यूरोपीय संघ (EU) द्वारा एक कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (Carbon Border Adjustment Mechanism- CBAM) लागू करने की मंशा (जो 1 जनवरी 2026 से शुरू होगी) ने भारतीय निर्यात के लिये लागत में वृद्धि के संबंध में चिंताएँ बढ़ा दी हैं। अक्टूबर 2023 से भारतीय निर्यातकों के लिये लगभग प्रत्येक दो माह पर अपनी प्रक्रियाओं पर दस्तावेज़ जमा करना आवश्यक बना दिया गया है।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और कार्बन लीकेज को रोकने के उद्देश्य से यूरोपीय संघ द्वारा CBAM के प्रस्ताव ने भारत को अपने स्वयं के कार्बन व्यापार तंत्र या CCTS पर विचार करने के लिये प्रेरित किया है। दिसंबर 2025 में CBAM के संक्रमणकालीन चरण के समाप्त होने के साथ, भारत को अपने उद्योगों को संभावित प्रतिकूल प्रभावों से बचाने के लिये पेरिस समझौते के सिद्धांतों के अनुरूप अपने कार्बन कराधान उपायों को तीव्र गति से तैयार एवं कार्यान्वित करना चाहिये। यूरोपीय संघ के साथ चल रही समझौता वार्ताएँ (विश्व व्यापार संगठन के समक्ष चुनौती सहित) इस वैश्विक पर्यावरण नीति परिदृश्य पर भारत की प्रतिक्रिया निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।
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