी: अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं का नेतृत्व विकास।
  • सीखो और कमाओ: यह 14-35 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं के लिए एक कौशल विकास योजना है और इसका लक्ष्य मौजूदा श्रमिकों, स्कूल छोड़ने वालों आदि की रोजगार क्षमता में सुधार करना है।
  • प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (PMJVK): यह एक ऐसी योजना है जो पहचाने गए अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों की विकास संबंधी कमियों को दूर करने के लिए बनाई गई है।
    • पीएमजेवीके के तहत कार्यान्वयन के क्षेत्रों की पहचान जनगणना 2011 के अल्पसंख्यक आबादी और सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी सुविधाओं के आंकड़ों के आधार पर की गई है और इसे अल्पसंख्यक एकाग्रता क्षेत्रों के रूप में जाना जाएगा।
  • USTTAD (विकास के लिए पारंपरिक कला/शिल्प में कौशल और प्रशिक्षण का उन्नयन): मई 2015 में लॉन्च किया गया जिसका उद्देश्य स्वदेशी कारीगरों/शिल्पकारों के पारंपरिक कौशल की समृद्ध विरासत को संरक्षित करना है।< /ए>
    • इस योजना के तहत अल्पसंख्यक कारीगरों और कारीगरों को एक राष्ट्रव्यापी विपणन मंच प्रदान करने के लिए पूरे देश में हुनर हाट भी आयोजित किए जाते हैं। उद्यमियों और रोजगार के अवसर पैदा करना।
  • प्रधानमंत्री-विरासत का संवर्धन (पीएम विकास): अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में नए पीएम विकास को जोड़ा गया है'' 2023 में बजट.
    • यह देश भर में अल्पसंख्यक और कारीगर समुदायों की कौशल, उद्यमिता और नेतृत्व प्रशिक्षण आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाली एक कौशल पहल है।
    • इस योजना को कौशल विकास एवं विकास मंत्रालय के 'कौशल भारत मिशन' के साथ मिलकर लागू करने का इरादा है। उद्यमिता और स्किल इंडिया पोर्टल (एसआईपी) के साथ एकीकरण के माध्यम से।

विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023

चर्चा में क्यों?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाल ही में जारी की गई विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023, भारत और विश्व स्तर पर मलेरिया की खतरनाक स्थिति पर प्रकाश डालती है।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

वैश्विक मलेरिया अवलोकन:

  • विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार, वर्ष 2022 में अनुमानित 249 मिलियन मामलों के साथ वैश्विक वृद्धि हुई है जो महामारी से पहले के स्तर को पार कर जाएगी।
  • कोविड-19 व्यवधान, दवा प्रतिरोध, मानवीय संकट और जलवायु परिवर्तन आदि वैश्विक मलेरिया प्रतिक्रिया के लिये खतरा पैदा करते हैं।
  • वैश्विक स्तर पर मलेरिया के 95% मामले 29 देशों में हैं।
  • चार देश- नाइजीरिया (27%), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (12%), युगांडा (5%), और मोज़ाम्बिक (4%) वैश्विक स्तर पर मलेरिया के लगभग आधे मामलों के लिये ज़िम्मेदार हैं।

भारत में मलेरिया परिदृश्य:

  • वर्ष 2022 में WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के आश्चर्यजनक 66% मामले भारत में थे।
  • प्लाज़्मोडियम विवैक्स, एक प्रोटोज़ोआ परजीवी ने इस क्षेत्र में लगभग 46% मामलों में योगदान दिया।
  • 2015 के बाद से मामलों में 55% की कमी के बावजूद भारत वैश्विक मलेरिया बोझ में एक महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता बना हुआ है।
  • भारत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें वर्ष 2023 में बेमौसम बारिश से जुड़े मामलों में वृद्धि भी शामिल है।
  • WHO के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया से होने वाली कुल मौतों में से लगभग 94% मौतें भारत और इंडोनेशिया में होती हैं।

क्षेत्रीय प्रभाव:

  • अफ्रीका पर मलेरिया का असर सबसे ज़्यादा है, वर्ष 2022 में वैश्विक मलेरिया के 94% मामले और इससे होने वाली 95% मौतें अफ्रीका में देखी गईं।
  • भारत सहित WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में पिछले दो दशकों में मलेरिया पर काबू पाने में कामयाब रहा है, जिसमें वर्ष 2000 के बाद से रोग के मामलों और इससे हुई मौतों में 77% की कमी आई है।

जलवायु परिवर्तन और मलेरिया:

  • जलवायु परिवर्तन एक प्रमुख कारक के रूप में उभरा है, जो मलेरिया संचरण और समग्र बोझ को प्रभावित कर रहा है।
  • बदलती जलवायु परिस्थितियाँ मलेरिया रोगज़नक और रोग संचरण/वेक्टर की संवेदनशीलता को बढ़ाती हैं, जिससे इसके प्रसार में आसानी होती है।
  • WHO इस बात पर बल देता है कि जलवायु परिवर्तन मलेरिया के बढ़ने का जोखिम उत्पन्न कर रहा है, जिसके लिये संधारणीय और आघातसह प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता है।

वैश्विक उन्मूलन लक्ष्य:

  • WHO का लक्ष्य वर्ष 2025 में मलेरिया की घटनाओं और मृत्यु दर को 75% और वर्ष 2030 में 90% तक कम करना है।
  • वर्ष 2025 तक मलेरिया की घटनाओं में 55% तक कमी लाने और मृत्यु दर में 53% तक कमी लाने के लक्ष्य की दिशा में वैश्विक प्रयास पर्याप्त नहीं हैं।

मलेरिया उन्मूलन को लेकर चुनौतियाँ:

  • मलेरिया नियंत्रण के लिये फंडिंग अंतर वर्ष 2018 में 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022 में 3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • अनुसंधान और विकास निधि 15 वर्ष के निचले स्तर 603 मिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुँच गई, जिससे नवाचार और प्रगति के बारे में चिंताएँ बढ़ गई हैं।

मलेरिया वैक्सीन का प्रभाव और उपलब्धियाँ:

  • रिपोर्ट अफ्रीकी देशों में WHO-अनुशंसित मलेरिया वैक्सीन, RTS,S/AS01 की चरणबद्ध शुरुआत के माध्यम से मलेरिया की रोकथाम में उल्लेखनीय प्रगति पर बल देती है।
  • घाना, केन्या और मलावी में प्रभावी मूल्यांकन के चलते गंभीर मलेरिया की स्थिति में उल्लेखनीय कमी और बच्चों में होने वाली मौतों में 13% की कमी का पता चलता है, जो टीके की प्रभावशीलता की पुष्टि करता है।
  • यह उपलब्धि बिस्तर जाल और इनडोर छिड़काव जैसे मौजूदा हस्तक्षेपों के साथ मिलकर एक व्यापक रणनीति बनाती है, जिससे इन क्षेत्रों में समग्र परिणामों में सुधार हुआ है।
  • अक्तूबर 2023 में WHO ने दूसरी सुरक्षित और प्रभावी मलेरिया वैक्सीन, R21/Matrix-M की अनुशंसा की।
  • मलेरिया के दो टीकों की उपलब्धता के चलते आपूर्ति बढ़ने के परिणामस्वरूप पूरे अफ्रीकी क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित होने की उम्मीद है।

कॉल फॉर एक्शन:

  • WHO मलेरिया के विरुद्ध लड़ाई में एक महत्त्वपूर्ण धुरी/केंद्रबिंदु की आवश्यकता पर ज़ोर देता है तथा संसाधनों में वृद्धि, दृढ़ राजनीतिक प्रतिबद्धता, डेटा-संचालित रणनीतियों एवं नवीन उपकरणों की मांग करता है।
  • जलवायु परिवर्तन शमन प्रयासों के साथ संरेखित सतत् तथा लचीली मलेरिया प्रतिक्रियाएँ प्रगति के लिये आवश्यक मानी जाती हैं।

मलेरिया क्या है?

  • मलेरिया एक जानलेवा मच्छर जनित रक्त रोग है जो प्लाज़्मोडियम परजीवियों के कारण होता है।
  • 5 प्लाज़्मोडियम परजीवी प्रजातियाँ हैं जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं तथा इनमें से 2 प्रजातियाँ- पी. फाल्सीपेरम व पी. विवैक्स सबसे बड़ा खतरा पैदा करती हैं।
  • मलेरिया मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय एवं उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • मलेरिया संक्रमित मादा एनोफिलीज़ मच्छर के काटने से फैलता है।
  • किसी संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद मच्छर संक्रमित हो जाता है। इसके बाद मच्छर जिस अगले व्यक्ति को काटता है, मलेरिया परजीवी उस व्यक्ति के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं। परजीवी यकृत तक पहुँचकर परिपक्व होते हैं तथा फिर लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।
  • मलेरिया के लक्षणों में बुखार तथा फ्लू जैसी व्याधियाँ शामिल हैं, जिसमें ठंड लगने के साथ कंपकंपी, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द एवं थकान शामिल है। विशेष रूप से मलेरिया रोकथाम तथा उपचार योग्य दोनों है।

लेरिया की रोकथाम से संबंधित पहलें क्या हैं?

वैश्विक पहल:

WHO का वैश्विक मलेरिया कार्यक्रम (GMP):

  • WHO का GMP मलेरिया को नियंत्रित तथा खत्म करने के लिये WHO के वैश्विक प्रयासों के समन्वय के लिये उत्तदायी है।
  • इसका कार्यान्वयन मई 2015 में विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा अपनाई गई तथा वर्ष 2021 में अद्यतन की गई "मलेरिया की रोकथाम के लिये वैश्विक तकनीकी रणनीति 2016-2030" द्वारा निर्देशित है।
  • इस रणनीति में वर्ष 2030 तक वैश्विक मलेरिया की घटनाओं तथा मृत्यु दर को कम-से-कम 90% तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

मलेरिया उन्मूलन पहल:

  • बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के नेतृत्व में यह पहल उपचार तक पहुँच, मच्छरों की आबादी में कमी लाने और प्रौद्योगिकी विकास जैसी विभिन्न रणनीतियों के माध्यम से मलेरिया उन्मूलन पर केंद्रित है।

E-2025 पहल:

  • WHO ने वर्ष 2021 में E-2025 पहल शुरू की। इस पहल का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 25 देशों में मलेरिया के संचरण को रोकना है।
  • WHO ने वर्ष 2025 तक मलेरिया उन्मूलन की क्षमता वाले ऐसे 25 देशों की पहचान की है।

भारत:

मलेरिया उन्मूलन के लिये राष्ट्रीय ढाँचा 2016-2030:

WHO की रणनीति के अनुरूप इस ढाँचे का लक्ष्य वर्ष 2030 तक पूरे भारत में मलेरिया का उन्मूलन करना एवं मलेरिया मुक्त क्षेत्रों को बनाए रखना है।

राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम:

  • यह कार्यक्रम रोकथाम और नियंत्रण उपायों के माध्यम से मलेरिया सहित विभिन्न वेक्टर जनित बीमारियों के समाधान पर केंद्रित है।

राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (NMCP):

  • NMCP की शुरुआत वर्ष 1953 में तीन प्रमुख गतिविधियों के आधार पर मलेरिया के विनाशकारी प्रभावों से निपटने के लिये की गई थी, ये हैं- DDT वाले कीटनाशक अवशिष्ट का छिड़काव (Insecticidal Residual Spray- IRS); मलेरिया संबंधी मामलों की निगरानी और निरीक्षण; एवं मरीज़ों का उपचार।

हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट (HBHI) पहल:

  • इसकी शुरुआत वर्ष 2019 में चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) में की गई थी, यह कीटनाशक वितरण के माध्यम से मलेरिया में कमी लाने पर केंद्रित था।

मलेरिया उन्मूलन अनुसंधान गठबंधन-भारत (MERA-India):

  • इसकी स्थापना भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा की गई थी, यह भागीदारों को मलेरिया नियंत्रण अनुसंधान में सहयोग करता है।

भारत में अपराध पर NCRB रिपोर्ट 2022

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने हाल ही में "2022 के दौरान भारत में अपराध (Crime in India for 2022)" शीर्षक से अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है, जो देश भर में अपराध के रुझानों का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करती है।

भारत में अपराध पर NCRB रिपोर्ट 2022 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

समग्र अपराध आँकड़े:

  • कुल 58,00,000 से अधिक संज्ञेय अपराध दर्ज किये गए, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) तथा विशेष और स्थानीय कानून (SLL) के तहत यानी दोनों प्रकार के अपराध शामिल थे।
  • वर्ष 2021 की तुलना में मामलों के पंजीकरण में 4.5% की गिरावट देखी गई।

अपराध दर में गिरावट:

  • प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर वर्ष 2021 के 445.9 से घटकर 2022 में 422.2 हो गई।
  • कुल अपराध संख्या पर जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव को देखते हुए इस गिरावट को अधिक विश्वसनीय संकेतक माना जाता है।

सबसे सुरक्षित शहर:

  • महानगरों में प्रति लाख जनसंख्या पर सबसे कम संज्ञेय अपराध दर्ज करते हुए कोलकाता लगातार तीसरे वर्ष भारत का सबसे सुरक्षित शहर बनकर उभरा है।
  • पुणे (महाराष्ट्र) और हैदराबाद (तेलंगाना) ने क्रमशः दूसरा एवं तीसरा स्थान हासिल किया।

साइबर अपराधों में वृद्धि:

  • साइबर अपराध रिपोर्टिंग में वर्ष 2021 के 52,974 मामलों में 24.4% की एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि के साथ कुल 65,893 मामले दर्ज हुए हैं।
  • पंजीकृत मामलों में अधिकांश साइबर धोखाधड़ी के मामले (64.8%) शामिल हैं, इसके बाद ज़बरन वसूली (5.5%) और यौन शोषण (5.2%) के मामले आते हैं।
  • इस श्रेणी के तहत अपराध दर वर्ष 2021 के 3.9 से बढ़कर वर्ष 2022 में 4.8 हो गई।

आत्महत्याएँ और कारण:

  • 2022 में भारत में आत्महत्याओं में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, कुल 1.7 लाख से अधिक मामले 2021 की तुलना में 4.2% की चिंताजनक वृद्धि को दर्शाते हैं।
  • आत्महत्या दर में भी 3.3% की वृद्धि हुई, जिसकी गणना प्रति लाख जनसंख्या पर आत्महत्याओं की संख्या के रूप में की जाती है।
  • प्रमुख कारणों में 'पारिवारिक समस्याएँ,' 'विवाह संबंधी समस्याएँ,' दिवालियापन और ऋणग्रस्तता, 'बेरोज़गारी एवं पेशेवर मुद्दे' तथा बीमारी' शामिल हैं।
  • आत्महत्या के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में दर्ज़ किये गए, इसके बाद तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना का स्थान है।
  • आत्महत्या के कुल मामलों में दैनिक वेतन भोगियों की हिस्सेदारी 26.4% थी।
  • कृषि श्रमिक और किसान भी असमान रूप से प्रभावित हुए, जो आत्महत्या के आँकड़ों का एक बड़ा हिस्सा है।
  • इसके बाद बेरोज़गार व्यक्तियों का स्थान है, जो वर्ष 2022 में भारत में दर्ज आत्महत्या के सभी मामलों में से 9.2% थे। वर्ष में दर्ज कुल आत्महत्या के मामलों में 12,000 से अधिक छात्र शामिल थे।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ बढ़ते अपराध:

  • भारत में अपराध रिपोर्ट में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों एवं अत्याचारों में समग्र वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।
  • राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों में वर्ष 2022 में ऐसे मामलों में वृद्धि देखी गई।
  • मध्य प्रदेश और राजस्थान प्रमुख योगदानकर्त्ताओं के रूप में बने हुए हैं, जो एससी और एसटी समुदायों के खिलाफ अपराध एवं अत्याचार की सबसे अधिक घटनाओं वाले शीर्ष पाँच राज्यों में लगातार प्रमुख स्थान पर हैं।
  • ऐसे अपराधों के उच्च स्तर वाले अन्य राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पंजाब शामिल हैं।

महिलाओं के विरुद्ध अपराध:

  • वर्ष 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,45,256 मामले दर्ज किये गए, जो वर्ष 2021 की तुलना में 4% अधिक हैं।
  • प्रमुख श्रेणियों में 'पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता,' 'महिलाओं का अपहरण' और 'महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुँचाने के इरादे से उन पर हमला' जैसे मामले शामिल हैं।

बच्चों के विरुद्ध अपराध:

  • बच्चों के  विरुद्ध अपराध के मामलों में वर्ष 2021 की तुलना में 8.7% की वृद्धि देखी गई।
  • इनमें से अधिकांश मामले अपहरण (45.7%) से संबंधित थे और 39.7% मामले यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज किये गए थे।

वरिष्ठ नागरिकों के विरुद्ध अपराध:

  • वर्ष 2021 में वरिष्ठ नागरिकों के विरुद्ध अपराध के 26,110 मामले थे जिनमें 9.3% की बढ़ोतरी के साथ ये 28,545 हो गए।
  • इनमें से अधिकांश मामले (27.3%) चोट/घात के बाद चोरी (13.8%) तथा जालसाज़ी, छल और धोखाधड़ी (11.2%) से संबंधित हैं।

जानवरों द्वारा किये गए हमलों में वृद्धि:

  • NCRB रिपोर्ट में जानवरों के हमलों के कारण मरने वाले अथवा घायल होने वाले लोगों की संख्या में चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चलता है।
  • वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में ऐसी घटनाओं में 19% की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
  • महाराष्ट्र में सबसे अधिक मामले दर्ज किये गए, इसके बाद उत्तर प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में विभिन्न संख्या में संबंधित मामले दर्ज किये गए।
  • इसके आतिरिक्त जानवरों/सरीसृपों तथा कीटों के काटने के मामलों में भी 16.7% की वृद्धि हुई।
  • उक्त के काटने के सबसे अधिक मामले राजस्थान में, उसके बाद क्रमशः मध्य प्रदेश, तमिलनाडु तथा उत्तर प्रदेश में दर्ज किये गए।

पर्यावरण संबंधी अपराध:

  • भारत में पर्यावरण संबंधी अपराधों की कुल संख्या में वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में लगभग 18% की कमी आई है।

पर्यावरण संबंधी अपराधों में सात अधिनियमों के तहत उल्लंघन शामिल हैं:

  • वन अधिनियम, 1927, वन संरक्षण अधिनियम, 1980, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981, जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974, ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000, राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010
  • वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 और जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के उल्लंघन के लिये दर्ज मामलों में लगभग 42% की वृद्धि हुई है।
  • पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत पंजीकृत उल्लंघनों में भी लगभग 31% की वृद्धि हुई है।
  • आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हरियाणा में वन संबंधी अपराधों की संख्या बढ़ी है।
  • बिहार, पंजाब, मिज़ोरम, राजस्थान और उत्तराखंड सहित पाँच राज्यों में वन्यजीव संबंधी अपराध बढ़े हैं।
  • देश में वन्यजीव अपराध के मामलों की अधिकतम संख्या (30%) वाले राजस्थान में वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में ऐसे अपराधों में 50% की वृद्धि दर्ज की गई।

राज्य के विरुद्ध अपराध:

  • विगत वर्ष की तुलना में वर्ष 2022 में राज्य के विरुद्ध हुए अपराधों में सामान्य वृद्धि देखी गई।
  • इस अवधि के दौरान विधि विरुद्ध क्रिया-कलाप निवारण अधिनियम (UAPA) के तहत दर्ज मामलों में लगभग 25% की वृद्धि हुई।
  • इसके विपरीत IPC की राजद्रोह धारा के तहत मामलों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई।
  • राजद्रोह के मामलों में कमी का श्रेय मई 2022 में राजद्रोह के मामलों को प्रास्थगन/स्थगित रखने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को दिया जा सकता है।

र्थिक अपराधों में वृद्धि:

  • आर्थिक अपराधों को आपराधिक विश्वासघात, जालसाज़ी, छल तथा धोखाधड़ी (Forgery, Cheating, Fraud- FCF) तथा कूटकरण (Counterfeiting) में वर्गीकृत किया गया है।
  • FCF के अधिकांश मामले (1,70,901 मामले) देखे गए, इसके बाद आपराधिक विश्वासघात (21,814 मामले) तथा कूटकरण (670 मामले) के अपराध थे।
  • क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सरकारी अधिकारियों ने वर्ष 2022 में कुल 342 करोड़ रुपए से अधिक के जाली भारतीय मुद्रा नोट (Fake Indian Currency Notes- FICN) ज़ब्त किये।

विदेशियों के विरुद्ध अपराध:

  • विदेशियों के खिलाफ 192 मामले दर्ज किये गए जो वर्ष 2021 के 150 मामलों से 28% अधिक है।
  • 56.8% पीड़ित एशियाई महाद्वीप से थे, जबकि 18% अफ्रीकी देशों से थे।

उच्चतम आरोपपत्र दर:

  • IPC अपराधों के तहत उच्चतम आरोपपत्र दर वाले राज्य केरल, पुद्दुचेरी और पश्चिम बंगाल हैं।
  • आरोप पत्र दायर करने की दर उन मामलों को दर्शाती है जहाँ पुलिस कुल सही मामलों (जहाँ आरोपपत्र दायर नहीं किया गया था लेकिन अंतिम रिपोर्ट को सही के रूप में प्रस्तुत किया गया था) में से आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के चरण तक पहुँच गई थी।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो क्या है?

  • NCRB की स्थापना केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1986 में इस उद्देश्य से की गई थी कि भारतीय पुलिस में कानून व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये पुलिस तंत्र को सूचना प्रौद्योगिकी समाधान और आपराधिक गुप्त सूचनाएँ प्रदान कर समर्थ बनाया जा सके।
  • यह राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और गृह मंत्रालय के कार्य बल (1985) की सिफारिशों के आधार पर स्थापित किया गया था।
  • यह गृह मंत्रालय का हिस्सा है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • यह भारतीय और विदेशी अपराधियों के फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड करने के लिये "नेशनल वेयरहाउस" के रूप में भी कार्य करता है, और फिंगरप्रिंट खोज के माध्यम से अंतर-राज्यीय अपराधियों का पता लगाने में सहायता करता है।
  • NCRB के चार प्रभाग हैं: अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS), अपराध सांख्यिकी, फिंगरप्रिंट और प्रशिक्षण।

NCRB के प्रकाशन:

  • क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट
  • आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या
  • जेल सांख्यिकी
  • भारत में गुमशुदा महिलाओं और बच्चों पर रिपोर्ट
  • ये प्रकाशन न केवल पुलिस अधिकारियों के लिये बल्कि भारत में ही नहीं विदेशों में भी अपराध विशेषज्ञों, शोधकर्त्ताओं, मीडिया तथा नीति निर्माताओं हेतु अपराध आँकड़ों पर प्रमुख संदर्भ बिंदु के रूप में काम करते हैं।

बिहार आरक्षण कानून और 50% की सीमा का उल्लंघन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बिहार विधानसभा में बिहार आरक्षण कानून पारित किया गया, जिससे राज्य में नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मात्रा बढ़कर 75% हो गई, जो सर्वोच न्यायालय  (SC) द्वारा बरकरार रखे गए 50% नियम का उल्लंघन है।

  • इसने भारत में आरक्षण की अनुमेय सीमा के बारे में बहस छेड़ दी है, विशेष रूप से मंडल आयोग मामले (इंद्रा साहनी, 1992) में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित "50%" सीमा के मद्देनज़र।

बिहार आरक्षण कानून की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • ये कानून हैं बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के लिये) संशोधन अधिनियम 2023 तथा बिहार (शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण अधिनियम, 2023।
  • संशोधित अधिनियम के तहत, दोनों मामलों में कुल 65% आरक्षण होगा, जिसमें अनुसूचित जाति के लिये 20%, अनुसूचित जनजाति के लिये 2%, पिछड़ा वर्ग के लिये 18% और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिये 25% आरक्षण होगा।
  • इसके अलावा केंद्रीय कानून के तहत पहले से मंज़ूरी प्राप्त EWS (आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों) को 10% आरक्षण मिलता रहेगा।

50% नियम क्या है?

परिचय:

  • 50% नियम, जिसे ऐतिहासिक रूप से सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है, यह निर्देश देता है कि भारत में नौकरियों या शिक्षा के लिये आरक्षण कुल सीटों या पदों के 50% से अधिक नहीं होना चाहिये।
  • प्रारंभ में वर्ष 1963 के एम.आर. बालाजी मामले में सात-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा स्थापित, आरक्षण को संवैधानिक ढाँचे के तहत एक “अपवाद” या “विशेष प्रावधान” माना जाता था, जिससे उपलब्ध सीटों की अधिकतम 50% तक सीमित थी।
  • हालाँकि आरक्षण की समझ वर्ष 1976 में विकसित हुई जब यह स्वीकार किया गया कि आरक्षण कोई अपवाद नहीं है बल्कि समानता का एक घटक है। परिप्रेक्ष्य में इस बदलाव के बावजूद 50% की सीमा अपरिवर्तित रही।
  • वर्ष 1990 में मंडल आयोग मामले में नौ-न्यायाधीशों की पीठ ने 50% की सीमा की फिर से पुष्टि की और कहा कि यह एक बाध्यकारी नियम है, न कि केवल विवेक का मामला है। हालाँकि यह अपवाद के बिना कोई नियम नहीं है।
  • राज्य हाशिये पर और सामाजिक मुख्यधारा से बाहर किये गए समुदायों को आरक्षण प्रदान करने के लिये विशिष्ट परिस्थितियों में सीमा को पार कर सकते हैं, विशेष रूप से भौगोलिक स्थिति के बावजूद।
  • इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय की 103वें संवैधानिक संशोधन की हालिया पुष्टि आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWS) के लिये अतिरिक्त 10% आरक्षण को मान्य करती है।
  • इसका मतलब है कि 50% की सीमा केवल गैर-EWS आरक्षण पर लागू होती है और राज्यों को EWS आरक्षण सहित कुल 60% सीटें/पद आरक्षित करने की अनुमति है।

अन्य राज्य सीमा पार कर रहे हैं:

  • अन्य राज्य जो EWS कोटा को छोड़कर भी पहले ही 50% की सीमा को पार कर चुके हैं, वे हैं छत्तीसगढ़ (72%), तमिलनाडु (69%, वर्ष 1994 के अधिनियम के तहत संविधान की नौवीं अनुसूची के तहत संरक्षित) और कई उत्तर-पूर्वी राज्य जिसमें अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिज़ोरम और नगालैंड (80% प्रत्येक) शामिल हैं।
  • लक्षद्वीप में अनुसूचित जनजातियों के लिये 100% आरक्षण है।
  • महाराष्ट्र और राजस्थान के पिछले प्रयासों को न्यायालयों ने खारिज़ कर दिया है।

संविधान और आरक्षण

  • 77वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1995: इंद्रा साहनी मामले में कहा गया था कि आरक्षण केवल प्रारंभिक नियुक्तियों में होगा, पदोन्नति में नहीं।
  • हालाँकि संविधान में अनुच्छेद 16(4A) को जोड़ने से राज्य को SC/ST कर्मचारियों के लिये पदोन्नति के मामलों में आरक्षण के प्रावधान करने का अधिकार मिल गया, अगर राज्य को लगता है कि उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
  • 81वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2000: इसमें अनुच्छेद 16(4B) पेश किया गया, जिसके अनुसार किसी विशेष वर्ष का रिक्त SC/ST कोटा, जब अगले वर्ष के लिये आगे बढ़ाया जाएगा, तो उसे अलग से माना जाएगा एवं उस वर्ष की नियमित रिक्तियों के साथ नहीं जोड़ा जाएगा।
  • 85वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2001: इसमें पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान किया गया है जिसे जून 1995 से पूर्वव्यापी प्रभाव से अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के सरकारी कर्मचारियों के लिये ‘पारिणामिक वरिष्ठता’ के साथ लागू किया जा सकता है।
  • संविधान में 103वाँ संशोधन (2019): EWS (आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग) के लिये 10% आरक्षण।
  • अनुच्छेद 335: इसके अनुसार संघ या राज्य के कार्यों से संसक्त सेवाओं और पदों के लिये नियुक्तियाँ करने में प्रशासनिक प्रभावशीलता को बनाए रखते हुए अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जातियों के सदस्यों की मांगों को पूरी तरह से ध्यान में रखा जाना चाहिये।

आगे की राह 

  • न्यायालयों को विकसित सामाजिक गतिशीलता, समानता सिद्धांतों तथा बदलते सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य पर विचार करते हुए 50% आरक्षण सीमा का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिये।
  • भौगोलिक सीमाओं के बावजूद, ऐतिहासिक क्षति का सामना करने वाले समुदायों के लिये व्यापक मानदंडों को शामिल करने के लिये सामाजिक बहिष्कार से परे अपवादों का विस्तार करने पर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है।
  • मौजूदा आरक्षण नीतियों की विस्तृत समीक्षा करना, उनकी प्रभावशीलता, प्रभाव एवं वर्तमान सामाजिक आवश्यकताओं के साथ संरेखण करना।

खाद्य सुरक्षा और पोषण का क्षेत्रीय अवलोकन 2023

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने खाद्य सुरक्षा और पोषण पर अपनी डिजिटल रिपोर्ट ‘एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय अवलोकन 2023: सांख्यिकी और रुझान’ जारी की है, जिसके अनुसार 74.1% भारतीय वर्ष 2021 में पोषक आहार प्राप्त करने में असमर्थ थे।

रिपोर्ट से संबंधित प्रमुख बिंदु क्या हैं?

वैश्विक परिप्रेक्ष्य:

  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अल्पपोषण की व्यापकता विगत वर्ष के 8.8% से घटकर वर्ष 2022 में 8.4% हो गई, जो कि वर्ष 2021 की तुलना में लगभग 12 मिलियन कम अल्पपोषित लोगों के सामान है किंतु कोविड 19 महामारी से पूर्व वर्ष 2019 की तुलना में यह 55 मिलियन अधिक है।
  • 370.7 मिलियन कुपोषित लोगों के साथ, एशिया-प्रशांत क्षेत्र विश्व के कुल आधे अल्पपोषित लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • दक्षिणी एशिया में लगभग 314 मिलियन अल्पपोषित लोग रहते हैं। यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 85% अल्पपोषित लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
  • दक्षिणी एशिया में किसी भी अन्य उपक्षेत्र की तुलना में अधिक गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षित लोग हैं। 
  • पूर्वी एशिया को छोड़कर सभी उपक्षेत्रों में महिलाएँ पुरुषों की तुलना में अधिक खाद्य असुरक्षित हैं।

भारतीय:

  • स्वस्थ आहार वहन करने में असमर्थता: वर्ष 2021 में 74.1% भारतीय, स्वस्थ आहार वहन करने में असमर्थ थे, वर्ष 2020 में यह प्रतिशत 76.2 था। 
  • पड़ोसी देशों से तुलना: पाकिस्तान में 82.2% और बांग्लादेश में 66.1% आबादी को स्वस्थ भोजन प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
  • क्षेत्रीय पोषण और खाद्य सुरक्षा: भारत की 16.6% आबादी अल्पपोषित है।
  • वर्ष 2015 के बाद से विश्व की तुलना में भारत में मध्यम या गंभीर और गंभीर खाद्य असुरक्षा का प्रसार कम है।
  • बच्चों का स्वास्थ्य: पाँच साल से कम उम्र के 31.7% बच्चे स्टंटिंग/बौनापन से प्रभावित हैं, जबकि पाँच साल से कम उम्र के 18.7% बच्चों में वेस्टिंग (ऊँचाई के अनुसार कम वजन) प्रचलित है।
  • बच्चों में कमज़ोरी के प्रति WHO का वैश्विक पोषण लक्ष्य 5% से कम है।
  • अवरुद्ध विकास और वृद्धि खराब मातृ स्वास्थ्य एवं पोषण, शिशु एवं छोटे बच्चे के अपर्याप्त आहार प्रथाओं व कई अन्य कारकों के साथ निरंतर अवधि में होने वाले संक्रमण का परिणाम है।
  • महिला स्वास्थ्य: देश की 15 से 49 वर्ष के आयुवर्ग की 53% महिलाओं में एनीमिया था, जो वर्ष 2019 में भारत में सबसे बड़ी प्रसार दर थी।
  • एनीमिया महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को खराब करता है तथा प्रतिकूल मातृ एवं नवजात परिणामों के जोखिम को बढ़ाता है।
  • मोटापा और पोषण संकेतक: FAO के अनुसार वर्ष 2000 तक देश के 1.6% वयस्क मोटापे से ग्रस्त थे। वर्ष 2016 तक यह आँकड़ा बढ़कर 3.9% हो गया।
  • विशेष स्तनपान: 0-5 महीने की उम्र के शिशुओं के लिये विशेष स्तनपान पर, भारत ने 63.7% के प्रतिशत के साथ व्यापकता में सुधार किया है, जो विश्व व्यापकता - 47.7% से अधिक है।
  • इस क्षेत्र में जन्म के समय कम वजन का प्रचलन सबसे अधिक (27.4%) भारत में है, इसके बाद बांग्लादेश और नेपाल का स्थान है।

खाद्य और कृषि संगठन (FAO) क्या है?

परिचय:

  • FAO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भूख पर काबू पाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करती है।
  • हर साल 16 अक्टूबर को विश्व भर में विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है। यह दिन वर्ष 1945 में FAO की स्थापना की सालगिरह को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।
  • यह रोम (इटली) में स्थित संयुक्त राष्ट्र खाद्य सहायता संगठनों में से एक है। इसकी सहयोगी संस्थाएँ विश्व खाद्य कार्यक्रम और अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (IFAD) हैं।

पहलें:

  • विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली (GIAHS)।
  • दुनिया भर में डेज़र्ट लोकस्ट स्थिति पर नज़र रखता है।
  • कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन या CAC संयुक्त FAO/WHO खाद्य मानक कार्यक्रम के कार्यान्वयन से संबंधित सभी मामलों के लिये ज़िम्मेदार निकाय है।
  • खाद्य और कृषि के लिये पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि को वर्ष 2001 में FAO के सम्मेलन के इकतीसवें सत्र द्वारा अपनाया गया था।

प्रमुख प्रकाशन:

  • विश्व मत्स्य पालन और जलकृषि राज्य (SOFIA)।
  • विश्व के वनों का राज्य (SOFO)।
  • विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण की स्थिति (SOFI)।
  • खाद्य और कृषि राज्य (SOFA)।
  • कृषि वस्तु बाज़ार राज्य (SOCO)।

सड़क सुरक्षा की वैश्विक स्थिति रिपोर्ट 2023: WHO

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सड़क सुरक्षा की वैश्विक स्थिति 2023 शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में विश्व भर में सड़क हादसों में होने वाली मौतों और सुरक्षा उपायों को लेकर महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष एवं अंतर्दृष्टि प्रस्तुत की गई है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?

सड़क हादसों में होने वाली मौतें:

  • वर्ष 2010 और 2021 के बीच विश्व भर में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में 5% की कमी आई है अर्थात इस एक वर्ष के दौरान होने वाली मौतों की कुल संख्या 1.19 मिलियन है।
  • संयुक्त राष्ट्र के 108 सदस्य देशों ने इस अवधि के दौरान सड़क हादसों में होने वाली मौतों में गिरावट दर्ज की है।
  • जबकि भारत में इसकी मृत्यु दर में 15% की वृद्धि देखी गई, जो वर्ष 2010 के 1.34 लाख से बढ़कर वर्ष 2021 में 1.54 लाख हो गई है।

वे देश जहाँ सड़क हादसों में होने वाली मौतों में काफी कमी आई है:

  • 10 देशों में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में काफी कमी दर्ज की गई है। 50% से अधिक कमी लाने में सफल देश इस प्रकार हैं: बेलारूस, ब्रुनेई दारुस्सलाम, डेनमार्क, जापान, लिथुआनिया, नॉर्वे, रूसी संघ, त्रिनिदाद और टोबैगो, संयुक्त अरब अमीरात तथा वेनेज़ुएला।
  • पैंतीस अन्य देशों ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे सड़क हादसों में होने वाली मौतों में 30% से 50% की कमी दर्ज की गई है।

दुर्घटनाओं का क्षेत्रीय वितरण:

  • वैश्विक सड़क यातायात में होने वाली मौतों में से 28% WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में, 25% पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में, 19% अफ्रीकी क्षेत्र में, 12% अमेरिका क्षेत्र में, 11% पूर्वी भूमध्य क्षेत्र में तथा 5% यूरोपीय क्षेत्र में हुई।
  • विश्व के केवल 1% मोटर वाहन होने के बावजूद सड़क हादसों से होने वाली 90% मौतें निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।

कमज़ोर सड़क चालक:

  • सभी सड़क हादसों से होने वाली मौतों में से 53% कमज़ोर सड़क चालक हैं, जिनमें पैदल यात्री (23%), संचालित दोपहिया तथा तिपहिया वाहनों के चालक (21%), साइकिल चालक (6%) एवं  सूक्ष्म-गतिशीलता उपकरणों के चालक (3%) शामिल हैं। 
  • वर्ष 2010 और वर्ष 2021 के बीच पैदल यात्रियों की मृत्यु 3% बढ़कर 2,74,000 हो गई, जबकि साइकिल चालकों की मृत्यु लगभग 20% बढ़कर 71,000 हो गई।
  • हालाँकि कार एवं अन्य चौपहिया हल्के वाहन में सवार लोगों की मृत्यु में थोड़ी कमी आई, जो होने वाली वैश्विक मौतों का 30% है।

सुरक्षा मानकों व नीतियों पर प्रगति:

  • केवल छह देशों में ऐसे कानून हैं जो सभी जोखिम कारकों (तीव्र गति, शराब का सेवन कर वाहन चलाना एवं मोटरसाइकिल हेलमेट, सीटबेल्ट व बच्चों के संयम का उपयोग) के लिये WHO के सर्वोत्तम अभ्यास को पूरा करते हैं, जबकि 140 देशों (संयुक्त राष्ट्र के दो-तिहाई सदस्य देशों) में केवल इन जोखिम कारकों में से किसी एक से संबंधित कानून हैं। 
  •    सीमित संख्या में देशों में प्रमुख वाहन सुरक्षा सुविधाओं को शामिल करने वाले कानून हैं और सड़क उपयोगकर्त्ताओं के लिये सुरक्षा निरीक्षण की आवश्यकता होती है।

कार्रवाई के लिये आह्वान:

  • वैश्विक मोटर-वाहन बेड़े (Fleet) की वृद्धि वर्ष 2030 तक दोगुनी होने की उम्मीद है, जिससे सुदृढ़ सुरक्षा नियमों और बुनियादी ढाँचे में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है।
  • यह रिपोर्ट वर्ष 2030 तक सड़क यातायात से होने वाली मौतों को 50% तक कम करने के संयुक्त राष्ट्र कार्रवाई दशक 2021-2030 के लक्ष्य को पूरा करने के प्रयासों के लिये आधार रेखा तय करती है।

सड़क सुरक्षा से संबंधित पहल क्या हैं?

वैश्विक:

सड़क सुरक्षा पर ब्रासीलिया घोषणा (2015):

  • इस घोषणा पर ब्राज़ील में आयोजित सड़क सुरक्षा पर दूसरे वैश्विक उच्च-स्तरीय सम्मेलन में हस्ताक्षर किये गए। भारत इस घोषणापत्र का एक हस्ताक्षरकर्त्ता है।
  • देशों की योजना सतत् विकास लक्ष्य 3.6 हासिल करने अर्थात वर्ष 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों और आघात की संख्या को आधा करने की है।

सड़क सुरक्षा के लिये कार्रवाई का दशक 2021-2030:

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2030 तक कम-से-कम 50% सड़क यातायात मौतों और आघातों को रोकने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ "वैश्विक सड़क सुरक्षा में सुधार" संकल्प अपनाया।
  • वैश्विक योजना सड़क सुरक्षा के लिये समग्र दृष्टिकोण के महत्त्व पर बल देकर स्टॉकहोम घोषणा के अनुरूप है।

अंतर्राष्ट्रीय सड़क मूल्यांकन कार्यक्रम (iRAP) :

  • यह एक पंजीकृत चैरिटी है जो सुरक्षित सड़कों के माध्यम से जीवन बचाने के लिये समर्पित है।

भारत :

मोटर वाहन संशोधन अधिनियम, 2019:

  • अधिनियम यातायात उल्लंघन, दोषपूर्ण वाहन, किशोर ड्राइविंग आदि के लिये दंड बढ़ाता है।
  • यह एक मोटर वाहन दुर्घटना निधि का प्रावधान करता है, जो भारत में सभी सड़क उपयोगकर्त्ताओं को कुछ प्रकार की दुर्घटनाओं के लिये अनिवार्य बीमा कवर प्रदान करेगा।
  • यह केंद्र सरकार द्वारा बनाए जाने वाले एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का भी प्रावधान करता है।
  • सड़क मार्ग द्वारा वहन अधिनियम, 2007
  • यह अधिनियम आम वाहकों को विनियमित करता है, उनकी देनदारियों को सीमित करता है और उन्हें उनके कर्मचारियों या एजेंटों या अन्य की लापरवाही के कारण उन वस्तुओं की हानि के लिये उनकी देयता का आकलन करने के लिये उनके द्वारा वितरित किये गए वस्तुओं के मूल्य की घोषणा अनिवार्य बनाता है।

राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि और यातायात) अधिनियम, 2000:

  • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्गों के भीतर भूमि के नियंत्रण, राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले रास्ते और यातायात का अधिकार तथा उस पर अनधिकृत कब्ज़े को हटाने का भी प्रावधान करता है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1998:

  • यह अधिनियम राष्ट्रीय राजमार्ग के विकास, रखरखाव और प्रबंधन तथा उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिये एक प्राधिकरण के गठन का प्रावधान करता है।

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FAQs on Indian Society and Social Issues (भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे): December 2023 UPSC Current Affairs - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly

1. उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में गिरावट क्या है?
उच्च शिक्षा में मुस्लिम छात्रों के नामांकन में गिरावट का मतलब है कि मुस्लिम छात्रों की संख्या उच्च शिक्षा के कार्यक्रमों में कम हो रही है। इसके कारणों में समाजिक, आर्थिक और नैतिक प्रतिबंधों का असर हो सकता है।
2. विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 क्या है?
विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2023 एक रिपोर्ट है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रकाशित की गई है। यह रिपोर्ट मलेरिया रोग की वैश्विक स्थिति और नवीनतम तस्वीर को प्रस्तुत करती है। इस रिपोर्ट में मलेरिया के कारण, प्रभाव, रोकथाम के उपाय और संबंधित तथ्यों का विवरण दिया गया है।
3. भारत में अपराध पर NCRB रिपोर्ट 2022 क्या कहती है?
NCRB रिपोर्ट 2022 भारतीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा प्रकाशित की गई है। इस रिपोर्ट में भारत में हुए अपराधों का विवरण, अपराध के प्रकार, राज्यों के आधार पर अपराधी की संख्या, अपराध के पीड़ितों की जानकारी आदि दी गई है। यह रिपोर्ट सुरक्षा प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।
4. बिहार आरक्षण कानून और 50% की सीमा का उल्लंघन क्या है?
बिहार आरक्षण कानून और 50% की सीमा का उल्लंघन यह दर्शाता है कि बिहार राज्य में आरक्षण के कानून के अनुसार केवल 50% आरक्षण होना चाहिए, लेकिन कुछ मामलों में इस सीमा को पार किया जा रहा है। यह आरक्षण के नियमों और न्यायिक निर्णयों के साथ जुड़ा हुआ मुद्दा है।
5. खाद्य सुरक्षा और पोषण का क्षेत्रीय अवलोकन 2023 क्या शामिल होगा?
खाद्य सुरक्षा और पोषण का क्षेत्रीय अवलोकन 2023 खाद्य सुरक्षा और पोषण के मुद्दों को देखने के लिए एक रिपोर्ट होगी। इस रिपोर्ट में एक क्षेत्रीय परिदृश्य प्रस्तुत किया जाएगा जिसमें खाद्य सुरक्षा, पोषण के स्तर, मानक, अभाव, भूमि उपयोग आदि के बारे में जानकारी दी जाएगी।
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